Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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नामए केइ पुरिसे असिचम्मपायं गहाय गच्छेजा एवामेव अणगारेऽवि भावियप्पा असिचम्मपायहत्यकिञ्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढे वेहासं उप्पइज्जा ?, हंता उप्पइजा, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू असिचम्मपायहत्यकिच्चगयाई रुवाई विउवित्तए?, गोयमा ! से जहानामए-जुवति जुवाणे हत्येणं हत्थे गेण्हेज्जा तं चेव जाब विउब्बिसु वा०, से जहानामए केइ पुरिसे एगओपडार्ग काउं गच्छेजा एवामेव अणगारेऽवि भावियप्पा एगओपडागहत्थकिचगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा?, हंता गोयमा! उप्पएजा, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू एगओपडागाहत्यकिञ्चगयाई रूबाई विकुवित्तए ? एवं चेव जाव विकुब्बिसु वा०, एवं दुहओपडागंपि, से जहानामए केइ पुरिसे एगओजंनोवइतं काउं गच्छेजा एवामेव अण०भा० एगओजण्णोवइयकिचगएणं अप्पाणेणं उड्ढे वेहासं उप्पएजा?, हंता उप्पएज्जा, अणगारेणं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पम् एगओजण्णोवाइयकिचगयाई रुवाई विकुवित्तए तै चेव जाव विकुब्बिसु वा ०, एवं दुहओजण्णोवइयंपि, से जहानामए-केइ पुरिसे एगओ पल्हत्थियं काउं चिद्वेज्जा एवामेव अणगारेऽवि भावियप्पा एवं चेव जाब विकुबिसु वा०, एवं दुहओ पल्हत्थियंपि, से जहाणामए केइ पुरिसे एगतो पलितके काउं चिट्ठज्जातं चेव जाव विकुविसु वा०, एवं दुहओपलियंकंपि, अणगारे णं भंते! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एग महं आसरूवं वा हस्थिरुवं वा सीहरुवं वा बग्घक्गदीवियअच्छतरच्छपरासररूवं था सियालबिरालसुणगकालसुणगकोकांतियाससगचित्तगचिङलग अण्णतरं वा तसं पाणं अभिजित्तए', णो तिणढे समढे, अणगारे णं एवं बाहिरए पोग्गले परियादित्ता पभू, अणगारे णं भंते ! भा० एगं महं आसरुवं वा हत्थिरूवं वा अभिजुंजित्ता अणेगाई जोयणाई गमित्तए?, हंता पभू, से भंते ! कि आयड्ढीए गच्छति परिड्ढीए गच्छति?, गोयमा! आइड्ढीए गच्छइ नो परिडीए, एवं आयकम्मुणा नो परकम्मुणा आयप्पओगेणं नो परप्पओगेणं उस्सिओदयं वा गच्छइ पयोदगं वा गच्छइ. से णं भंते! किं अणगारे? आसे ?, गोयमा! अणगारे णं से, नो खलु से आसे, एवं जाव परासररूवं वा, से भंते! किं मायी विकुब्बति अमायी विकुव्वति?, गोयमा ! मायी विकुब्वति नो अमायी विकुव्वति, माई णं भंते ! तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकते कालं करेइ कहिं उववजति , गोयमा ! अन्नयरेसु आभियोगेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववज्जइ, अमाई णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिकंते कालं करेइ कहिं उववज्जति?, गोयमा ! अन्नयरेसु अणाभिओगेसु देवलोगेसु देवत्ताए उबवज्जइ, सेवं भंते२त्ति, 'इत्थी असी पढागा जण्णोवइए य होइ बोब्वे। पल्हत्थिय पलियंके अभिओगि विकुछणा माई॥२६॥१६०॥ श०३ उ० ५॥ अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छट्ठिी वीरियलद्धीए वेउब्वियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए वाणारसिं नगरि समोहए समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूयाई जाणति पासति ?, हंता जाणह पासइ, से भंते ! किं तहाभावं जाण पा० अन्नहाभावं जा० पा०?, गोयमा ! णो तहाभावं जाण पा० अण्णहाभावं जा पा०. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ नो तहाभावं जा. पा० अन्नहाभावं जाण पा०?, गोयमा! तस्स णं एवं भवति-एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहए समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूबाई जाणामि पासामि, से से दसणे विवचासे भवति, से तेणतुणं जाव पासति, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्टी जाव रायगिहे नगरे समोहए समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाई जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, तं चेव जाव तस्स णं एवं होइ-एवं खलु अहं वाणारसीए नगरीए समोहए त्ता रायगिहे णगरे रूवाई जाणामि पासामि, से से दंसणे विवच्चासे भवति, से तेणटेणं जाव अन्नहाभावं जाणइ पासइ, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्ठी वीरियलदीए वेउब्वियलद्धीए विभंगणाणलद्दीए वाणारसिं नगरिं रायगिहं च नगरं अंतरा एर्ग महंजणवयवग्गं समोहए त्ता वाणारसि नगरि रायगिहं च नगरं अंतरा एगं महं जणवयवम्गं जा०पा०?, हंता जाणति पासति, से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ अजहाभाव जाणइ पा०?, गोयमा ! णो, तहाभावं जाणति पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ, से केणटेणं जाव पासइ ?, गोयमा ! तस्स खलु एवं भवति एसा खलु वाणारसी नगरी एस खलु रायगिहे नगरे एस खलु अंतरा एगे महं जणवयवग्गे नो खलु एस महं वीरियलदी वेउब्बियलद्धी विभंगनाणलही इड्ढी जुत्ती जसे वले वीरिए पुरिसकारपरकमे लढे पत्ते अभिसमण्णागए, से से दंसणे विवञ्चासे भवति, से तेणद्वेणं जाव पासति । १६१। अणगारे णं भंते ! भावियप्पा अमाई सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए बेउब्बियलडीए ओहिनाणलद्वीए रायगिहे नगरे समोहए ता वाणारसीए नगरीए रूबाइं जाणइ पासइ ?, हंता०, से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ अण्णहाभावं जाणति पासति ?, गोयमा! तहाभाव जाणति पासति नो अनहाभाव जाणति पासति, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ , गोयमा ! तस्स णं एवं भवति-एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहए समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाई जाणामि पासामि, से से दंसणे अविवच्चासे भवति, से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुचति०, बीओ आलावगो एवं चेव नवरं वाणारसीए नगरीए समोहणा नेयव्वा रायगिहे नगरे रूवाई जाणइ पासइ, अणगारे णं भंते! भावियप्पा अमाई सम्मदिट्ठी बीरियलबीए वेउब्बियलडीए ओहिनाणलदीए रायगिहं नगरं वाणारसिं नगरिं च अंतरा एग महं जणवयवगं समोहए त्ता रायगिहं नगरं वाणारसिं च नगरि अंतरा एगं १९१ श्रीभगवत्यंग-का-३
मुनि दीपरनसागर
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2 18243984430SALARAKONKBARABAR

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