Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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| २१० । जे णं भंते! परं अलिएणं असम्भूतेणं अभक्खाणेणं अब्भक्खाति तस्स णं कहप्पगारा कम्मा कजंति ?, गोयमा ! जे णं परं अलिएणं असंतवयणेणं अन्भक्खाणेणं अन्भक्खाति तस्स णं तदप्पगारा चेव कम्मा कांति, जत्थेव २ णं अभिसमागच्छति तत्थेव २ णं पडिसंवेदेति ततो से पच्छा वेदेति । सेवं भंते! २ति । २११ ॥ श०५ उ० ६ ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते! एयति वेयति जाव तं तं भावं परिणमति ?, गोयमा सिय एयति वेयति जाव परिणमति सिय णो एयति जाव णो परिणमति, दुपदेसिए णं भंते! खंधे एयति जाव परिणमह?, गोयमा सिय एयति जाब परिणमति सिय गो एयति जाव णो परिणमति, सिय देसे एयति देसे नो एयति, तिप्पएसिए णं भंते! संधे एयति०, गोयमा सिय एयति सिय नो एयति सिय देसे एयति नो देसो एयति सिय देसे एयति नो देसा एयंति सिय देसा एवंति नो देसे एयति, चउप्पएसिए णं भंते! खंधे एयति० १, गोयमा सिय एयति सिय नो एयति सिय देते एयति णो देसे एयति सिय देसे एयति णो देसा एयंति सिय देसा एयंति नो देसे एयति सिय देखा एयंति नो देसा एयंति, जहा चउप्पदेसिओ तहा पंचपदेसिओ, तहा जाव अणतपदेसिओ २१२ । परमाणुपोग्गले णं भंते! असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेजा ?, हंता ओगाहेजा, से णं भंते! तत्थ छिज्जेज वा भिजेज वा ? गोयमा !
तिण सम, नो खलु तत्थ सत्यं कमति एवं जाव असंखेजपएसिओ, अणतपदेसिए णं भंते! खंधे असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहे जा ?, हंता ओगाहेजा, से णं तत्थ छिज्जेज वा भि जेज वा ? गोयमा! अत्थेगतिए छिज्जेज वा भिजेज वा अत्येगतिए नो छिज्जेज वा नो भिजेज वा एवं अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं तहिं गवरं शियाएजा भाणितव्वं, एवं पुक्खल संगस्स महामेहस्स मज्झमज्झेणं तहिं उहे सिया०, एवं गंगाए महानदीए पडिसोयं हव्यमागच्छेजा, तहिं विणिहायमावजेजा०. उदगावत्तं वा उदगबिंदु वा ओगाहेजा से णं तत्थ परियावज्जेज्जा० । २१३ । परमाणुपोग्गले णं भंते! किं सअड्ढे समज्झे सपएसे उदाहु अणड्ढे अमज्झे अपएसे ?, गोयमा ! अणढ्ढे अमज्झे अपएसे नो सअड्ढे नो समज्झे नो सपएसे, दुपदेसिए णं भंते! खंधे किं सअद्धे समज्झे सपदेसे उदाहु अणद्धे अमज्झे अपदेसे ? गोयमा सजदे अमज्झे सपदेसे णो अणद्धे णो समज्झे णो अपदेसे, तिपदेसिए णं भंते! खंधे पुच्छा, गोयमा! अणढे समज्झे सपदेसे नो सअदे णो अमज्झे णो अपदेसे, जहा दुपदेसिओ तहा जे समा ते भाणियब्वा, जे विसमा ते जहा तिपएसओ तहा भाणियब्वा संखेज्जपदेसिए णं भंते! खंधे किं सअड्ढे० १ पुच्छा, गोयमा सिय सअद्धे अमज्झे सपदेसे सिय अणड्ढे समज्झे सपदेसे, जहा संखेजपदेसिओ तहा असंखेज्जपदेसिओऽवि अनंतपएसओऽवि । २१४ । परमाणुपोग्गले णं भंते! परमाणुपोग्गलं कुसमाणे किं देसेणं देस फुसइ देसेणं देसे फुसइ देसेणं सव्वं कुसइ देसेहिं देसं फुसति देसेहिं देसे फुसइ देसेहिं सव्यं कुस सव्वेणं देतं फुसति सव्वेणं देसे फुसति सब्वेणं सव्वं फुसइ ?, गोयमा! णो देसेणं देस फुसइ णो देसेणं देसे फुसति णो देसेणं सव्वं कुसइ णो देसेहि देस फुसति नो देसेहिं देसे फुसइ नो देसेहिं सव्वं सति णो सच्येणं देस फुसइ णो सब्वेणं देसे फुसति सव्वेणं सव्वं फुसइ. एवं परमाणुपोग्गले दुपदेसियं कुसमाणे सत्तमणवमेहिं फुसति, परमाणुपोग्गले तिपएसियं कुममाणे णिष्पच्छिमएहिं तिर्हि फु०, जहा परमाणुपोग्गले तिपएसियं फुसाबिओ एवं फुसावेयव्वो जाव अणतपएसिओ, दुपए सिए णं अंत ! बंध परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा, ततियनवमेहिं फुसति, दुपदेसिओ दुपदेसियं फुसमाणो पढमतइयसत्तमणवमेहिं फुसइ, दुपदेसिओ तिपदेसियं फुसमाणो आदितएहि य पच्छिएहि य तिहिं कुमति, मज्झमाएदि निर्दि विपडिसेहेयव्वं, दुपदेसिओ जहा तिपदेसियं कुसावितो एवं फुसावेयब्वो जाव अणतपए सियं तिपएसिए णं भंते! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पृच्छा, ततियच्छदुणवमेहिं फुसति, तिपएसओ दुपएसियं कुसमाणो पढमएणं ततिएणं चउत्थछट्ठसत्तमणवमेहिं फुसति, तिपएसओ तिपएसियं फुसमाणो सब्वेयुवि ठाणेसु फुसति, जहा निपसिओ निपदेसिय कुमा वितो एवं तिपदेसिओ जाव अणतपएसिएणं संजोएयब्बो, जहा तिपएसिओ एवं जाव अणतपएसओ भाणियव्वो । २१५ । परमाणुपोग्गले णं भंते! कालतो केवच्चिरं होति ?, गोयमा ! जहन्त्रेणं एवं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं एवं जाव अणतपएसिओ, एगपदेसोगाडे णं भंते! पोग्गले सेए तम्मि वा ठाणे अनंमि वा ठाणे कालओ केवचिरं होइ ?. गोयमा ! जह० एवं समयं उक्को० आवलियाए असंखेजइभागं, एवं जाव असंखेज्जपदेसोगाढे, एगपदेसोगाढे णं भंते! पोग्गले निरेए कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, एवं जाव असंखेजपदेसोगाढे, एगगुणकालए णं भंते! पोसाले कालओ केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जह० एवं समयं उ० असंखेज्जं कालं, एवं जाव अनंतगुणकालए, एवं बन्नगंधरसफास० जाव अणंतगुणलुक्खे, एवं सुहुमपरिणए पोगले एवं बादरपरिणए पोस्गले, सहपरिणए णं भंत ! पुग्गले कालओ केवचिरं होड ?, गोयमा ! ज० एवं समयं उ० आवलियाए असंखेज्जइभागं, असद्दपरिणए जहा एगगुणकालए, परमाणुपोग्गलस्स णं भंते! अंतरं कालओ केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एवं समयं उकोसेणं असंखेजं कालं, दुप्पएसियस्स णं भंते! खंधस्स अंतरं कालओ केवचिरं होइ ?, गोयमा जहन्नेणं एवं समयं उकोसेणं अणतं कालं, एवं जाव अणतपएमओ, २०१ श्रीभगवत्यं सतप
मुनि दीपरत्नसागर

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