Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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से तेणद्वेणं जाव नो संपराइया किरिया कज्जइ । ३९५। कविहा णं भंते! जोणी पं० १, गोयमा ! तिविहा जोणी पं० तं०-सीया उसिणा सीतोसिणा, एवं जोणीपयं निरवसेसं भाणि - यवं । ३९६ । कतिविहाणं भंते! वेयणा पं० १, गोयमा ! तिविहा वेयणा पं० तं० सीया उसिणा सीओसिणा, एवं वेयणापयं निरवसेसं भाणियव्वं जाव नेरइयाणं भंते! किं दुक्ख वेद वेदेति सुहं वेयणं वेयंति अदुक्खमसुहं वेयणं वेयंति ?, गोयमा ! दुक्खपि वेयणं वेयंति सुहंपि वेयणं वेयंति अदुक्खमसुहंपि वेयणं वेयंति ॥ ३९७। मासियण्णं भंते! भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स निचं बोसट्टे काये चियत्ते देहे० एवं मासिया भिक्खुपडिमा निरवसेसा भाणियव्वा (म० जाव दसाहिं) जाव आराहिया भवइ । ३९८ । भिक्खु य अन्नयरं अकिञ्चट्ठाणं पडिसेविज्जा से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकंते कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिक्कते कालं करेइ अस्थि तस्स आराहणा, भिक्खू य अन्नयरं अकिद्वाणं पडिसेविज्जा तस्स णं एवं भवइ पच्छावि णं अहं चरमकालसमयंसि एयस्स ठाणस्स आलोएस्सामि जाव पडिवज्जिस्सामि से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकंते जाव नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिकंते कालं करेइ अत्थि तस्स आराहणा, भिक्खु य अन्नयरं अकिञ्चद्वाणं पडिसेविज्जा तस्स णं एवं भवइ-जइ ताब समणोवासगावि कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्तारो भवंति किमंग पुण अहं अणपन्नियदेवत्तणंपि नो लभिस्सामित्तिकट्टु से णं तस्स ठाणस्स अणालो इयपडिक कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिकंते कालं करेइ अत्थि तस्स आराहणा । सेवं भंते ! सेवं भंते त्ति । ३९९ ॥ श १० उ० २ ॥ रायगिहे जाव एवं वयासी आइडीए णं भंते! देवे जाब चत्तारि पंच देवावासंतराई बीतिकंते तेण परं परिद्धीए १, हंता गोयमा आइइटीए णं तं चेव, एवं असुरकुमारेऽवि तिनि आलावगा माणि यव्वा, नवरं असुरकुमारावासंतराई सेसं तं चैव एवं एएणं कमेणं जाव धणियकुमारे, एवं वाणमंतरे जोइसवेमाणिया जाव तेण परं परिढीए, अप्पढीए णं भंते! देवे महढियस्स देवरस मज्झंमज्झेणं वीइवइज्जा १, णो तिणडे समडे, समिट्टीए णं भंते! देवे समड्ढीयस्स देवस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएजा १, णो तिणट्टे समद्वे, पमत्तं पुण बीइवएज्जा, से णं भंते! किं विमोहित्ता पभू अविमोहित्ता पभू ?, गोयमा ! विमोहेत्ता पभू नो अविमोहेत्ता पभू से भंते! किं पुब्विं त्रिमोहेत्ता पच्छा बीइवएजा पुब्विं वीइवएत्ता पच्छा विमोहेज्जा ?, गोयमा ! पुवि विमोहेत्ता पच्छा बीइवएजा णो पुब्विं वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा, महिड्डीए णं भंते! देवे अप्पढियस्स देवस्स मज्झमज्झेणं वीइवएजा ?, हंता बीइवएज्जा, से भंते! किं विमोहित्ता पभू अविमोहेत्ता पभू ?, गोयमा ! विमोहेत्तावि पभू अविमोहेत्तावि पभू से भंते! किं पुब्वि विमोहेत्ता पच्छा वीइवइज्जा पुवि बीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा १, गोयमा ! पुवा विमोहेत्ता पच्छा वीइवएजा पुब्विं वा बीइवएत्ता पच्छा विमोहेजा, अप्पिढिए णं भंते! असुरकुमारे महड्ढीयस्स असुरकुमारस्स मज्झमज्झेणं बीइवएज्जा ?, णो इण सम, एवं असुरकुमारेऽवि तिन्नि आलावगा भाणियव्वा जहा ओहिएणं देवेण भणिया, एवं जाव थणियकुमाराणं, वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं एवं चेव, अप्पढिए णं भंते! देवे महिड्डियाए देवीए मज्झमज्झेणं बीइवएना ?, जो इणट्टे समट्ठे, समढिए णं भंते! देवे समिडीयाए देवीए मज्झमज्झेणं एवं तहेव देवाण य देवीण य दंडओ भाणियो जाव वैमाणियाए, अप्पढिया णं भंते! देवी महड्ढीयस्स देवस्स मसंमज्ज्ञेणं एवं एसोऽवि तइओ दंडओ भाणियव्वो जाब महढिया वैमाणिणी अप्पढियस्स वेमागियरस मज्झमज्झेणं बीइवएजा १, हंता वीइवएजा, अप्पढिया णं भंते! देवी महिड्डियाए देवीए मज्झंमज्झेणं वीइवएजा ?, जो इणट्टे समट्ठे, एवं समढिया देवी समढियाए देवीए तहेव, महद्द्यिावि देवी अप्पढियाए देवीए तहेब, एवं एकेके तिनि २ आलावगा भाणियव्वा जाव महढिया णं भंते! वेमाणिणी अप्पढियाए बेमाणिणीए मज्झमज्झेणं बीवजा ?, हंता बीइवएज्जा, सा भंते! किं विमोहित्ता पभू तहेब जाय पुब्विं वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा एए चत्तारि दंडगा । ४००। आसस्स णं भंते! धावमाणस्स किं खुखुति करेति ?, गोयमा ! आसस्स णं धावमाणस्स हिदयस्स य जगयस्स य अंतरा एत्य णं कब्बडए नामं बाए संमुच्छइ जेणं आसस्स धावमाणस्स खुखुत्ति करेइ । ४०१ । अह भंते! आसइस्सामो सइस्लामो चिट्टिस्सामो निसिइस्सामो तुयहिस्सामो 'आमंतणि आणवणी जायणि तह पुच्छणी य पण्णवणी पञ्चक्खाणी भासा भासा इच्छाणुलोमा य ॥ ६३ ॥ अणमिग्गहिया मासा भासा य अभिग्गहंमि बोद्धव्या संसयकरणी भासा वोयडमव्वोयडा चेव ॥ ६४ ॥ पद्मवणी णं एसान एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा! आसइस्सामो तं चैव जाव न एसा भासा मोसा सेवं भंते! सेवं भंते! ति । ४०२ ॥ श० १० उ० ३ ॥ तेणं कालेणं० वाणियगामे नाम नयरे होत्था बन्नओ, दूतिपलासए चेइए, सामी समोसढे, जाब परिसा पडिगया, तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतवासी इंदभूई नामं अणगारे जाव उर्द्धजाणू जाव विहरइ, तेण कालेनं० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी सामहत्वी नामं अणगारे पयइमद्दए जहा रोहे जाव उढजाणू जाव विहरइ, तए णं ते सामहत्वी अणगारे जायसड्ढे जाव उडाए उट्ठेत्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छड ता २६३ श्रीभगवत्यं सत १०
मुनि दीपरत्नसागर

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