Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 81
________________ PSIRNOKASHIRNSPIRHISHIRNAYICAASPIRISPERMIRBPSMSPRINSPIRATIPRARSPEAKE सेजापरीसह वेदेति समयं सेनापरीसहं वेदेइ णो समयं चरियापरीसहं वेदेइ, एकबिहबंधगस्स णं भंते ! वीयरागच्छउमत्थस्स कति परीसहा पं०१, गोयमा! एवं चेव जहेव छव्विहबंधगस्स, एगविहबंधगस्स णं मंते! सजोगिभवत्यकेवलिस्स कति परीसहा पं०१, गोयमा! एक्कारस परीसहा पं०, नव पुण बेदेइ, सेसं जहा छबिहबंधगस्स, अबंधगस्स णं भंते! अजोगिभवत्यकेवलिस्स कति परीसहा पं० १; गोयमा ! एक्कारस परीसहा पं०, नव पुण बेदेइ, समय सीयपरीसह वेदेति नो समयं उसिणपरीसहं वेदेइ जंसमयं उसिणपरीसहं वेदेति नो समयं सीयपरीसहं वेदेइ, समयं चरियापरीसहं वेदेड नो तंसमयं सेजापरीसहं वेदेति जंसमयं सेज्जापरीसहं वेदेड नो समयं चरियापरीसह वेदेह । ३४२। जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उम्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति मतियमुहुर्ससि मूले य दूरे य दीसंति अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसति ?. हंता गोयमा! जंबुद्दीवेणं दीये सूरिया | उग्गमणमुत्तसि दूरे य तं चेव जाव अस्थमणमुत्तसि दूरे य मूले य दीसंति, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीये सरिया उग्गामणमूहतंसि मज्झतियमसि य अत्यमणमुत्तसि य सम्वत्य समा उच्चत्तेणं?. हंता गोयमा! जंबुद्दीवेणं दीचे सूरिया उग्गमण जाव उच्चत्तेणं, जइ णं मंते! जंबुद्दीवे० सूरिया उग्गमणमुहुतंसि य मातिय अत्थमणमुत्तसि य मूले जाव उच्चत्तेणं से केणं खाइ अद्वेणं भंते ! एवं यमइ जंबुद्दीवेणं दीवे सरिया उम्गमणमहत्तंसि दुरेय मुले यदीसंति जाव अस्थमणमहत्तंसि दुरेय मूले य दीसंति?, गोयमा लेसापडिघाएणं उग्गमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसंति लेसाभितावेणं ममंतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति लेस्सापडिघाएणं अत्थमणमुहुतंसि दूरे य मूले य दीसंति, से तेणद्वेणं गोयमा! एवं बुचइजंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उम्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसन्ति जाव अत्थमण जाच दीसंति, जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मुरिया किं तीयं खेत्तं गच्छंति पटुप्पन्नं खेत्तं गच्छंति अणागयं खेत्तं गच्छंति ?. गोयमा ! णो तीयं खेत्तं गच्छंति पटुप्पन्नं खेत्तं गच्छंति णो अणागयं खेत्तं गच्छति, जंबुद्दीवे णं दीये सरिया किं तीयं खेत्तं ओभासंति पड़प्पन्न खेतं ओभासंति अणागयं खेत्तं ओभासंति , गोयमा! नो तीयं खेतं ओभासंति पटुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति नो अणागयं खेत्तं ओभासंति, तं भंते! किं पुढे ओभासंति अपुढे ओभासंति?, गोयमा! पुटुं ओभासंति नो अपुढे ओभासंति जाब नियमा छहिसि, जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं उज्जोति०? एवं चेव जाव नियमा छदिसि, एवं तति एवं भासंति जाब नियमा