Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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| जहा आलंभियाए जाव पडिगया, भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ त्ता एवं वयासी-पभू गं भंते ! संखे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतियं० सेसं जहा इसिभरपुत्तस्स जाव अंतं काहेति। सेवं मंते ! सेवं भंतेत्ति जाब विहरइ ।४३९॥ श० १२ उ०१॥ तेणं कालेणं. कोसंबी नामं नगरी होत्था बन्नओ, चंदोवतरणे चेहए पन्नओ, तत्य णं कोसंबीए नगरीए सहस्साणीयस्स रन्नो पोते सयाणीयस्स रन्नो पुत्ते चेङगस्स रन्नो नत्तुए मिगावतीए देवीए अत्तए जयंतीए समणोवासियाए भत्तिजए उदायणे नामं राया होत्या वन्नओ, तत्व ण कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्स रन्नो सुव्हा सयाणीयस्स रन्नो मजा चेडगस्स रन्नो घूया उदायणस्स रन्नो माया जयंतीए समणोवासियाए भाउजा मिगावती नामं देवी होत्या बन्नओ सुकमालजावसुरुवा समणोवासिया जाव विहरह, तत्य र्ण कोसंबीए नगरीए सहस्साणीयस्स रन्नो घूया सयाणीयस्स रन्नो भगिणी उदायणस्स रन्नो पिउच्छा मिगावतीए देवीए नणंदा बेसालीसावयाणं अरहंताणं पुष्यसिजायरी जयंती नाम समणोपासिया होत्या सुकुमाल जाव सुरूवा अभिगय जाब विहरति ।४४०॥ तेणं कालेणं० सामी समोसढे जाव परिसा पजुवासइ, तए णं से उदायणे राया इमीसे कहाए लबडे समाणे इवतुढे कोडुचियपुरिसे सहावेह त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो! देवाणुप्पिया! कोसंविं नगरिमम्भितरवाहिरियं एवं जहा कृणिओ तहेव सर्व जाय पजुवासए, तए णं सा जयंती समणोवासिया इमीसे कहाए लबट्ठा समाणी हवतुट्ठा जेणेव मियावती देवी तेणेव उवात्ता. | मियावती देवीं एवं वयासी-एवं जहा नवमसए उसमदत्तो जाव भविस्सइ, तए णं सा मियाक्ती देवी जयंतीए समणोवासियाए जहा देवाणंदा जाब पढिसुणेति, तए णं सा मियावती देवी कोइंषियपुरिसे सहावेइ त्ता एवं क्यासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! लहुकरणजुत्तजोइय जाव घम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव पचप्पिणति, तए णं सा मियावती | देवी जयंतीए समणोवासियाए सदि व्हाया कयचलिकम्मा जाव सरीरा बहुहिं सुजाहिं जाव अंतेउराओ निम्गच्छति त्ता जेणेव बाहिरिया उबवाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उत्ता जाव दुरूदा, तए णं सा मियावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं धम्मियं जाणप्पवरं दुरुढा समाणी नियगपरियाल जहा उसमदत्तो जाव धम्मियाओ जाणप्पवराओ पचोरहइ. तएणं सा मियावती देवी जयंतीए समणोबासियाए सदि बहहिं खुजाहिं जहा देवाणंदा जाव वं० नमत्ता उदायर्ण रार्य पुरओ कटु ठितिया चेव जाव पज्जुवासह, तए णं समणे भगवं महा० उदायणस्स रचो मियावईए देवीए जयंतीए समणोवासियाए तीसे य महतिमहाजाव धम्म परिसा पडिगया उदायणे पडिगए मियावती देवीवि 2 पडिगया। ४४१ । तए ण सा जयंती समणोबासिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हद्वतद्वा समणं म० महावीर पं० न० ता एवं पयासी कहि भंते! जीवा गरुयत्तं हवमागच्छन्ति', जयंती! