Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 130
________________ ABHISHESPASHRAMESPTRAIRPIRHARPIRMEPRASHRAMEPARA-87125APRIMADHOSHOPRAROPORMATIVISTOREATRACT नेर०, धम्मस्थिकाए जाव पोग्गल एए सव्वे अवना, नवरं पोग्गल पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे अडफासे पं०, णाणावरणिज्जे जाच अंतराइए एयाणि चउफासाणि, कण्हलेसा णं भंते! कइवना पुच्छा, दबलेसं पहुंच पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पं०,भावलेस पहुच अवना, एवं जाव सुकलेस्सा, सम्मदिढि० चक्खुईसणे० आभिणिबोहियणाणे जाव विभंगणाणे आहारसन्ना जाव परिग्गहसन्ना एयाणि अपन्नाणि, ओरालियसरीरे जाव तेयगसरीरे एयाणि अटफासाणि कम्मगसरीरे चउफासे, मणजोगे वयजोगे य चउफासे, कायजोगे अट्ठफासे, सागारोवओगे य अणागारोवओगे य अवन्ना, सव्वदव्या णं भंते ! कतिबन्ना पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिया सव्वदव्वा पंचवन्ना जाव अट्टफासा पं० अत्यंगतिया सव्वव्या पंचवन्ना चरफासा पं० अत्थेगतिया सव्वव्या एगगंधा एगवन्ना एगरसा दुफासा पं० अत्यगइया सचदव्या अबन्ना जाव अफासा पं०, एवं सब्बपएसावि सञ्चफज्जयावि, तीयद्धा अबन्ना जाव अफासा, एवं अणागयदावि, सय्यद्धावि ।४४९। जीवे णं भंते! गभं वक्कममाणे कतिवन्नं कतिगंध कतिरसं कतिफासं परिणामं परिणमइ ?, गोयमा! पंचवन्नं पंचरसं दुगंध णं भंते! जीवे नो अकम्मओ विभत्तिभावं परिणमइ कम्मओ णंजए ना अकम्मओ विभत्तिभावं परिहंता गोयमा! कम्मओ ] तं चेव जाव परिणमड नो अकम्मओ विभनिभावं परिणमइ। सेवं भंते ! सेवं भंते!नि । ४५१॥२०१२ उ०५॥ रायगिहे जाव एवं वयामी-बहुजणे णं मंते! अन्नमन्नस्स एवमाइक्वति जाव एवं परूवेइ- एवं खलु राहू चंदं गेहति २,से कहमेयं भंते ! एवं?, गोयमा जन्नं से बहुजणे अन्नमन्नम्स जाव मिच्छं ते एबमाहंसु, अहं पुण गोयमा : एवमाइक्खामि जाच एवं परूवेमि-एवं खलु राहू देवे माहिड्डीए जाव महेसक्खे वरवत्यधरे वरमइधरे वरगंधधरे वराभरणधारी, राहुस्सणं देवम्स नव नामवेज्जा पं० २०-सिंघाडए जडिलए खंभए खरण दद्दुरे मगरे मच्छे कच्छभे कण्हसप्पे, राहुस्स णं देवम्म विमाणा पंचवन्ना पं० तं-किण्हा नीला लोहिया हालिदा सुकिल्ला, अस्थि कालए राहुचिमाणे खंजणवन्नाभे अस्थि नीलए राहुविमाणे लाउयवन्नामे अस्थि लोहिए राहुविमाणे मंजिट्ठवन्नामे अस्थि पीतए राहुविमाणे हालिहवन्नामे अस्थि सुक्किाइए राहुविमाणे भासरासिवन्नाभे, जया णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्स पुरच्छिमेणं आवरेत्ताणं पचच्छिमेणं वीतीवयइ तदा णं पुरच्छिमेणं चंदे उवदंसेति पचच्छिमेणं राहू जदा णं गहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे चंदलेस्सं पचच्छिमेणं आवरेनाणं पुरच्छिमेणं वीतीवयति तदा णं पञ्चच्छिमेणं चंदे उवदंसेति पुरच्छिमेणं गहू, एवं जहा पुरच्छिमेणं पञ्चच्छिमेणं दो आलावगा भणिया एवं दाहिणेणं उत्तरेण