Book Title: Prakrit Abhyasa Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृत अभ्यास सौरभ डॉ. कमलचन्द सोगाणी पत्र जाणु उजयो जीवो विद्या श्रीमहावीरजी प्रकाशक अपभ्रंश साहित्य अकादमी 2010_03 जनविद्या संस्थान दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी राजस्थान Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृत अभ्यास सौरभ डॉ. कमलचन्द सोगाणी (पूर्व प्रोफेसर, दर्शनशास्त्र) सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर vachan जैन रियायस्पन योमहावीरजी प्रकाशक अपभंश साहित्य अकादमी जैनविद्या संस्थान दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी राजस्थान 2010_03 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जैनविद्या संस्थान, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी, श्रीमहावीरजी - 322220 ( राजस्थान ) D प्राप्ति स्थान 1 जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी 2 अपभ्रंश साहित्य अकादमी दिगम्बर जैन नसियां भट्टारकजी, सवाई रामसिंह रोड, जयपुर-302004 प्रथम बार, 1997, 1100 मूल्य पुस्तकालय संस्कररण 75/विद्यार्थी संस्करण 60/ मुद्रक मदरलैण्ड प्रिंटिंग प्रेस 6-7, गीता भवन, आदर्श नगर जयपुर-302004 2010_03 Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुक्रमणिका पृष्ठ संख्या अभ्यास की प्राधार-पस्तक एवं पाठ संख्या अभ्यास विषय संख्या प्रारम्भिक प्रकाशकीय वर्तमानकाल 1. प्राकृत रचना सौरभ पाठ 1-8 2. विधि एवं प्राज्ञा भूतकाल प्राकृत रचना सौरम पाठ 9-16 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 17-18 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 19-26 भविष्यत्काल 5. अकर्मक क्रिया प्राकृत रचना सौरभ पाठ 27 6. प्रावृत्ति प्राकृत रचना सौरभ पाठ 1-16 7 प्रावृत्ति प्राकृत रचना सौरभ पाठ 19-26 8. प्रावृत्ति प्राकृत रचना सौरभ पाठ 1-27 9. प्रावृत्ति प्राकृत रचना सौरभ पाठ 1-27 10. सम्बन्धक भूतकृदन्त प्राकृत रचना सौरभ पाठ 28 _11. हेत्वर्थक कृदन्त प्राकृत रचना सौरभ पाठ 29 2010_03 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रावृत्ति 49 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 28-29 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 30-31 53 प्राकृत रचना सौरम पाठ 32 63 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 34-35 अकारान्त पुल्लिग संज्ञा (एकवचन) प्रकारान्त पुल्लिग संज्ञा (बहुवचन) प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा (एकवचन) अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा (बहुवचन) प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा (एकवचन) प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा (बहुवचन) प्रावृत्ति 68 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 36 73 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 38-39 78 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 40 83 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 30-40 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 42 88 भूतकालिक कृदन्त (कर्तृवाच्य) वर्तमान कृदन्त 95 प्राकृत रचना सौरभ पाठ43 प्राकृत रचना सौरम पाठ 45 102 भूतकालिक कृदन्त (भाववाच्य) प्रावृत्ति 23. 107 प्राकृत रचना सौरम पाठ 1-45 24. अकर्मक त्रिया (भाववाच्य) 110 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 47 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 49 25. विधिकृदन्त (भाववाच्य) 113 2010_03 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26. प्रावृत्ति 116 प्राकृत रचना सौरभ पाठ 42-49 संज्ञा 119 124 126 129 31. 131 32. 134 प्राकृत रचना सौरभ (द्वितीया-एकवचन, बहुवचन) पाठ 51-52 सकर्मक क्रिया प्राकृत रचना सौरभ पाठ 53 संज्ञा (इ, ईकारान्त व प्राकृत रचना सौरभ उ, ऊकारान्त पु., नपुं., स्त्री.) पाठ 55-61 संज्ञा प्राकृत रचना सौरभ पाठ 54-59 संज्ञा, सकर्मक क्रिया प्राकृत रचना सौरभ पाठ 53-54 कृदन्त, कर्मवाच्य, तृतीया प्राकृत रचना सौरभ पाठ 57-62 विविध कृदन्त प्राकृत रचना सौरभ पाठ 64 संज्ञा, चतुर्थी, षष्ठी- प्राकृत रचना सौरभ एकवचन, बहुवचन पाठ 66-69 संज्ञा, पंचमी, सप्तमी- प्राकृत रचना सौरभ एकवचन, बहुवचन पाठ 71-77 प्रेरणार्थक प्रत्यय प्राकृत रचना सौरम पाठ 78 स्वायिक प्रत्यय, विविध प्राकृत रचना सौरभ सर्वनाम, अव्यय पाठ 79-81 अनियमित कर्मवाच्य अनियमित भूतकालिक कृदन्त - व्याकरणिक विश्लेषण-पद्धति 138 139 141 143 146 148 151 40. 160 2010_03 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 41. 164 प्राकृत कथा (कस्सेसा भज्जा) 182 188 196 205 प्राकृत कथा (गामिल्लयो सागडियो) प्राकृत कथा (ससुरगेहवासीणं चउजामायराणं कहा) । प्राकृत कथा (विउसीए पुत्तबहूए कहाणगं) प्राकृत कथा (अमंगलिय पुरिसस्स कहा) प्राकृत कथा (गेहे सूरो) परिशिष्ट अंक योजना मॉडल प्रश्नपत्र 1, 2, 3, 4 शुद्धि पत्र 208 218 220 226 2010_03 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'प्राकृत अभ्यास सौरभ' पाठकों के हाथों में समर्पित करते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है । आरम्भिक यह सर्वविदित है कि तीर्थंकर महावीर ने जनभाषा प्राकृत में उपदेश देकर सामान्यजनों के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त किया । भाषा संप्रेषण का सबल माध्यम होती है । उसका जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है । जीवन के उच्चतम मूल्यों को जनभाषा में प्रस्तुत करना प्रजातान्त्रिक दृष्टि है । दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी द्वारा संचालित 'जैनविद्या संस्थान' के अन्तर्गत 'अपभ्रंश साहित्य अकादमी' की स्थापना सन् 1988 में की गई। हमें यह लिखते हुए गौरवपूर्ण प्रसन्नता है कि प्रबन्धकारिणी कमेटी, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी के सतत् सहयोग से डॉ. कमलचन्द सोगाणी ने नियमित कक्षाओं एवं पत्राचार की स्वनिर्मित योजना के माध्यम से अपभ्रंश व प्राकृत के अध्ययनअध्यापन के द्वार खोलने का एक अनूठा कार्य किया है । अपभ्रंश डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्राकृत का अध्यापन मुख्यतः पत्राचार के माध्यम से किया जाता है । 'प्राकृत अभ्यास सौरभ' में पत्राचार के अभ्यासों का संकलन है । इस पुस्तक के प्रकाशन से अध्ययनार्थी प्राकृत भाषा को सीखने में अधिक समय दे सकेंगे और विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय इस पुस्तक को पाठ्यक्रम में लगाकर विद्यार्थियों को प्राकृत का अध्यापन सुविधापूर्वक करा सकेंगे । 'प्राकृत अभ्यास सौरभ' पुस्तक के लिए हम डॉ. कमलचन्द सोगाणी के आभारी हैं । पुस्तक प्रकाशन के लिए अपभ्रंश साहित्य अकादमी के कार्यकर्ता एवं मदरलैण्ड प्रिंटिंग प्रेस धन्यवादार्ह हैं । बलभद्रकुमार जैन संयुक्त मन्त्री प्रबन्धकारिणी कमेटी, दिगम्बर जैन प्रतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी 2010_03 नरेशकुमार सेठी अध्यक्ष Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2010_03 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा-परिवार की एक सुसमृद्ध लोक भाषा रही है । वैदिककाल से ही यह लोक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित रही है। इसका प्रकाशितअप्रकाशित एवं लुप्त साहित्य इसकी गौरवमयी गाथा कहने में समर्थ है। भारतीय लोक-जीवन के बहुआयामी पक्ष, दार्शनिक एवं आध्यात्मिक परम्पराएं प्राकृत साहित्य में निहित हैं । महावीर-युग और उसके बाद विभिन्न प्राकृतों का विकास हुआ, जिनमें से तीन प्रकार की प्राकृतों के नाम साहित्य क्षेत्र में गौरव के साथ लिये जाते हैं । वे हैं-अर्धमागधी, शौरसेनी और महाराष्ट्री । जैन आगम साहित्य एवं काव्य-साहित्य इन्हीं तीन प्राकृतों में गुम्फित है । महावीर की दार्शनिक-आध्यात्मिक परम्परा अर्धमागधी एवं शौरसेनी प्राकृत में रचित है और काव्यों की भाषा सामान्यतः महाराष्ट्री कही गई है। इन्हीं तीनों प्राकृतों का भारत के सांस्कृतिक इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान है । अतः इनका सीखना-सीखाना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसी बात को ध्यान में रख कर 'प्राकृत रचना सौरभ' की रचना की गई थी। इसी क्रम में 'प्राकृत अभ्यास सौरभ' प्रकाशित है। अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर द्वारा मुख्यतः पत्राचार के माध्यम से प्राकृत का अव्यापन किया जाता है। 'प्राकृत रचना सौरम' पर आधारित अभ्यास हल करने के लिए अध्ययनाथियों को भेजे जाते हैं। इस तरह से अध्ययनार्थी क्रम से प्राकृत व्याकरण रचना का ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। किन्तु अभ्यासों को भेजने में बहुत समय खर्च हो जाता है और अध्ययनार्थियों को व्याकरण-रचना के अभ्यास के लिए कम समय मिल पाता है। अतः (1) इस कठिनाई को दूर करने के लिए सभी अभ्यासों को एक पुस्तक का रूप देकर 'प्राकृत अभ्यास सौरभ' पुस्तक प्रकाशित की जा रही है। यह पुस्तक सभी अध्ययनार्थियों को प्रारम्भ से ही भेज दी जायेगी, और अध्ययनार्थी इन अभ्यासों को निर्दिष्ट योजनानुसार हल करके भेजते रहेंगे । जो समय अभ्यासों को भेजने में लग जाता था, वह प्राकृत भाषा को सीखने में लग सकेगा। (2) दूसरी कठिनाई और अनुभव की गई-कई विश्वविद्यालय प्राकृत भाषा सिखाने का कार्य प्रारम्भ करना चाहते हैं । उन विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए 'अपभ्रंश साहित्य अकादमी' के पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना सुविधाजनक नहीं होता है। वे विश्वविद्यालय इस पुस्तक को पाठ्यक्रम में लगाकर अध्यापन का कार्य अपने ही स्थान पर कर सकते हैं। 