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं, एवं खलु जीवा गरुयत्तं हव्व० एवं जहा पढमसए जाच पीयीवयंति, भवसिदियत्तं णं भंते ! जीवाणं किं सभावओ परिणामओ?, जयंती! सभावओ नो परिणामओ, सव्वेऽवि णं भंते ! भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति', ईता जयंती! सोऽवि णं भवसिदिया जीवा सिज्झिस्संति, जइ भंते ! सव्ये भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति तम्हाणं भवसिद्धियविरहिए लोए भविस्सइ ?, णो तिणढे समढे, से केणडेणं खाइएणं भंते ! एवं बुचइ सव्वेऽविणं भवसिदिया जीवा सिज्लिस्संति नो चेवणं भवसिद्धियविरहिए लोए भविस्सइ ?, जयंती! से जहानामए सव्वागाससेढी सिया अणादीया अणवदग्गा परित्ता परिखुडा, साणं परमाणुपोग्गलमेत्तेहिं खंडेहि समये २ अवहीरमाणी २ अणंताहिं उस्सप्पिणीअवसप्पिणीहिं अवहीरंति नो चेव णं अवहिया सिया, से तेण?णं जयंती ! एवं युबइ सब्वेऽवि णं जाव भविस्सइ, सुत्तत्तं भंते ! साहू जागरियत्तं साहू ?, जयंती! अत्थेगइयाणं जीवाणं सुत्तत्तं साहू अत्यंगतियाणं जीवाणं जागरिवत्तं साहू, से केणतुणं भंते! एवं बुचद अत्थेगइयाणं जाव साहू ?, जयंती ! जे इमे जीवा है अहम्मिया अहम्माणुया अहम्मिट्ठा अहम्मक्खाई अहम्मपलोई अहम्मपलजणा अहम्मसमुदायारा अहम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरति एएसि णं जीवाणं सुत्तत्तं साह , एएणं | जीवा सुत्ता समाणा नो पहर्ण पाणभूयजीवसत्ताणं दुक्खणयाए सोयणयाए जाच परियावणयाए बटुंति, एए णं जीचा सुत्ता समाणा अप्पाणं चा परं या तदुभयं वा नो बहूहि अहम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएतारो भवंति, एएसि जीवाणं सुत्तत्तं साहू, जयंती ! जे इमे जीवा धम्मिया धम्माणुया जाव धम्मेणं व वित्ति कप्पेमाणा विहरति एएसिणं जीवाणं जागरियत्तं साहू, एए णं जीवा जागरा समाणा बहूणं पाणाणं जाव सत्ताणं अदुक्खणयाए जाव अपरियावणियाए बटुंति, ते णं जीवा जागरमाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा बहूहि धम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति, एए णं जीचा जागरमाणा धम्मजागरियाए अप्पाणं जागरइत्तारो भवंति, एएसिं णं जीवाणं जागरियत्तं साह, से तेणतुणं 3 वृथइ-अत्यंगइयाणं जीवाणं सुत्तत्तं साह अत्येगइयाण० जागरियत्तं साह, बलियत्तं भंते ! साहू दुबलियत्तं साहू ?, जयंती! अस्येगइयाणं जीवाणं दुग्बलियत्तं साहू अत्यगइयाणं जीवाणं बलियतं साह, से केणटेणं भंते ! एवं बुचड़ जाव साह ?, जयंती! जे इमे जीवा अहम्मिया जाच विहरंति एएसिं गं जीवाणं दुबलियत्तं साहू, एएणं जीवा एवं जहा सुत्तस्स तहा दुबलियस्स वत्तव्वया भाणियव्या, बलियस्स जहा जागरस्स तहा भाणियव्वं जाव संजोएत्तारो भवंति, एएसिं गं जीवाणं बलियत्तं साहू से तेणठेणं जयंती ! एवं वुबह (७०) २८. श्रीभगवत्यंग-बार
मुनि दीपरतसागर

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