Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 131
________________ कोउयमंगलपायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए मणुन्न थालिपागसुद्धं अट्ठारसर्वजणाकुलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगसि वासघरंमि बन्नओ महाचले जाव सयणोवयारकलिए ताए तारिसियाए भारियाए सिंगारागारचारुवेसाए जाव कलियाए अणुरत्ताए अविरत्ताए मणाणुकूलाए सहिं इट्टे सद्दे० फरिसे जाय पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पचणुभवमाणे विह. रति, से णं गोयमा ! पुरिसे विउसमणकालसमयंसि केरिसर्य सायासोक्खं पञ्चणुभवमाणो विहरति?, ओरालं समणाउसो:, तस्स णं गोयमा ! पुरिसस्स कामभोगेहितो बाणमंतराणं देवाणं अणंतगुणविसिट्टतरा चेव कामभोगा, वाणमंतराणं देवाणं कामभोगेहितो असुरिंदवजियाणं भवणवासिणं देवाणं अणंतगुणविसिद्रुतरा चेव कामभोगा, असुरिंदवज्जियाणं भवणवासियाणं देवाणं कामभोगेहितो असुरकुमाराणं देवाणं (एत्तो पा) अणंतगुणविसिद्धृतरा चेव कामभोगा, असुरकुमाराणं देवाणं कामभोगेहितो गहगणनक्वत्ततारारूवाणं जोतिसियाणं देवाणं अनंतगुणचिसिट्टतरा चेव कामभोगा, गहगणनक्खत्त जाब कामभोगेहिंतो चंदिमसरियाणं जोतिसियाणं जोतिसराईणं अणंतगुणविसिट्टतरा चेव कामभांगा, चंदिमसरि या णं गोयमा ! जोतिसिंदा जोतिसरायाणो एरिसे कामभोगे पचणभषमाणा विहरंति। सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति भगवं गोयमे समर्ण भगवं महावीरं जाव चिहरह। ४५५॥श०१२ उ०६॥ तेणं कालेण० जाव एवं क्यासी-केमहालए णं भंते ! लोए पं०. गोयमा ! महतिमहालए पं०, पुरच्छिमेणं असंखेजाओ जायणकोडाकोडीओ दाहिणणं असंखिज्जाओ एवं चेव एवं पञ्चच्छिमेणवि एवं उत्तरेणवि एवं उदपि अहे असंखेजाओ जोयणकोढाकोडीओ जायामविक्खमेणं, एयंमिणं भंते ! एमहालगंसि लोगंसि अस्थि केई परमाणुपोग्गलमत्तेऽवि पासे जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा न मए वाचि ?, गोयमा ! नो इणट्टे समढे, से केणटेणं भंते! एवं वुचइ एयंसि णं एमहालगंमि लोगंमि नत्यि केई परमाणुपोग्गलमेत्तेऽवि पएसे जत्थ णं | अयं जीवेण जाए वानमए वाचि?, गोयमा! से जहानामए-केडे पुरिसे अयासयस्स एग महं अयावयं करेजा, से णं तत्थ जहन्नेणं एक या दो या तिन्नि वा उकोसेणं अयासहस्सं पक्खिवजा ताओ णं तत्थ पउरगोयराओ पउरपाणियाओ जहनेणं एगाई वा वियाई वा तियाई वा उक्कोसेर्ण छम्मासे परिवसेजा, अत्थि ण गोयमा तस्स अयावयम्स केई परमाणपोग्गलमेनेऽवि पएसे जे णं तासिं अयाणं उच्चारेण वा पासवणेण वा खेलेण वा सिंघाणएण वा वंतेण वा पृण्ण वा सुक्केण वा सोणिएण वा चम्मे हि वा रोमेहि वा सिंगेहिं वा खुरेहिं वा नहेहि वा अणाकंतपुब्वे भवह?, भगवं! णो तिणटे समद्दे. होनावि णं गोयमा ! तस्स अयावयस्म केई परमाणुपोग्गलमत्तेऽवि पएसे जे णं तासि अयाणं उच्चारेण वा जाव णहेहिं वा अणकतपुब्वे णो चेय णं एयंसि एमहालगंसि लोगंसि लोगस्स य सासयं भावं संसारस्स य अणादिभावं जीवस्स य णिचभावं कम्मबहुत्तं जम्मणमरणचाहुलं च पहुंच नस्थि केई परमाणपोग्गलमत्तेऽबि पएसे जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा न मए वाबि.