Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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PERSASPERMISPRSARIPRABPORNSPECHAPERSPICARSAATMINSPORMASPIGHISPOSISYCHICFEMSPTEMBPOR428PENS
एवं देवदंडओ भाणियब्यो जाब वेमाणिए ।५०५। अस्थि णं भंते ! नेरइयाणं सक्कारेति वा सम्माणेति वा किइकम्मेइ वा अब्भुटाणेइ वा अंजलिपग्गहेति वा आसणाभिग्गहेति वा आसणाणुष्पदाणेति वा इंतस्स पचुग्गच्छणया ठियस्स पजुवासणया गच्छंतस्स पडिसंसाहणया?, नो तिणढे समढे, अस्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं सकारेति वा सम्माणेति वा जाव पडिसंसाहणया?,हंता अस्थि, एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढचीकाइयाणं जाव चउरिदियाणं एएसि जहा नेरइयाण, अस्थि णं भंते! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण सकारेइ वा जाव पडि. संसाहणया?, हंता अस्थि, नो चेव णं आसणाणुप्पयाणेइ वा, मणुस्साणं जाव वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं । ५०६। अप्पड्ढीए णं भंते ! देवे महड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएजा?, नो तिणट्टे समढे, समिड्ढीए णं भंते ! देवे समड्ढियस्स देवस्स मझमझेणं वीइवएजा?, णो इणमट्टे समट्टे. पमत्तं पुण वीइवएज्जा, से णं भंते ! किं सत्येणं अक्कमित्ता पभू अणक्कमित्ता पभू?, गोयमा ! अकमित्ता पभू नो अणकमित्ता पभू, से णं भंते! किं पुर्वि सत्येणं अकमित्ता पच्छा वीयीवएजा पुखि वीइव० पच्छा सत्येणं अकमेजा, एवं एएणं अभिलावेणं जहा दसमसए आइइढीउद्देसए तहेव निरवसेसं चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाव महाढिया वेमाणिणी अप्पढियाए वेमाणिणीए५०७। रयणप्पभापढीनेरइया णं भंते ! केरिसियं पोग्गलपरिणामं पञ्चणुभवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! अणिटुं जाव अमणामं एवं जाव अहेसत्तमापुढवीनेरइया, एवं वेदणापरिणामं एवं जहा जीवाभिगमे बितिए नेरइयउद्देसए जाव अहेसत्तमापुढवीनेरइया णं भंते ! केरिसयं परिम्गहसन्नापरिणामं पच्चणुभवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! अणिटुं जाव अमणामं । सेवं भंते !२त्ति ।५०८॥शक १४ उ०३॥ (पोग्गल खंधे जीवे परमाणू सासए य चरमे य। दुविहे खलु परिणामे अज्जीवाणं च जीवाणं ॥१॥ पा०) एस णं भंते ! पोग्गले वीतमणंतं सासर्य लुक्खी समयं अलक्खी समयं लुक्खी वा अलुक्खी वा?, पुचि चणं करणेणं अणेगवन्नं अणेगरूवं परिणामं परिणमति अह से परिणामे निजिने भवति तओ पच्छा एगवने एगरूवे सिया ?, हंता गोयमा! एस गं पोग्गले तीते तं चेव जाब एगरूवे सिया, एस णं भंते ! पोग्गले पडुप्पन्नं सासयं समयं०? एवं चेव, एवं अणागयमणतंपि, एस णं भंते ! खंधे तीतमणतं०?, एवं चेव खंधेऽवि जहा पोग्गले।५०९। एस णं भंते ! जीवे तीतमणतं सासयं समयं दुक्खी समयं अदुक्खी समयं दुक्खी वा अदुक्खी वा पुब्बि च करणेणं अणेगभावं अणेगभूयं परिणाम परिणमइ अह से वेयणिजे निजिन्ने भवति तओ पच्छा एगभाचे एगभूए सिया ?, हंता गोयमा ! एस णं जीवे जाय एगभूए सिया, एवं पटुप्पन्न सासयं समयं, एवं अणागयमणतं सासयं समयं
५१०। परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं सासए असासए ?, गोयमा! सिय सासए सिय असासए, से केणट्टेणं भंते ! एवं बुचइ-सिय सासए सिय असासए ?, गोयमा ! दबट्टयाए सासए | वन्नपज्जवेहिं जाव फासपजवेहिं असासए, से तेणडेणं जाव सिय सासए सिय असासए । ५११। परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं चरमे अचरमे?, गोयमा ! दब्वादेसेणं नो चरिमे
अचरिमे खेत्तादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे कालादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे भावादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे । ५१२। कइविहे णं भंते ! परिणामे पं०१, गोयमा ! दुविहे परिणामे पं० सं०-जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे य, एवं परिणामपयं निरवसेसं भाणियव्यं । सेवं भंते!२ जाव विहरति । ५१३॥ श०१४ उ०४॥ (नेरइयअगणिमझे दस ठाणा तिरिय पोग्गले देवे। पव्वयभित्ती उलंघणा य पालंघणा चेव ॥१॥ पा०) नेरइए णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएजा अत्थे. गतिए नो बीइवएजा, से केणद्वेणं भंते ! एवं खुबइ अत्थेगइए वीहवएजा अत्थेगइए नो वीइवएज्जा ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पं० त०-विग्गहगतिसमावनगा य अविग्गहगनिममावनगा य, तत्थ णंजे से विग्गहमतिसमावजए नेरतिए से णं अगणिकायस्स मज्झमझेणं वीइवएजा, से ण तत्थ झियाएजा, णो तिणट्टे समढे, नो खल तत्थ सत्थं कमइ, तत्व णं जे से अविग्गहगइसमावनए नेरइए से णं अगणिकायस्स मज्झमझेणं णो बीइवएजा, से तेणट्टेणं जाव नो वीइवएज्जा, असुरकुमारे णं भंते ! अगणिकायस्स पुच्छा, गोयमा! अत्थेगतिए वीइवएजा अत्धेगतिए नो वीइवएजा, सेकेणटेणं जाव नो वीइवएजा?, गोयमा ! असुरकुमारा दुविहा पं० त०-विग्गहगइसमावनगा य अविग्गहगइसमावन्नगा य, तत्य णं जे से विग्गहगइसमावन्नए असुरकुमारे से णं एवं जहेब नेरतिए जाव कमति, तत्थ णं जे से अविग्गहगइसमावचए असुरकुमारे से णं अस्थगतिए अगणिकायस्स मज्झमझेणं बीतीवएजा अत्यंगतिए नो वीइव०, जे णं वीतीवएज्जा से णं तस्थ लियाएज्जा ?, नो तिणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमति, से तेणट्टेणं०, एवं जाव बणियकुमारे, एगिदिया जहा नेरइया, चेइंदिया णं भंते! अगणिकायस्स मज्झमझेणं जहा असुरकुमारे तहा बेइंदिएऽवि, नवरं जे णं बीयीवएजा से णं तस्थ झियाएजा ?, हंता झियाएजा, सेस तं चेब, एवं जाव चउरिदिए, पंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! अगणिकाय पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगतिए वीइवएजा अत्थेगतिए नो वीइवएजा, से केणतुणं.?, गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्वजोणिया दुविहा पं० तं०-विग्गहगतिसमावनगा य अविग्गहगइसमावन्नगा य, विम्गहगइसमावन्नए जहेव नेरइए जाव नो खलु तस्थ सत्थं कमइ. अविग्गहगइसमावनगा पंचिंदियतिरिक्च३०२ श्रीभगवत्यंग-सत-१४
मुनि दीपरत्नसागर

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