Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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जीव० १. अणतेहिं, एवं जाव अदासमएहिं धम्मत्थिकाए णं भंते! केवतिएहिं धम्मत्थिकायप्पएसेहिं पुढे ? नत्थि एक्केणवि, केवतिएहिं अधम्मत्यिकायप्पएसेहिं० १, जसंखेजेहिं, केवतिएहिं आगासत्धिकाय ०१. असंखेजेहि, केवतिएहिं जीवस्थिकायपए० १, अणतेहिं, केवतिएहिं पोग्गलस्थिकायपएसेहिं०?, अनंतेहिं, केवतिएहिं अदासमएहिं० १, सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे नियमा अनंतेहि, अहम्मत्थिकाए णं भंते! केव० धम्मत्थिकाय ?, असंखेज्जेहिं, केवतिएहिं अहम्मत्थि० ?, णत्थि एक्केणवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स, एवं एए गमएणं सव्वेऽवि सद्वाणए अस्थि एकेणवि पुट्ठा परद्वाणए आदिल्लएहिं तिहिं असंखेज्जेहिं भाषियव्वं पच्छिलएस अनंता भाणियब्बा, जाब अद्धसमयोति, जाव केवतिएहिं अद्धासमएहिं पुढे ?, नत्थि एकेणवि, जत्थ णं भंते! एगे धम्मत्थिकायपएसे ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा ओगाढा ? नत्थि एकोऽवि, केवतिया अहम्मत्थिकायप्पएसा ओगाढा?, एक्को, केवतिया आगासत्यिकाय?, एको, केवतिया जीवत्थि० १, अनंता, केवतिया पुग्गलत्यि०१, अनंता, केवतिया अद्धासमया ०१, सिय जगाढा सिय नो ओगाढा जह ओगाढा अनंता, जत्थ णं भंते! एगे अहम्मत्थिकायपएसे ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थि०१, एको, केवतिया अहम्मत्थि ०१, नत्थि एकोऽवि सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स, जत्थ गं
एगे आगासत्धिकाय एसे ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय ० १, सिय ओगाढा सिय नो ओगाढा, जइ ओगाढा एक्को, एवं अहम्मत्यिकायपएसावि, केवइया आगासत्थिकाय० १, नत्थि एकोऽवि, केवतिया जीवत्थि० १, सिय ओगाढा सिय नो ओगाढा जइ ओगाढा अनंता, एवं जाव अदासमया, जत्थ णं भंते! एगे जीवत्थिकायपएसे ओगाढे तत्य केवतिया धम्मत्थि ०१, एको, एवं अहम्मत्थिकाय० एवं आगासत्थिकायपएसावि, केवतिया जीवस्थि०१, अणंता सेसं जहा धम्मस्थिकायस्स, जत्थ णं भंते! एंगे पोग्गलत्थिकायपएसे ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय ० १ एवं जहा जीवत्थिकायपएसे तहेव निरवसेसं, जत्थ णं भंते! दो पोग्गलत्थिकायपदेसा ओगाढा तत्थ केवतिया धम्मत्धिकाय० १, सिय एको सिय दोन्नि, एवं अहम्मत्थिकायस्सवि, एवं आगासत्थिकायस्तवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स, जत्य णं भंते! तिन्नि पोग्गलस्थि० तत्थ केवइया धम्मत्थिकाय ०१, सिय एको सिय दोन्नि सिय तिन्नि, एवं अहम्मत्थिकायस्सवि, एवं आगासत्थिकायस्सवि, सेसं जहेव दोण्डं, एवं एकेको वढियव्वो पएसो आइएहिं तिहिं अस्थिकाएहिं, सेसं जहेब दोन्ह जाव दसहं सिय एको सिय दोन्नि सिय तिनि जाव सिय दस, संखेज्ञाणं ०१. सिय एको सिय दोहि जाब सिय दस सिय संखेजा, असंखेजाणं सिय एको जाव सिय संखेज्जा सिय असंखेजा, जहा असंखेजा एवं अणतावि, जन्थ णं भंते! एगे