से तेण?णं तं चेव जावन मए वावि।४५६। कति णं भंते ! पढवीओ पं०१, गोयमा ! सत्त पढवीओ जहा पढमसए पंचमउद्देसए तहेव आवासा ठावेयव्या जाव अणुत्तरविमाणेत्ति जाव अपराजिए सबट्ठसिद्धे, अयन्नं भंते! जीवे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि पुढवीकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए नरगत्ताए नेरइयत्ताए उबवन्नपुब्बे ?, हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो, सब्वजीवाविणं भंते ! इमीसे स्यणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरया तं चेव जाव अणंतखुत्तो, अयन्नं भंते! जीवे सकरप्पभाए पुढबीए पणवीसा एवं जहा रयणप्पभाए तहेव दो आलावगा भाणियब्वा, एवं जाव घूमप्पभाए, अयन्नं भंते ! जीवे तमाए पुढबीए पंचूणे निरयावाससयसहस्से एगमेगसि सेसं तं चेव, अयन्नं भंते! जीवे अहेसत्तमाए पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु महानिरएम एगमेगंसि निरयावासंसि सेस जहा रयणप्पभाए, अयन्नं मंते ! जीवे चोसट्ठीए असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि पुढवीकाइयत्ताए जाच वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताए देवीत्ताए आसणसयणभंडमत्तोवगरणत्ताए उवचनपुब्वे ?, हंता गोयमा! जाव अणतखुत्तो, सव्वजीवावि णं भंते! एवं चेव, एवं थणियकुमारेसु, नाणत्तं आवासेमु, आवासा पुव्वणिया, अयन्नं भंते ! जीवे असंखेज्जेसु पुढवीकाइयावाससयसहस्सेसु एगमेगसि पुढवीकाइयावासंसि पुढवीकाइयत्ताए जाव वण० उबवनपुब्वे ?, हंता गोयमा ! जाव अणंतखुत्तो, एवं सब्वजीवाचि, एवं जाव वणस्सइकाइएसु, अयण्णं भंत! जीवे असंखेनसुबेदियाबाससयसहस्सेसु एगमेगसि दियावासंसि पुढवीकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए पेइंदियत्ताए उववन्नपब्वे ?,हंता गोयमा! जाव खुत्तो, सब्यजीवाविणं० एवं चेव, एवं जाव मणुस्सेसु, नवरं तदिएसु जाव वणस्सइकाइयत्ताए तदियत्ताए, चाउरिदिएस चाउ रिदियत्ताए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ताए मणुस्सेसु मणुस्सत्ताए सेसं जहा चेंदियाणं, वाणमंतरजोइसियसोहम्मीसाणेसु य जहा असुरकुमाराणं, अयणं भंते ! जीवे सर्णकुमारे कप्पे बारसमु विमाणावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि बिमाणियावासंसि पुढवीकाइयत्ताए सेसं जहा असुरकुमाराणं जाव अणंतखुत्तो, नो चेव णं देवीत्ताए, एवं सबजीवावि, एवं जाव आरण एसुचि, अयनं भंते! जीवे तिसुवि अट्ठारमुत्तरेसु गेविजविमाणाबाससयेसु एवं चेव, अयनं भंते ! जीवे पंचसु अणुत्तरविमाणेसु एगमेगंसि अणुत्तर२८७ श्रीभगवत्यंगं - - मुनि दीपरत्नसागर SSPICHASPERMISPOSASYICHARPENASPESABPOINSPICHRSHISITNESHRSSPONSHESAMROP8548PGAREPISARSPE

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