Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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जाब सुहत्ताए नो दुक्खत्ताए भुज्जो २ परिणमंति ?, हंता गोयमा जात्र परिणमंति, से केणद्वेणं० १, गोयमा से जद्दानामए वत्थस्स जहियस्स वा मइलियस्स वा रइलियम्स वा आणुपुब्बीए परिकम्मिमाणस्स सुद्देणं वारिणा धोवेमाणस्स सव्वतो पोग्गला भिवंति जात्र परिणमंति से तेणट्टेणं० । २३२ । वत्थस्स णं भंते! पोम्गलोवचए किं पयोगसा वीससा ?. गोयमा ! ओगसावि वीससावि, जद्दा णं भंते! वत्थम्स णं पोग्गलोक्चए पओगसावि वीससावि तहा णं जीवाणं कम्मोवचए किं पओगसा वीससा ? गोयमा! पओगसा नो बीससा, सेकेण्डु ? गोयमा ! जीवाणं तिविहे पओगे पं० तं मणप्पओगे वइ० का० इचेतेणं तिविहेणं पओगेणं जीवाणं कम्मोवचए पओगसा नो वीससा. एवं सव्वेसि पंचेंद्रियाणं निविद्दे पओगे भाणियध्ये, पुढवीकाइयाणं एगविदेणं पओगेणं एवं जाव वणस्सइकाइयाणं, विगलिंदियाणं दुबिहे पओगे पं० तं० वइपओगे य कायप्पओगे य. इवेतेणं दुविहेणं पओगेण कम्मोचचए पओगसा नो वीससा. से एएण्डेणं जाव नो बीससा, एवं जस्स जो पओगो जाव वैमाणियाणं । २३३ । बन्धस्स णं भंते! पोग्गलोवचए किं सादीए सपज्जबसिए सादीए अपज्जवसिते अणादीए सपज्ज० अणाः अप० १, गोयमा ! वत्थस्स णं पोग्गलोवचए सादीए सफज्जवसिए नो सादीए अप० नो अणा० स० नो अणा० अप०. जहा णं भंते वन्धस्स पोग्गलोचचए सादीए सपज्ज० नो सादीए अप० नो अणाः सप० नो अणा० अप० तहा णं जीवाणं कम्मोवचए पुच्छा, गोयमा! अत्थेगतियाणं जीवाणं कम्मोवचए सादीए सपज्जबसिए अत्थे० अणादीए सपज्जबसिए अत्थे० अणादीए अपज्जबसिए नो चेव णं जीवाणं कम्मोवचए सादीए अप०. से केण० १. गोयमा ! ईरियावहियाबंधयस्स कम्मोवचए सादीए सपः भवसिद्धियस्स कम्मोचचए अणादीए सपज्जवसिए अभवसिद्धियस्स कम्मोवचए अणादीए अपज्जबसिए से तेणट्टेणं गोयमा! एवं वुञ्चति अत्थे० जीवाणं कम्मोच सादीए सप० अणा० स० अणा० अप० नो चेव णं सादीए अपज्जवसिए, वत्थे णं भंते! किं सादीए सपज्जवसिए चडभंगो ?, गोयमा ! वत्थे सादीए सपज्जवसिए अवसेसा तिनिवि पडिसेहेयव्वा, जहा णं भंते! वत्थे सादीए सपज्जवसिए नो सादीए अपज्ज० नो अणादीए सप० नो अनादीए अपज्जबसिए वहा णं जीवाणं किं सादीया सपज्जवसिया ? चउभंगो पुच्छा. गोयमा ! अत्येतिया सादीया सपज्जबसिया चत्तारिवि भाणियच्चा, से केणट्टेणं० १, गोयमा ! नेरतिया तिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा गतिरागतिं पडुश्च सादीया सपज्जवसिया सिद्धा गर्दि पडुच्च सादीया अपज्जबसिया, भवसिद्धिया लद्धिं पहुंच अणादीया सपज्जवसिया अभवसिद्धिया संसारं पहुंच अणादीया अपज्जवसिया. से तेणट्टेणं० । २३४ । कति णं भंते! कम्मप्पगडीओ पं० १. गोयमा अट्ठ कम्मप्पगडीओ पं० तं० णाणावरणिजं दरिसणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, नाणावरणिजस्स णं भंते! कम्मस्स केवतियं कालं बंघठिती पं० १. गोयमा ! जह० अंतोमुद्दत्तं उको तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ तिनि य वाससहस्साई अत्राहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेओ, एवं दरिसणावरणिज्जंपि, वेदणिज्जं जह० दो समया उक्को० जहा नाणावरणिजं, मोहणिज्जं जह० • अंतोमुडुत्तं उक्को० सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ, सत्त य वाससहस्वाणि अबाधा, अवाहणिया कम्मठिई कम्मनिसेगो. आउगं जहनेणं अंतोमुत्तं उक्को० तेत्तीस सागरोवमाणि पुत्रकोडितिभागमन्महियाणि, कम्मट्टितीकम्मनिसेओ. नामगोयाणं जह० अट्ट मुहत्ता उक्को० वीसं सागरोत्रमकोडाकोडीओ दोण्णि यवाससहस्साणि अवाहा, अबाहूनिया कम्मट्टिती कम्मनिसेओ. अंतरातियं जहा नाणावरणिज्जं । २३५ । नाणावरणिज्जं णं भंते! कम्मं किं इत्थी बंधइ पुरिसो बंध नपुंस बंध गोइत्थीनोपुरिसोनोनपुंसओ बंधइ ?, गोयमा! इत्थीवि बंधइ पुरिसोऽवि बंधइ नपुंसओऽवि बंधइ नोइत्थीनोपुरिसोनोनपुंसओ सिय बंधइ सिय नो बंधइ. एवं आउवज्जाओ सन कम्प्पगडीओ, आउगं णं भंते! कम्मं किं इत्थी बंधइ पुरिसो बंधइ नपुंसओ बंधइ०१, पुच्छा, गोयमा ! इत्थी सिय बंघइ सिय नो बंधइ, एवं तिनिवि भाणियव्वा. नोइत्थीनोपुरिमो नोनपुंसओ न बंध, णाणावरणिजं णं भंते! कम्मं किं संजए बंध असंजए. संजयासंजए बंधह नोसंजयनोअसंजयनोसंजया संजए बंधति ?, गोयमा ! संजए सिय बंधनि सिय नो बंधति असंजए बंधइ संजयासंजएऽवि बंधइ नोसंजएनोअसंजयनोसंजयासंजए न बंधति, एवं आउगबजाओ सन्तवि. आउगं हेडिला तिन्नि भयणाए उवरि ण ध णाणावरणिज्जं णं भंते! कम्मं किं सम्मदिट्ठी बंधइ मिच्छदिट्टी बंधइ सम्मामिच्छदिट्टी बंधइ १, गोयमा ! सम्मदिट्टी सिय नो बंधइ सिय बंधइ मिच्छदिट्टी बंधइ सम्मामिच्छविट्टी बंध. एवं आउगवज्जाओ सत्तवि, आऊए हेडिल्ला दो भयणाए सम्मामिच्छदिट्ठी न बंधइ, णाणावरणिज्यं किं सण्णी बंधइ असनी बंधइ नोसण्णीनोअसण्णी बंधइ ? गोयमा ! सभी मिय बंध सिय नो बंध असन्नी बंधह नोसनीनोअसनी न बंधइ. एवं वेदणिज्जाउगवज्जाओ छ कम्मप्पगडीओ, वेदणिजं हडिडा दो बंधंति, उचसिडे भयणाए. आउगं हेलिला दां भयणाए, उबरिलो न बंधइ, णाणावरणिजं कम्मं किं भवसिद्धीए बंधइ अभवसिद्धीए बंधह नोभवसिद्धीएनोअभवसिद्धीए बंधति ?, गोयमा भवसिद्धीए भयणाए अभवसिद्धीए बंघति नाभवसिद्धीएनोअभवसिद्धीए न बंधइ, एवं आउगवज्जाओ सत्तवि, आउगं देहिला दो भयणाए उबरिलो न बंधइ. णाणावरणिजं किं चक्सुदंसणी बंधति अचक्सुदंस० ओहिदंस० केव२०६ श्रीभगवत्यंग सात
मुनि दीपरत्नसागर

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