Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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SHRAGSPENSP88PIRHIBIPANASPIGARBPMARGIPHORIPADMASPANASPIRANSPIRM8P8KIPEARSPIRSMOVIESRAPALNASAT
अणुत्तरोक्वाइया देवा उबवजंति, एवं जहा गेवेजविमाणेसु संखेज्जवित्थडेसु नवरं किण्हपक्खिया अभवसितिया तिसु अन्नाणेसु एए न उववजंति न चयति नवि पन्नत्तएसु भाणियव्या, अचरिमावि खोडिजति जाव संखेज्जा चरिमा पं० सेसं तं०, असंखेज्जवित्थडेसुवि एएन भन्नति नवरं अचरिमा अस्थि, सेसं जहा गेवेज्जएसु असंखेज्जवित्थडेसु जाव असंखेज्जा अचरिमा पं०। चोसट्ठीए णं भंते! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु असुरकुमारावासेसु किं सम्मदिट्ठी असुरकुमारा उवव० मिच्छादिट्टी० एवं जहा रयणप्पभाए तिन्नि आलावगा भणिया तहा भाणियब्वा, एवं असंखेज्जवित्थडेसुवि तिन्नि गमगा, एवं जाव गेवेज्जवि०,अणुत्तरवि० एवं चेव, नवरं तिसुवि आलावएसु मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठीयन भन्नति, सेसंत चेव, से नूर्ण भंते ! कण्हलेस्सा नील जाव सुकलेस्से भवित्ता कण्हलेस्सेसु देवेस उवव०१.हंता गोयमा! एवं जहेब नेरडएस पढमे उडेसए तहेव भापि यवं, नीललेसाएवि जहेच नेरइयाणं जहा नीललेस्साए, एवं जाव पम्हलेस्सेसु, सुक्कलेस्सेसु एवं चेव, नवरं लेस्सट्ठाणेसु विसुज्झमाणेसु २ सुक्कलेसं परिणमइत्ता सुकलेस्सेसु देवेसु उववजंति से तेणद्वेणं जाव उबरजति। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ॥४७२॥ श०१३ उ०२॥ नेरइया णं भंते ! अणंतराहारा ततो निव्वत्तणया एवं परियारणापदं निरवसेसं भाणियव्वं । सेवं भंते ! सेवं भंते !।४७३ ॥ श०१३ उ०३॥ (नेरइय फास पणिही निरयंते चेव लोयमज्झे य। दिसिविदिसाण य पवहा पवत्तणं अस्थिकाएहि ॥१॥ अत्थी पएसफुसणा ओगाहणया य जीवमोगाढा । अस्थिपएसनिसीयण बहुस्समे लोगसंठाणे ॥२॥ पा०) कति णं मंते ! पुढवीओ पं०१, गोयमा ! सत्त पुढवीओ पं० सं०- रयणप्पमा जाव अहेसत्तमा, अहेसत्तमाए णं भंते! पुढवीए पंच अणुत्तरा महतिमहालया जाव अपइट्टाणे, ते णं गरगा छट्ठीए तमाए पुढवीए नरएहिंतो महंततरा चेव महाविच्छिन्नतरा चेव महावासतरा चेव महापारिकतरा बेव णो तहा महापवेसणतरा चेव नो आइन्नतरा चेव नो आउलतरा चेव अणोमा(य पा०)णतराए चेव तेसु णं नरएसु नेरतिया छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइएहिंतो महाकम्मतरा चेव महाकिरियतरा चेव महासवतरा चेव महावेयणतरा चेव नो तहा अप्पकम्मतरा चेव नो अप्पकिरियतरा चेव नो अप्पासवतरा चेव नो अप्पवेदणतरा चेव अप्पड्डियतरा चेव अप्पजुइयतरा चेव नो तहा महइढियतरा चेव नो महजइयतरा चेष, छट्ठीए णं तमाए पुढवीए एगे पंचणे निरयावाससयसहस्से पं०,तेणं नरगा अहेसत्तमाए पढवीए नरएहिंतो नो तहा महत्तरा | चेव महाविच्छिन्न महप्पवेसणतरा चेव आइन्न तेसु णं नरएसु णं नेरविया अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइएहितो अप्पकम्मतरा चेच अप्पकिरि० नो तहा महाकम्मतरा चेव महाकि8 रिय० महड्डियतरा चेव महाजुइयतरा चेष नो तहा अप्पढियतरा चेव अप्पजुइयतरा चेव, छट्ठीए णं तमाए पुढवीए नरगा पंचमाए धूमप्पभाए पु० नरएहिंतो महत्तरा० चेव नो