अद्धासमए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थि०१, एक्को, केवतिया अहम्मस्थि० ?, एक्को, केवतिया आगासत्थि०१, एको. केवइया जीवस्थि० १, अनंता, एवं जाव अद्धासमया, जत्थ णं भंते! धम्मत्थिकाए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप० ओगाढा? नत्थि एकोऽवि, केवतिया अहम्मत्थिकाय०, असंखेज्जा, केवतिया आगास० ?, असंखेज्जा, केवतिया जीवत्विकाय ?, अणंता, एवं जाव अद्धासमया, जत्थ णं भंते! अहम्मत्थिकाए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय ०१, असंखेज्जा, केवतिया अहम्मत्थि ०१. नत्थि एकोऽवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स, एवं सव्वे सहाणे नत्थि एकोऽवि भाणियव्वं परट्ठाणे आदिहगा तिन्नि असंखेज्जा भाणियव्वा, पच्छि लगा तिनि अणता भाणियव्या जाय अद्धासमओति, जाव केवतिया अदासमया ओगाढा ?, नत्थि एकोऽवि । ४८२ । जन्थ णं भंते! एगे पुढवीकाइए ओगाढे तत्थ णं क्रेवतिया पुढ बीकाइया ओगाढा?, असंखेजा, केवतिया आउकाइया ओगाढा ?, असंखेज्जा, केवइया तेउकाइया ओगाढा ?, असंखेज्जा, केवइया वाउ० ओगाढा १, असंखेजा, केवतिया वणस्सइकाइया ओगाढा?, अनंता, जत्थ णं भंते! एंगे आउकाइए ओगाढे तत्थ णं केवतिया पुढवी ०१, असंखेज्जा, केवतिया आउ०१, असंखेज्जा, एवं जहेब पुढवीकाइयाणं यत्तव्वता सब्बेसिं निरवसेसं भाणियव्वं जाव वणस्सइकाइयाणं जाव केवतिया वणस्सइकाइया ओगाढा?, अनंता । ४८३। एवंसि णं भंते! धम्मत्थिकाः अधम्मत्थिकाः आगासत्विकार्यसि चक्किया केई आसइत्तए वा सहत्तए वा चिट्टित्तए वा निसीइत्तए वा तुइट्टित्तए वा १, नो इणट्टे समट्टे, अनंता पुण तत्थ जीवा ओगाढा, से केणट्टेणं भंते! एवं बुम्बइ एतंसि णं धम्मस्थि० जाव आगासन्थिकार्यसि णो चकिया केई आसइत्तए वा जाव ओगाढा १, गोयमा से जहानामए- कूडागारसाला सिया दुहओ लित्ता गुत्ता गुत्तदुबारा जहा रायप्पसेणइज्जे जाव दुवारवयणाई पिहेइ त्ता तीसे कूडागारसालाएं बहुमज्झदेसभाए जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं पदीवसहस्सं पलीवेज्जा, से नूणं गोयमा ! ताओ पदीवलेस्साओ अन्नमन्नसंबद्धाओ अन्नमन्नपुट्ठाओ जाव अन्नमन्न घडत्ताए चिइति ?, हंता चिद्वंति चक्किया णं गोयमा ! केई तासु पदीवलेस्सासु आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा ?, भगवं! णो तिणट्टे समझे, अनंता पुण तत्थ जीवा ओगाढा, से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुचइ जाव ओगाढा । ४८४| कहिं णं भंते! लोए बहुसमे पं० कहिं णं भंते! लोए सव्वविग्गहिए पं० १, गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमद्विले खुट्टागपयरेसु एत्थ णं लोए बहुसमे एत्थ णं लोए सव्वविग्गहिए पं०, कहिं णं भंते! विग्गहिए लोए पं०१, गोयमा विग्गहकंडए एत्थ णं विग्गहिए लोए पं० । ४८५ । किंसंठिए णं भंते! लोए पं०१, गोयमा! सुपइट्टियसंठिए लोए पं० हेडा विच्छिन्ने मज्झे जहा सत्तमसए पढमुदेसे जाव अंतं करेति एयस्स णं भंते! अहेलोगस्स (७४) २९६ श्रीभगवत्यं सत- १३
मुनि दीपरत्नसागर

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