Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 106
________________ PRASPORAEPSAASPICHAIRPESARIPOMRPEARNERBARRANSHRISPOSISPROSPIONATEMEPOKHREPPERSPEAKS वा पाणमंति वा० १, एवं चेष, आउकाइए णं भंते ! आउक्कायं चेव जाणमंति वा०?, एवं चेच, एवं तेउवाऊवणस्सइकाइयं, तेउकाइएणं मंते ! पुढविकाइयं आणमंति वा० १. एवं जाव वणस्सइकाइए णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव आणमंति वा०, तहेव, पुढविकाइए णं मंते! पुढवीकाइयं चेव आणममाणे वा पाणममाणे वा ऊससमाणे वा नीससमाणे वा कइकिरिए, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, पुढविक्काइए णं भंते ! आउकाइयं आणममाणे वा०, एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइयं, एवं आउकाइएणवि सव्वेऽवि भाणियव्वा, एवं तेउकाइएणवि, एवं वाउकाइएणचि, जाव वणस्सइकाइए णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव आणममाणे वा०१, पुच्छा, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए।३९१। बाउकाइए णं भंते! रुक्खस्स मलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए,गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चकिरिए सिय पंचकिरिए,एवं कंद, एवं जाव मूलं, पच्छा. गोयमा। सिय तिकिरिण सिय बउकिरिए सिय पंचकिरिए। सेवं मंते! सेवं भंतेति।३९२॥ उ०३४ इति नवमं शतकं॥म मा दिसिर संवडअणगारे२ आयडढी ३ सामहत्यि ४ देवि५ सभा ६। उत्तरअंतरदीचा ३४ दसमंमि सयंमि चोत्तीसा ॥६॥रायगिहे जाव एवं क्यासी-किमियं मंते! पाईणत्ति पचई?, गोयमा! जीवा चेव अजीचा चेव, किमियं भंते ! पढीणाति पचई ?, गोयमा! एवं येव, एवं दाहिणा एवं उदीणा एवं उड्ढा एवं अहावि, कति णं भंते ! दिसाओ पं०१, गोयमा! दस दिसाओ, पं० तं०. पुरच्छिमा पुरच्छिमदाहिणा दाहिणा दाहिणपञ्चस्थिमा पञ्चत्यिमा पञ्चस्थिमुत्तरा उत्तरा उत्तरपुरच्छिमा उड्दा अहा, एयासिंणं भंते ! दसण्हं दिसाणं कति णामधेजा पं०', गोयमा ! दस नामधेजा पं० तं०-इंदा अग्गेयी जमा य नेरती वारुणी वायव्वा सोमा ईसाणीया विमला य तमा य बोद्धव्या, इंदा णं भंते ! दिसा किं जीवा जीवदेसा जीवपएसा अजीचा अजीवदेसा अजीवपएसा ?, गोयमा ! जीवावि० ते चेव जाव अजीवपएसावि, जे जीवा ते नियमा एगिंदिया चेइंदिया जाच पंचिंदिया अणिंदिया, जे जीवदेसा ते नियमा एमिंदियदेसा जाव अणिदियदेसा, जे जीवपएसा ते नियमा एगिदियपएसा बेइंदियपएसा जाव अणिदियपएसा,जे अजीवा ते दुविहा पं० त०-रूपी अजीवा य अरूबी अजीवा य, जे रूबी अजीवा ते चउविहा पं० तं०-खंधा खंधदेसा संधपएसा परमाणुपोग्गला, जे अरूबी अजीवा ते सत्तविहा पं० त०-नोधम्मत्यिकाए धम्मस्थिकायस्स देसे धम्मत्यिकायस्स पएसा नोजधम्मत्यिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे अधम्मस्थिकायस्स पएसा नोआगासस्थिकाए आगासस्थिकायस्स देसे आगासस्थिकायस्स पएसा अद्धासमए, अम्गेई णं भंते ! दिसा किं जीवा जीवदेसा जीवपएसा पुच्छा, गोयमा! णो