2010_03 Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुझे पूर्ण विश्वास है कि 'प्राकृत अभ्यास सौरभ' से प्राकृत अध्ययन अध्यापन के कार्य को गति मिलेगी और 'अपभ्रंश साहित्य अकादमी' अपने उद्देश्यों की पूर्ति में द्रुतगति से अग्रसर हो सकेगी । पुस्तक के प्रकाशन की व्यवस्था के लिए जैनविद्या संस्थान समिति का आभारी हूँ । कादमी के कार्यकर्ता एवं मदरलेण्ड प्रिंटिंग प्रेस धन्यवादार्ह हैं । 2010_03 ( डॉ. कमलचन्द सोगाणी ) संयोजक जैन विद्या संस्थान समिति Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-1 (क) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए । पुरुषवाचक सर्वनामों एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए । 14. तुम रूप 17 1. वह हँसता है । 2. वे दोनों नाचती हैं। 3. तुम छिपते हो हूँ। 5. वे दोनों जागती हैं। 6. हम सब सोते हैं। 7. तुम 8. वे सब ठहरती हैं। 9. मैं नहाता हूँ । 10. वह होती है । हंसते हो । 12. हम सब नाचते हैं । 13. वे सब छिपते हैं । हो । 15. मैं जागता हूँ । 15. वह सोता है । वे सब जीते हैं । 18. मैं ठहरता हूँ । 19. वे नहाती हैं। 20. तुम सब होते हो । 21. तुम नाचते हो । 22. वे सब हँसती हैं । 23. वह छिपती है । 24. वे सब रूसते हैं । 25. तुम जागते हो | 26. तुम सब सोते हो । 27. मैं जीता हूँ। 28 हम सब ठहरते हैं। 29 वह नहाती है । 30 वे दोनों होती हैं । 31. मैं हँसता हूँ | 32 तुम सब नाचती हो । 33. हम छिपते हैं । 34. वह रूसती है । 35 हम सब जागते हैं। 36. मैं सोता हूँ | 37. वह जीती है 38 तुम ठहरते हो । 39. हम दोनों नहाते हैं । 40. मैं होती हूँ | 41. तुम हँसते हो । 42. वह नाचता है । 43. मैं छिपती हूँ | 44 हम सब रूसते हैं । 45. तुम दोनों जागते हो । 46. वे सब सोती हैं । 47. हम दोनों जीते हैं । 48. वह ठहरती है। 49. तुम सब ठहरते हो । 50. तुम नहाते हो । 51. हम हँसते हैं । 52. मैं नाचती हूँ। 53. तुम दोनों छिपते हो । 54. तुम सब रूसते हो । 55. वह जागती है। 56. तुम सोते हो । 57. तुम जीते हो । 58. तुम दोनों ठहरते हो । 59 तुम दोनों नहाते हो । 60. हम सब होते हैं । उदाहरण वह हँसता है सो हसइ / हस ए / हसदि / हसदे / हसे इ / हसेदि । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 4. में रूसता नोट – इस अभ्यास-1 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 1 से 8 का अध्ययन कीजिए । 2010_03 सब जीते हो । 11. तुम दोनों [ 1 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) प्राकृत रचना सौरभ के पाठ 1 से 8 के पादटिप्पणों में दिए गए निम्न नियमों के अनरूप निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए-- पाठ 1-नियम (3) (अकारान्त क्रिया) 1. मैं रूसता हूँ। 2. मैं जागता हूँ। 3. मैं जीता हूँ। 4. मैं सोता हूँ। 5. मैं नाचती हूँ। पाठ 2-नियम 1 (ii) 6. तुम छिपते हो । 7. तुम नाचते हो । 8. तुम रूसती हो । 9. तुम सोते हो। 10. तुम नहाते हो। पाठ 3-नियम । (ii), (iii), नियम 2 (iii) 11. वह सोता है । 12. वह होता है । 13. वह नाचता है। 14. वह जीता है । 15. वह हंसता है। पाठ 8-नियम 6 (i), (ii), (iii) 16. हम सब नाचते हैं । 17. मैं नहाता हूँ। 18. वह जीती है। 19. वे सब ठहरती हैं। 20. तुम दोनों हंसते हो। 21. तुम रूसते हो। 22 तुम सब जीते हो । 23. वह होती है । 24. वे सब रूसते हैं। 25 वह नहाती है। उदाहरण1. मैं रूसता हूँ-प्रह/ह/अम्मि रूसं। 6. तुम छिपते हो तुम/तुं/तुमे लुक्कसि/लुक्कसे/लुक्केसि । 11. वह सोता है-स/से सयइ/सयति/सयेति । 16. हम सब नाचते हैं-अम्हे/वयं णच्चेज्ज/गच्चेज्जा। (ग) निम्नलिखित क्रियाओं के वचन के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम लिखिए 1. ..."णच्चन्ति 2. ..."जग्गेमि 3. ." सयम 4. "रूसइ 5. "ठामि 6. "हससे 7. ""लुक्कध 8. ..."हाम 9. ..."जीवं 10. .."जग्गसि 11. ""सयए 12. ..."होमि 2 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 13. .."णच्चमो 16. .."हामो 19. "" लुक्केति 22. "जीवित्था 23, ..."णच्चं 28. ""जीवेदि 31. ""जग्गिरे 34. " लुक्केसि 37. ""जग्गेमो 40. ""हसन्ते 43. ""होम 46. ""हाह 49. ""लुक्कम 52. ""होदि 55. ""सयेति 58. .."सयन्ते 61..."णच्चेमि 64. ""सयामि 67. ""होएज्जा 14. ""रूसह 17. ... सयं 20. " ठाइ 23. "" जग्गन्ते 26. " रूसेसि 29. "होह 32. ""रूसमि 35. ""रणच्चसे 38. ""रूसेध 41. ""लुक्के इत्था 44. ""रूसेज्जा 47. ""णच्चति 50. ""सयह 53. ""गच्चन्ते 56. "हाइत्था 51. ""ठादि 62. .."रूससे 65..."सयेइ 68. " सयमो 15. "लुक्कन्ति 18. "जीवसे 21. " हसमु 24. ""हामु 27. ""सयदि 30. "सयेज्ज 33. ""हसध 36. .."सयदे 39. "जीवमु 42. "" ठासि 45. ""जीवन्ति 48. .."हसए 51. ""जग्गन्ति 54. "हाएज्जा 57. ..."रूसेन्ति 60..." जीवं 63. ..."णच्चइ 66. ... जीवह 69. ." सयेन्ति उदाहरणता/ते णच्चन्ति अहं/हं/अम्मि जग्गेमि अम्हे वयं सयम (घ) निम्नलिखित परुषवाचक सर्वनामों के अनुरूप कोष्ठक में दी गई क्रियानों के वर्तमानकाल में क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए1. अम्हे (हस) 2. तुमं (सय) 3 सो (गच्च) 4. अहं (रूस) 5. तुम्हे (लुक्क) 6. ते (जग्ग) 7. वयं (जीव) 8. सा (हा) १. ता (ठा) 10. तुज्झे (हो) 11. अम्हे (लुक्क) 12 ताओ (रूस) 13. हं (गच्च) 14. सो (जग्ग) 15. तुह (जीव) प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16. अम्हे (हा) 19. तुमे (लुक्क) 22. अम्मि (जग्ग) 25. तुन्भे (हो) 28. तुमे (ठा) 17. ता (हो) 20. तुम्हे (रूस) 23. सो (जीव) 26. ताउ (ग) 29. ते (सय) 18. तुम्भे (सय) 21 वयं (गच्च) 24. तुं (हा) 27. तुझे (हस) 30. सा (हस) उदाहरणअम्हे हसमो/हसमु/हसम । (च) निम्नलिखित वर्तमानकालिक क्रियामों के पुरुष, वचन, मूलरूप एवं उनके प्रत्यय लिखिए1. गच्चन्ति 2. सयसि 3. रूसइ 4. जग्गं 5. सयित्था 6. णच्चति 7. रूसमि 8. लुक्कन्ति 9. हससे 10. ठादि 11. ण्हामु 12. सयसे 13. जीवह 14. रूसन्ते 15. जग्गेसि 16. जीवसे 17. लुक्कमि 18. हसेदि 19. होम 20. गच्च 21. जीवति 22 ण्हामि 23. हसध 24. रूस-ते 25. गच्चसि 26. होइत्था 21. लुक्किरे 28 होसि 29. ठामु 30, जग्गेमि 31. जीवए 32. णच्चए 33. जीवदे 34. रूसेति 35. लुक्क 36. हसति उदाहरण - पुरुष 1. णच्चन्ति अन्यपुरुष 4. जग्गं उत्तमपुरुष बहुवचन एकवचन मूलरूप प्रत्यय णच्च न्ति जग्ग अनुस्वार [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (छ) निम्नलिखित के सर्वनाम शब्द लिखिए 1. उत्तम पुरुष प्रथमा बहुवचन 2. मध्यम पुरुष प्रथमा बहुवचन 3. अन्य पुरुष प्रथमा बहुवचन (पुल्लिग) 4 उत्तम पुरुष प्रथमा एकवचन 5. अन्य पुरुष प्रथमा एकवचन (पुल्लिग) 6. मध्यम पुरुष प्रभमा एकवचन 7. भन्य पुरुष प्रथमा बहुवचन (स्त्रीलिंग) 8 अन्य पुरुष प्रथमा एकवचन उदाहरणउत्तम पुरुष प्रथमा बहुवचन अम्हे/वयं (ज) निम्नलिखित सर्वनामों के पुरुष, विभक्ति, वचन एवं लिंग लिखिए1. अम्हे 2. ते 3. तुम्भे 4. वयं 5. तुम 6. सो. 7. अहं 8. तुझे 9. तापो 10. सा 11. हं 12. तुह उदाहरण वचन अम्हे पुरुष उत्तम पुरुष विभक्ति प्रथमा प्रथमा बहुवचन लिंग तीनों लिंग ना प्राकृत अभ्यास सौरम 1 [5 2010_03 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-2 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । पुरुषवाचक सर्वनामों एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए1. वे दोनों नाचें। 2. हम सब सोवें। 3. वह हंसे । 4. तुम सब जीवो। 5. मैं रूसू। 6. तुम छिपो। 7. वे दोनों जागें। ४. वे सब ठहरें। 9. वह होवे । 10. तुम दोनों हंसो। 11. हम सब नाचें । 12 मैं नहाऊँ। 13. तुम रूसो। 14. वे सब छिपे । 15. वह सोए। 16. मैं जागं । 17. वे सब जीवें । 18. वह नहावे। 19. मैं ठहरूं। 20. तुम सब होवो । 21. वे सब हंसें । 22. तुम नाचो। 23. वह छिपे । 24. तुम जागो। 25 वे सब रूसें। 26. मैं जीवं । 27. तुम सब सोवो । 28. हम दोनों ठहरें। 29. वे सब होवें। 30. वे दोनों ठहरें। 31. मैं हसं। 32. तुम दोनों नाचो। 33. हम सब छिपें । 34. वह रूसे । 35. हम सब जागें। 36. मैं सोवं। 37. वह जीवे । 38. तुम ठहरो । 39. हम सब नहावें। 40. मैं होऊ। 41 वह नाचे । 42 तुम हंसो। 43. मैं छिपूं। 44. वे सब सोवें। 45. हम सब हंसें। 46. तुम दोनों जागो। 47. वे सब रूसें। 48. वह ठहरे। 49. तुम सब ठहरो। 50. तुम नहावो । 51. हम दोनों रूसें। 52. तुम सब छिपो। 53. मैं नाचूं । 54. तुम सब रूसो। 55 वह जागे। 56. तुम सोवो । 57. तुम जीवो। 58. तुम दोनों ठहरो। 59. तुम सब नहावो । 60. हम सब सोवें। उदाहरणवे दोनों नाचें = ते/ता गच्चन्तु/णच्चेन्तु । (ख) प्राकृत रचना सौरभ के पाठ 9 से 16 के पादटिप्परणों में दिए गए निम्न नियमों के अनुरूप निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिएपाठ 9-नियम 3 (ii) 1. मैं जीवू । 2. मैं हँसू । 3. मैं छिपूं। 4. मैं जागू। 5. मैं नाचूं । नोट- इस अभ्यास-2 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 9 से 16 का अध्ययन कीजिए। 61 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ 10-नियम 2 (iii) 6. तुम जागो । 7. तुम रूसो। 8. तुम सोवो। 