Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 114
________________ |. असंखेज्जा दीवसमुदा पं० समणाउसो !, अस्थि ण भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दव्वाई सवन्नाइंपि अवन्नाईपि सगंधाइंपि अगंधाइंपि सरसाइंपि अरसाईपि सफासाईपि अफासाइंपि अन्नमन्नवदाई अन्नमनपुटाई जाव घडताए चिट्ठति ?, हंता अस्थि, अस्थि णं भंते ! लवणसमुहे दवाई सवन्नाइंपि अपनाईपि सगंधाइपि अगंधाईपि सरसाइंपि अरसाइंपि सफासाइंपि अफासाईपि अन्नमनपराई अन्नमन्नपुट्ठाई जाव पडताए चिट्ठति ?, हंता अस्थि, अत्थि णं भंते ! घायइसंडे दीवे दवाई सवन्नाईपि० एवं चेव, एवं जाव सयंभूरमणसमुद्दे ? जाव हंता अस्थि, तए णं सा महतिमहालिया महवपरिसा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म हड्तवा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ त्ता जामेव दिसं पाउम्भूया तामेव दिसं पडिगया, तए णं हत्थिणापुरे नगरे सिंघाढगजावपहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव परुवेइ-जन्नं देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-अत्पिणं देवाणुप्पिया! ममं अतिसेसे नाणदंसणे जाव समुद्दा य तं नो इणढे समटे. समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-एवं खलु एयरस सिवस्स रायरिसिस्स छ8छट्टेणं तं चेव जाव भंडनिक्खेवं करेइ त्ता हथिणापुरे नगरे सिंघाडग जाव समुद्दा य, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतियं एयमढे सोचा निसम्म जाव समुदा य तण्णं मिच्छा, समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ० एवं खलु जंबुद्दीवादीया दीचा लवणादीया समुद्दा तं चेव जाव असंखेजा दीवसमुदा पं० समणाउसो!, तए णं से सिवे रायरिसी बहुजणस्स अंतियं एयमहूँ सोचा निसम्म संकिए कंखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावने जाए यावि होत्या, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स संकियस्स कंखियस्स जाच कलुससमावचस्स से विभंगे अन्नाणे खिप्पामेव परिवडिए, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अयमेयारूवे अब्भस्थिए जाव समुष्पजित्था एवं खलु समणे भगवं महावीरे आदिगरे तित्थगरे जाव सब्वन्नू सब्बदरिसी आगासगएणं चकेणं जाव सहसंबवणे उज्जाणे अहापडिरुवं जाव विहरइ, तं महाफलं खल तहारुवाणं अरहतार्ण भगवंताणं नामगोयस्स जहा उववाइए जाव गहणयाए, तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वदामि जाब पज्जुवासामि, एयं णं इहभवे य परभवे य जाच भविस्सइत्तिकटु एवं संपेहेति त्ता जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ त्ता ताबसावसह अणुप्पविसति त्ता सुबहुं लोहीलोहकडाह जाव किढिणसंकातिगं च गेण्हइ त्ता तावसावसहाओ पडिनिक्खमति त्ता परिवडियविम्भंगे हथिणापुरं नगर मझमझेणं निम्गच्छइत्ता जेणेव सहसंचवणे उजाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइत्ता वंदसि नमसति त्ता नचासन्ने नाइदूरे जाव पंजलिउडे पज्जुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे सिवस्स रायरिसिस्स तीसे य महतिमहालियाए जाव आणाए आराहए भवइ, तए णं से सिवे रायरिसी समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्म सोचा निसम्म जहा खंदओ जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसीमागं अवकमइत्ता सुबहुं लोहीलोहकडाह जाव किढिणसंकातिगं एगते एडेइ त्ता सयमेव पंचमुट्टियं लोयं करेति त्ता समणं भगवं महावीरं एवं जहेब उसमदत्ते तहेव पव्वइओ इक्कारस अंगाई अहिज्जति तहेव सव्वं जाव सम्बदुक्खप्पहीणे।४१७४ भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं बंदइ नमसइत्ता एवं वयासी-जीवा णं भंते ! सिझमाणा कयरंमि संघयणे सिझंति ?, गोयमा! पयरोसभणारायसंघयणे सिझंति, एवं जहेव उवचाइए तहेव संघयणं संठाणं उच्चत्तं आउयं च परिवसणा, एवं सिदिगंडिया निरवसेसा भाणियब्वा जाव अव्वाचाहं सोक्खं अणुहवंति सासया सिद्धा। सेवं भंते!२त्ति।४१८। सिबो समत्तो॥ | श०११ उ०९॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-कतिविहे णं भंते ! लोए पं०, गोयमा! चाउविहे लोए पं० त०-दव्वलोए खेत्तलोए काललोए भावलोए, खेत्तलोए णं भंते! कतिबिहे पं०१, लोए, अहोलोयखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पं०?, गोयमा! सत्तविहे पं०२०-रयणप्पभापुढवीजहेलोयखेत्तलोए जाब अहेसत्तमापुढवीअहोलोयखेत्तलोए, तिरियलोयक्खेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पं०१, गोयमा ! असंखेजविहे पं० तं०- जंबुद्दीवतिरिय खेत्तलोए जाब सयंभूरम णसमुद्दतिरियलोयखेत्तलोए, उड्ढलोगखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पं० १, गोयमा ! पन्नरसविहे पं० तं०-सोहम्मकप्पउड्ढलोगखेत्तलोए जाव अचुयउड्ढलोए गेवेचबिमाणउका ढ० लोए अणुत्तरविमाण० ईसिंपन्भारपुढवीउड्ढलोगखेत्तलोए, अहोलोगखेत्तलोए णं भंते ! किंसंठिए पं०?, गोयमा! तप्पागारसंठिए पं०, तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किंसंठिए पं०१. गोयमा ! झडरिसंठिए पं०. उड्ढलोयखेत्तलोयपुच्छा, उड्ढमुइंगाकारसंठिए पं०, लोए णं भंते ! किंसंठिए पं० १, गोयमा ! सुपइट्ठगसंठिए लोए पं० त०- हेट्ठा विच्छिन्ने मजले | संखित्ते जहा सत्तमसए पढमुद्देसए जाव अंतं करेंति, अलोए णं भंते ! किंसंठिए पं०?, गोयमा ! असिरगोलसंठिए पं०, अहेलोगखेत्तलोए णं भंते ! किं जीवा जीवदेसा जीवपएसा ?, | एवं जहा इंदा दिसा तहेव निरवसेसं भाणियब्वं जाव अद्धासमए, तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किं जीवा०?,एवं चेव, एवं उड्ढलोयखेत्तलोएऽवि, नवरं अरूवी छव्विहा अद्धासमओ | नस्थि, लोए णं मंते ! किं जीवा जहा वितियसए अत्विउदेसए लोयागासे, नवरं अरूबी सत्तवि जाव अहम्मस्थिकायस्स पएसा नोआगासस्थिकाये आगासस्थिकायस्स देसे आगास२७० श्रीभगवत्यंगं -सतं १ मुनि दीपरत्नसागर PERSPESMSPICARBIPIGARSHEMISHRSARSHANNEHESASPORTSAPNADEVOPOSBIPEAREPIONSPIRAMPARENESHI

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