जीवा जीवदेसावि जीवपएमावि अजीवावि अजीवदेसापि अजीवपएसाचि. जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा अहवा एगिदियदेसा य इंदियस्स देसे अहवा एगिदियदेसा य इंदियस्स देसा अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियाण य देसा, अहवा एगिदियदेसा तेइंदियस्स देसे एवं चेव तियभंगो भाणियच्चो एवं जाव अणिंदियाणं तियमंगो, जे जीवपएसा ते नियमा एगिदियपएसा अहवा एगिदियपएसा य बेइंदियस्स पएसा अहवा एगिदियपदेसा य इंदियाण य पएसा एवं आइल्लविरहिओ | जाव अणिदियाणं, जे अजीवा ते विहा पं०० रुविअजीचा य अरूवीअजीचा य, जे रूवी अजीवा ते चउबिहा पं००-खंधा जाब परमाणपोमाला. जे अरूपी अजीवा ते सत्त- 19 विहा पं० त०-नोधस्मत्यिकाए धम्मत्यिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पएसा एवं अधम्मस्थिकायस्सवि जाव आगासस्थिकायस्स पएसा अद्धासमए, विदिसासु नत्यि जीवा देसे पएसे | मंगा य होइ सव्वत्य, जमा णं मंते! दिसा किं जीवा०', जहा इंदा तहेव निरवसेस, नेरड्या जहा अग्गेयी वारुणी जहा इंदा वायव्वा जहा अग्गेयी सोमा जहा इंदा ईसाणी जहा | अग्गेयी, विमलाए जीवा जहा अम्गेयी अजीवा जहा इंदा, एवं तमाएऽवि, नवरं अरूबी छव्विहा अदासमयो न भवति । ३९३। (कइसंठाणपमाणं पोग्गलचिणणा सरीरसंजोगो। दवपएसप्पबहुं सरीरओगाहणाए य॥१॥ पा०) कति णं भंते ! सरीरा पं०१, गोयमा! पंच सरीरा पं० २०-ओरालिए जाव कम्मए, ओरालियसरीरे णं मंते ! कतिविहे पं०', एवं | ओगाहणसंठाणं पयं निरवसेसं भाणियव्वं जाव अप्पाबहुगंति। सेवं भंते ! सेवं मंते!त्ति ।३९४॥श १० उ०१॥ रायगिहे जाब एवं बयासी-संवुडस्स णं भंते! अणगारस्स वीयीपंथे | ठिचा पुरओ रुबाई निझायमाणस्स मग्गओ रुवाइं अवयक्खमाणस्स पासओ रूवाई अवलोएमाणस्स उड्डं रूवाई ओलोएमाणस्स अहे रूवाई आलोएमाणस्स तस्स णं भंते! किं १ ईरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कजइ ?, गोयमा! संखुडस्स णं अणगारस्स वीयीपंथे ठिचा जाब तस्स णं णो ईरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कजइ, से केणटेणं भंते! एवं वुचइ संवुड जाव संपराइया किरिया कजइ ?, गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोभा एवं जहा सत्तमसए पढमोडेसए जाव से णं उस्सुत्तमेव रीयति, से तेणटेणं जाव संपराइया किरिया कज्जइ, संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स अवीयीपंथे ठिच्चा पुरओ रूवाई निज्झायमाणस्स जाब तस्स णं भंते ! किं ईरियावहिया किरिया कज्जइ०१ पुच्छा, गोयमा! संवुड० जाव तस्स णं ईरियावहिया किरिया कजइनो संपराइया किरिया कजइसे केणटेणं मंते! एवं वुबइ जहा सत्तमे सए पढमोहेसए जाव से णं अहासुत्तमेव रीयति, २६२ श्रीभगवत्यंग- सत-१० मुनि दीपरत्नसागर HARBIRBARDINARIESARKSA9348994585848184584284DMRALARMACIS-A209994TAARAARIYABAR43421

Loading...

Page Navigation
1 ... 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248