Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 110
________________ 898498261813398182 PISARSHESARPRABP8ARSHRSSPARARDPIRMACPERSSP85802850ASPIRSMSPICABPMSPRIMARPABARSH84967888 वाभा अधिमाली पभंकरा, सेसं तं चेव जाव नो चेव ण मेहुणवत्तियं, इंगालस्स णं मंते ! महम्गहस्स कति अग्ग० पुच्छा, अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० त०-विजया बेजयंती जयंती अपराजिया, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सेसं तं चेव जहा चंदस्स, नवरं इंगालवडेंसए विमाणे इंगालगंसि सीहासणंसि सेसं तं चेच, एवं जाव वियालगस्तवि, एवं अट्ठासीतीएऽवि महागहाणं माणियच्वं जाच मावकेउस्स, नवरं बढेसगा सीहासणाणि य सरिसनामगाणि सेसं तं चेव, सक्कस्स णं भंते! देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, अज्जो! अट्ट अग्गमहिसीओ प००-पउमा सिवा सया (प्र०सुई)अजू अमला अच्छरा नवमिया रोहिणी, तत्थ ण एगमगाए दवाए सालस सोलस दविसहस्सा परिवारी प०,पर सोलस देविसहस्साई परियारं विउवित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठावीसुत्तरं देविसयसहस्सं परियारं विउवित्तए, सेतं तुडिए, पमू णं भंते ! सक्के देविंद देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमाणे समाए सुहम्माए सकसि सीहासणंसि तुडिएणं सदि सेसं जहा चमरस्स नवरं परियारो जहा मोउद्देसए, सकरू णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो कति अम्गमहिसीओ ? पुच्छा, अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पं०सं०-रोहिणी मदणा चित्ता सोमा, तस्थ णं एगमेगासेसं जहा चमरलोगपालाणं, नवरं सर्वपमे विमाणे सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि सेसं तं चेव, एवं जाव वेसमणस्स, नवरं विमाणाई जहा तईयसए, ईसाणस्स णं भंते ! पुच्छा, अज्जो! अह अम्गमहिसीओ पं० त०. कण्हा कण्हराई रामा रामरक्खिया बसू बसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधस, तत्थ णं एगमेगाए० सेसं जहा सक्कस्स, ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स० सोमस्स महारण्णो कति अम्गमहिसीओ? पुच्छा, अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं०-पुढवी रायी रयणी विजू , तत्य णं० सेसं जहा सकस्स लोगपालाणं, एवं जाव वरुणस्म नवरं विमाणा जहा चउत्थसए, सेसं तं चेव जाव नो थेव मेहुणवत्तियं। त्ति जाव विहरहा४०५॥ श०१० उ०५॥ काह णं भंते! सकस्स दावदस्स दवरन्नो सभा सुहम्मा पं०१. गायमा! जयदीव २ मदरस्स पव्वयस्स दाहिणण इमास | रयणप्पभाए एवं जहा रायप्पसेणइजे जाच पंच बढेसगा पं० सं०-असोगव.सए जाव मज्झे सोहम्मवसए, से णं सोहम्मवडेंसए महाविमाणे अद्धतेरस य जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं, एवं जह सूरिया तहेव माणं तहेव उववाओ। सकस्स य अभिसेओ तहेव जह सूरियाभस्स ॥६५॥ अलंकारअचणिया तहेव जाव आयरक्वत्ति, दो सागरोवमाई ठिती, सक्के णं भंते ! देविंद देवराया केमदिड्ढीए जाव केमहासोक्खे, गोयमा! महिड्ढीए जाव महासोक्खे, से गं तत्थ बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्साणं जाव विहरति एवंमह व महासोक्खे सके देविंद देवराया। सेवं भंते सेवं भतात्तिा४०६॥ श०१० उ०६॥ कहिन्नं भंते ! उत्तरिडाणं एगोख्यमणस्साणं एगोरुयदीवे नामं दीवे पं०१. एवं जहा जीवाभिगमे तहेब निरवसेंसं जाव मुददंतदीयोति, एए अट्ठावीसं उद्देसगा भाणियव्वा, सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाब विहरति । ४०७॥ उ०३४ इति दशमं शतकंफ फा 'उप्पल १ सालु २ पलासे ३ कुंभी ४ नाली ५ य पउम ६ कमी ७ या नलिणसिब ९ लोग १० काला ११ऽऽलंमिय १२ दस दो य एकारे ॥६६॥ उववाओ परिमाणं अवहारुश्चत्त बंध बेद्रे य। उदए उदीरणाए लेसा विट्ठी १० य नाणे य ॥६७॥ जोगुवओगे वन्नरसमाई ऊसासगे य आहारे। विरई किरिया बंधे२० सन्न कसायिस्थि बंधे य ॥ ६८॥ सन्निदिय अणुबंधे संवेहाऽऽहार ठिह ३० समुग्धाए। चयणं मूलादीसु य उववाओ सव्वजीवाणं ३३ ॥६९॥ तेणं कालेणं० रायगिहे जाव पज्जुवासमाणे एवं ययासी-उप्पले णं भंते ! एगपत्तए | किं एगजीवे अणेगजीवे ?, गोयमा ! एगजीवे नो अणेगजीचे, तेण परं जे अन्ने जीचा उववज्जति ते णं णो एगजीचा अणेगजीवा, ते णं भंते ! जीवा कओहिंतो उवक्जंवि? किनेर| इएहिंतो उववज्जति तिरि० मणु देवेहिंतो उववजंति ?, गोयमा ! नो नेरतिएहिंतो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितोऽवि उववजन्ति मणुस्सेहिंतो० देवेहितोऽपि उववज्जंति, एवं उव वाओ भाणियव्यो, जहा वकंतीए वणस्सइकाइयाणं जाव ईसाणेति, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवड्या उवक्जति?, गोयमा ! जहनेणं एको वा दो वा तिमि वा उक्कोसेणं संखेज्जा | वा असंखेज्जा वा उपवर्जति, ते णं भंते ! जीवा समए २ अवहीरमाणा २ केवतिकालेणं अवहीरंति?, गोयमा ! ते णं असंखेजा समए २ अवहीरमाणा २ असंखेजाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरति नो चेव णं अवहिया सिया, तेसिंण भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पं०१, गोयमा ! जहनेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं सातिरेग जोयणसहस्सं, ते णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किंबंधगा अबंधगा?, गोयमा ! नो अबंधगा बंधए वा बंधगा वा एवं जाव अंतराइयस्स, नवरं आउयस्स पुच्छा, गोयमा ! बंधए वा अबंधए वा पंधगा वा अपंधगा या अहवा बंधए य अबंधए य अहवा बंधए य अपंधगा य अहवा पंधगा य अबंधए य अहवा बंधगा य अबंधगा य एते अट्ठ भंगा, ते णं भंते! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं वेदगा अवेदगा?, गोयमा! नो अवेदगा वेदए वा वेदगा वा एवं जाव अंतराइयस्स, ते णे भंते ! जीवा किं सायावेयगा असायावेयगा?, गोयमा ! सायावेदए वा असायावेयाश् वा अट्ठ भंगा, ते णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं उदई अणुदई ?, गोयमा! नो अणुदई उदई वा उदइणो वा, एवं जाव अंतराइयस्स, ते २६६ श्रीभगवयंर्ग--११ मुनि दीपरत्नसागर 3 409840923423495450522-25489542958909840393043

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