Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 115
________________ त्यिकायस्स पएसा अद्धासमए सेसं तं चेत्र, अलोए गं भंते ! किं जीवा०१, एवं जहा अस्थिकायउदेसए अलोयागासे तहेव निखसेस जाव अणंतभागूणे, अहेलोगखेत्तलोगस्स णं भंते! एगमि आगासपएसे किं जीवा जीवदेसा जीवप्पएसा अजीचा अजीवदेसा अजीवपएसा?, गोयमानो जीचा जीवदेसावि जीवपएसावि अजीवापि अजीवदेसावि अजीवपएसावि, जे हा जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा अहवा एगिदियदेसा य इंदियस्स देसे अहवा एगिदियदेसा य इंदियाण य देसा एवं मज्झिाउविरहिओ जाव अणिदिएस जाव अहवा एगिदि यदेसा य अणिदियदेसा य, जे जीवपएसा ते नियमा एगिदियपएसा अहवा एगिदियपएसा य बेइंदियस्स पएसा अहवा एगिदियपएसा य इंदियाण य पएसा एवं आइडविरहिओ जाव पंचिदिएस, अणिदिएम तियभंगो, जे अजीवा ते दुपिहा ५०० रूपी अजीवा य अरूबी अजीवा य, रूपी तहेच, जे अरूबी अजीचा ते पंचविहा पं०२०-नोधम्मस्थिकाए | धम्मस्थिकायस्स देसे धम्मस्थिकायस्स पएसे एवं अहम्मत्यिकायस्सवि अदासमए, तिरियलोगखेत्तलोगस्स णं भंते ! एगमि आगासपएसे कि जीवा० . एवं जहा अहोलोगखेत्तलोगस्स तहेव, एवं उढलोगरोत्तलोगस्यपि, नवरं अदासमओ नस्थि, अरूबी चउबिहा, लोगस्स जहा अहेलोगखेत्तलोगस्स एगमि आगासपएसे. अलोगस्सणे भंते ! एगमि आगासपएसे पुच्छा, गोयमा!नो जीवा नो जीवदेसा तं चेव जाव अणंतेहिं अगुरुयलहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासस्स अणंतभागूणे, दबओणं अहेलोगखेत्तलोए अर्णताई जीवव्वाई अणंताई अजीवदव्वाई अर्णता जीवाजीवदव्या, एवं तिरियलोयखेत्तलोएऽवि, एवं उड्ढलोयखेत्तलोएऽवि, दब्बओ णं अलोए णेवत्थि जीवदव्या नेवस्थि अजीवदव्या नेवस्थि जीवाजीवदब्बा एगे अजीवदय्बदेसे जाव सव्यागासअणंतभागणे, कालओ णं अहेलोयखेत्तलोए न कयाइ नासी जाव निचे एवं जाव अहेलोगे, भावओ णं अहेलोगखेत्तलोए अणंता वनपजवा जहा खंदए जाव अणंता अगुरुयलहुयपज्जवा एवं जाव लोए, भावओ णं अलोए नेवत्थि वनपजवा जाव नेवत्यि अगुरुयलहुयपजवा एगे अजीवदव्वदेसे जाव अणंतभागृणे । ४१९॥ लोए णं भंते ! केमहालए पं०१, गोयमा ! अयन्नं जंबुद्दीवे २ सव्वदीवा ज़ाव परिक्खेवेणं, तेणं कालेणं० छ देवा महिड्डीया जाव महेसक्या जंबुद्दीये. मंदरे पब्बए मंदरचूलियं सव्यओ समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठजा, अहे णं चत्तारि दिसाकुमारीओ महत्तरियाओ चत्तारि चलिपिंडे गहाय जंबुद्दीवस्स २ चउसुवि दिसासु पहियाभिमुहीओ ठिच्चा ते चत्तारि पलिपिंडे जमगसमग पहिगाभिमुहे पक्खिवेजा, पभू णं गोयमा! तओ एगमेगे देवे ते चत्तारि बलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिपामेव पडिसाहरित्तए, ते णं गोयमा ! देवा ताए उकिवाए जाव देवगईए एगे देये पुरच्छाभिमुहे पयाते एवं दाहिणाभिमुहे एवं पचस्थिमाभिमुहे एवं उत्तराभिमुहे एवं उड्ढाभि० एगे देवे