Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 143
________________ । ४९१ ॥ श० १३ उ० ६ ॥ रायगिहे जाव एवं वयासी आया भंते! भासा अन्ना भासा ?, गोयमा ! नो आया भासा अन्ना भासा, रूविं भंते! भासा अरूविं भासा ?, गोयमा ! रूविं भासा नो अरूविं भासा, सचित्ता भंते! भासा अचित्ता भासा ? गोयमा ! नो सचित्ता भासा अचित्ता मासा, जीवा भंते! भासा अजीवा भासा ?, गोयमा नो जीवा भासा अजीवा भासा, जीवाणं भंते! भासा अजीवाणं भासा ?, गोयमा ! जीवाणं भासा नो अजीवाणं भासा, पुच्चि भंते! भासा भासिजमाणी भासा भासासमयवीतिर्कता भासा ?, गोयमा ! नो पुवि भासा भासिजमाणी भासा णो भासासमयवीतिकंता भासा, पुच्चि भंते! भासा भिजति भासिजमाणी भासा भिजति भासासमयवीतिकंता भासा भिज्जति ?, गोयमा नो पुब्बि भासा भिजति भासिजमाणी भासा भिजइ नो भासासमयवीतिता भासा भिजति, कतिविहा णं भंते भासा पं० १. गोयमा ! चउब्विहा भासा पं० तं० सथा मोसा सामोसा असच्चामोसा । ४९२ । आया भंते! मणे अण्णे मणे ?, गोयमा ! नो आया मणे अने मणे जहा भासा तहा मणेऽवि जाय नो अजीवाणं मणे, पुब्विं भंते! मणे मण्णिजमाणे मणे ? एवं जहेब भासा, पुवि भंते! मणे भिजति मण्णिजमाणे मणे भिजति मणसमयवीतिकंते मणे भिजति ?, एवं जहेब भासा, कतिविहे णं भंते! मणे पं० १, गोयमा ! चउब्विहे मणे पं० तं०-सच्चे जाव असच्चामोसे । ४९३ । आया भंते! काये अन्ने काये ?, गोयमा ! आयावि काये अन्नेऽवि काये, रूविं भंते! काये अरूविं काये ?, पुच्छा, गोयमा ! रूविंप काये अरूविपि काए, एवं एकेके पुच्छा, गोयमा सच्चित्तेऽवि काए अश्वित्तेऽवि काए, जीवेऽवि काए अजीवेऽवि काए, जीवाणवि काए अजीवाणवि काए, पृथ्विं भंते! काये पुच्छा, गोयमा ! पुब्बिपि काए कायिजमाणेऽविकाए कायसमयवीतिकंतेऽवि काये, पुवि भंते! काये भिज्जति पुच्छा, गोयमा ! पुर्विपि काए भिज्जति जाब काए भिजति, कइविहे णं भंते! काये पं० १. गोयमा ! सत्तविहे काये पं० तं० ओराले ओरालियमीसए वेडब्बिए वेडब्बियमीसए आहारए आहारगमीसए कम्मए । ४९४ । कतिविहे णं भंते! मरणे पं० १, गोयमा ! पंचविहे मरणे पं०सं०आवीचियमरणे ओहिमरणे आदिंतियमरणे बालमरणे पंडियमरणे, आवीचियमरणे णं भंते! कतिविहे पं० १, गोयमा ! पंचविहे पं० तं० दव्वावीचियमरणे खेत्तावीचियमरणे कालावीचियमरणे भवावीचियमरणे भावावीचियमरणे, दब्वावीचियमरणे णं भंते! कतिविहे पं० १. गोयमा ! चउब्विहे पं० तं० नेरइयदव्वावीचियमरणे तिरिक्खजोणियद० मणुस्सद० देव'दव्वावीचियमरणे, से केणट्टेणं भंते! एवं वृच्चइ नेरइयदव्वावीचियमरणे २१, गोयमा ! जष्णं नेरइया नेरइए दब्वे वट्टमाणा जाई दव्वाई नेरइयाउयत्ताए गहियाई बढाई पढाई कडाई पटुवियाई निविद्वाई अभिनिविद्वाई अभिसमन्नागयाई भवंति ताई दव्वाई आवीची अणुसमयं निरंतरं