Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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महं जणवयवगं जाणइ पासइ ?, हंता जा० पा०, से भंते! किं तहाभाव जाणइ पासइ ? अनहाभावं जाणइ पासइ ?, गोयमा! तहाभावं जाणइ पा० गो अण्णहा भावं जा० पा०, से केणद्वेणं० १, गोयमा ! तस्स णं एवं भवति नो खलु एस रायगिहे णगरे णो खलु एसा वाणारसी नगरी नो खलु एस अंतरा एगे जणक्यवम्गे एस खलु ममं वीरियलद्धी देउबिपलद्धी ओहिणाणलदी इड्डी जुत्ती जसे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे लढे पत्ते अभिसमन्नागए, से से दंसणे अविवच्चासे भवति, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुचति तहाभाव जाणति पासति नो अबहाभावं जाणति पासति, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एग महं गामरूवं वा नगररुवं वा जाव सचिवेसरूवं वा विकुब्दित्तए', णो तिणढे समढे, एवं बितीओऽवि आलावगो, णवरं बाहिरए पोग्मले परियाइत्ता पभू, अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू गामरूवाई विकुवित्तए?, गोयमा ! से जहानामए जुवति जुवाणे हत्येणं हत्थे गेव्हेजा तं चेव जान विकुबिसु वा एवं जाव सनिचेसरूवं वा।१६२१ चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररमो कति आयरक्खदेवसाहस्सीओ पं०१, गोयमा! चत्तारि चउसट्ठीओ आयरक्खदेवसाहस्सीओ पं०, ते णं आयरक्सा वणओ जहा रायप्पसेणइजे, एवं सब्वेसि इंदाणं जस्स जत्तिया आयरक्खा ते भाणियब्वा । सेवं भंते!२।१६३॥ श०३ उ०६॥ रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरनो कति लोगपाला पं०१, गोयमा ! चत्तारि लोगपाला पं० सं०-सोमे जमे वरुणे वेसमणे, एएसिंणं भंते ! चठण्हं लोगपालाणं कति विमाणा पं०१, गोयमा ! चतारि विमाणा पं० त०-संझप्पमे वरसिट्टे सयंजले वग्गू, कहिं णं भंते ! सक्कास्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारनो संझप्पमे णामं महाविमाणे पं०, गोयमा! जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणणं इमीसे स्यणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढे चंदिमरियगहगणणक्खत्ततारारूवाणं बहूई जोयणाई जाव पंच वडिंसया पं० त० असोयबढेसए सत्तवन्नवडिंसए चंपयवडिंसए चूयवडिंसए मज्झे सोहम्मवडिंसए, तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरच्छिमेणं सोहम्मे कप्पे असंखेजाई जोयणाई बीतिबइत्ता एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरको सोमस्स महारसो संझप्पभे नामं महाचिमाणे पं० अद्धतेरस जोयणसयसहस्साई आयामक्खिंभेणं उयालीसं जोयणसयसहस्साई बावन्नं च सहस्साई अट्ट य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं प० जा सूरियाभविमाणस्स वत्तव्यया सा अपरिसेसा भाणियब्वा जाव अभिसेयो नवरं सोमे देवे, संझप्पभस्स णं महाविमाणस्थ अहे सपक्वि सपडिदिसिं असंखेजाई जोयणसयसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ ण सकस्स देविं. दस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो सोमा नामं रायहाणी पं० एर्ग जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं जंबुद्दीवपमाणा, बेमाणियाणं पमाणस्स अद्धं नेयव्यं जाव उवरियालेणं सोलस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं पन्नासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउए जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं पं०, पासायाणं चत्तारि परिवाडीओ नेयव्याओ, सेसा नत्यि, सकस्स गं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो इमे देवा आणाउववायवयणनिहेसे चिट्ठति, तं०-सोमकाइयाति वा सोमदेवयकाइयाति वा विजुकुमारा वि कुमारीओ अम्गिकुमारा अम्गिकुमारीआबाउकुमारा बाउकुमाराआ चदा सूरा गहा णक्खत्ता तारारूबाज यावन्न तहप्पगारा सब्वततम्भत्तिया तप्पक्खिया तम्मा महारन्नो आणाउक्वायवयणनिदेसे चिटुंति, जंबुद्दीव २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाई इमाई समुपनति, तं- गहदंडाति वा गहमुसलाति वा गहगजियाति वा एवं गहयुद्धाति वा गहसिंघाडगाति वा गहावसब्वाइ वा अम्भाति वा अन्भरक्खाति वा संज्झाइ वा गंधच्वनगराति वा उक्कापायाति वा दिसीदादाति वा गजियाति वा विजुयाति वा पंसुबुद्दीति वा जूवेत्ति वा जक्खालित्तेत्ति चा धूमियाइ वा महियाइ वा रयुग्घायाइ वा चंदोवरागाति वा सूरोवरागाति वा चंदपरिवेसाति वा सूरपरिवेसाति वा पडिचंदाइ वा पडिसूराति वा इंदधणूति वा उदगमच्छकपिहसियअमोहा पाईणवायाति वा पडीणवाताति वा जाव संवयवाताति वा गामदाहाइ वा जाव सन्निवेसदाहाति वा पाणक्खया जणक्वया धणक्खया कुलक्खया बसणभूया अणारिया जे यावन्ने तहप्पगारा ण ते सकस्म देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो अण्णाया अदिट्ठा असुया अमुया अविण्णाया तेर्सि वा सोमकाइयाणं देवाणं, सक्कस्सणं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो इमे आहावचा अभिन्नाया होत्या, तं०-इंगालए वियालए लोहियक्खे सणिचरे चंदे सूरे सुके बुहे बहस्सती राहू, सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो सत्तिभागं पलिओवमं ठिती पं०, अहावचाभिन्नायाणं देवाणं एग पलिओवमं ठिई पं०, एवंमहिड्ढीए जाव महाणुभागे सोमे महाराया। १६४। कहिं णं भंते! सक्कस्स देविंदस्स देवरनो जमस्स महारो वरसिट्टे णामं महाविमाणे पं०?, गोयमा ! सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स दाहिणेणं सोहम्मे कप्पे असंखेज्जाई जोयणसहस्साई वीइवतित्ता एत्य णं सक्कस्स देविंदस्स देवरनो जमस्स महारनो वरसिट्टे णामं महाविमाणे पं० अद्धतेरसजोयणसयसहस्साई जहा सोमस्स विमाणे तहा जाव अभिसेओ रायहाणी तहेब जाव पासायपंतीओ, सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारनो इमे देवा आणा० जाव चिट्ठति, तं०-जमकाइयाति वा जमदेवकाइयाइ वा पेयकाइयाइ वा पेयदेवकाइयाति वा असुरकुमारा असुरकुमारीओ. कंदप्पा निरयवाला आभिओगा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते तन्भत्तिगा तप्पक्खिया तब्भारिया सकस्स देविंदस्स देवरको जमस्स (४८) १९२ श्रीभगवत्यंग-स-३
मुनि दीपरत्नसागर
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