9. तुम जीवो। 10. तुम छिपो। पाठ 11-नियम 2 (ii) 11. वह सोये । 12. वह रूसे । 13. वह छिपे। 14. वह जागे। 15. वह जीवे । पाठ 12-नियम 2 (i) 16. मैं ठहरूं। 17. तुम होवो। 18. वह नहावे। 19. तुम ठहरो । 20. वह होवे । पाठ 13-नियम 2 (ii) 21. हम दोनों जीवें। 22. हम सब छिपे। 23. हम दोनों नाचें। 24. हम सब जागें। 25. हम दोनों रूसें। पाठ 14--नियम 2 (ii) 26. तुम दोनों छिपो। 27. तुम सब रूसो । 28. तुम दोनों जागो। 29. तुम सब जीवो । 30. तुम सब नाचो । पाठ 15--नियम 2 (ii) 31. वे दोनों जागें । 32. वे सब जीवें । । 33. वे दोनों नाचें । 34. वे सब सोवें । 35. वे दोनों हंसें। पाठ 16-नियम 6 (i) 36. हम सब ठहरें । 37. तुम सब होवो। 38. वे सब नहावें। 39. हम सब होवें। 40. वे सब ठहरें। उदाहरण1. मैं जीवू 6. तुम जागो =अहं/हं/अम्मि जीवेज्जा/जीवेज्जामि । =तुमं/तुं/तुमे जग्गेज्जा/जग्गेज्जासि/जग्गेजाहि । प्राकृत अभ्यास सौरभ । [ 7 2010_03 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 11. वह सोये = सो/सा सये/सयेज्जा । 16. मैं ठहरू = अहं/हं/अम्मि ठाएज्जा/ठाएज्जामि । 21. हम दोनों जीवें =अम्हे/वयं जीवेज्जाम । 26. तुम दोनों छिपो =तुब्भे/तुम्हे/तुज्झे लुक्केज्जाह । 31. वे दोनों जागें =ते/ता जग्गेज्जा। 36. हम सब ठहरें =मम्हे/वयं ठाएज्जाम । (ग) निम्नलिखित क्रियाओं के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम लिखिए . पच्चामा 1. "हसघि 4. ""सयमु 7. ""जीवन्तु 10. ""जग्गेज्जा 13. ""सयेन्तु 16. ""रूसहि 19. ""लुक्केमो 22. ""सयेमु 25. ""रूसे 28. ""सयह 31. ""सयमो 34. ..."हाहि 37. ""होसु 40. ... हन्तु 43. ""हाह 46. "होमु 49. ..."जग्गेज्जासि 52. ""हससु 55. ""लुक्केधि 58. .."रूस 2. " जग्गेउ 5. ..."रणच्चामो 8. ""हसेमु 11. ""ठामु 14. " हाएज्जाह 17. .."जीवध 20. "हामु 23. ... जीवेहि 26. ""ठादु 29. ""णच्चन्तु 32. .."ठाह 35. .."ठाउ 38. ""णच्चेदु 41. ""सयेज्जामि 44. "जीवध 47. ""ठामो 50. "सयेउ 53. ""हाउ 56. ""ठाहि 59. ."" होज्जा 3. " होदु 6. " रूसह 9. ""लुक्केह 12. "णच्चेसु 15. "हसामो 18. " होज्जाम 21. " जग्गेज्जसु 24. ""लुक्कउ 27. ... जग्गेमो .."होज्जाह "" लुक्केध 36. "" रूसामु "" जग्गन्तु "हसह 45. ""लुक्केमु 48. ..."णच्चेज्जहि 51. ""जीवेज्जा 54. ""रूसेन्तु 57. ""ठामु 60. .."सयेज्जाहि 39 4 8 ] [ प्राकृत प्रम्यास सोरम ___ 2010_03 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 61. 64. 67. जग्गउ ससु जग्ग उदाहरण -- तुम / तं / तुह हसवि 1. तुह ( सय) 4. अम्हे (हस ) 7. ते (जग्ग) 10. ताओ (ठा ) सो / साहो दु (घ) निम्नलिखित पुरुषवाचक सर्वनामों के अनुरूप कोष्ठक में दी हुई क्रिया के विधि एवं प्रज्ञा के रूप के सभी विकल्प लिखिए 13. तुं (सय) 16. सो (जग्ग ) 19. ता (णच्च) 22. ग्रहे (च्च) 25. at (ata) 28. à (31) 62. .... होसु 65. होमो 68. सयहि 1. जीवेमु 4. रूसामो 7. लुक्केन्तु 10. हासु प्राकृत अभ्यास सौरभ ] सो / सा जग्गे 2010_03 2. हं (रूस) 5. सो ( णच्च) 8. सा (पहा ) 11. तुझे (हस) 14. अहं (णच्च) 17. तुमं (जीव ) 20. तुमं (सय) 23. तुझे (रूस) 26. तुह (पहा ) 29. तुब्भे (हम) 63. "व्हाधि 66. ''रूसमो 69. ....होन्तु उदाहरण तुह सहि / समसु / सर्याधि / सय / सयेज्जसु / सयेज्जहि / सज्जे । (च) निम्नलिखित विधि एवं प्राज्ञा की क्रियाओं के पुरुष, वचन, मूलरूप एवं प्रत्यय लिखिए 2. जग्गउ 5. ठाहि 8. होज्जाह 11. जग्गमो 3. तुम्हे (लुक्क) 6. वयं (जीव ) 9. तुब्भे (हो) 12. अम्हे (लुक्क) 15. ता (रूस) 18. अम्मि ( व्हा) 21. ते ( लुक्क ) 24. हं (जग्ग) 27. अम्हे (हो) 30. ताउ (गच्च) 3. सर्याहि 6. णच्चह 9. हसेज्जा 12. सयेउ [ 9 Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 13. लुक्क 16. होउ 19. सयेध 22. होज्जाम 25. होह 28. सयेज्जसु 31. होम 34. होसु 14. णच्चेमो 17. हसन्तु 20. रूसेन्तु 23. ठामो 26. ग्रहाधि 29. ठान्तु→ठन्तु 32. हसहि 35. लुक्केह 15. रूसेज्जाहि 18. जीवदु 21. लुक्केज्जासि 24. णच्चेहि 27. हसमु 30, जग्गेज्जे 32. रूसेसु 36. व्हाएज्जामि उदाहरण पुरुष उत्तम पुरुष जीवेमु वचन एकवचन मूलरूप जीव प्रत्यय मू 101 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-3 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । पुरुषवाचक सर्वनामों एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. वह हंसा । 2. वे दोनों नाचीं। 3. तुम छिपे । 4. मैं रूसा । 5. वे दोनों जागीं । 6. हम सब सोए। 7. तुम सब जीए। 8. वे सब ठहरी। 9. मैं नहाया । 10 वह हई । 11. तुम दोनों हँसे । 12. हम सब नाचे । 13. वे सब छिपे । 14. तुम रूसे । 1 5. मैं जागा । 16. वह सोया। 17. वे सब जीये। 18. मैं ठहरा। 19. वे सब नहाई । 20. तुम सब हुए। 21. तुम नाचे । 22 वे सब हंसी । 23. वह छिपी। ?4. वे सब रूसीं । 25. तुम जागे । 26. तुम सब सोये । 27. मैं जीया । 28. हम सब ठहरे। 29. वह नहाई। 30. वे दोनों हई। 31. मैं हंसा। 32 तुम सब सोये । 33 हम सब छिपे । 34. वह रूसी । 35. हम सब जागे । 36 मैं सोया । 37. वह जीयी। 38. तुम ठहरे । 39. हम दोनों नहाये। 40 में हुई । 41. तुम हँसे । 42 वह नाचा । 43. मैं छिपी। 44. हम सब रूसे । 45. तुम दोनों जागे । 46. वे सब सोई। 47. हम दोनों जीये। 48. वह ठहरी । 49. तुम सब ठहरे। 5. तुम नहाये। 51. हम सब हंसे । 52 मैं नाची। 53. तुम दोनों छिपे । 54. तुम सब रूसे । 55. वह जागी। 56. तुम सोये । 57. तुम जीये । 58. तुम दोनों ठहरे । 59. तुम दोनों नहाये । 60. तुम सब हुए। उदाहरण1. वह हंसा = सो हसीन । 8. वे सब ठहरी = ता ठासी ठाही/ठाहीन । नोट-इस अभ्यास-3 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 17-18 का अध्ययन कीजिए। प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 11 2010_03 Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) प्राकृत रचना सौरभ के पाठ 17-18 के पादटिप्पणों में दिए गए निम्न नियमों के अनुरूप निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए पाठ 17-नियम 4 1. मैं हंसा। 2. तुम हँसे । 3. वह हंसा। 4. हम सब छिपे। 5. तुम सब जीये। 6. वे सब रूसे । 8. वह जागी। 9. वे सब नाचीं। 10. मैं सोया । पाठ 18-नियम 4 (i) 11. मैं ठहरा । 12. हम सब हुए। 13. तुम नहाये । 14 तुम सब ठहरे । 15. वे सब नहाये। उदाहरण - 1. मैं हंसा=अहं/हं/अम्मि हसित्था हसिसु । 11. मैं ठहरा=अह।हं/अम्मि ठाइत्था/ठाइंसु । (ग) निम्नलिखित क्रियाओं के वचन के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम लिखिए 1. ""णच्ची 4. " लुक्कित्था 7. .."सयित्था 10. ..हाही 13. ""होइंसु 16. "" सयीन 2. "" रूसी 5. ""जग्गीय 8. ""ठाहीन 11. ""हासी 14. ""हाहीम 17. " होहीम "जीवीन 6. ""ठासी 9. ""होसी 12. .."होही 15. ""हसी 18. ""लुक्कीन उदाहरणअहं अम्हे/तुमं/तुम्हे/सो/ते रगच्चीन । 12 ] [ प्राकृत अभ्यास मौरभ 2010_03 Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (घ) निम्नलिखित पुरुषवाचक सर्वनामों के अनुरूप कोष्ठक में दी गई क्रियानों के भूतकाल में कियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. अम्हे (हस) 4. अहं (रूस) 7. वयं (जीव) 10. तुब्भे (हो) 13. ता (गच्च) 16. तुह (जीव) 19. अम्मि (लुक्क) 22. अहं (जग्ग) 25. वयं (हो) 28. ते (सय 2. तुमं (सय) 5. तुम्हे (लुक्क) ४. सा (हा) 11. तुं (लुक्क) 14. सा (जग्ग) 17. ते (हो) 20. तुम्हे (रूस) 23. सो (जीव) 26. ता (ठा) 29. अम्मि (लुक्क) 3. सो (णच्च) 6. ते (जग्ग) 9. ता (ठा) 12. हं (रूस) 15. अम्मि (हा) 18. तुझे (सय) 21. अम्हे (गच्च) 24. तुह (हा) 27. तुब्भे (हस) 30. तुमं (रूस) उदाहरण1. अम्हे हसीन/हसित्था/हसिसु । 8. सा पहासी/व्हाही/व्हाही/हा इत्था/हाइंसु । (च) निम्नलिखित भूतकालिक क्रियाओं के पुरुष, वचन, मूलरूप एवं प्रत्यय लिखिए 1. णच्ची 4. रूसीय 7. व्हाहीन 10. जीविसु 13. सयीय 2. ठाही 5. होही 8. जग्गिसु 11. ठासी 14. व्हाही 3. हसिस्था 6. लुक्की 9. होइत्था 12. ठाइत्था 15. हा इंसु प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 13 2010_03 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16. हसी 19. जीवीप्र उदाहरण णच्चीx 14 1 17. जग्गी 20. ठाही पुरुष उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष, अन्य पुरुष 2010_03 वचन एकवचन, बहुवचन 18. होसी 21. हासी मूलरूप गच्च प्रत्यय ई [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-4 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए। पुरुषवाचक सर्वनामों एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. तुम सब जीवोगे । 2. वे दोनों नाचेंगे । 3. हम सब सोयेंगे । 4. वह हंसेगा । 5. मैं रूसूंगा। 6 तुम छिपोगे। 7. वे दोनों जागेंगी। 8 वे सब ठहरेंगी। 9. वह होवेगा। 10. तुम दोनों हँसोगे । 11. हम सब नाचेंगे। 12. मैं नहाऊँगा। 13. तुम रूसोगे। 14. वे सब छिपेंगे। 15. वह सोयेगा। 16. मैं जागंगा । 17. वे सब जीवेंगे । 18 वह नहावेगा। 19. मैं ठहरूँगा । 20. तुम सब होवोगे। 21. वे सब हंसेंगे। 22. तुम नाचोगे। 23. वह छिपेगा । 24. तुम जागोगे। 25. वे सब रूसेंगे। 26. मैं जीवूगी। 27. तुम सब सोवोगे । 28. हम दोनों ठहरेंगे। 29. वे सब होवेंगे। 30. वे दोनों ठहरेंगे । 31. मैं हंसूंगा। 32. तुम दोनों नाचोगे। 33. हम सब छिपेंगे। 34. वह रूसेगा। 35. हम सब जागेंगे। 36. मैं सोवंगा। 37. वह जीवेगा। 38. तुम देखोगे। 39. मै होऊँगी। 40. वह नाचेगा। 41. तुम हंसोगी। 