Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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दोण्हं पुरिसाणं कयरे २ पुरिसे महाकम्मतराए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महावेयणतराए चेव ? कयरे वा पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव?, जे से पुरिसे अगणिकार्य उज्जालेइ जे वा से पुरिसे अगणिकायं निब्वावेति?, कालोदाई! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकार्य उज्जालेड से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव जाव महावयण - तराए चेव, तस्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्यावेइ से णं पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव जाच अप्पवेयणतराए चेव, से केणद्वेणं भंते! एवं पुचइ-तत्थ णं जे से पुरिसे जाव अप्पवेयणतराए चेव ?, कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेड से णं पुरिसे बहुतरागं पुढवीकार्य समारंभति बहुतरागं आउकायं समारंभति अप्पतरायं तेऊकार्य समारंभति बहुतरागं वाऊकायं समारंभति बहुतरायं वणस्सइकार्य समारंभति बहुतरागं तसकायं समारंभति, तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेति से णं पुरिसे अप्पतरायं पुढविकायं समा. रंभइ अप्पतरागं आउक्कायं समारंभइ बहुतरागं तेउक्कायं समारंभति अप्पतरागं वाउकार्य समारंभइ अप्पतरागं वणस्सइकायं समारंभइ अप्पतरागं तसकायं समारंभति से तेणटेणं कालोदाई ! जाच अप्पवेयणतराए चेव।३०६ । अस्थि णं भंते ! अचित्तावि पोग्गला ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पभासेंति?, हंता अस्थि, कयरेणं भंते! अचित्तावि पोग्गला ओभासंति जाब पभासेंति, कालोदाई ! कुद्धस्स अणगारस्स तेयलेस्सा निसट्टा समाणी दूरंगता दूरं निपतइ देसं गंता देसं निपतइ जहिं जहिं च णं सा निपतइ सहि तहिं च णं वे अचित्ताविर पोग्गला ओभासंति जाव पभासंति, एएणं कालोदाई ! ते अचित्तावि पोग्गला ओभासंति जाव पभासेंति, तए णं से कालोदाई अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसति त्ता बहूहिं चउत्यछट्ठट्ठम जाव अप्पाणं भावेमाणे जहा पढमसए कालासवेसियपुत्ते जाच सव्वदुक्खप्पहीणे । सेवं भंते ! सेवं भंते!त्ति ।३०७॥ उ०१० इति सप्तमं शतकं ॥ ज मा 'पोग्गल १ आसीविस २ रुक्ख ३ किरिय ४ आजीव ५ फासुग ६ मदते । पडिणीय ८बंध ९ आराहणा १० य दस अट्ठमंमि सए॥५७॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-कइविहा णं भंते! पोग्गला पं०?, गोयमा ! तिविहा पोग्गला पं० सं०-पओगपरिणया मीससापरिणया वीससापरिणया।३०८। पओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पं०१, गोयमा! पंचविहा पं० तं-एगिदियपओगपरिणया इंदियपओगपरिणया जाव पंचिंदियपओगपरिणया, एगिदियपओगपरिणया णं भंते! पोग्गला कइबिहा पं०१, गोयमा! पंचविहा पं० २०. पुढविक्काइयएगिदियपयोगपरिणया जाव वणस्सइकाइयएगिदियपयोगपरिणया, पुढवीकाइयएगिदियपओगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पं०१. गोयमा ! दुविहा पं० त०सुहुमपुढविकाइयएगिदियपओगपरिणया बादरपुढवीकाइयएगिदियपयोगपरिणया, आउक्काइयएगिदियपओगपरिणया एवं चेव, एवं दुपयओ भेदो जाच वणस्सइकाइयाणं, वेइंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा ! अणेगविहा पं० त०- एवं वेईदियचउरिदियपओगपरिणयावि, पंचिंदियपयोगपरिणयाण पुच्छा, गोयमा ! चउब्विहा पं० त०- नेरइयपंचिंदियपयोगपरिणया तिरिक्ख० एवं मणुस्स० देवपंचिंदिय०, नेरदयपंचिंदियपओग० पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहा पं० सं०-रयणप्पभापुढपीनेरइयपयोगपरिणयावि जाव अहेसत्तमपुढवीनेरइयपंचिंदियपयोगपरिणयावि, तिरिक्खजोणियपंचिंदियपओगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा ! तिविहा पं० तं०-जलचरपंचिंदियतिरिक्खजोणिय थलचरपंचिंदियतिरिक्खजोणिय खह. चरपंचिंदियतिरिक्ख०, जलयरतिरिक्खजोणियपओगपुच्छा, गोयमा! दुविहा पं० तं०-समुच्छिमजलयर० गब्भवतियजलयर०, थलयरतिरिक्व० पुच्छा, गोयमा! दुविहा पं० तं०-चउप्पयथलयर० परिसप्पथलयर०, चउप्पयथलयर० पुच्छा, गोयमा! दुविहा पं०तं०-संमुच्छिमचउप्पयथलयर० गम्भवकवियचउप्पयथलयर०, एवं एएणं अभिलावेणं परिसप्पा दुविहा पं० तं०- उरपरिसप्पा य भयपरिसप्पा य, उरपरिसप्पा दबिहा पं०२०-संमच्छा य गम्भवतिया गोयमा! दुविहा पं० २०-समुच्छिमणुस्स० गम्भवतियमणुस्स०, देवपंचिंदियपयोगपुच्छा, गोयमा ! चउव्विहा पं० तं०-भवणवासिदेवपंचिंदियपयोग एवं जाव वेमाणिया, भवणवासिदेवपंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! दसविहा पं० त० असुरकुमारा जाव थणियकुमारा, एवं एएणं अभिलावेणं अट्टविहा वाणमंतरा पिसाया जाव गंधब्बा, जोइसिया पंचविहा तं०चंदविमाणजोतिसिय० जाव ताराविमाणजोतिसियदेव०, वेमाणिया दुविहा पं०२०- कप्पोववनग० कप्पातीतगवेमाणिय०, कप्पोवगा दुवालसबिहा पं० २०-सोहम्मकप्पोवग० जाव अचुपकप्पोचगवेमाणिया, कप्पावीत. दुविहा पं० २०-गेवेजकप्पातीतवे० अणुत्तरोक्वाइयकप्पातीतवे०,गेवजकप्पातीतमा नवविहा पं० ते-देविमरवेजकप्पातीतग० जाय उपरिमरंगेविजगकप्पातीय०, अणुत्तरोषवाइयकप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिंदियपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पं०१, गोयमा! पंचविहा पं० तं०-विजयअणुत्तरोववाइयजाबपरिणया जावं सव्वदृसिद्धअणुत्तरोववाइयदेवपंचिंदियजावपरिणया। सुहुमपुढवीकाइयएगिदियपयोगपरिणया णं भंते! पोग्गला कइविहा पं०१, गोयमा दुविदा पं०, केई अपजत्तगं पढम भणंति पच्छा पजत्तगं, पज्जत्तगसुहुमपुढबीकाइयजावपरिणया य अपज्जत्तसुहुमपुढवीकाइयजावपरिणया य, बादरपुढवीकाइयएगिदिया जाव वणस्सइकाइया, एकेका २२३ श्रीभगवत्यंग -सत
मुनि दीपरत्नसागर
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