मरंतित्तिकट्टु से तेण्डेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ नेरइयदव्वावीचियमरणे २, एवं जाव देवदव्वावीचियमरणे, खेत्तावीचियमरणे णं भंते! कतिविहे पं० १, गोयमा! चउब्विहे पं० तं० नेरइयखेत्तावीचियमरणे जाव देव०, से केणटुणं भंते! एवं० नेरइयखेत्तावीचियमरणे २१, जण्णं नेरइया नेरइयखेत्ते वट्टमाणा जाई दब्वाई नेरइयाउयत्ताए एवं जहेब दब्बावीचियमरणे तहेव खेत्तावीचियमरणेऽवि एवं जाव भावावीचियमरणे, ओहिमरणे णं भंते! कतिविहे पं० १, गोयमा ! पंचविहे पं० तं० दव्वोहिमरणे खेत्तोहिमरणे जाव भावोहिमरणे, दव्बोहिमरणे णं भंते! कतिविहे पं० १, गोयमा ! चउब्विहे पं० तं० नेरइयदब्बोहिमरणे जाव देवदय्वोहिमरणे, से केणट्टेणं भंते! एवं बु० नेरइयदब्बोहिमरणे २१, गोयमा जे गं नेरइया नेरइयदव्ये माणा जाई दब्वाई संपयं मरंति ते णं नेरइया ताई दव्वाई अणागए काले पुणोऽवि मरिस्संति से तेण० गोयमा जाव दव्वोहिमरणे, एवं तिरियक्खजोणिय० मणुस्स० देवोहिमरणेऽवि एवं एएणं गमेणं खेत्तोहिमरणेऽवि कालोद्दिमरणेऽवि भवोहिमरणेऽवि भावोहिमरणेऽवि, आइंतियमरणे णं भंते! पुच्छा, गोयमा! पंचविहे पं० तं० दब्वादितियमरणे खेत्तादिंतियमरणे जाव भावादितियमरणे, दव्वादितियमरणे णं भंते! कतिविहे पं० १, गो० ! चउब्बिहे पं० तं०-नेरइयदव्वाइंतियमरणे जाव देवदव्वादितियमरणे, से केणट्टेणं एवं बु०-नेरइयदब्वादितियमरणे २१, गो० जेणं नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा जाई दव्वाई संपयं मरंति ते णं नेरइया ताई दव्वाई अणागए काले नो पुणाऽवि मरिस्संति से तेणट्टेणं जाव मरणे, एवं तिरिक्ख मणुस्स० देवाइतियमरणे, एवं खेत्ताइंतियमरणेऽवि एवं जाव भावाइंतियमरणेऽवि, बालमरणे णं भंते! कतिविहे पं०१, गो० ! दुवालसविहे पं० तं०-वलयमरणे जहा खंदए जाव गडपट्टे, पंडियमरणे णं भंते! कइविहे पं० १, गोयमा ! दुबिहे पं० [सं० पाओवगमणे य भत्तपचक्खाणे य, पाओवगमणे णं भंते! कतिविहे पं० १, गोयमा ! दुविहे पं० तं० णीद्दारिमे य अनीहारिमे य जाव नियमं अपडिकम्मे, भत्तपञ्चक्खाणे णं भंते! कतिविहे पं० १. एवं तं चैव नवरं नियमं सपडिकम्मे । सेवं भंते! २त्ति । ४९५ ॥ ० १३ उ० ७ ॥ (पयडीणं भेय ठिई बंधोऽवि य इंदियाणुत्राएणं । केरिसय 'जहन्नटिरं बंधइ उक्कोसियं वावि ॥ १ ॥ पा०) कति णं भंते! कम्मपगडीओ ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पं० एवं बंधट्टिइउदेसो भाणियच्वो निरवसेसो जहा पनवणाए। सेवं भंते! सेवं भंते । । ४९६ ॥ श० १३ उ० ८ ॥ रायगिहे जाव एवं वयासी से जहानामए- केई पुरिसे केयापडियं गहाय गच्छेजा एवामेव अणगारेऽवि भावियप्पा केयाघडियाचिहत्थगएणं २९९ श्रीभगवत्यं १२ मुनि दीपरत्नसागर

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