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आध्यात्मिक आलोक पारिवारिक जीवन की सफलता बहुत अंशों में गृहिणी की क्षमता पर ही निर्भर है। दुर्दैव से यदि गृहिणी कर्कशा, कटुभाषिणी, कुशीला तथा अनुदार मिल जाती है तो व्यक्ति का नसर्फ आत्म-सम्मान और गौरव घटता, बल्कि घर की सारी इज्जत मिट्टी में मिल जाती है। ऐसी को, गृहिणी के बजाय ग्रहणी कहना अधिक संगत लगता है। ऐसी संगिनी के संग पुरुष अपने उत्तरदायित्व को भली-भांति संभाल नहीं पाता। अतएव पत्नियों का सुयोग्य होना भी आवश्यक है। पुरुष और स्त्री गृहरूपी शकट के दो चक्र हैं। उनमें से एक की भी खराबी पारिवारिक जीवन रूपी यात्रा में बाधक सिद्ध होती है, योग्य स्त्री सारे घर को सुधार सकती है। नास्तिक पुरुष के मन में भी आस्तिकता का संचार कर देती है। स्त्री को गृहिणी इसीलिये कहा है कि घर की आन्तरिक व्यवस्था, बच्चों की शिक्षा-दीक्षा तथा सुसंस्कार एवं समुचित लालन-पालन और आतिथ्य सत्कार आदि सभी का भार उस पर रहता है और अपनी जिम्मेवारी का ज्ञान न रखने वाली गृहिणी राह भूल कर गलत व्यवहारों में भटक जाती है। अतः उसका विवेकशील होना अत्यन्त आवश्यक है। बिना पुण्य बल के ऐसी गृहिणी हर किसी को नहीं मिलती, कहा भी है :
शरीर सुख ने सम्पदा, विद्या ने वरनार ।
पूरवला दत्तव बिना, मांग्या मिले न चार । आज की गृहिणी -
यह बड़ी विडम्बना है कि आज की गृहिणियां अपने नहाने, धोने और शरीर सजाने में इतनी व्यस्त रहती हैं कि उनको घर संभालने और बच्चों की शिक्षा-दीक्षा व संस्कार दान के लिये कोई समय ही नहीं मिलता । वे चाहती हैं कि बच्चों को कोई. दूसरा संभाल ले। आजकल बालमन्दिरों पर जिस कार्य का भार डाला जा रहा है, प्राचीन काल में वह कार्य गृह महिलाओं द्वारा किया जाता था। बच्चों पर जो.. संस्कार योग्य माताएं डाल सकती हैं, भला वह बाल मन्दिरों में कैसे सम्भव हो सकता है ? वस्तुतः आज की माताएं नाममात्र की माताएं रह गयी हैं, पहले का आदर्श, त्याग सेवा और वात्सल्य को उन्होंने भुला दिया है। यही कारण है कि आज बालकों में संस्कार और शील नहीं पाये जाते। "कुपुत्रो जायते क्वचिदपि कुमाता न भवति". का वात्सल्य भरा मधुर आदर्श आज नहीं रहा। वास्तव में मातृ जीवन के गौरव से आज की महिला पराङ्मुख हो गयी है। संतति निरोध -
आज़- की माताएं माता बनना तो चाहती हैं किन्तु मातापन की खटपट उनको पसन्द नहीं । उन्हें आहार-विहार और अपने साज-श्रृंगार में संयम रखना इष्ट नहीं । खुले रूप में वासना का तर्पण ही आज के जीवन का लक्ष्य बन रहा है ।