Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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A
एगपएमोगादस्स णं भंते! पोग्गलम्स सेयम्म अंतरं कालओ केवचिरं होइ ?. गोयमा! जहन्नेणं एग समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, एवं जाव असंखेजपएसोगाढस्स. एगपए सोगादस्स णं भंते ! पोग्गलस्म निरेयस्स अंतरं कालओ केवचिरं होइ ?, गोयमा! जहन्नेणं एगं ममयं उकोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं, एवं जाव असंखेजपएसोगाढे, बन्नगंधरसफाससुहुमपरिणयचायग्परिणयाणं एनेसि जचेव संचिट्टणा तं चेव अंतरंपि भाणियव्वं, सद्दपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्म अंतरं कालओ केवचिर होइ ?. गोयमा ! जहन्नेणं एग समय उक्कोसेणं असंखेज कालं, असहपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालओ केवचिरं होइ ?. गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं । २१६। एयस्स ण भंते ! दवट्ठाणाउयस्स खेतढाणाउयम्म ओगाहणट्टाणाउयस्स भावट्ठाणाउयस्स कयरे २ जाव विसेमाहिया वा?. गोयमा ! सव्वत्थोवे खेत्तट्ठाणाउए ओगाहणट्ठाणाउए असंखेजगुणे दब्बट्ठाणाउए असंखेजगणे भाषट्ठाणाउए असंखेजगुणे- खेलागाहणदव्वे भावहाणाउयं च अप्पबहुँ । खेत्ते सव्वत्थोवे सेसा ठाणा असंखेज्जा ॥३५॥२१७। नेरइया णं भंते ! किं सारंभा सपरिग्गहा उदाहु अणारंभा अपरिग्गहा?, गोयमा ! नेरइया सारंभा सपरिग्गहा नो अणारंभा णो अपरिम्गहा. से केणटेणं जाव अपरिग्गहा. गोयमा! नेस्या जे पुढवीकार्य समारंभंति जाव तसकार्य समारंभंति सरीरा परिगहिया भवंति कम्मा परिम्गहिया भवंति सचित्ताचित्तमीसयाई दव्याई परि० भ०, मे तेणटेणं तं चेव. असुरकुमारा गं भंते ! किं सारंभा०? पुच्छा, गोयमा ! असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा नो अणारंभा अप०, से केणटेणं० १. गोयमा! असुरकुमारा णं पुढवीकार्य समारंभंति जाव तसकायं समारंभति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिगहिया भवंति भवणा परि० भवंति देवा देवीओ मणुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिया तिरिक्वजोणिणीओ परिग्गहियाओ भवंति आसणसयणभंडमत्तोवगरणा परिग्गहिया भवंति सचित्ताचित्तमीसयाई व्वाई परिग्गहियाई भवंति से तेणटेणं तहेव एवं जाव धणियकुमारा, एगिदिया जहा नेरइया, बेइंदिया णं भंते ! किं सारंभा सपरिग्गहा तं चेव जाव सरीरा परिम्गहिया भवंति बाहिरिया भंडमत्तोवगरणा परि० भवंति सचित्ताचित्त० जाय भवंति, एवं जाव चाउरिदिया, पंचेदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! तं चेव जाव कम्मा परि० भवन्ति टंका कूडा सेला सिहरी पम्भारा परिगहिया भवंति जलथलचित्रगृहालेणा परिम्गहिया भवति उज्झरनिहारचिवलपाइलवप्पिणा परिग्गहिया भवति अगडतडागदहनदीओ वाविपुक्खरिणीदीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियाओ सरसरा सरसरपंतियाओ बिलाणि चिलपतियाओ परिग्गहियाओ भवंति आगमुजाणा काणणा वणाई वणसंडाई वणराईओ परिम्गहियाओ भवन्ति देवउलसभापवाथूभाखातियपरिखाओ परिग्गहियाओ भवंति पागारहालगचरियदारगोपुरा परिग्गहिया भवंति पासादघरसरणलेणआवणा परिणहिता भवंति सिंघाडगतिगचउकचचरचउम्मुहमहापहपहा परिग्गहिया भवंति सगडरद्दजाणजम्गगितिथिविसीयसंदमाणियाश्रो परिम्गहियाओ भवंति लोहीलोहकडाहकडुच्छ्या परिस्गहिया भवंति भवणा परिम्गहिया भवंति देवा देवीओ मणुस्सा मणुस्सीओ विरिक्खजोणिआ तिरिक्खजोणिणीओ आसणसयणखंभभंढसचित्ताचित्तमी
परिमगहियाई भवति से तेण?ण०, जहा तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्साऽवि भाणियच्या. वाणमंतरजोतिसवेमाणिया भवणवासी नहा नेयव्या।२१८। पंच हेऊ पं० तं. हे जाणइ हेउं पासइ हेउं बुज्झइ हेउं अभिसमागच्छति हेउं छउमत्थमरणं मरइ, पंचेव हेऊ पं० तं हे उणा जाणइ जाय हेउणा छउमत्थमरणं मरद, पंच हेऊ पं० तं० हे
गमरणं मरइ, पंच हेऊ पं० तं०-हेउणा ण जाणति जाव हेउणा मरणं मरति, पंच अहेऊ पं० नं०-अहेउं जाणइ जाव अहेर्ड केवलिमरणं मरतः पंच अहेऊ । पं०२०-अहेउणा जाणइ जाव अहे उणा केवलिमरणं मरइ, पंच अहेऊ पं० २०- अहेउं न जाणइ जाव अहेउं छउमत्थमरणं मरइ, पंच अद्देऊ पं०२०-अद्देउणा न जाणइ जाब अहेउणा छउमत्थमरणं मरइ । सेवं भंते!२त्ति। २१९ ॥ श०५ उ०७॥ तेणं कालेणं० जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं समणस्म जाव अंतेवासी नारयपुत्ते नामं अणगारे पगतिभहए जाव विहरति, तेणं कालेणं० समणस्स.जाव अंतेवासी नियंठिपुत्ते णामं अणगारे पगतिभदए जाव विहरति, तए णं से नियंठीपुत्ते अणगारे जेणामेव नाग्यपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छइत्ता नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी-सव्वपोग्गला ते अजो ! किं सअड्ढा समज्झा सपएसा उदाहु अणड्ढा अमज्झा अपएसा?, अजोति नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं वयासी-सख्खपोग्गला मे अज्जो! सअड्ढा समझा सपदेसा नो अणड्ढा अमज्झा अप्पएसा, तए णं से नियंठिपुते अणगारे नारयपुतं अ० एवं वदासी-जति णं ते अज्जो ! सब्बपोग्गला सअड्ढा समझा सपदेसा नो अणड्ढा अमज्झा अपदेसा किं दव्वादेसेणं अज्जो ! सव्यपोग्गला सअड्दा समझा सपदेसा नो अणड्ढा अमज्झा अपदेसा?, खेत्तादेसेणं अज्जो! सख्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा तहेव चेव, कालादेसेणं तं चेव, भावादेसेणं अजो! तं चेव, तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं वदासी. दब्यावेसेणवि मे अजो! सयपोग्गला सअड्दा समझा सपदेसा नो अणड्डा अमज्झा अपदेसा खेत्ताएसेणवि सव्वे पोग्गला सअड्ढा तह चेव कालादेसेणवि तं चेव भावादेसेणवि, २०२ श्रीभगवत्यंग - 1-
मुनि दीपरत्नसागर

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