Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 69
________________ काइयएगिदियओरालियतेयाकम्माफासिंदियपयोगपरिणया ते वन्नओ कालवन्नपरिणयावि जाव आयतसंठाणप० जे पज्जत्ता सुदुमपुढवी एवं चैव, एवं जहाणुपुब्बीए जस्स जइ सरीराणि इंदियाणि य तस्स तइ भाणियव्वा जाव जे पजत्ता सम्बट्टसिद्ध अणुत्तरोववाइयजावदेवपंचिदियवेडब्बियतेयाकम्मासोइंदियजाबफासिंदियपयोगपरि० ते बन्नओ कालवन्नपरि० जाव आययसंठाणपरिणयावि, एवं एए नव दंडगा । ३०९ । मीसापरिणया णं भंते! पोग्गला कतिविहा पं० १, गोयमा ! पंचविहा पं० तं० एगिंदियमीसापरिणया जाव पंचिदियमीसापरिणया, एगिंदियमीसापरिणया णं भंते! पोग्गला कतिविहा पं० १, गोयमा! एवं जहा पओगपरिषाएहिं नव दंडगा भणिया एवं मीसापरिणएहिवि नव दंडगा भाणियव्वा, तहेच सव्वं निरवसेसं नवरं अभिलावो मीसापरिणया भाणियच्वं सेसं तं चेव जाव जे पज्जत्ता सव्वट्टसिद्धअणुत्तर जाव आययसंठाणपरिणयावि। ३१० । वीससापरिणया जं भंते! पोग्गला कतिचिहा पं० १, गोयमा पंचविहा पं० तं० वन्नपरिणया गंधपरिणया रसपरिणया फासपरिणया संठाणपरिणया, जे वन्नपरिणया ते पंचविहा पं० तं० कालवन्नपरिणया जाब किन्नपरिणया, जे गंधपरिणया ते दुबिहा पं० तं० सुब्भिगंधपरिणयावि दुग्भिगंधपरिणयावि, एवं जहा पन्नवणापदे तहेव निरवसेसं जाव जे संठाणओ आयतसंठाणपरिणया ते बन्नओ कालवन्नपरिणयावि जाय लुक्खफासपरिणयाचि । ३११। एगे भंते! दब्बे किं पयोगपरिणए मीसापरिणए वीससापरिणए ?, गोयमा ! पयोगपरिणए वा मीसापरिणए वा वीससापरिणए वा, जइ पयोगपरिणए किं मणप्पयोगपरिणए वइप्पयोगपरिणए कायप्पयोगपरिणए ?, गोयमा ! मणप्पयोगपरिणए वा वइप्पयोगपरिणए वा कायप्पओगपरिणए वा, जइ मणप्पयोगपरिणए किं सचमणप्पओगपरिणए मोसमणप्पयोग० सच्चामोसमणप्पयो० असच्चामोसमणप्पयो० १, गोयमा ! सचमणप्पयोगपरिणए मोसमणप्पयोग० सच्चामोसमणप्प० असच्चामोसमणप्प०, जइ सचमणप्पओगप० कि आरंभसचमणप्पयो० अणारंभसचमणप्पयोगपरि सारंभसचमणप्पयोग० असारंभसक्षमण समारंभसचमणप्पयोगपरि० असमारंभसच्चमणप्पयोगपरिणए ?, गोयमा ! आरंभसच्चमणप्पओगपरिणए वा जाव असमारंभसच्चमणप्पयोगपरिणए वा, जइ मोसमणप्पयोगपरिणए कि आरं भमोसमणप्पयोगपरिणए वा० ? एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेणवि, एवं सथामोसमणप्पओगपरिणएणवि, एवं असच्चामोसमणप्पयोगेणवि, जइ वइप्पयोगपरिणए किं सचवइप्पयोगपरिणए मोसवयप्पयोगपरिणए० १, एवं जहा मणप्पयोगपरिणए वहा वयप्पयोगपरिणएऽवि जाव असमारंभवयप्पयोगपरिणए वा, जइ कायप्पयोगपरिणए कि ओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणए ओरालियमीसासरीरकायप्पयो० वेउब्वियसरीरकायप्प० बेउब्वियमीसासरीरकायप्पयोगपरिणए आहारगसरीरकायप्पओगपरिणए आहारगमीसासरीरकायप्पयोगपरिणए कम्मासरीरकायप्पओगपरिणए ?, गोयमा ! ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा जाव कम्मासरीरकायप्पओगपरिणए वा जह ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं एगिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए एवं जाव पंचिदियओरालियजावपरि० ?, गोयमा एगिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा बेंदियजावपरिणए वा० पंचिदियजावपरिणए वा, जइ एगिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं पुढवीकाइयएगिंदियजावपरिणए जाव वणस्सइकाइयएगिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा १, गोयमा ! पुढविकाइयएर्गिदियजावपयोगपरिणए वा जाब वणस्सइकाइयएगिंदियजावपरिणए वा, जइ पुढवीकाइयएगिदियओरालियसरीरजावपरिणए किं सुदुमपुढवीकाइयजावपरिणए बायरपुढविकाइयएगिंदियजावपरिणए ?, गोयमा ! सुहुमपुढचिकाइयएगिंदियजावपरिणए वायरपुढविकाइयजावपरिणए, जइ सुदुमपुढवीकाइयजावपरिणए किं पजत्तसुहुमपुढवीजावपरिणए अपज्जत्तसहुमपुढवी जावपरिणए ?, गोयमा पज्जत्तसुडुमपुढवीकाइयजावपरिणए वा अपजत्तदुमपुढचीकाइयजावपरिणए वा एवं बादरावि, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं चउकजो भेदो, बेइंदियतेइंदियचउरिंदियाणं दुयओ भेदो पज्जत्तगा य अपजत्तगा य, जइ पंचिंदियओरालिय सरीरकायप्पओगपरिणए किं तिरिक्खजोणियपंचिंदिय ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए मणुस्सपंचिंदियजावपरिणए ?, गोयमा तिरिक्खजोणियजावपरिणए वा मणुस्वपंचिंदियजावपरिणए वा, जइ तिरिक्खजोणियजावपरिणए किं जलचरतिरिक्खजोणियजावपरिणए वा थलचर सहचरः एवं चउकओ भेदो जाव खहचराणं, जइ मणुस्सपंचिंदियजावपरिणए किं संमुच्छिममणस्तपंचिंदियजावपरिणए गब्भवकंतियमणुस्सजावपरिणए ?, गोयमा ! दोसुवि, जइ गग्भवकंतियमणुस्सजावपरिणए किं पजत्तगन्भवकंतियजावपरिणए अपजत्तगन्भवकंतियमणुस्सपंचिदियओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणए ?, गोयमा ! पजत्तगम्भवकंतियजावपरिणए वा अपजत्तगन्भवकंतियजावपरिणए वा, जइ ओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए किं एगिंदियओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए बेइंदियजावपरिणए जाव पंचेंदियओरालियजावपरिणए १, गोयमा ! एगिंदियओरालिय० एवं जहा ओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणए आलावगो भ जिओ तहा ओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणएऽवि आलावगो भाणियम्वो, नवरं वायरवाउकाइयगन्भवकंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियगम्भवकंतियमणुस्साणं, एएसि णं प २२५ श्रीभगवत्यं सते. मुनि दीपरत्नसागर -

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