तहा महप्पवेसणतरा० चेव, तेसु णं नरएस नरतिया पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरहएहितो महाकम्मतरा चेव० नो तहा अप्पकम्मतरा चेव अप्पडदियतरा चेव० नो तहा महडदि. 13 यतरा चेव०,पंचमाए णं धूमप्पभाए पढवीए तिन्नि निरयावाससयसहस्सा पं०.एवं जहा। ढियतरा चेव० अप्पजुत्तियरा चेव । ४७४ । स्यणप्पभापुढवीनेरइया णं भंते ! केरिसयं पुढवीफासं पचणुभवमाणा विहरंति?, गोयमा! अणिढे जाव अमणामं एवं जाव अहेसत्तमापु. ढवीनेरइया, एवं आउफासं एवं जाव वणस्सइफास । ४७५ । इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी दोचं सकरप्पमं पुढवीं पणिहाय सव्वमहंतिया चाहलेणं सव्वखुड्डिया सवंतेसु एवं जहा जीवाभिगमे बितिए नेरइयउद्देसए । ४७६। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए णिस्यपरिसामंतेमु जे पुढविक्काइया एवं जहा नेरइयउद्देसए जाव अहेसत्तमाए ।४७७। कहिं णं भंते ! लोगस्स आयाममझे पं०१, गोयमा! इमीसे णं रयणप्पभाए उवासंतरस्स असंखेजतिभागं ओगाहेत्ता एत्थ णं लोगस्स आयाममज्झे पं०, कहिणं भंते! अहेलोगस्स आयाममझे पं०१, गोयमा! चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उवासंतरस्स सातिरंगं अद्धं ओगाहित्ता एत्य णं अहेलोगस्स आयाममजझे पं०, कहिं णं भंते ! उड्ढलोगस्स आयाममझे पं०१, गोयमा ! उप्पि सणंकुमारमाहिंदाणं कप्पाणं हेदि भलोए कप्पे रिट्ठविमाणे पत्थड़े एत्य ण उड्ढलोगस्स आयाममजले पं०, कहिनं भंते ! तिरियलोगस्स आयाममझे पं०?,गोयमा! जंबुडीचे २ मंदरस्स पब्बयस्स बहुमज्झदेसमाए इमीसे रयणप्पभाए पुढबीए उवरिमहेद्विासु खुड्डागपयरेसु एत्य णं तिरियलोगस्स मज्झे अट्ठपएसिए क्यए पं०,जओ णं इमाओ दस दिसाओ पवहंति, तं०-पुरच्छिमा पुरच्छिमदाहिणा एवं जहा दसमसए नामधेजत्ति।४७८। इंदाणं भंते ! दिसा किमादीया किंपवहा कतिपदेसादीया कतिपदेसुत्तरा कतिपदेसीया किंपजवसिया किंसंठिया पं०१, गोयमा ! इंदा णं दिसा रुयगादीया ख्यगप्पवहा दुपएसादीया दुपएसुत्तरा लोगं पडुच असंखेजपएसिया अलोगं पडुच अणंतपएसिया लोगं पडुच साइया सपज्जवसिया अलोग पब साइया अपज्जवसिया लोग पडुब मुरजसंठिया अलोग पहुच सगडुद्धिसंठिया पं०, अग्गेयी णं भंते! दिसा किमादीया किंपचहा कतिपएसादीया कतिपएसविच्छिणा कतिपएसिया किंपज्जवसिया कि संठिया पं० १, गोयमा ! अम्गेयी णं दिसा रुयगादीया रुयगपवहा एगपएसादीया एगपएसविच्छिन्ना अणुत्तरा लोगं पडुच असं२९४ श्रीभगवत्यंग - ५
मुनि दीपरत्नसागर
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