42. मै छिपूंगी। 43. हम सब नहाएंगे। 44. वे सब सोवेंगे। 45. हम सब हँसेंगे । 46. तुम दोनों जागोगे । 47. वे सब रूसेंगे। 48. वह ठहरेगा। 49. तुम सब ठहरोगे। 50. तुम नहावोगे। 51. हम दोनों रूसेंगे । 52. तुम सब छिपोगे । 53. मै नाचंगा। 5 तुम सब रूसोगे । 55. वह नाचेगा। 56. तुम सोवोगे । 57. तुम जीवोगे । 58. मै छिपूंगी। 59. तुम सब नहावोगे। 60. हम सब हसेंगे। उदाहरणतुम सब जीवोगे=तुम्भे/तुम्हे/तुझे जीविहिह/जीविहिध/जीविहित्था/ जीविस्सह/जीविस्सध/जीविस्स इत्था। जीविस्सिह/जीविस्सिध/जीविस्सि इत्था । - - - - - नोट-इस अभ्यास-4 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 19 से 26 का अध्ययन कीजिए। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 15 2010_03 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) प्राकृत रचना सौरभ के पाठ 19 से 26 तक के पादटिप्पणों में दिए गए निम्न नियमों के अनुरूप निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए पाठ 19 नियम 3 (i) (ii) (iii) 1 मैं सुनूंगा । 2. मैं रोऊँगा । 3. मैं जाऊंगा। 4. मैं छोडूंगा। 5. मैं कहूंगी। 6. मैं छे,गा । 7. मैं जानूंगा । 8. मैं देखूगा । 9. मैं दूंगा । 10. मैं करूंगा। पाठ 19-नियम 4 11. मैं रोऊँगी । 12. मैं खाऊंगा। 13. मैं होऊंगा। 14. मैं देखूगी। 15. मैं भेदूंगा। पाठ 20-नियम 5 (i) (ii) 16. तुम सुनोगे। 17. तुम रोप्रोगे। 18. तुम जानोगे । 19. तुम छोड़ोगी। 20. तुम कहोगे। पाठ 21--नियम 5 (i) (ii) 21. वह सुनेगा। 22. वह रोएगा। 23. वह जाएगी। 24. वह छोड़ेगा । 25. वह कहेगा। पाठ 23-नियम 5, 6 26. हम सब सुनेंगे । 27. हम सब कहेंगे। 28. हम दोनों छेदेंगे। 29. हम सब जानेंगे । 30. हम सब देखेंगे। पाठ 24-नियम 5, 6 31. तुम सब सुनोगे । 32. तुम सब कहोगी। 33. तुम सब जाओगे। 34. तुम दोनों देखोगे । 35 तुम सब जानोगे। पाठ 25-नियम 5, 6 36. वे सब सुनेंगे। 37. वे सब कहेंगे। 38. वे दोनों जाएंगे। 39. वे सब छेदेंगे। 40. वे सब जानेंगी। 16 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उदाहरण--- 1. मैं सुनूंगा=अहं/हं/अम्मि सोच्छं । 11. मैं रोऊँगी=अहं/हं/अम्मि रोच्छामि । 16 तुम सुनोगे= तुमं/तुं/तुह सोच्छिसि/सोच्छेसि/सोच्छसि । 21. वह सुनेगा=सो सोच्छिइ/सोच्छेइ/सोच्छइ । 26. हम सब सुनेंगे अम्हे/वयं सोच्छिमो/सोच्छिमु/सोच्छिम/सोच्छेमो/सोच्छेमु/ सोच्छेम/सोच्छामो। 31. तुम सब सुनोगे तुम्हे/तुन्भे/तुझे सोच्छिह/सोच्छिध/सोच्छेह/सोच्छेध/ सोच्छह । 36. वे सब सुनेंगे ते सोच्छिन्ति/सोच्छिन्ते/सोच्छिइरे/सोच्छन्ति सोच्छन्ते/ ___ सोच्छेइरे । (ग) निम्नलिखित क्रियानों के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम के सभी विकल्प लिखिए 1. ..."जीविस्सन्ति 2. ..."हसिहिसि 3. .." सयिस्सिमु 4. ""जग्गिहिसे 5. ""रूसिस्सिसि 6. .."सयिस्सन्ते 7. "" लुक्किहामो . .."सयिस्सामु 9. " रूसिहिमो 10. ""णच्चिस्सिन्ति 11. ""ठास्सं 12. ""लुक्किस्सघ 13. ""हास्साम 14. .."जीविस्सामि 15. ""जग्गिस्सिसि 16. “सयिस्सिदि 17. ""होहामि 18. ""णच्चिहामो 19. ""रूसिस्सह 20. ""लुक्किस्सन्ति 21, .."ण्हा हिमो 22. ""जीविस्ससे 23. ""लुक्किस्सइ 24. ""ठास्सिदि 25. ""हसिहिमु 26. ""जीविस्सइत्था 27. "जग्गिस्सन्ते 28. ""हाहामु 29. ..."णच्चिस्सं 30. ""रूसिस्ससि 31. ""सयिस्सदि 32. ""जीविस्सदे 33. ""होस्सह 34. ""सयिहामो 35. ""जग्गिस्सिइरे 36. ""रूसिहामि 37. ""हसिस्सघ 38. ""लुक्किस्ससि 39. ....णच्चिस्ससे 40. ..."सयिस्सिदे 41. "जग्गिस्सिम 42. ..."रूसि हिध प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 17 2010_03 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 43. ....जी विस्सामु 46. ****sreaf 49. जीविस्सन्ति 52.... हसिस्सए 55 जगिरिसन्ति 58. हाह - *** उदाहरण ते /ता जीविस्सन्ति 1. श्रम्हे ( स ) 4. श्रहं (रूस) 7. वयं (जीव ) 10. अम्हे (लुक्क) 13. ता (हो) 16. at (ata) 19. ते (सय) 22. सो (जग्गा) 25. तुम्हे (रूस) 28. are (31) 18 ] 44. हसि हिन् 47 ... होस्सिम तुमं / तुं / तुह हसि हिसि अम्हे / वयं सयिस्सिमु | (घ) निम्नलिखित पुरुषवाचक सर्वनामों के अनुरूप कोष्ठक में दी गई क्रियाओं के भविष्यत्काल में क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 50. ....व्हास्सह 53 ... लुक्किस्सिमु 56. ... होहिदि 59. .... ठास्सदि 2010_03 2. तुमं (सय) 5. तुम्हे ( लुक्क ) 8. सा (पहा ) 11. हं (रगच्च 14. ते ( लुक्क ) 17. तुब्भे (हो) 20. तुझे (हो) 23. अम्हे (व्हा 26. श्रमि (जग्ग ) 29. ते (ठा) ----- 45. 48. 51. ... णच्चिस्स इ 54. सयिस्सिह 57 ....च्चिहिते 60. .... जीविस्सइ लुक्किस्सिइत्या रूसि हिसे उदाहरण म्हे हसिहिमो / हसिहिमु/हसिहिम / सिस्सामु / हसिस्सामो / हसिस्साम / हसिस्सिमो / हसिस्सिमु / हसिस्सिम / हसिहामो / हसिहामु/ह सिहाम । 3. सो (च) 6. ते (जग्ग ) 9. ar (31) 12. तुह (जीव ) 15. वयं (रगच्च ) 18. तुझे (हस) 21. ताओ (रूस) 24 तुभे (सम) 27. तूं (पहा) 30. तुम्हे (हस ) (च) निम्नलिखित भविष्यत्कालिक क्रियाओं के पुरुष, वचन, मूलरूप एवं प्रत्यय लिखिए - 1. णच्चिस्सिन्ति 2. सयिहिसि 3. रूसिस्सइ [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4. जग्गिस्सामि 7. रूसेस्सं 10. ठास्सदि 13. जीविस्सिह 16. जीविस्सिसे 19. होस्सिम 22. ण्हास्सं 25. णच्चिस्ससि 28. होहिसि 5. सयिस्सइत्था 8. लुक्किहिन्ति 11. हाहामु 14. लुक्किस्सामो 17. लुक्किस्साम 28. णच्चिस्तए 23. हसिस्सध 26. होस्सिइत्था 29. ठाहामु 6. जीविस्सए 9 हसिस्ससे 12 सयिस्ससे 15. जग्गिस्ससि 18. हसिस्सदि 21. जीविस्सदे 24. रूसिस्सन्ते 27. लुक्किस्सइरे 30. हसिस्सिन्ति उदाहरण वचन णच्चिस्सिन्ति अन्यपुरुष बहवचन मलरूप णच्च प्रत्यय स्सि+न्ति प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 19 ____ 2010_03 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-5 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । पुरुषवाचक सर्वनामों एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए1. मैं प्रयास करता हैं। 2. वह कलह करता है। 3. तुम थकते हो। 4. वे छटपटाते हैं। 5. तुम सब शरमाते हो। 6. हम सब गिरते हैं। 7. वे दोनों रोते हैं। 8. तुम दोनों डरते हो। 9. हम दोनों काँपते हैं। 10. मैं मरता हूँ। 11. वे लड़ते हैं । 12. वह मूच्छित होता है । 13. तुम कूदते हो । 14 हम सब प्रयास करते हैं । 15. वे दोनों खेलते हैं । 16. तुम सब उठते हो । 17. हम दोनों घूमते हैं। 18. वे सब उछलते हैं। 19. तुम सब खुश होती हो । 20. वह बैठती है । 21. मैं थकता हूं। 22 वे सब लड़ती हैं । 23. हम सब डरते हैं । 24. तुम काँपती हो। 25. वे दोनों शरमाती हैं। 26. तुम दोनों प्रयास करते हो। 27. हम दोनों बैठते हैं। 28. तुम सब कलह करते हो । 29. हम सब मूच्छित होती हैं । 30. मैं छटपटाती हूँ । 31. तुम शरमावो । 32 मैं बैलूं। 33 वह डरे । 34. तुम दोनों उछलते हो। 35. हम दोनों खेलें । 36 वे दोनों उठे । 37. तुम सब उछलो । 38. हम सब घूमें। 39. वे सब कूदें। 40. तुम प्रयास करो। 41. वह थके । 42 मैं गिरूं। 43. तुम सब छटपटायो । 44. हम दोनों प्रयास करें। 45. वे सब खुश होवें। 46. तुम दोनों मूच्छित होवो। 47. वे दोनों का । 48. हम सब मरें। 49. वह खेले । 50. तुम सब लड़ो। 51. वह बैठे। 52. तुम दोनों उठो। 53. मैं कूदूं । 54. हम सब खुश होवें। 55. तुम सब प्रयास करो। 56. वे दोनों उछलें । 57. हम दोनों उठते हैं। 58. तुम दोनों शरमावो । 59. वे सब डरें। 60. वह धूमे। उदाहरणमैं प्रयास करता हूँ = अहं/हं/अम्मि उज्जममि/उज्जमामि/उज्ज मेमि । नोट-इस अभ्यास-5 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 27 का अध्ययन कीजिए। 20 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) प्राकृत रचना सौरभ के पाठ 1-26 के पादटिप्पणों के नियमों के अनुरूप निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए1. मैं हंसता हूँ। 2. तुम जागते हो । 3. वह ठहरता है । 4. हम सब जीते हैं। 5. तुम सब रूसते हो। 6. वे सब जागती हैं। 7. मैं जागं । 8 तुम सोवो। 9. वह छिपे । 10. हम सब नाचें । 11. तुम सब ठहरो। 12. वे सब जीवें । 13. मैं जागा। 14 तुम हंसे । 15. वह छिपा। 16. हम सब जीए। 17. तुम सब छिपे। 18. वे सब सोये। 19. मैं जाऊँगा। 20. तुम सुनोगे। 21. वह रोयेगा। 22. हम सब सुनेंगे। 23. तुम सब कहोगे। 24. वे सब जागेंगे । 25. मैं होता हैं। 26. तुम नहाते हो । 27. हम सब होते हैं। 28 तुम सब ठहरते हो । 29. वे सब नहाते हैं । 31. हम सब ठहरें । 32. तुम सब नहावो। 33. मैं ठहरा । 34 तुम हुए 35. वह नहाया । उदाहरण 1. मैं हंसता हूँ = अहं/हं/अम्मि हसं । (ग) निम्नलिखित क्रियानों के वचन के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम लिखिए1. 'लज्जमु ___ 2. ." रुवित्था ... डरन्ते 4. " कलहइ 5. " थक्कदु 6. " अच्छिरे 7. "पडम् 8. '' उट्टध "तडफडसि 10 "घुमेइ 11. " हासि उच्छलन्ति 13 ." उज्जममु 14. उल्लसदि 15. ..कंपए 16. · · मरेमि 17 ... खेलन्ते 18. " कुल्लमो 19. ""जुज्झसे 20. "मुच्छेसि 21. लज्जधि 22. "" अच्छेधि 23 " थक्कित्था 24. .."रुवमि 25. ."कलहहि 26. ... डरेदि 27. " पडम 28. ""उट्ठन्ति 29. " तडफडमि 30 .."घुमेह 31. "" मुच्छमु 32. " जुज्झज्जहि 33. "" कुल्लदे 39. ... खेलमो 35. .."मरेध 36. ""कंपन्तु 37. ..."उल्लसेमु 38. ... उज्जमेज्जे 39. ... उच्छलउ प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 21 2010_03 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 40. ..."