Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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अप्पाणेणं उड्ढं बेहासं उप्पाएजा ?, हंता गोयमा! उप्पाएज्जा, अणगारेणं भंते ! भावियप्पा केवतियाइं पभू केयाघडियाहत्थकियागयाई रूवाइं विउब्बित्तए?, गोयमा! से जहानामए. जुवतिं जुवाणे हत्येणं हत्थे एवं जहा तइयसए पंचमुदेसए जाव नो चेवणं संपत्तीए विउव्विसु वा विउविति वा विउव्विस्संति वा, से जहानामए-केई पुरिसे हिरमपेलं गहाय गच्छेजा एवामेव अणगारेऽवि भावियप्पा हिरण्णपेलहत्यकचिगएणं अप्पाणेणं सेसं तं चेच, एवं सुवचपेलं एवं रयणपेलं वइरपेलं वत्थपेलं आभरणपेलं, एवं वियलकिड्डं (प० लं,ड) सुंदकिड्ड चम्मकिड्ड कंबलकिड्डं एवं अयभारं तंवभारं तउयभारं सीसगभारं हिरनमारं सुबनभारं वइरभारं, से जहानामए-वग्गुली सिया दोऽवि पाए उबिया २ उड्दपादा अहोसिरा चिट्टेजा एवामेव अणगारेऽवि भावियप्पा वग्गुलीकिच्चगएणं अप्पाणेणं उढे वेहासं, एवं जन्नोवइयवत्तव्वया भा० जाब विउब्बिस्संति वा, से जहानामए-जलोया सिया उदगंसि कायं उचिहिया २गच्छेजा एवामेव सेसं जहा वग्गुलीए, से जहाणामए-बीयंबीयगसउणे सिया दोऽवि पाए समतुरंगेमाणे २ गच्छेजा एवामेव अणगारे सेसं तं चेत्र, से जहाणामए-पक्खिबिरालिए सिया रुक्खाओ रुक्खं डेवेमाणे २ गच्छेजा एवामेव अणगारे सेसं तं चेव, से जहानामए-जीवंजीवगसउणे सिया दोऽवि पाए समतुरंगेमाणे २ गच्छेजा एवामेव अणगारे सेसं तं चैव, से जहाणामए-हंसे सिया तीराओ तीरं अभिरममाणे २ गच्छेज्जा एवामेव अणगारे हंसकिञ्चगएर्ण अप्पाणेणं तं चेव, से जहानामए समुदवायसए सिया बीईओ बीइं डेवेमाणे २ गच्छेजा एवामेव तहेव, से जहानामए-केई पुरिसे चकं गहाय गच्छेज्जा एवामेव अणगारेऽवि भावियप्पा चक्कहत्यकिचगएणं अप्पाणेणं सेसं जहा केयाघडियाए,एवं छत्तं एवं चामरं (प्र०चम्म), से जहानामए-केई पुरिसे रयणं गहाय गच्छेजा एवं चेव, एवं वइरं वेझलियं जाव रिटुं, एवं उप्पलहत्थर्ग पउमहत्थगं कुमुदहत्थगं एवं जाव से जहानामए केई पुरिसे सयपत्तं वा सहस्सपत्तगं वा गहाय गच्छेज्जा एवं चेव, से जहानामए-केई पुरिसे भिसं अवदालिय २ गच्छेज्जा एवामेव अणगारेऽवि भिसकिचगएणं अप्पाणेणं तं चेव, से जहानामए-मुणालिया सिया उदगंसि कार्य उम्मजिय २ चिट्टिजा एवामेव सेसं जहा वग्गुलीए, से जहानामए-वणसंडे सिया किण्हे किण्होभासे जाव निकुरुंवभूए पासादीए० एवामेव अणगारेऽवि भावियप्पा वणसंडकिचगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पाएज्जा सेसं तं चेव, से जहानामए-पुक्खरणी सिया चउक्कोणा समवीरा अणुपुव्वसुजायजावसदुबइयमहुरसरणादिया पासादीया० एवामेव अणगारेऽवि भावियप्पा पक्खिरणाकिच्चगएण अप्पाणण उदबहास उप्पाएजा,हता उप्पाएजा,अणगारणभत! भावियप्पा कवतियाईपभू पाक्खरणीकिचगयाई रुवाई विउवित्तए?. सेसं तं चेव जाव विउविस्संति वा से भंते ! किंमायी विउब्बति अमायी विउब्वति?, गोयमा! मायी विउव्वइ नो अमायी विउदाह, मायी णं तस्स ठाणस्स अणालोइय० एवं जहा तइयसए चउत्थुद्देसए जाव अस्थि तस्स आराहणा। सेवं भंते !२ जाब विहरइत्ति । ४९७॥ श०१३ उ०९॥ कति णं भंते ! छाउमस्थियसमुग्धाया पं०१, गोयमा ! छ छाउमत्थिया
