Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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भगवं गोयमं तिक्सुत्तो जाव पञ्चासमाणे एवं वयासी-अस्थि णं भंते! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगा देवा?, हंता अस्थि, से केणद्वेणं भंते! एवं बुबह चमरस्स असुरिंदस्व असुरकुमाररणो वायत्तीसगा देवा २१, एवं खलु सामहत्थी! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे २ भारहे वासे कायंदी नामं नयरी होत्या पनओ, तत्व णं कायंदीए नयरीए तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा परिवसन्ति अड्ढा जाव अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा उबलहपुण्णपावा जाब विहरंति, तए णं ते तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया | पुबि उम्गा उग्गविहारी संविग्गा संविग्गविहारी भवित्ता तओ पच्छा पासस्था पासत्यविहारी ओसन्ना ओसन्नविहारी कुसीला कुसीलविहारी अहाउंदा अहाउंदविहारी बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणंति ना अदमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झुसेंति त्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेति त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकंता कालमासे कालं किया चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगदेवत्ताए उपवन्ना, जप्पभिई च णं भंते ! ते कायंदगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना तप्पभिई पण भंते ! एवं बुचड़ चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगा देवा२१, तए णं भगवं गोयमे सामहत्यिणा अणगारेणं एवं वृत्ते समाणे | संकिए कंखिए वितिगिच्छिए उहाए उद्देइ त्ता सामहस्थिणा अणगारेणं सद्धि जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ त्ता एवं पयासी-8 अस्थि णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररपणो तायत्तीसगा देवा २१,हंता अस्थि, से केपट्टेणं भंते ! एवं वुचइ', एवं तं चेव सव्वं भाणियब्वं जाव तप्पभिः चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगा देवा २१, णो इणटे समढे, गोयमा ! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगाणं देवाणं सासए नामधेजे पं०, जन |कयाइ नासीन कदापि न भवति ण कयाई ण भविस्सइ जाच निचे अब्बोच्छित्तिनयट्ठयाए अन्ने चयंति अन्ने उववजंति, अस्थि णं भंते ! पलिस्स वइरोयणिदस्स बहरोयणरन्नो
तायत्तीसगा देवा २१, हंता अस्थि, से केणद्वेणं भंते! एवं युचर पलिस्स वइरोयर्णिदस्स जाव तायत्तीसगा देवा २१, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं. इहेब जंबुद्दीवे २ भारहे वासे |विभेले णाम संनिवेसे होत्था बन्नओ, तस्थ णं विभेले संनिसे जहा चमरस्स जाब उववन्ना, जप्पभिई च णं भंते ! ते विभेलगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा बलिस्स वह० सेसं तं चेव जाप निचे अव्वोच्छित्तिणयट्ठयाए अन्ने चयंति अन्ने उववजंति, अस्थि णं भंते ! धरणस्स णागकुमारिंदस्स नागकुमाररमो तायत्तीसगा देवा ?, इंता अस्थि, से केणद्वेणं जाव तायत्तीसगा देवा २१, गोयमा ! धरणस्स नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो तायत्तीसगाणं देवाणं सासए नामधेजे पं० जं न कयाइ नासी जाव अन्ने चयंति अन्ने उववजंति, एवं भूयाणंदस्सवि एवं जाच महाघोसस्स, अस्थि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, हंता अस्थि, से केणट्टेणं जाव तायत्तीसगा देवा २१, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं० इहेब जंचुदीवे दीये भारहे वासे पालासए नामं संनिवेसे होस्था वन्नओ, तत्थ णं पालासए सन्निवेसे तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोचासया जहा चमरस्स जाव विहरंति, | तए णं तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा पुबिपि पच्छावि उम्गा उम्गविहारी संविग्गा संविग्गविहारी बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए
अत्ताणं असेइत्ता सढि भत्ताई अणसणाए छेति त्ता आलोइयपडिकता समाहिपत्ता कालमासे कालं किचा जाव उववना, जप्पभिई च णं भंते ! पालासगा तायत्तीसं सहाया गाहाचई समणोबासगा सेसं जहा चमरस्स जाव उववजंति, अस्थि णं भंते ! ईसाणस्स एवं जहा सक्कस्स नवरं चंपाए नयरीए जाव उववन्ना, जप्पभिई चणं भंते ! चंपिज्जा तायत्तीसं सहाया सेसं तं चेव जाव अजे उववजति, अस्थि णं भंते ! सणंकमारस्स देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, हंता अस्थि, से केणढणं जहा धरणस्स तहेव, एवं जाव पाणयस्स, एवं अच्चयस्स जाव अन्ने उक्वजति । सेवं भंते ! सेवं भंते!। ४०३ ॥ श०१० उ०४॥ तेणं कालेणं० रायगिहे नाम नगरे गुणसिलए चेइए जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे अंतेवासी थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना जहा अट्ठमे सए सत्तमुद्देसए जाब विहरति, तए ण ते थेरा भगवंतो जायसड्ढा जाव संसया जहा गोयमसामी जाव पजुवासमाणा एवं वयासी-चमरस्स णं भंते ! अमुरिंदस्स असुरकुमाररमो कति अग्गमहिसीओ पं०१, अजो! पंच अग्गमहिसीओ पं०२०-काली रायी रयणी विजू मेहा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्टदेवीसहस्सा परिवारो पं०, पभू णं भंते ! ताओ एगमेगा देवी अचाई अदृट्टदेवीसहस्साई परिवारं विउवित्तए?, एवामेव सपुष्यावरेणं चत्तालीसं देवीसहस्सा, से तं तुहिए, पभू
णं भंते! चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए?, णो तिणढे समढे, से | केणडेणं भंते ! एवं वुचइ नो पभू चमरे असुरिंदे० चमरचंचाए रायहाणीए जाब विहरित्तए ?, अज्जो ! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररनो चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुह| म्माए माणवए चेइयखंभे वइरामएमु गोलबट्टसमुग्गएसु बहुइओ जिणसकहाओ संनिक्खित्ताओ चिट्ठति, जाओ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररमो अन्नेसि च बहूणं असुर
कुमाराणं देवाण य देवीण य अचणिजाओ वंदणिजाओ नमंसणिजाओ पूणिजाओ सकारणिजाओ सम्माणणिज्जाओ कडाणं मंगलं देवयं चेइयं पजुवासणिजाओ भवंति (६६) २६४ श्रीभगवत्यंगं - ant- १०
मुनि दीपरनसागर

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