ठादि 43. ""उठेज्जसु 46. .. थक्केज्जे 49. ..."रुवेमो 52. ""कलहेउ 55. "खेलेहि 58. .."तडफडिमु 41. ""घुमेह 44 " पडमु 47. ""कलहह 50. " लज्जहि 53. ""जुज्झेह 56. ""डरामो 59. "" लज्जह 42. ""तडफडेन्तु 45. "" अच्छेदु 48. " डरन्तु 51. ""होमि 54. ""उल्लसेन्तु 57. ""धुमसु 60. "" डरेसु उदाहरणअहं/हं/अम्मि लज्जमु तुब्भे/तुम्हे/तुज्झे रुवित्था ते/ता डरन्ते । (घ) निम्नलिखित पुरुषवाचक सर्वनामों के अनुरूप कोष्ठक में दी गई क्रियानों के वर्तमानकाल तथा विधि एवं प्राज्ञा में क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिएवर्तमानकाल विधि एवं प्राज्ञा 1. अम्हे (जुज्झ) 16. अम्हे (तडफड) 2. तुह (उच्छल) 17. ताउ (कलह) 3. सो (कुल्ल) 18. तुझे (घुम) 4. (रुब) 19. ते (उर) 5. तुम्हे (खेल) 20. तुं (उज्जम) 6. ते (घर) 21. सा (उज्जम) 7. वयं (लज्ज) 22. अहं (उल्लस) 8. सा (कलह) 23. तुझे (कप) १. ता (पर) 24. अम्मि (कंप) 10. तुम्भे (पक्क) 25. अहं (पड) 11. तानो (तडफड) 26. ताओ (मुच्छ) 12. ता (प्रच्छ) 27. अम्मि (खेल) 13. हं (रुव) 28. ताउ (कुल्ल) 14. सो (उ8) 29. तुब्भे (उच्छल) 15. तुह (मर) 30. तुमं (उल्लस) 22 ] प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - उदाहरण1. अम्हे जुज्झमि/जुज्झामि जुज्झमि । । 6. अम्हे तडफडमो/तडफडामो/तडफडेमो । (च) निम्नलिखित क्रियाओं के पुरुष, वचन, मूलरूप, प्रत्यय एवं काल वर्तमान (व) या विधि एवं प्राज्ञा (वि) लिखिए 1. डरहि 4. अच्छेध 7. उच्छलसि 10. खेलह 13. मुच्छेसि 16. घुमन्तु 19. लज्जसे 2. कलहह 5. तडफडउ 8. उल्लसमो 11. कुल्लामि 14. लज्जमु 17. पदमु 20. कुल्लदे 3. थक्कइ 6. मरमि 9. कंपेदु 12. जुज्झन्ति 15. रुवदि 18. उज्जमभि उदाहरण पुरुष ___डरहि मध्यम पुरुष वचन एकवचन मूलरूप डर प्रत्यय हि काल वि - प्राकृत अभ्यास सोरम ] 1 23 2010_03 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-6 (क) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए। पुरुषवाचक सर्वनामों एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए1 तुम दोनों खुश होवो। 2. वे सब रोते हैं। 3. मैं बैठता हैं। 4. हम दोनों डरते हैं। 5. वह हंसता है। 6. तुम सब सोवो। 7. वे सब शरमाते हैं । 8. तुम छटपटाते हो । 9. मैं जागती हैं। 10. हम सब ठहरें। 11. वह कांपती है। 12. तुम नहावो । 13. तुम सब नाचो। 14. हम दोनों मरते हैं। 15. वे दोनों मरते हैं। 16. तुम घूमो। 17. वह ठहरता है। 18. मैं रूसता हूं। 19. हम सब प्रयास करें। 20. तुम सब खेलो। 21. वह छिपे । 22. वे सब जीते हैं। 23. तुम कूदते हो। 24. मैं उछलूं । 25. हम सब सोवें । 26. तुम दोनों थकते हो । 27. वह उठे । 28. वे दोनों कलह करते हैं । 29. मैं लड़ती हूँ। 30. हम दोनों मूच्छित होते हैं। 31. वह कलह करता है । 32. हम सब ठहरें। 33. तुम सब रोते हो। 34. वे सब बैठे। 35. हम दोनों जागें । 36. वे सब डरते हैं। 37. मैं हंसू। 38. वह गिरता है। 39. तुम शरमाते हो। 40. तुम कूदो । 41. वे दोनों छटपटाते हैं । 42. मै नहाता हूं। 43. तुम सब प्रयास करते हो। 44. तुम सब हंसो। 45. वह मरती है। 46. वे सब होवें। 47. वह नाचती है । 48. मै घूमता हूँ। 49. तुम प्रयास करो। 50. वह खेलती है। 51. तुम सब छिपो। 52. वे सब मूच्छित होते हैं । 5 3. वह खुश होवे । 54 तुम सब उठते हो । 55. मैं कूदूं। 56. वे सब लड़ती हैं। 57. हम दोनों जीवें। 58. तुम सब बैठो। 59. हम सब खुश होते हैं । 60. वे सब घूमें। उदाहरण .. तुम दोनों खुश होवो-तुब्भे/तुम्हे/तुज्झे उल्लसह/उल्लसध/उल्लसेह/उल्लसेध/ ' उल्लसेज्जाह। नोट-इस अभ्यास-6 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 1 से 16 का अध्ययन कीजिए। 24 1 [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) प्राकृत रचना सौरभ के पाठ 1 से 16 तक के पादटिप्पणों के नियमों के अनुरूप निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए 1 तुम छिपते हो । 2. मैं जागता हूँ। 3. वह हंसता है । 4. हम सब ठहरते हैं। 5. तुम सब नहाते हो। 6. वे सब होती हैं। 7, मैं हसं । 8. तुम जागो। 9. वह रूसे । 10. हम सब छिपें । 11. वे सब होवें। उदाहरणसुम छिपते हो = तुम/तुं/तुमे लुक्कसि/लुक्कसे/लुक्केसि । (ग) निम्नलिखित क्रियाओं के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम लिखिए 1. "हसामो 4. ""लज्जह 7. "खेलइ 10. ""जीवसि 13. ..."डरमि 16. "जग्गित्था 19. ""उच्छलामि 22. ..."जुज्झध 25. ..."थक्कमो 28. ""कंपेइ 31. ""सयेसु 34. ""ठाइ 37. ..."लज्जदि 40. ..."खेल 43. .."उल्लसमि 46. ""जुज्झिरे 49. ...हामि 52. ""लुक्कमु 2. ""कुल्लहि 5. ""उठेन्तु 8. ""उल्लसेह 11. ""होम 14. .."हाहि 17. "कलहन्ति 20. ""सयमु 23. ""उज्जमेन्तु 26. '" पडेमि 29. ""रूससु 32. ""कुल्लेउ 35 ""जग्गमु 38. ""उट्ठह 41. ""पडए 44. .."तडफडेइ 47..."उज्जम 50. ""उच्छलेदु ___53. ""थक्कहि 3. ""णच्चमु 6. ""ठामु 9. "रुवउ 12. .."अच्छदे 15. ""मुच्छन्ति "घुम 21. ""लुक्कह 24. .."तडफडसे 27. .."मरसि 30. ..."मरन्त 33. ""हसेमु 36. ""णच्चेज्जसु 39. ""होउ 42. ."अच्छन्तु 45. ""कंपह 48. ""उल्लसदु 51. ..."जीवह .54. ""डरेन्तु प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 25 2010_03 Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 55. घुमेमो 58. ''ठादु 26 उदाहरण - म्हे / वयं हसामो तुमं / तूं / तुह कुल्लहि अहं / हं / अम्मि णच्चमु । (घ) निम्नलिखित पुरुषवाचक सर्वनामों के अनुरूप कोष्ठक में दी हुई क्रियाओं के वर्तमानकाल (व) तथा विधि एवं श्राज्ञा (वि) में क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए वर्तमानकाल 1. अम्हे (हस ) 2. सो (कुल्ल) 3. तुह ( उज्जम ) 4. ते (उल्लस) 5. हं ( कंप) 6. तुम्हे (जीव ) 7. go✈ (31) 8. सा ( णच्च) 9. अम्हे (उल्लस) 10. ता (लज्ज ) 11. सो (तडफड) 12. तुं (सय) 13. तुझे (कलह ) 14. ते (उच्छल ) 15. सा (उट्ठ) 1 उदाहरण 1. अम्हे हसमो / हसमु / हसम | 56. 59. .... ह से सु - 2010_03 मुच्छसि 57. ''''कलहघ 60. .... रूसे मो विधि एवं श्राज्ञा 16. सो (रुख) 17. अहं (लुक्क) 18. तुज्झे (हो) 19. अम्हे (खेल) 20. तुह (पहा ) 21. ते (घुम) 22. ताओ (रूस) 23. सो (मर) 24. वयं (जग्ग) 25. ताउ (डर) 26. तुमं (थक्क) 27. ते (अच्छ) 28. तुम्हे ( पड) 29. अम्मि (जुज्झ ) 30. तुं (मुच्छ) 16. सो रुवउ / रुवेउ / रुवदु / रुवेदु । [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (च) निम्नलिखित क्रियाओं के पुरुष, वचन, मूलरूप, प्रत्यय एवं काल वर्तमान (व) या विधि एवं प्राज्ञा (वि) लिखिए 1. हसह 4. घुममि 7. उल्लसेन्तु 10. जीवसु 13. जुज्झदि 16. कंपसि 19. उज्जमेमु 22. उच्छलित्था 25. होम 28. तडफडेह 2. अच्छहि 5. उट्ठ 8. लज्जमो 11. पडमि 14. ठासु 17. तडफडए 20. मुच्छेसि 23. गच्चन्ति 26. रुवन्ते 29. णच्चमु 3. लज्जइ 6. खेलध 9. लुक्कसु 12. जग्गदु 15. रूसेमि 18. सयेह 21. कुल्लेमो 24. व्हाइरे 27. लुक्कधि 30. लज्जउ उदाहरण - पुरुष मध्यम पुरुष वचन बहुवचन मूलरूप हस प्रत्यय ह हसह काल वि प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 27 2010_03 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-7 (क) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए । पुरुषवाचक सर्वनामों एवं fraredi के सभी विकल्प लिखिए 1. तुम 'नाचोगे । 2. वह ठहरेगा । 3. तुम सब सोवोगे । 4. वह हँसेगी। 5. हम सब जागेंगे। 6. मैं जीतूंगा । 7. वे सब ठहरेंगी । ४. तुम सब होवोगे । 9. तुम रूसोगे । 10. हम सब नहावेंगे । 11. तुम दोनों जीवोगे । 12 वह छिपेगा | 13. हम सब सोयेंगे | 14. वे सब हँसेंगे । 15. वह जागेगी । 16. हम शरमायेंगे । 17. वे लड़ेंगे । 18. तुम खेलोगी । 19. वह उठेगी | 20. वे सब खुश होंगे। 21. वह घूमेगी । 22. वह छटपटावेगा । 23. वे सब रोवेंगे | 24. वे दोनों कांपेंगे। 25. वह मरेगा | 26. तुम बैठोगे । 27. तुम सब गिरोगे । 28. वे सब कूदेंगे । 29. वह खुश होगा । 30. तुम सब प्रयास करोगे | उदाहरण तुम नाचोगे = (ख) प्राकृत रचना सौरभ के पाठ 19 से 26 के पादटिप्परणों के नियमों के अनुरूप निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए उदाहरण मैं रोऊंगा तुमं / तूं / तुह णच्चिहिसि / णच्चि हि से / णच्चिस्ससि / णच्चिस्स से / चिसिसि / णच्चिस्सिसे । 1. मैं रोऊँगा । 2. तुम खायोगे । 3. वह जाएगा । 4. हम सब कहेंगे । 5. तुम सब सुनोगे । 6. वे सब जानेंगे । - अहं / हं / प्रम्मि रोच्छं । नोट – इस अभ्यास - 7 को हल करने के लिए प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 19 से 26 का अध्ययन कीजिए । 28 ] 2010_03 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग) निम्नलिखित क्रियानों के वचन के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम लिखिए 1. हसिस्स सि 2. लज्जिस्सिम 3. .... लिस्सिदि 4. 5. ''डरिस्सह 6. जग्गस्सन्ते 7. उच्छ लिस्सिसे 8. ... जुज्झिस्सामो 10. कंपिहिम 11. समितिह 13. 'लज्जिहसि 14. खेलिस्सामु 16. 'जुज्झिहामि 17. हास्सिदि 19. घुमिहिसे 20. उल्ल सिस्स मि 22. -- उट्ठिस्सिमि 23. ... उल्लसिस्सिइत्था 25. .... हास्सिसि 26. ... कल हिहिमु 28. पडिस्सिध 141 जीवितामि उज्जमिस्सं 29. 31.feafeafa 32. जग्गस्ससि 35. .... तडफडिस्सिमि 38. थक्कि हिसे 41.....चिहि 34. 'डिस्सए 37 .... उच्छ लिस्सइ 40. हसि हिन्ति 43. रुविहिमो 46. ... घुमि सिध 49. मरिहिमु 52. - होहिन्ति 44. च्छिहि 47. ... तडफडिस्सिसे 50. ... हसिस्सिदि 53. 