समुग्धाया पं० तं०-वेयणासमुग्धाए एवं छाउमत्थियसमुग्धाया नेयव्या जहा पनवणाए जाब आहारगसमुग्घायेत्ति। सेवं भंते ! सेवं भंते!त्ति । ४९८॥ उ०१० इति त्रयोदशं शतकं॥ PAIम मा 'चर १ उम्माद २ सरीरे ३ पोग्गल ४ अगणी ५ तहा किमाहारे ६। संसिट्ठ ७ मंतरे खलु ८ अणगारे ९ केवली चेव १० ॥७५॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-अंणगारे
णं भंते ! भावियप्पा चरमं देवावासं वीतिकंते परमं देवावासमसंपत्ते एत्य णं अंतरा कालं करेजा तस्स णं भंते ! कहिं गती कहिं उववाए पं०?, गोयमा ! जे से तत्थ परियस्सओ तलेसा देवावासा तहिं तस्स उववाए पं०, से य तत्थ गए विराहेज्जा कम्मलेस्सामेव पडिवडइ, से य तत्थ गए नो विराहेज्जा तामेव लेस्सं उपसंपज्जित्ताणं विहरति, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चरमं असुरकुमारावासं वीतिकंते परमअमुरकुमारा०?, एवं चेच, एवं जाव थणियकुमारावासं, जोइसियावासं एवं वेमाणियावासं जाब विहरइ।४९९। नेरइयाणं भंते! कहं सीहा गती कह सीहे गतिचिसए पं०१, गोयमा! से जहानामए-केई परिसे तरुणे बलवं जगवं जाव निउणसिप्पोवगए आउट्टियं बाहं पसारेजा पसारियं वा बाई आउंटेजा विक्खिणं वा मदि साहरेजा साहरियं वा मुट्टि विक्विरेजा उत्रिमिसियं वा अपिंछ निम्मिसेजा निम्मिसियं वा अच्छि उम्मिसेजा, भवे एयारूवे?, णो तिणद्वे समढे, नेरहया णं एगसमएण वा दुसमएण वा तिसमएण वा विम्गहेणं उक्वजंति, नेरइयाणं गोयमा ! तहा सीहा गती तहा सीहे गतिविसए पं०,एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं एगिदियाणं च उसमइए दिग्गहे भाणियब्बे, सेसं तं चेव १५००। नेरइया णं भंते! किं अणंतरोक्वनगा परंपरोक्वनगा अणंतरपरंपरअणुक्वक्षगा ?, गोयमा ! नेर० अणंतरोववनगावि परंपरोक्वनगावि अणंतरपरंपरअणुववनगावि, से केण एवं | बु० जाव अणंतरपरंपरअणुववन्नगावि?, गोयमा ! जे ण नेरइया पढमसमयोक्वन्नगा ते णं नेरइया अणंतरोववन्नगा जे ण नेरइया अपढमसमयोक्वन्नगा ते ण नेरइया परंपरोक्वन्नगा जेणे नेर० विग्गहगइसमावन्नगा ते णं नेरइया अणंतरपरंपरअणुववन्नगा, से तेणट्टेणं जाव अणुववन्नगावि, एवं निरंतरं जाव वेमा०, अणंतरोचवन्नगा णं भंते! नेरइया कि नेरइयाउर्य पकरेंति तिरिक्ख० मणुस्स० देवाउयं पकरेंति ?, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति, परंपरोवपन्नगा णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउथ पकरेंति?, गोयमा ! नो नेदयाउयं पकरेंति तिरिक्खजोणियाउयपि पकरेंति मणुस्साउयंपि पकरेंति नो देवाउयं पकरेंति, अणंतरपरंपरअणुववन्नगा णं भंते! नेर० किं नेरइयाउयं (७५) ३०० श्रीभगवत्य-सा-१४
मुनि दीपरत्नसागर

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