Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 133
________________ गोयमा ! जहनेणं दस वाससहस्साई उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई । ४६२। भवियदव्यदेवा णं भंते ! कि एगतं पभू विउवित्तए पहुत्तं पभू विउव्यित्तए?, गोयमा! एगतंपि पभू बिउवित्तए पहुतंपिपभू विउवित्तए, एगतं विउव्यमाणे एगिदियरूवं वा जाव पंचिंदियरूवं वा, पहुत्तं विउव्यमाणे एगिदियरुवाणि वा जाव पंचिंदियरुवाणि वा०,ताई संखेजाणि वा असंखेज्जाणि वा संचाणि वा असंबद्धाणि या सरिसाणि वा असरिसाणि वा विउच्वंति त्ता तओ पच्छा अप्पणो जहिच्छियाई कजाई करेंति, एवं नरदेवावि, एवं धम्मदेवावि, देवाधिदेवाणं पुच्छा, गोय! एगत्तंपिपभू विउवित्तए पहुपि पभू विउव्यत्तए नो चेव णं संपत्तीए विउबिसु वा विउधिति वा विउविस्संति वा, भावदेवाणं पुच्छा, जहा भवियदवदेवा 1४६३। भवियदवदेवाणं भंते ! अणंतरं उत्रहित्ता कहिं गच्छति? कहिं उपवज्जति ? किं नेरइएसु उववज्जति जाय देवेसु उवयजति ?, गोयमा ! नो नेरइएसु उववजंति नो तिरि० नो मणु देवेसु उववजंति, जइ देवेसु उववज्जति०, सचदेवेसु उपवनंति जाव सबट्ठसिद्देति, नरदेवा णं भंते ! अणंतरं उबट्टित्ता पुच्छा, गोयमा! नेरइएसु उववजति नो तिरि० नो मणु० णो देवेस उववजति. जइ नेरइएसु उबवजति०. सत्तसुवि पुढवीसु उपयजति, धम्मदेवा णं भत! अणतर पुच्छा, गोयमा!नो नेरइएसु उबवजेजाना तिारना मणु देवेसु । जइ देवेसु उवक्जंति किं भवणबासिसु० पुच्छा, गोयमा! नो भवणवासिदेवेसु उववजति नो बाणमंतर० नो जोइसिय० वेमाणियदेवेसु उववजति, सन्चेसु वेमाणिएसु उववजति जाव सबट्ठसिदअणुत्तरोववाइएसु उववजति, अत्येगइया सिझंति जाय अंतं करेंति, देवाधिदेवा अणंतरं उबाहित्ता कहिं गच्छंति कहिं उपयजति?, गोयमा! सिझंति जाय अंतं करेंति, भावदेवा णं भंते! अणंतरं उबट्टित्ता पुच्छा, जहा यकंतीए असुरकुमाराणं उबट्टणा तहा भाणियचा, भवियदव्वदेवे णं भंते! भवियदव्वदेवेत्ति कालओ केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहनेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिन्नि पलिओवमाई, एवं जमेव ठिई सचेव संचिट्ठणावि जाव भावदेवस्स, नवरं धम्मदेवस्स जहरू एक समयं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी, भवियदशदेवस्म णं भते! केवतियं कालं अंतर होइ?, गोयमा! जह दस वाससहस्साई अंतोमुत्तमभहियाई उकोसेणं अर्णतं कालं पणस्सइकालो, नरदेवाणं पुच्छा, गोयमा! जहणं सातिरंग सागरोवर्म उक्कोसेणं अणंतं कालं अचड्ढे पोग्गलपरियह देसूर्ण, धम्मदेवस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलिओवमपुहुनं उक्कोसेणं अणतं कालं जाव अवड्ढं पोग्गलपरियह देसूर्ण, देवाधिदेवाणं पुच्छा, गोयमा! नस्थि अंतरं, भावदेवस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणतं कालं यणस्सइकालो. एएसिं गं भंते ! भवियदश्वदेवाणं नरदेवाणं जाव भावदेवाण य कयरे जाव विसेसाहिया चा?, गोयमा ! सबथोवा नरदेवा देवाधिदेवा संखेजगुणा धम्मदेवा संखेजगुणा भवियदव्यदेवा असंखेनगुणा भावदेवा असंखेजगुणा । ४६४। एएसिण भत! भावदेवाण भवणवासाण वाणमतराण जोइसियाण बमाणियाण साहम्मगाण जाव अचुयगाण। सबस्थोबा अणुत्तरोक्वाइया भावदेवा उवरिमगेवेज्जा भावदेवा संखेजगुणा मज्झिमगेबेजा० संखेजगुणा हेडिमगेवेजा संखेजगुणा अचुए कप्पे देवा संखेजगुणा जाव आणयकप्पे देवा संखेजगुणा एवं जहा जीवाभिगमे तिबिहे देवपुरिसे अप्पाबहुयं जाव जोतिसिया भावदेवा असंखेजगुणा। सेवं भंते!२।४६५॥२०१२ उ०९॥ कइविहा णं भंते ! आया पं०?, गोयमा! अट्टविहा आया पं० तं०-दवियाया कसायाया जोगाया उचओगाया णाणाया दंसणाया चरित्ताया बीरियाया, जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स कसायाया जस्स कसायाया तस्स दवियाया?. गोयमा! जस्स दवियाया तस्स कसायाया सिय अस्थि सिय नस्थि जस्स पुण कसायाया तस्स दवियाया नियम अस्थि, जस्सणं भंते! दवियाया तस्स जोगाया ? एवं जहा दवियाया कसायाया भणिया तहा दरियाया जोगाया भाणियच्या, जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स उवओगाया एवं सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्या, गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स ओगाया नियम अस्थि,जस्सवि उवओगाया तस्सविदवियाया नियम अस्थि,जस्स दवियाया तस्सणाणाया भयणाए जस्स पुणणाणाया तस्सदावयाया नियम अस्थि, जस्स दवि. याया तस्स दंसणाया नियमं अस्थि जस्सवि दसणाया तस्स दवियाया नियमं अस्थि, जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाए जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया नियम अत्थि, एवं वीरियायाएऽवि समं, जस्स णं भंते ! कसायाया तस्स जोगाया पुच्छा, गोयमा ! जस्स कसायाया तस्स जोगाया नियम अस्थि जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय अस्थि सिय नस्थि, एवं उवओगायाएऽदि समं कसायाया नेयव्या, कसायाया य णाणाया य परोप्पर दोऽवि भइयच्या कसायाया य चरित्ताया य दोऽवि परोप्परं भइयच्याओ, जहा कसायाया य जोगाया य तहा कसायाया य वीरियाया य भाणियब्बाओ, एवं जहा कसायायाए वत्तव्वया भणिया तहा | जोगायाएऽवि उपरिमाहिं समं भाणियवाओ, जहा दवियायाए वत्तव्वया भणिया तहा उपयोगायाएऽवि उपरिकाहिं समं भाणियव्या, जस्स नाणाया तस्स दसणाया नियमं अस्थि जस्स पुण दंसणाया तस्स णाणाया भयणाए, जस्स नाणाया तस्स चरित्ताया सिय अस्थि सिय नत्थि जस्स पुण चरित्ताया तस्स नाणाया नियमं अस्थि, णाणाया वीरियाया दोऽपि २८९ श्रीभगवत्यंगं - सतर मुनि दीपरतसागर

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