Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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असम्भावपज्जवे देसे आदिद्वे तदुभयपजचे तिपएसिए खंधे आया य नोआया य अवत्त आयाति य नोआयाइ य से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ तिपएसिए खंधे सिय आया तं चैव जाव नोआयाति य, आया भंते! चउप्पएसिए खंधे अन्ने० पुच्छा, गोयमा! चउप्पएसिए खंधे मिय आया सिय नोआया सिय अवत्त आयाति य नोआयाति य सिय आया य नोआया ये सिय आया य अवत्तवं सिय नोआया य अवत्तवं सिय आया य नोआया य अवत्त आयाति य नोआयाति य सिय आया य नोआया य अवत्तव्वाइं आयाओ य नोआयाओ य सिय आया य नोआयाओ य अवन्त्तवं आयाति य नोआयाति य सिय आयाओ य नोआया य अवत्त आयाति य नोआयाति य से केणट्टेणं भंते! एवं वृच्चइ चउप्पएसिए संधे सिय आया य नोआया य अवत्तयं तं चेव अट्ठे पडिउच्चारेयव्वं १, गोयमा ! अप्पणो आदिट्ठे आया परस्स आदिट्ठे नोआया तदुभयस्स आदि अवत्तवं आयाति य नोआयाति य देसे आदि सम्भावपज्जवे देसे आदिट्टे असम्भावपज्जवे चउभंगो, सम्भावपज्जवेणं तदुभयेण य चउभंगो, असम्भावेणं तदुभयेण य चउभंगो, देसे आदिट्ठे सम्भावपज्जवे देसे आदिडे असम्भावपज्जत्रे देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नोआया य अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य, देसे आदि सम्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे असम्भावपज्जवे देसा आदिट्टा तदुभयपळवा चउप्पएसिए संधे भवइ आया य नोआया य अवतव्वाई आयाओ य नोआयाओ य देसे आदिट्ठे सम्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असम्भावपज्जवा देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नोआयाओ य अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य, देसा आइट्टा सम्भावपज्जवा देसे आइट्टे असम्भावप० देसे आइट्टे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आयाओं य नोआया य अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ चउप्पएलिए खंधे सिय आया सिय नोआया सिय अवत्तवं निक्वेवे ते चेव भंगा उच्चारेयव्वा जाव नोआयाति य, आया भंते! पंचपएसिए बंधे अन्ने पंचपएसिए खंधे ?, गोयमा ! सिय आया सिय नोआया सिय अवत्तव्यं आयाति य नोआयाति य सिय आया य नोआया य सिय अवत्तवं नोआया य अवत्तब्वेण य तियगसंजोगे एको ण पडइ, से केणणं भंते! तं चैव पडिउच्चारेयव्वं ?, गोयमा अप्पणो आदि आया परस्स आदि नोआया तदुभयस्स आदिट्ठे अवत्तब्वं देसे आदिट्ठे सम्भावपज्जवे देसे आदिले असम्भावपचे एवं दुयगसंजोगे सव्ये पडंति तियगसंजोगे एकोण पडइ, छप्पएसियस्स सच्चे पति, जहा छप्पएसिए एवं जाव अणतपएसिए। सेवं भंते! सेवं भंतेति जाव विहरति । ४६८ ॥ उ०१० इति द्वादशं शतकं ॥ फफ 'पुढवी १ देव २ मणंतर ३ पुढवी ४ आहारमेव ५. उनवाए ६। भासा ७ कम ८ अणगारे केयाघडिया ९ समुग्धाए १० ॥ ७३ ॥ रायगिहे जाव एवं वयासी कति णं भंते! पुढवीओ पं० १. गोयमा ! सत्त पुढवीओ पं० तं रयणप्पभा जाव आहेसत्तमा, इमीसे णं भंते! स्यणप्पभाए पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा पं० १, गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा पं० ते णं भंते! किं संखेज्जवित्थडा असंखेज्जवित्थडा ?, गोयमा संखेज्जवित्थडावि असंखेज्जवित्थडावि, इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएस एगसमएण केवतिया नेरइया उववति केवतिया काउलेस्सा उववजंति केवइया कण्हपक्लिया उववज्जंति केवतिया सुकपक्खिया उववजंति केवतिया सन्नी उववज्जति केवतिया असन्नी उववज्जति केवतिया भवसिद्धीया उव० केवतिया अभवसिद्धीया उवव० केवतिया आभिणित्रोहियनाणी उव० केवइया सुयनाणी उब० १० केवइया ओहिनाणी उववज्जंति केवइया मइअन्नाणी उवव० केवइया सुयअन्नाणी उव० केवइया विभंगनाणी उवव० केवइया चक्खुदंसणी उव० केवइया अचक्सुदंसणी उवव० केवइया ओहिदंसणी उबव० केवइया आहारसन्नोवउत्ता उवव० केवइया भयसन्नोवउत्ता उव० केवइया मेहुणसन्नोवउत्ता उबव० २० केवइया परिग्गहसन्नो उत्ता उबव० केवइया इत्थीवेयगा उवव० केवइया पुरिसवेदगा उपव० केवइया नपुंसगवेदुगा उवत्र केवइया कोहकसाई उवव० जाव केवइया लोभकसायी उवव० केवइया सोइंदियउवउत्ता उब जाव केवइया फासिंदियोवउत्ता उव० ३३ केवइया नोइंदियो उत्ता उव० केवतिया मणजोगी उबव० केवतिया बइजोगी उवव० केवतिया कायजोगी उवव० केवतिया सागारोवउत्ता उवव० केवतिया अणागारोवउत्ता उवब० १ ३, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा नेरइया उबव०, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उको० संखेज्जा काउलेस्सा उव० जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्या कण्हपक्खिया उप०, एवं सुकपक्खियावि एवं सन्नी एवं असनीवि एवं भवसिद्धीया एवं अभवसिद्धीया आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी ओहिनाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी, चक्खुदंसणी ण उवव०, जहस्रेणं एको वा दो वा तिमि वा उकासेणं संखेज्जा अचक्खुदंसणी उपवज्जंति एवं ओहिदंसणीवि आहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउ०, इत्थीवेयगा न उव० • पुरिसवेयगावि न उव०, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा नपुंगवेदगा उवव० एवं कोहकसाई जाव लोभ०, सोइंदियउवउत्तान उवव० एवं जाब फासिंदिओवउत्ता न उपच०, जहस्रेणं एको वा दो वा तिमि वा उक्कोसेणं संखेजा नोई२९१ श्रीभगवत्यं सत १३
मुनि दीपरत्नसागर

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