55. उल्लसिहिम 56. 58. .... कल हिस्सइ 57. उदाहरण तुम / तूं / तुह हसिस्ससि प्राकृत अभ्यास सौरभ ] ... 2010_03 "अच्छिस्सइत्था जीविहिदे रूसि हिन्ति म्हे / लज्जिस्सिम ... 9. थक्कस्सिदे 12. ... ठास्सन्ति 15. हसिहिन्ति 18. लुक्किस्सिइरे 21. कुल्लिहिदि 24. होहिते 27. ....सस्सिइ 30. ....रूसिहिन्ति 33. उट्टामो 36. .... उज्ज मिस्सं 39. "मुच्छिस्सिम 42. ठाहसि मूच्छिस्सिम 48 मरिहिह 51. " पच्चिस्सामि 54. कंपिरसि 57. डरिहामि 60. - हास्सामि 45. ... सो / सा खेलिस्सिदि । [ 29 Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (घ) निम्नलिखित पुरुषवाचक सर्वनामों के अनुरूप कोष्ठक में दी गई क्रियानों के भविष्यत्काल में क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. अम्हे (हस ) 4. ते (लज्ज ) 7. तुम्हे (57) 10. ता (लज्ज) 13. तुज्झे (कलह) 16. सो (रु) 19. अम्हे (खेल) 22. ताउ (रूस) 25. सा (डर) 28. तुझे (पड) 1. घुमिस्सामि 4. हसिसामु 7. लुक्किस्ससि 10. पडिहिमि 13. ठास्ससि 16. तडफडिहिए 19. मुच्छिहिह 2. सो (कुल्ल) 5. हं (कंप) 8. सा (पच्च) 11. सो ( तडफड ) 14. ते (उच्छल) 17. ग्रहं (लुक्क ) 20. तुमं (व्हा ) 23. सो (मर) उदाहरण -- अम्हे हसिहिमो / हसि हिमु / हसिहिम / हसिस्सा मो/ हसिस्सामु / हसिस्साम / हसिस्सिमो / हरि सिमु / हसिस्सिम / हसिहामो / हसिहाम / ह सिहामु । 30 ] 26. तुह ( थक्क ) 29. अम्मि ( जुज्झ ) (च) निम्नलिखित क्रियानों के पुरुष, वचन, मूलरूप एवं प्रत्यय लिखिए 2. लज्जिस्सइ 3. उल्लसिस्सन्ति 5. अच्छिस्सिसि 6 उद्विस्सह 8. खेलिस्सं 9. जीविस्सए 12. जुज्झिहिन्ति 15. कंपिस्सिन्ते 18. उज्जमिस्सिमु 21. उच्छलिहित्था [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 3. तुह (उज्जम) 6. get (sila) 9. वयं ( उल्लस) 12. तुं ( सय ) 15. सा ( उट्ठ) 18. तुम्हे (हो) 21. ते (घुम) 24. श्रम्हे (जग्ग ) 27. ते (अच्छ 30. तुमं (मुच्छ) 11. जग्गस्सध 14. रूसि सामो 17. सस्सिइत्था 20. कुल्लिहा मि Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22. रणच्चिस्सिन्ति 25. रुविहिमो 28 कलहिहिसि 23. हास्सह 26. लुक्किहित्था 29. ण्हास्सामि 24. होस्सामि 27. डरिहिम 30. ठाहिइ उदाहरण - घुमिस्सामि पुरुष उत्तमपुरुष वचन एकवचन मूलरूप घुम प्रत्यय स्सा+मि प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 31 2010_03 Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-8 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । पुरुषवाचक सर्वनामों एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. मैं हस्। 2. मैं कूदता हूँ। 3. मैं प्रयास करूंगा। 4. तुम दोनों बैठो। 5. तुम सब कांपते हो। 6. तुम सब जीवोगे। 7. वह ठहरा । 8. वह नाचती है। 9. वह खुश होवेगा। 10. हम सब सोये। 11. हम सब शरमाते हैं । 12. हम सब छिपेंगे। 13. तुम उछलो। 14. तुम छटपटाते हो। 15. तुम कलह करते हो। 16. वे सब उठे। 17. वे सब रोती हैं।। 18. वे सब होवेंगे। 19. मैं खेला। 20. मैं घूमंगी। 21. तुम सब जागो। 22. मैं नहाता हूं । 23. तुम सब रूसते हो। 24. तुम सब मरोगे। 25. वह जागा । 26. वह डरती है । 27. वह थका। 28. हम सब बैठे। 29 हम सब गिरते हैं। 30 हम सब मूच्छित होते हैं । 31. मैं हंसंगी। 32. मैं कूदं । 33. तुम सब बैठोगे । 34. वे सब कांपते हैं । 35 वह जीवे । 36. तुम ठहरो। 37. वे सब नाचें। 38 तुम सब खुश होवो। 39. हम सब सोयेंगे। 40. वे सब शरमायेंगे । 41. मैं छिपूं। 42. वह तड़फड़ाता है । 43. वे दोनों कलह करते हैं। 44. तुम उठो । 45. वह रोती है। 46. हम सब होवेंगे। 47. तुम सब खेलो। 48. वे सब नहावें। 49. मैं घूमं । 50. तुम जागते हो। 51. वह रूसी। 52. वे दोनों मरते हैं। 53. मैं बैठेगा। 54. तुम सब थकते हो। 55. मैं डरूंगी। 56. वे सब गिरे । 57. वह मूच्छित होती है । 58. तुम प्रयास करो। 59 वह नाचेगा। 60 हम दोनों प्रयास करेंगे। उदाहरण - मैं हँसू = अहं/हं/अम्मि हसमु/हसामु/हसिमु/हसेमु । नोट - इस अभ्यास-8 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 1 से 27 का अध्ययन कीजिए। 32 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) निम्नलिखित क्रियाओं के वचन के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम लिखिए 1. ""होस्सन्ति 4. ..."उल्लसिस्सइ 7. .."रुवन्ति 10. " गच्च 13. ""उट्ठन्तु 16. " ठाउ 19. ""उल्लसेह 22. .."जीवेउ 25. .."कुल्लेज्जामि 28. ..."थक्किस्सए 31. "पडिस्सम 34. ....हामि 37. ""जग्गीय 40. ..."णच्चिहिइ 43..."पडन्ते 46. ..."डरेज्जासि 49. "घुममु 52. ""होएज्जा 55. ""उठेति 58. ""लुक्केमु 61. ""रणच्चइ 64. ""होहिम 67. ""ण्हन्तु 2 "कलहसे 5. .. जीविस्सिह 8. "तडफडसि 11. " कंपहर 14..."उच्छलेज्जाम 17. "अच्छइ 20. " णच्चेन्तु 23. """कपन्ति 26. .."हसिस्सामि 29. .. मरिस्स इत्था 32..." इरेइ 35. ""अच्छेज्जा 38. "" खेलमु 41. ""मुच्छए 44. अच्छिहिमि 47. ... मरिरे 50. .."हाएज्जाह 53. ""रुवेइ 56. ""कलहन्ते 59. "लज्जिस्सन्ति 62. ""उह 65. ''डरिहिम 68. .."उच्छल 3..."लुक्किस्सिमो 6. ""उज्जमिस्सामि 9. ""लज्जमो 12. ""कुल्लेदि 15 ..."सयमो 18. " हसमु 21. ""ठाहीम 24. .."अच्छिस्सघ 27. ... मुच्छमो 30. ""घुमेज्जाहि 33. ""रूसित्था 36. ""जग्गेउ 39. ""उज्जमिस्सामो 42. .."उज्जमेज्जसु 45. " थकित्था 48. ""रूसए 51. ... खेलह ..."उज्ज मेधि 57. " तडफडए ..." सयिस्सिम .'' अच्छामो ""घुमिस्सं .""कुल्लेमु 66. उदाहरणते/ता होस्सन्ति तुमं/तुं/तुमे कलहसे अम्हे/वयं लुक्किस्सिमो । - प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 33 2010_03 Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग) निम्नलिखित पुरुषवाचक सर्वनामों के अनुरूप कोष्ठक में दी हुई क्रिया के वर्तमान काल (ब), भूतकाल (मू), विधि एवं प्राज्ञा (वि) तथा भविष्यत् (भ) काल में क्रिया के सभी विकल्प लिखिए 1. अम्हे [हस (व)] 3. हं [जुज्झ (वि)] 5. ते [अच्छ (वि)] 7. सा [उर (व)] 9. सो [मर (भू)] 11. ते | घुम (वि)] 13. अम्हे खेिल (व)] 15. अहं लुक्क (म)] 17. सा [उट (वि)] 19. तुम्हे [कलह (व)] 21. सो [तडफड (भ)] 23. वयं [उल्लस (वि)] 25. तुझे [ठा (व)] 27. अम्मि [कंप (म)] 29. तुह [उज्जम (वि)] 2. तुमं [मुच्छ (म)] 4. तुब्भे [पड (वि)] 6 तुं [थक्क (म)] 8. अम्हे [जग्ग (वि)] 10. तानो [रूस (व)] 12. तुह [हा (भू)] 14. तुम्हे [हो (वि)] 16. सो [रुव (व)] 18. ताउ [उच्छल (म)] 20. तुह [सय (वि)] 22. ताउ [लज्ज (व)] 24. ता [गच्च (भू)] 26. तुम्हे [जीव (वि)] 28. हं [म्हा (भू)] 30. सो [कुल्ल (म)] उराहरणअम्हे हममो/हसमुहसम । (घ) निम्नलिखित क्रियानों के पुरुष, वचन, मूलरूप, प्रत्यय एवं वर्तमानकाल (व) या विधि एवं प्राज्ञा (वि), भविष्यत्काल (भ) या भूतकाल (भू) लिखिए1. कुल्लमो 2. मुच्छेसि 3. उज्जमिस्ससि 4. मयेह 5. तडफडए 6. कंपिस्सिह 7. ससेमि 8. ठासी 9. पहाएज्जाह 10. जग्गिस्मध 11. पडेज्जाहि 12. जीविस्सइ 13 लुक्केहि 14. लज्जमो 15. उल्लसिस्मसे 34 1 [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16. उद्वैज्जासि 19 होएज्जा 22. लज्जउ 25. होहि 28. तडफडेइ 31. पडमि 34. अच्छसि 17. खेलह । 20. लज्जी 23. णच्चन्ति 26. रुवन्ते 29. णच्चिहिन्ति 32. उट्ठ 35. जुज्झिस्समो 18. घुमिस्सामि' 21. हसिस्सन्ति 24. पहाहिह 27. लुक्किहामो 30. लज्जसे 33. कुल्लेज्जामि 36. हसेज्जाम उदाहरण कुल्लमो पुरुष वचन मूलरूप उत्तमपुरुष बहुवचन कुल्ल प्रत्यय मो काल वर्तमानकाल प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 35 2010_03 Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-9 (क) निम्नलिखित वर्तमानकालिक वाक्यों को दो प्रकार से शुद्ध कीजिए 1. सर्वनाम के अनुरूप क्रिया का शुद्ध रूप लगाइए । 2. क्रिया के अनुरूप सर्वनाम का शुद्ध रूप लगाइए । 1. अहं लुक्कसि । 2. तुमं गच्चमि । 3. सो हसेसि । 4. अम्हे हसदि । 5. तुम्हे थक्कन्ति । 6. ते लज्जमो। 7. ता पडघ । 8. तुम्भे घुमन्ति । 9. वयं ठाइ । 10. ते मरइ । 11. सो खेलन्ति । 12. तुह पडित्था। 13. तुझे उच्छलदे । 14. हं कंपित्था । 15. अम्मि कुल्लन्ति । 16. तुह मुच्छेइ । 17. तुम्हे व्हामु । 18. अम्हे होसि । 19. ता उट्ठइ । 20. तुह मरन्ते । - उदाहरणअहं लुक्कसि = अहं लुक्कमि/लुक्कामि/लुक्के मि । तुहं/तुं/तुह लुक्कसि/लुक्कसे/लुक्केसि । - - (ख) निम्नलिखित विधि एवं प्राज्ञावाचक वाक्यों को दो प्रकार से शुद्ध कीजिए 1. सर्वनाम के अनुरूप क्रिया का शुद्ध रूप लगाइए। 2. क्रिया के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम का शुद्ध रूप लगाइए। 1. हं पडउ । 2. तुह रुवमो। 3. सो थक्कधि । 4 अम्हे डरन्तु । 5. तुम्हे कंपमु । 6. तुं मुच्छदु। 7. सा कुल्लह । ४. अहं जुज्झेन्तु । 9. तुन्भे डरामो । 10. हं तडफड । 11. ते अच्छउ । 12. सो उदृह । 13. ता खेलध । 14.हं ण्हाधि। 15. तुमं कुल्लदु। 16. ते रुवउ । 17. अम्मि उल्लस । 18. सो कलहसु । 19. तुन्भे अच्छेज्जसु । 20. अम्मि लज्जसु । नोट-इस अभ्यास-9 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 1 से 27 का अध्ययन कीजिए। 36 1 । प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उदाहरणहं पडउ = हं पडमु/पडामु/पडिमु/पडेमु । सो/सा पडउ । (ग) निम्नलिखित भविष्यत्कालिक वाक्यों को दो प्रकार से शुद्ध कीजिए -- 1. सर्वनाम के अनुरूप क्रिया का शुद्ध रूप लगाइए। 