अहोऽभिमुहे पयाए, तेणं कालेणं० वाससहस्साठए दारए पयाए, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति णो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति, तए णं तस्स दारगस्स आउए पहीणे भवति, णो चेवणं जाव संपाउगंति, तए णं तस्स दारगस्स अद्विमिंजा पहीणा भवंति णो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति, तए णं तस्स दारगस्स आसत्तमेऽवि कुलवंसे पहीणे भवति णो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति, तएणं तस्स दारगस्स नामगोएऽवि पहीणे भवति णो चेव णं ते देवा लोगतं संपाउणंति. तेसिं णं भंते! देवाणं किं गए बहुए अगए बहुए?, गोयमा ! गए बहुए नो अगए बहए, गयाउ से अगए असंखेजहभागे अगयाउ से गए असंखेजगणे, लोए णं गोयमा! एमहालए पं०. अलोए णं भंते ! केमहालए पं०१. गोयमा! अयन समयखेत्ते पणयालीस जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं जहा खंदए जाव परिक्खेवणं, तेणं कालेणं० दस देवा महिििढया तहेव जाव संपरिक्खित्ताणं संचिट्टेजा, अहे णं अट्ठ दिसाकुमारीओ महत्तरियाओ अट्ट बलिपिंडे गहाय माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स चउमुवि दिसासु चउसुवि चिदिसासु बहियाभिमुहीओ ठिचा ते अट्ठ बलिपिंडे गहाय माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स जमगसमगं बहियाभिमुहीओ पक्खिवेजा, पभू णं गोयमा ! तओ एगमेगे देवे ते अट्ठ बलिपिडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए, ते णं गोयमा! देवा ताए उकिट्ठाए जाव देवगईए लोगंसि ठिच्चा असम्भावपट्टवणाए एगे देवे पुरच्छाभिमुहे पयाए एगे देवे दाहिणपुरच्छाभिमुहे पयाए एवं जाव उत्तरपुरच्छाभिमुहे एगे देवे उड्दाभिमुहे एगे देवे अहोऽभिमुहे पयाए, तेणं कालेणं० बाससयसहस्साउए दारए पयाए, नए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति नो चेव णं ते देवा अलोयतं संपाउणंति, तं चेव, तेसिं देवाणं किं गए बहुए अगए पहुए?, गोयमा। नो गए पहुए अगए बहुए गयाउ से अगए अणंतगुणे अगयाउ से गए अणंतभागे, अलोए णं गोयमा ! एमहालए पं० ।।२०। लोगस्स प भंते ! एगमि आगासपएसे जे एगिदियपएसा जाव पंचिंदियपएसा अणिदियपदेसा अचमनचद्धा अनमन्नपुट्टा जाव अन्नमनसमभरघडताए चिट्ठति, अस्थि णं भंते ! अन्नममस्स किंचि आवाहं वा वाचाहं वा उप्पायंति छविच्छेदं वा करेंति ?, णो तिणढे समढे, से केणडेणं मंते! एवं बुचइ लोगस्स णं एगमि आगासपएसे जे एगिदियपएसा जाव चिट्ठति णत्यि णं भंते! अशमन्नस्स किंचि आवाई वा जाव करेंति ?, गोयमा ! से जहानामए नट्टिया सिया सिंगारागारचारवेसा जाब कलिया रंगहाणंसि जणसयाउलंसि जणसयसहस्साउलंसि बत्तीसइविहस्स नहस्स २७१ श्रीभगवत्यंग- १ मुनि दीपरनसागर EPESABPIGARBIERSPENEPARAMETIMEPRANSPONENESSPIRACYEMSPONBELIEVIEMISPOSAACHARYEAR

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