Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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ARNRSAASHRAIGNRNAGPICNICHIRAGPTEMBP6M2SPIGAREPARAASPITHACFCASSPOSMASH6AASPICHARP&HASHIKBPS
भावेमाणे विहरह, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाधि पुष्वाणपव्विं चरमाणे जाव सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपानगरी जेणेव पुनभहे चेइए तेणेव उवागच्छह ता अहापडिरूवं उम्गहं उम्गिण्हति त्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरह, तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स तेहिं अरसेहि य विरसेहि य अंतेहि य पंतेहि य लूहेहि य तुच्छेहि य कालाइकंतेहि य पमाणाइकतेहि य सीतएहि य पाणभोयणेहिं अन्नया कयाचि सरीरगंसि विउले रोगातंके पाउम्भूए उज्जले ति(वि पा०)उले पगाढे ककसे कहुए चंडे दुक्खे दुग्गे तिब्वे दुरहियासे पित्तज्जरपरिगतसरीरे दाहवऋतिए यावि विहरइ, तए णं से जमाली अणगारे वेयणाए अभिभूए समाणे समणे णिग्गंथे सहावेइ त्ता एवं वयासी-तुज्झे णं देवाणुप्पिया! मम सेज्जासंथारगं संथरेह, तए णं ते समणा णिग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयम१ विणएणं पडिसुणेति त्ता जमालिस्स अणगारस्स सेज्जासंधारगं संथरैति, तए णं से जमाली अणगारे बलियतरं वेदणाए अभिभूए समाणे दोनपि समणे निसर्गचे सहावेइ ता दोचंपि एवं क्यासी-ममनं देवाणुप्पिया ! सेज्जासंथारए किं कडे ? कजइ, एवं युत्ते समाणे समणा निम्गंथा विति-भो सामी ! कीरइ, तए णं ते समणा निम्गंथा जमालिं अणगारं एवं क्यासी-णो खलु देवाणुप्पियाणं सेज्जासंथारए कडे, कजति, तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स अयमेयारूवे अज्झस्थिए जाव समुप्पज्जित्था जन्नं समणे भगवं महावीरे एवं आइक्खइ जाव एवं परूबेइ-एवं खलु चलमाणे चलिए उदीरिजमाणे उदी रिए जाव निजरिजमाणे णिजिन्ने तं णं मिच्छा, इमं च णं पचमखमेव दीसह सेज्जासंथारए कजमाणे अकडे संथरिजमाणे असंथरिए, जम्हा णं सेज्जासंथारए कजमाणे अकडे संथरिजमाणे असंथरिए, तम्हा चलमाणेऽवि अचलिए जाब निजरिजमाणेऽवि अणिजिन्ने, एवं संपेहेइत्ता समणे निरगंथे सहावेइत्ता एवं बयासी-जन्नं देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवं आइक्सइ जाव परुवेइ-एवं खलु चलमाणे चलिए तं चेव सव्वं जाय णिज्जरिजमाणे अणिजिन्ने, तए णं जमालिस्स अणगारस्स एवं आइक्खमाणस्स जाव परुवेमाणस्स अत्थेगइया समणा निम्मंथा एयमढे सद्दहति पत्तियंति रोयंति अत्थेगइया समणा निग्गंथा एयम8 णो सदहति तत्थ णं जे ते समणा निम्गंधा जमालिस्स अणगारस्स एयमढें सहहंति० ते णं जमालिं चेव अणगारं उपसंपज्जित्ताणं विहरति, सस्थ णं जे ते समणा णिग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयम8 णो सदइंति णो पत्तियंति णो रोयंति ते णं जमालिस्स अणगारस्स अंतियाओ कोट्टयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमंति ता पुज्वाणुपुचि चरमाणा गामाणुगामं दूइ० जेणेव चंपानयरी जेणेव पुन्नभहे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छन्ति ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति त्ता वंदन्ति णमंसन्ति त्ता समणं भगवं महावीरं उपसंपजित्ताणं विहरंति।३८५। तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयाचि ताओ रोगायंकाओ विप्पमुके हढे तुढे जाए अरोए पलियसरीरे सावत्थीओ नयरीओ कोट्ठयाओ चेहयाओ पडिनिक्खमइत्ता पुवाणुपुचि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुन्नभद्दे चेहए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छदत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते ठिचा समणं भगवं महावीरं एवं बयासी-जहा णं देवाणुप्पियाणं बहवे अंतेवासी समणा निमांथा छउमत्या भवेत्ता छउमत्थावकमणेणं अवता णो खलु अहं तहा छउमत्थे भवित्ता छउमत्थावकमणेणं अवकमिए, अहन्नं उप्पन्नणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवकमणेणं अवकमिए, तए णं भगवं गोयमें जमालिं अणगारं एवं क्यासी-णो खलु जमाली ! केवलिस्स णाणे वा दंसणे वा सेलंसि वा थंभंसि वा थूभंसि वा आवरिजइ वा णिवारिज्जइ वा, जइ णं तुम जमाली! उप्पन्नणाणदसणघरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवकमणेणं अवकंते तो णं इमाई दो वागरणाई वागरेहि-सासए लोए जमाली ! असासए लोए जमाली! सासए जीवे जमाली! असासए जीवे जमाली!?, तएणं से जमाली अणगारे भगवया गोयमेणं एवं बुत्ते समाणे संकिए कंखिए जाव कलुससमावन्ने जाए यावि होत्था, णो संचाएति भगवओ गोयमस्स किंचि विपमोक्खमाइक्खित्तए तुसिणीए संचिट्ठइ, जमालीति समणे भगवं महावीरे जमालिं अणगारं एवं बयासी-अस्थि णं जमाली ममं बहवे अंतेवासी समणा निगंथा छउमत्था जे णं एवं बागरणं बागरित्तए जहा णं अहं नो चेव णं एयप्पगारं भासं भासित्तए जहा णं तुम, सासए लोए जमाली! जनं ण कयावि णासी ण कयावि ण भवति ण कदावि ण भविस्सइ भविं च भवइ य भविस्सइ य धुवे णितिए सासए अक्खए अब्बए अवढिए णिचे, असासए लोए जमाली! जं ओसप्पिणी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ उस्सप्पिणी भवित्ता ओसप्पिणी भवइ, सासए जीवे जमाली! जं न कयाइ णासी जाव णिचे, असासए जीवे जमाली! जन्नं नेरइए भवित्ता तिरिक्खजोणिए भवइ तिरिक्खजोणिए भवित्ता मणुस्से भवइ मणुस्से भवित्ता देवे भवइ, तएणं से जमाली अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमढें णो सद्दहइ णो पत्तियइ णो रोएइ एयमढे असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे दोच्चंपि समणस्स भगवओ महावीरस्म अंतियाओ आयाए अवकमइ
त्ता बहूहिं असम्भावुन्भावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च तुम्गाहेमाणे बहुयाई वासाई सामनपरियागं पाउणइ त्ता अदमासियाए संलेहणाए अत्ताणं 2| झूसेइ त्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेति त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकते कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमठितिएसु देवकिव्विसिएसु देवेसु देवकिव्यि- (६५)/ २६० श्रीभगवत्यंग-स08
मुनि दीपरनसागर

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