2. क्रिया के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम का शुद्ध रूप लगाइए। 1. तुह उहिस्सं । 2. हं पडिहिसि । 3. सा कंपिहिमि । 4. अहं लज्जिस्सिमो । 5. तुं हसिहिह । 6. तुम्हे डरिहिमु । 7. अम्हे खेलिस्सघ । 8. तुम्भे मुच्छिस्सदे । 9. ता हा हिदि । 10. तुमं मरिहिम । 11. तुं कुल्लिस्सिमो। 12. अम्मि जुझिस्स इत्था । 13. हं खेलिहिह । 14. ताओ व्हाहिघ । 15. ताउ उज्जमिहिध । 16. वयं जग्गिस्सिह । 17. सो रूसिस्सिइरे। 18 ते ण्हाहिमि । 19. तुझे मुच्छिहिन्ति । 20. हं घुमिस्सिमु । उदाहरणतुह उद्विस्संतुहउट्ठिहिसि उद्विहिसे/उद्विस्ससि/उहिस्ससे उद्विस्सिसि/उट्ठिस्सिसे। अहं/हं/अम्मि उट्ठिस्सं । (घ) निम्नलिखित क्रियाओं के वचन के अनुरूप पुरुषवाचक सर्वनाम लिखिए1. ""यक्कमि 2. ' डरमो ..""पडमु 4. " उट्ठ 5. "कलहसे " मुच्छहि 7. " अच्छध 8 " मुच्छिहिह ." होम 10. "" कुल्लउ 11. ""जुज्झदु """उज्जमन्तु 13. " कंपसि 14. ' उल्लसेइ .."उच्छलए 16. 'लज्जीम 17. " मरिहिमि 18. "जुज्झिस्सिदे 19. ""जग्गिस्सध 20. "" ठाहिध 21. " उल्लस 22 '' जग्गहि 23. .." हादि 24. "मुच्छिहिन्ति प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 37 2010_03 Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 25. " हाही 28. सयन्तु 26. खेलिस्सिसि 29. ... लज्जिस्तइत्था 27. '' उढिहिमो 30. ""उज्जमेज्जसु उदाहरणअहं/हं/ अम्मि थक्कमि अम्हे/वयं डरमो महं/ह/प्राम्म गडमु । (च) निम्नलिखित पुरुषवाचक सर्वनामों के अनुरूप कोष्ठक में दो हुई क्रिया के वर्तमान (व), भूतकाल (५), विधि एवं प्राज्ञा (वि) तथा भविष्यत् (भ) काल में क्रिया के सभी विकल्प लिखिए 1. हं [दुल्ल (व)] 3. तुम्हे [उट्ठ (वि)] 5. तुब्भे [मुच्छ (भू)] 7. सा (लज्ज (भू)] 9. अहं [उल्लस (व)] 2. अम्हे खेल (भ)] 4. अहं [प्रच्छ (भू)] 6. तुज्झ [हस (भ) 8. अम्मि [डर (भ)] 10. ते जुन्झ (भ)] उदाहरणहं कुल्लमि/कुल्लामि/कुल्लेमि । 38 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-10 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । पुरुषवाचक सर्वनाम, सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1 वह रोकर सोता है । 2. तुम उछलकर कूदो। 3. मैं खेलकर खुश होऊंगी। 4. वे कलह करके छिपते हैं। 5. वह नाचकर थकी। 6 हम डरकर रोते हैं। 7. वे सब कांपकर मरते हैं । 8 तुम गिरकर उठते हो । 9. मैं हंसकर जीती हैं। 10. वह छटपटाकर मरी। 11. वे दोनों कूदकर मरती हैं। 12. तुम दोनों लड़कर रोते हो। 13. वह शरमाकर नाचती है। 14. तुम धमकर सोवो । 15. हम सब थककर सोयें। 16. वे प्रयास करके उछलेंगे। 17 मैं सोकर नठंगी। 18 वह लड़कर गिरता है । 19. तुम सब खुश होकर खेलो। 20. वह रोकर मूच्छित होती है । 21 वे दोनों बैठकर उठेगे। 22. मैं खुश होकर घूमंगी। 23. बह मच्छित होकर मरती है। 24. तुम ठहरकर बैठो। 25 वे सब जीकर खुश होती हैं । 26, वह नहाकर सोवे । 27 तुम खुश होकर खेलो। 28. वह छिपकर रोती है । 29. तुम हंसकर जीवो। 30. वह प्रयासकर नाचता है। उदाहरणवह रोकर सोता है = सो रुविऊरण/रुविऊणं/रुविद्ण/रुविणं/रुविन/रुविउं/ रुवित्ता सयइ/सयए/सयदि/सयदे । (ख) प्राकृत रचना सौरभ के पाठ 28 के पादटिप्परिणों में से दिए गए निम्न नियम के अनुरूप निम्नलिखिल वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए नियम 6 1. वह थककर सोया। 2. वह लड़कर गिरा। 3. मैं सोकर उठी। 4. तुम सब खेलकर थकोगे। 5. हम सब जीकर खुश होते हैं । नोट-इस अभ्यास-10 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 28 का अध्ययन कीजिए। प्राकृत प्रम्यास सोरम ] [ 39 2010_03 Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उदाहरणसो थक्कित्ताण थक्कित्ताण थक्काय थक्काए/थक्कियाण/यक्कियारणं/थविकत्तु सयी। (ग) निम्नलिखित सम्बन्धक भूतकृदन्तों का प्रयोग करते हुए प्राकृत में वाक्य बनाइए। इच्छानुसार पुरुषवाचक सर्वनाम का प्रयोग करते हुए उसके अनरूप कोष्ठकों में दी हुई क्रियाओं के निर्देशानुसार कालों के सभी विकल्प लिखिए1. हसिऊण (जीव) वर्तमानकाल 2. उद्विदूण (खेल) विधि एवं प्राज्ञा 3. जुज्झिऊणं (मर) भविष्यत्काल 4. उच्छलिअ (कुल्ल)विधि एवं प्राज्ञा 5. लुक्किउं (रुव) वर्तमान काल 6. उज्जमित्ता (उच्छल) भविष्यत्काल 7. घुमिऊण (सय) विधि एवं आज्ञा 8. कलहिदूण (लुक्क) वर्तमानकाल 9. डरिन (रुव) वर्तमानकाल 10. उल्लसित्ता (खेल) विधि एवं आज्ञा 11. सयिदूणं (उ8) भविष्यत्काल 12. ण्हाउं (सय) विधि एवं आज्ञा 13. रुवित्ता (मुच्छ) वर्तमानकाल 14 ठादूण (अच्छ) विधि एवं आज्ञा 15. खेलिऊण (उल्लस) वर्तमानकाल 16. पडिअ (रुव) वर्तमानकाल 17. तडफडिऊण (मर) भविष्यत्काल 18. थक्किउं (सय) विधि एवं आज्ञा 19. जीवित्ता (उल्लस) वर्तमानकाल 20. लज्जिऊणं (गच्च) वर्तमानकाल 21. हो दूण (रुव) भविष्यत्काल 22. जग्गेऊण (उ8) विधि एवं प्राज्ञा 23. कुल्लेदूणं (मर) वर्तमानकाल 24. मुच्छित्ता (पड) वर्तमानकाल 25. णच्चिउ (उल्लस) भविष्यत्काल 26. रूसिन (सय) वर्तमानकाल 28. उल्लसिऊणं (उल्लस) वि. एवं प्रा. 28. कंपिय (पड) वर्तमानकाल 29. लज्जिउ (हस) वर्तमानकाल 30. डरिन (जग्ग) वर्तमानकाल - - उदाहरणअहं/ह/अम्मि हसिऊरण जीवमि/जीवामि/जीवेमि । 40 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (घ-1)निम्नलिखित क्रियानों में से किसी एक में सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में सर्वनामों के अनुरूप वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइए। सभी विकल्प लिखिए1. सो (डर, रुव) 2 ह (हस, जीव) 3. ते (तडफड, मर) ___4. सा (जुज्झ, पड) 5. अम्हे (जीव, उल्लस) 6. तुम्हे (उच्छल, रुव) 7. तुह (पड, उट्ठ) 8. सा (मुच्छ, मर) 9. ता (लज्ज, रगच्च) 10. सो (रगच्च, थक्क) उदाहरणसो डरिका/डरिऊणं डरिदूण/डरिदूणं/डरिय/डरिउं/डरित्ता रुवइ रुवए/ रुवदि/रुवदे। - (घ-2) निम्नलिखित क्रियाओं में से किसी एक में सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में सर्वनामों के अनुरूप विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइए । सभी विकल्प लिखिए-- 1 तुमं (उच्छल, कुल्ल) 3. अम्मि (ठा, अच्छ) 5. तुं (घुम, सय) 7. हं (खेल, सय) 9. तुब्भे (खेल, अच्छ) 2. तुझे (उल्लस, खेल) 4. सा (हा, सय) 6. ते (उज्जम, कुल्ल) 8. तानो (उल्लस, जीव) __10. सो (उज्जम, खेल) उदाहरणतुमं उच्छलिऊण/उच्छलिऊणं उच्छलिदूण/उच्छलिदूणं/उच्छलिय/उच्छलि उं/ उच्छलित्ता कुल्लाह/कुल्लसु/कुल्लधि/कुल्ल/कुल्लेहि कुल्लेसुकुल्लेधि | कुल्लेज्जसु/कुल्लेज्जहि/कुल्लेज्जे ।... - प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 4.1 2010_03 Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (घ-3) निम्नलिखित क्रियानों में से किसी एक में सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में सर्वनामों के अनुरूप भविष्यत्काल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइए । सभी विकल्प लिलिए 1. अम्मि (खेल, उल्लस) 3. ताउ (लज्ज, रगच्च) 5. सो (मुच्छ, मर) 7. अहं (सय, उट्ठ) 9. ते (उज्जम, खेल) 2. ते (उज्जम, उच्छल) 4. वयं (अच्छ, उट्ठ) 6. तुम्हे (घम, उल्लस) 8. सा (हस, रगच्च) 10. तुह (उच्छल , कुल्ल) उदाहरण--- अम्मि खेलिऊण/खेलिऊणं/खेलिदूण/खेलिदूर्ण खेलिय/खेलिउं/ खेलित्ता उल्लसिहिमि/ उल्लसिस्सामि/उल्लसिहामि/उल्लसिस्सिमि/उल्लसे हिमि/उल्लसेस्सामि/ उल्लसेहामि/उल्लसिस्सं/उल्लसेस्स । (च) निम्नलिखित सम्बन्धक भूतकृदन्तों (पूर्वकालिक क्रियाओं) की मूलक्रिया एव उनके प्रत्यय लिखिए 1. लज्जिउं 4. डरेऊण 7. उट्ठेऊण 10. जग्गित्तु 13. सयेणं 16. ठादूण 19. पडिऊण 22. उल्लसिऊणं 25. लुक्कित्तारण 2. घुमित्ता 5. कलहिन 8. खेलित्ता 11. कुल्लिङ 14. जीवित्ता 17. तडफडित्ता 20. उल्लसेऊणं 23. णच्चित्रं 26. जीविउं 3. अच्छेगुण 6. थक्किदूण 9. हसित्ता 12. उच्छलिउं 15. कंपियाणं 18. रुवित्ता 21. उज्जमेदूण 24. रूसित्ताणं 27. व्हाइत्ता 42 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 28. होऊण 31. लुक्कित्ता 34. रूसाय 29. मरि 32. कपिऊण 35. जग्गिय 30. ठाणं 33. उल्लसियाणं 36. उच्छलेत्ताण उदाहरण प्रत्यय मूलक्रिया लज्ज लज्जिउं प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 43 2010_03 Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-11 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । पुरुषवाचक सर्वनाम, हेत्वर्थक कृदन्त एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. वे सब खुश होने के लिए जीते हैं । 2. तुम जागने के लिए प्रयास करो । 3. हम सब सोने के लिए थकेंगे 4. वह नाचने के लिए उठी । 5. वह मरने के लिए कूदता है | 6. तुम उछलने के लिए प्रयास करो । 7. वे दोनों थकने के लिए घूमते हैं। 8. वह मरने के लिए छटपटाता है। 9. तुम दोनों नाचने के लिए उठो | 10. वह लड़ने के लिए ठहरा । 11. वे सब सोने के लिए उठें । 12. वे सब जागने के लिए प्रयास करते हैं । 13. वह रोने के लिए छिपता है । 14. तुम खेलने के लिए प्रयास करो। 15. हम सब खुश होने के लिए घूमेंगे । 17. वह कलह करने के लिए ठहरी । 18. तुम थकने के लिए घूमो। 18. वे सब घूमने के लिए खुश होवेगे । 19. तुम सब खुश होने के लिए जीयो । 20. तुम कूदने के लिए उठो | 21. वह खेलने के लिए रूसती है । 22. तुम हँसने के लिए नाचो | 23. वह स्नान करने के लिए ठहरेगा । 24 लिए प्रयास करेंगी । 25. तुम सब बैठने के लिए ठहरो । 26 हम सब जीने के लिए खुश होवेगे | 27. वे लड़ने के लिए छिपे । 28 वे दोनों खेलने के लिए खुश होवेंगी। 