य दो आलावगा भाणियब्वा, एवं उत्तरपुरच्छिमेणं दाहिणपञ्चच्छिमेण य दो आलावगा भा०, एवं उत्तरपञ्चथिमेणं दाहिणपरच्छिमेण य दो आला०भा०एवं चेव जाव तदा णं उत्तरपचच्छिमेणं चंदे उवदंसेति द परियारेमाणे वा चंदस्स लेस्सं आवरेमाणे २चिट्ठति तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा बदंति-एवं खलु राहू चंदं गेहइ २, जदा गं राहू आगच्छमाणे० चंदलेसं आवरेत्ताणं पासेणं वीइबयइ तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति-एवं खलु चंदेणं राहुस्स कुच्छी भिन्ना २, जदा णं राहू आगच्छमाणे वा० चंदस्व लेस्सं आवरेत्ताणं पचोसकइ तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदतिएवं खलु राहुणा चंदे बंते २, एवं जदा णं राहू आगच्छमाणे वा जाव परियारेमाणे वा चंदलेस्सं अहे सपक्खि सपडिदिसि आवरेत्ताणं चिट्ठति तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति-एवं खल राहणा चंदे घत्ये२, कतिविहे णं भंते ! राह पञ्चत्ते?, गोयमा! दविहे राह पं०२०-धवराह य पव्वराह य, तस्थ णं जे से पन्नरसइभागं चंदस्स लेस्सं आवरमाणे २ चिट्ठति, तं०-पढमाए पढमं भागं बितियाए बितियं भागं जाच पन्नरसेसु पन्नरसमं भागं, चरिमसमये चंदे रत्ते भवति अवसेसे समये चंदे रत्ते य विरते य भवति, तमेव सुकपक्खस्स उवदंसेमाणे २ चिट्ठति पढमाए पढम भागं जाव पन्नरसेसु पन्नरसमं भाग, चरिमसमये चंदे विरत्ते भवइ अबसेसे समये चंदे रत्ते य विरते य भवइ, तत्थ णं जे से पब्बराहू से जहन्नेणं छहं मासाणं उक्कोसेणं चायालीसाए मासाणं चंदस्स अडयालीसाए संवच्छराणं सरस्स ।४५२। से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-चंदे ससी २१, गोयमा! चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरन्नो मियंके विमाणे कंता देवी कंताओ देवीओ कंताई आसणसयणखंभभंडमत्तोवगरणाई अप्पणोऽविय णं चंदे जोइसिंदे जोइसराया सोमे कंते सुभए पियदसणे सुरूवे से तेणडेणं जाव ससी २।४५३। से केणट्टेणं भंते! एवं बुचइ-सरे आइने २१, गोयमा ! सूरादिया णं समयाइ वा आवलियाइ वा जाव उस्सप्पिणीइब वा अवसप्पिणीइ वा से तेणट्टेणं जाच आइन्चे २।४५४। चंदस्स णं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो कति अग्गमहिसीओ पं०?, जहा दसमसए जाव णो चेवणं मेहुणवत्तियं, सूरस्सवि तहेव, चंदिममरिया णं भंते ! जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पचणुभवमाणा विहरंति ?, गोयमा! से जहानामए केई पुरिसे पढमजोव्वणुढाणवलत्थे पढमजोवणुट्ठाणचलट्टाए भास्यिाए सदि अचिरवत्तविवाहकजे अस्थगवेसणयाए सोलसवासविप्पवसिए से णं तओलबट्टे कयकजे अणहसमग्गे पुणरवि नियमगिह हव्यमागए ण्हाए कयचलिकम्मे कय२८६ श्रीभगवत्यंगं - मुनि दीपरत्नसागर REPROramayaPOSPHEMAHESHARHARUHAARADASHIANISRPHANSPOSAPTAANGHASACPENSPIRSARPTASBARAA8

Loading...

Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248