उहिसि, जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे सूरियाणं किं तीए खेत्ते किरिया कजइ पटुप्पन्ने खेत्ते किरिया कजइ अणागए खेत्ते किरिया कजइ ?, गोयमा ! नो तीए खेत्ते किरिया कजइ पटुप्पन्ने खेते किरिया कज्जइ णो अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ, सा भंते ! किं पुट्ठा कजति अपुट्टा कजइ ?, गोयमा ! पुट्टा कजइ नो अपुट्ठा कजति जाव नियमा छदिसि, जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया केवतियं खेत्तं उदं तवंति केवतियं खेनं अहे तबंति केवतियं खेत्तं तिरियं तवंति ?, गोयमा ! एगं जोयणसयं उड्ढे तवंति अट्ठारस जोयणसयाई अहे तवंति सीयालीसं जोयणसहस्साई दोन्नि तेवढे जोयणसए एकवीसं च सट्टियाए जोयणस्स तिरियं तवंति, अंतो णं भंते ! माणुसुत्तरस्स पब्वयस्स जे चंदिमसरियगहगणणक्खत्ततारारूवा ते णं भंते! देवा कि उड्ढोववनगा जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं जाव उकोसेणं छम्मासा, बहिया णं भंते ! माणुसुत्तरस्स जहा जीवाभिगमे जाव इंदट्टाणे णं भंते! केवतियं कालं उबवाएणं विरहिए पं०?, गोयमा ! जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं छम्मासा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ॥३४३ ॥ श०८ उ०८॥ कइविहे गं भंते ! बंधे पं०?, गोयमा! दुविहे चंधे पं० तं०पयोगबंधे य पीससाचंधे य।३४४ा वीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पं०?, गोयमा! दुविहे पं० त०-साइयवीससाबंधे य अणाइयवीससाबंधे य, अणाइयवीससावंधे गं भंते! कतिविहे पं०, गोयमा ! तिविहे पं०२०-धम्मत्यिकायअन्नमन्त्रअणादीयवीससाचंधे अधम्मस्थिकायअन्नमन्त्रणा यअन्नमन्नअणादीयवीससाबंधे णं भंते ! किं देसपंधे सय्यबंधे ?, गोयमा ! देसबंधे नो सव्वबंधे, एवं अधम्मत्थिकायअन्नमन्नअणादीयवीससाचंधेऽवि, एवमागासत्यिकायअन्नमन्न. अणादीयवीससाबंधे, धम्मत्यिकायअन्नमन्नअणाइयवीससाबंधे णं भंते ! कालओ केवचिरं होइ?, गोयमा ! सव्वदं, एवं अधम्मस्थिकाए, एवं आगासस्थिकाये, सादीयवीससाबंधे यणपचडए परिणामपचहए, से किं तं बंधणपचहए?.२ जन्नं परमाणपग्गला दुपएसिया तिपएसिया जाब दसपएसिया संखेजपएसिया असंखेज्जपएसिया अणंतपएसियाणं खंधाणं वेमायनिदयाए वेमायलुक्खयाए वेमायनिदलुक्खयाए पंधणपच्चइए णं बंधे समुपज्जइ जहन्नेणं एक समयं उकोसेणं असंखेज़ कालं, सेत्तं बंधणपच्चइए, से किं तं भायणपच्चइए ?.२ जन्नं जुन्नसुराजुन्नगुलजुन्नतंदुलाणं भायणपच्चइए णं बंधे समुप्पजइ जहन्नेणं अंतोमुहुर्त उक्कोसेणं संखेनं कालं, सेत्तं भायणपच्चइए, से किं तं परिणामपच्चइए?, परिणामपच्चइए जन्न अभाणं अच्भरुक्खार्ण जहा ततीयसए जाव अमोहाणं परिणामपच्चइए णं बंधे समुप्पज्जइ जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं छम्मासा, सेत्तं परिणामपञ्चाइए, सेतं सादीयवीससाचंधे, सेत्तं वीससाचंधे।३४५। से किं तं पयोगबंधे ?, पयोगबंधे तिविहे पं० २०. २३७ श्रीभगवत्यंग मुनि दीपरत्नसागर 2534343633

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