Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 55
________________ जोयणं आयामविक्खंभेणं जोयणं उड्ढंउच्चत्तेणं तं तिउणं सविसेसं परिरएणं से णं एगाहियबेयाहियतेयाहिय उक्कोसं सत्तरत्तप्परूढाणं संमढे संनिचिए भरिए वालग्गकोडीणं, से गं वालम्गे नो अग्गी दहेजा नो वाऊ हरेजा नो कुत्थेजा नो परिविद्धंसेजा नो पूतित्ताए हव्वमागच्छेजा, ततो णं वाससए २ एगमेगं वालग्गं अवहाय जावविएणं कालेणं से पाड़े खीणे नीरए निम्मले निहिए निवे अवहडे विसुद्धे भवति से तं पलिओवमे, 'एएसि पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया । तं सागरोवमस्स उ एकस्स भवे परीमाणं ॥ ५० ॥ एएण सागरोवमपमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा तिन्नि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमा दो सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमदूसमा एगा सागरोवमकोडाकोडी बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दूसमसुसमा एकवीसं वाससहस्साई कालो दूसमा एकवीसं वाससहस्साई कालो दूसमदूसमा पुणरवि उस्सप्पिणीए एकवीसं वाससहस्साई कालो दूसमदूसमा एकवीसं वाससहस्साई जाव चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमसुसमा, दस सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी दससागरोवमकोडाकोडीओ कालो उस्सप्पिणी वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी य उस्सप्पिणी य । २४६ । जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे होत्था ?, गोयमा! बहुसमरमणिजे भूमिभागे होत्था, से जहानामए-आलिंगपुक्खरेति वा एवं उत्तरकुरुबत्तवया नेयब्या जाव आसयंति सयंति, तीसे णं समाए भारहे वासे तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे ओराला कुद्दाला जाव कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला जाव छब्बिहा मणुस्सा अणुसजित्था तं०पम्हगंधा मियगंधा अममा तेयतली सहा सणिचारि। सेवं भंते! सेवं भंते!।२४७॥श०६उ०७॥ करणं भंते ! पढवीओ पं०१.गोयमा ! अट्ट इसीप्पम्भारा, अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे गेहाति वा गेहावणाति वा ?, गोयमा ! णो तिणढे समढे, अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए अहे गामाति वा जाव संनिवेसाति वा ? नो तिणढे समढे, अस्थि णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढबीए अहे उराला बलाया संसेयंति संमुच्छंति वासं गसंति ?,इंता अस्थि, तिन्निवि पकरेंति देवोऽवि पकरेति | असुरोऽविप० नागोऽविप०, अस्थि णं भंते! इमीसे रयण० बादरे थणियसहे?, हंता अस्थि, तिन्निवि पकरेंति, अस्थि णं भंते! इमीसे रयण अहे बादरे पुढवीकाए बादरे अगणिकाए?, | गोयमा!नो तिणट्टे समढे, नन्नत्य विम्गहगतिसमावन्नएणं, अत्थि णं भंते ! इमीसे रयण अहे चंदिम जाव तारारूवा?, नो तिणट्टे समढे! अस्थि णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए | चंदाभाति वा०?, णो इणढे समढे, एवं दोच्चाएऽवि पुढवीए भाणियव्वं, एवं तच्चाएऽविभाणियब, नवरं देवोऽवि पकरेति असुरोऽवि पकरेति णो णागो पकरेति, चउत्थाएऽवि एवं नवरं देवो एको पकरेति नो असुरो० नो नागो पकरेति, एवं हेडिल्लासु सव्वासु देवो एको पकरेति, अस्थि णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं अहे गेहाइ वा०, नो इणट्टे समढे अस्थि णं भंते ! उराला बलाहया०, इंता अस्थि, देवो पकरेति असुरोऽवि पकरेइ नो नाओ पकरेइ, एवं यणियसदेऽधि, अस्थि णं भंते ! चायरे पुढवीकाए बादरे अगणिकाए', णो इणट्टे समढे, नण्णत्व विग्गहगतिसमावन्नएणं, अस्थि णं भंते ! चंदिम, णो तिणढे समझे ! अस्थि णं भंते! चंदाभाति वा०, गोयमा! णो तिणढे समट्टे ! एवं सणंकुमारमाहिदेसु, नवरं देवो एगो पकरेति, एवं भलोएऽवि, एवं बंभलोगस्स उवरिं सबहिं देवो पकरेति, पुच्छियब्बो य बायरे आउकाए बायरे अगणिकाए बायरे वणस्सइकाए अन्नं तं चेव, 'तमुकाए कप्पपणए अगणी पुढवी य अगणि पुढवीसु। आऊतेउवणस्सइ कप्पुवरिमकण्हराईसु ॥५१॥२४८। कतिविहे णं भंते ! आउयबंधए पं०?, गोयमा ! छब्बिहा आउयचंधा पं० २०जातिनामनिहत्ताउए गतिनामनिहत्ताउए ठितिनामनिहत्ताउए ओगाहणानामनिहत्ताउए पएसनामनिहत्ताउए अणुभागनामनिहत्ताउए दंडओ जाव वेमाणियाणं, जीवा णं भंते ! किंजाइनामनिहत्ता जाव अणुभागनामनिहत्ता,गोयमा! जातिनामनिहत्ताविजाव अणुभागनामनिहत्तावि दंडओ जाव वेमाणियाणं,जीवा णं भंते! किंजाइनामनिहत्ताउया जाव अणुभागनामनिहत्ताउया ?, गोयमा ! जाइनामनिहत्ताउयावि जाव अणुभागनामनिहत्चाउयावि, दंडओ जाव बेमाणियाणं, एवं एए दुवालस दंडगा भाणियब्वा, जीवा णं भंते! किं जातिनामनिहत्ता जाइनामनिहत्ताउया० जीवा गं भंते ! किं जातिनामनिहत्ता जातिनामनिहत्ताउया जाइनामनिउत्ता जातिनामनिउत्ताउया जाइगोयनिहत्ता-जाइगोयनिहत्ताउया जातिगोयनिउत्ता जाइगोयनिउत्ताउया जाइणामगोयनिहत्ता जाइणामगोयनिहत्ताउया जाइणामगोयनिउत्ता०, जीवा णं भंते! किं जाइनामगोयनिउत्ताउया जाव अणुभागनामगोयनिउत्ताउया ?, गोयमा ! जाइनामगोयनिउत्ताउयावि जाव अणुभागनामगोयनिउत्ताउयावि दंडओ जाब वेमाणियाणं । २४९। लवणे णं भंते! समुद्दे कि उस्सिओदए पत्थडोदए खुभियजले अभियजले ?, गोयमा! लवणे णं समुद्दे उसिओदए नो पत्थडोदए सुभियजले नो अभियजले एत्तो आदत्तं जहा जीवाभिगमे जाव से तेण गोयमा! बाहिरया णं दीवसमुद्दा पुन्ना पुन्नप्पमाणा बोलबमाणा वोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठति संठाणओ एगविहिविहाणा वित्थारओ अणेगविहिविहाणा दुगुणाद्गुणप्पमाणओ जाव अस्सि तिरिय२११ श्रीभगवत्यंग-सात मुनि दीपरत्नसागर

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