29 वह कूदने के लिए ठहरे | 30. वे सोने के लिए रोते हैं । वे सब नाचने के ―― उदाहरण- वे सब खुश होने के लिए जीते हैं -- ते उल्लसिउं / उल्ल सिदूं / उल्ल से उं / उल्ल से द् जीवन्ति / जीवेति / जीवन्ते / जी विरे । नोट - इस अभ्यास-11 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 29 का अध्ययन कीजिए । 44 1 2010_03 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृत रचना सौरभ के पाठ 29 के पादटिप्परणों में से दिए गए निम्न नियम के अनुरूप निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए नियम 5 1. वह नाचने के लिए उठता है । 2. वह बैठने के लिए गिरती है । 3. तुम सब खुश होने के लिए खेलोगे । 4. वह जागने के लिए प्रयास करे । 5. वह सोने के लिए रोया । उदाहरण वह नाचने के लिए उठता है = सो णच्चितए / गच्चेत्तए उट्ठइ / उट्ठए / उट्ठदि / उ (ग) निम्नलिखित हेत्वर्थक कृदन्तों का प्रयोग करते हुए प्राकृत में वाक्य बनाइए । इच्छानुसार पुरुषवाचक सर्वनाम का प्रयोग करते हुए उसके अनुरूप कोष्ठकों में दी हुई क्रियाओं के निर्देशानुसार कालों में सभी विकल्प लिखिए 1. खेलिउं (रूस) वर्तमानकाल 3. थक्केउं ( घुम) भविष्यत्काल 5. जग्गेउं (उज्जम) विधि एवं प्राज्ञा 7. उच्छलिउं (उज्जम) विधि एवं प्र. 9. जुज्झेदुं (मर) वर्तमानकाल 11. घुमेउं ( उल्लस) भविष्यत्काल 13. णच्चिरं ( उट्ठ) विधि एवं प्राज्ञा 15. कुल्लिउं (ठा) विधि एवं आज्ञा 17. रुवेडं (लुक्क) वर्तमानकाल 19. णच्चेत्तए (लज्ज) भविष्यत्काल 21. हाउं (श्रच्छ) विधि एवं प्राज्ञा 23. लुक्केदुं (उज्जम) भविष्यत्काल प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 2. कल हिंदु (प्रच्छ ) वर्तमानकाल 4. उल्लसेदुं (जीव) वर्तमानकाल 6. मरेदुं (कुल्ल) वर्तमानकाल ४. उल्लसित्तए (घुम) भविष्यत्काल 10. सयेउं ( उट्ठ) विधि एवं प्रज्ञा 12. पडिदु (कुल्ल) वर्तमानकाल 14. सयेउं (रुव) वर्तमानकाल 16. जीवेदुं (उल्लस) भविष्यत्काल 18. सयिदुं (ठा) विधि एवं आज्ञा 20. उट्ठिउं (उज्जम) वर्तमानकाल 22. उल्लसिउं (खेल) वर्तमानकाल 24. ठाउं (प्रच्छ ) विधि एवं प्राज्ञा [ 45 Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 25. जीवित्तए (उज्जम) वर्तमानकाल 26. जुज्झिउं (उ8) वर्तमान काल 27. थक्के, (गच्च) भविष्यत्काल 28. सयेदं (थक्क) विधि एवं प्राज्ञा 29. थक्किउं (गच्च) वर्तमानकाल 30. कल्लेदुं (उ8) भविष्यत्काल उदाहरणअहं/हं/अम्मि खेलिउं रूसमि/रूसामि/रूसेमि । (घ-1)निम्नलिखित क्रियानों में से किसी एक में हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में सर्वनामों के अनुरूप वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बन इए । सभी विकल्प लिखिए 1. अम्हे (उल्लस, जीव) 3. ता (थक्क, घुम) 5. सा (गच्च, उट्ठ) 7. तायो (खेल, रूस) 9. सा (उट्ठ, उज्जम) 2. ते (कलह, घुम) 4. हं (जग्ग, उज्जम) 6. सो (मर, कुल्ल) 8. तुह (सय, रुव) 10. तुम्हे (पड, कुल्ल) उदाहरणअम्हे उल्लसिउँ/उल्लसितुं/उल्लसे उं/उल्लसेदुं/उल्लसित्तए जीवीन । (घ-2) निम्नलिखित क्रियाओं में से किसी एक में हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में सर्वनामों के अनुरूप विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । सभी विकल्प लिखिए 1. ते (घुम, उल्लस) 3. अम्हे (जीव, उल्लस) 5. सा (थक्क, रगच्च) 2. तुमं (हा, ठा) 4. ताउ (थक्क, घुम) 6. तुम्हे (लुक्क, उल्लस) 46 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 7. सो (कुल्ल, उट्ठ) 9. ताओ (उल्लस, घुम) 8. ता (णच्च, लज्ज) 10. अहं (खेल, ठा) उदाहरणते घुमिउं/घुमिदं/घुमेऊं, घुमेहूँ/घुमित्तए उल्लसन्तु/उल्लसेन्तु । (घ-3) निम्नलिखित क्रियानों में से किसी एक में हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कोजिये तथा दूसरी क्रिया में सर्वनामों के अनुरूप भविष्यत्काल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये सभी विकल्प लिखिए 1. ते (जग्ग, उज्जम) 3. तुमं (कुल्ल , ठा) 5. सा (णच्च, उट्ठ) 7. तुम्हे (हस, रगच्च) 9. तुं (सय, थक्क) 2. तुब्भे (सय, उट्ठ) 4. सो (हा, अच्छ) 6. ता (उल्लस, जीव) 8. वयं (प्रच्छ, ठा) 10. अम्मि (उच्छल, उज्जम) उदाहरणते जग्गि/जग्गिजग्गे/जग्गेदं जग्गेत्तए उज्जमिहिन्ति/उज्जमिहिन्ते/ उज्जमिहिइरे/उज्जमिस्सन्ति/उज्जमिस्सन्ते/उज्जमिस्सइरे/उज्जमिस्सिन्ति उज्जमिस्सिन्ते/उज्जमिस्सिइरे । (च) निम्नलिखित हेत्वर्थक कृदन्तों की मूलक्रिया एवं उनके प्रत्यय लिखिए 1. हसिउं 2. लज्जिदूं 3. घुमेहूँ 4. रुविउं 5. तडफडे 6. कलहिदु 7. उट्ठि 8. अच्छे 9. पडे, 10. मुच्छिदूं 11. उल्लसिउं 12. जुज्झे 13. उच्छलि दूं 14. सये, 15. कुल्ले प्राकृत अभ्यास सौरभ । [ 47 2010_03 Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16. उज्जमित्तए 19 उल्लसिदु 22. कंपिउं 25. रूसेढुं 28. जीवउं 31. उज्जमिउं उदाहरण हसि 48 1 2010_03 17. खेले उं 20. मरेदुं 23. लुक्केत ए 26. जग्गजं 29. होउं 32. लुक्कि मूलक्रिया हस 18. णच्चिदुं 21. जीवेडं 24. ठा 27. हाउं 30. सविदु 33. होदुं प्रत्यय उं [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-12 (क) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए । पुरुषवाचक सर्वनाम, सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया), हेत्वर्थक कृदन्त एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. तुम खुश होकर जीओ। 2. वह नाचने के लिए उठती है । 3. वे सब उछलने के लिए प्रयास करेंगे। 4. तुम घूमकर थकते हो। 5. वह मरने के लिए कूदता है। 6. तुम सब हँसकर खेलो। 7. हम सब जागकर उठते हैं। 8. मैं खेलकर प्रसन्न होती हैं। 9. वह नाचने के लिए शरमाएगी। 10. तुम सब ठहरकर स्नान करो। 11. मैं घूमने के लिए उठंगी। 12 वह कांपकर मूच्छित होता है। 13. वे दोनो लड़कर मरेंगे। 14. तुम दोनों बैठने के लिए ठहरो। 15. वे दोनों लड़कर तड़फड़ाते हैं । 16. मैं हंसकर जीतूंगी। 17. वह शरमाकर नाचेगी। 18. तुम रूसकर सोते हो। 19 वे जागने के लिए प्रयास करे। 20. वे सब घूमने के लिए प्रसन्न होवेंगी। 21 तुम उठने के लिए ठहरो। 22. वह रोकर सोवेगी। 23. हम सब प्रसन्न होने के लिए घूमेंगे। 24. वे सब लड़ने के लिए छिपते हैं । 25. तुम स्नान करके सोवो। 26. तुम नाचकर थकते हो। 27. वे सब बैठकर खेलें । 28. तुम उठने के लिए आगो । 29. मैं सोने के लिए उठती हूँ। 30. वह खुश होकर घूमेगी। उदाहरण तुम खुश होकर जीग्रो=तुमं/तुं/तुह उल्लसिऊरण/उल्लसिऊणं/उल्लसिदूण उल्लसिणं/उल्लसिउं/उल्लसिय/उल्ल सित्ता जीवहि/ जीवसु/जीवधि/जीव/जीवेहि/जीवेसु/जीवे घि/जीवेज्जस/ जीवेज्जहि/जीवेज्जे । नोट-इस अभ्यास-12 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 28 व 29 का अध्ययन कीजिए। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 49 2010_03 Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) निम्नलिखित सम्बन्धक भूतकृदन्तों व हेत्वर्थक कृदन्तों का प्रयोग करते हुए प्राकृत में वाक्य बनाइये । इच्छानुसार पुरुषवाचक सर्वनाम का प्रयोग करते हुए उसके अनुरूप कोष्ठकों में दी हुई क्रियानों के निर्देशानुसार कालों में सभी विकल्प लिखिए1. उल्लसित्ता (जीव) विधि एवं आज्ञा 2. णच्चिद् (लज्ज) भविष्यत्काल 3. कंपिदूण (मुच्छ) वर्तमानकाल 4. हसित्ताणं (खेल) विधि एवं प्राज्ञा 5. घुमिउं (उल्लस) भविष्यत्काल 6. व्हाइत्ताण (सय) विधि एवं प्राज्ञा 7. हसिउं (उ8) वर्तमान काल 8. खेलिऊण (उल्लस) वर्तमानकाल 9. उल्लसेत्तुं (घुम) भविष्यत्काल 10. अच्छाय (खेल) विधि एवं आज्ञा 11. सयित्तु (उट्ठ) वर्तमानकाल 12. रुवाए (सय) भविष्यत्काल 13. उद्वित्तए (जग्ग) विधि एवं प्राज्ञा 14. मरेत्ताण (कुल्ल) वर्तमानकाल 15. ठाइत्तुं (हा) विधि एवं प्राज्ञा 16. उच्छलाय (उज्जम) भविष्यत्काल 17. जग्गिउं (उट्ठ) वर्तमानकाल 18. उद्विदं (ठा) विधि एवं प्राज्ञा 19. लज्जियाणं (गच्च) वर्तमान काल 20. जुज्झिदणं (मर) भविष्यत्काल 21. उज्जमेत्तुं (उट्ठ) विधि एवं प्रा. 22. धुमित्ता (ठा) भविष्यत्काल 23. जीविउं (उज्जम) भविष्यत्काल 24. कलहित्ताण (रुव) वर्तमानकाल 25. लुक्काए (अच्छ) विधि एवं आ 26. खेलियाण (रूस) वर्तमानकाल 27. थक्किदूण (चुम) भविष्यत्काल 28. पडेऊण (रुव) वर्तमानकाल 29. तडफडित्तए (मर) भविष्यत्काल 30. उल्लसेत्ताण (णच्च) विधि एवं प्रा. उदाहरण - अहं// अम्मि उल्लसित्ता जीवमु/जीवा मु/जीविमु/जीवेमु । (ग-1)निम्नलिखित क्रियाओं में से किसी एक में सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) या हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में सर्वनामों के अनुरूप वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । सभी विकल्प लिखिएहै. सो (लज्ज, गच्च) 2. सा (जुज्झ, मर) 50 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3. हं (खेल, उल्लस) 5. ते (मर कुल्ल) . तुम्हे (उल्लस, घुम) 9. सो (कलह, रुव) 4. तुह (सय, उट्ट) 6. अम्हे (खेल, अच्छ) 8. ता कप, मर) 10. तुम (पड, रुव) उदाहरणसो लज्जिऊण लज्जिऊणं/लज्जिदूण/लज्जिदूण/लज्जिय लज्जिउं/लज्जित्ता/ लज्जित्ताण लज्जित्ताणं लज्जाय लज्जाए/लज्जियाण लज्जियाणं लज्जित्तु णच्चइ/णच्चए/णच्चदि/रणच्चदे । (ग-2) निम्नलिखित क्रियाओं में से किसी एक में सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) या हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिये तथा दूसरी क्रिया में सर्वनामों के अनुरूप विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । सभी विकल्प लिखिए 1. सो (खेल, उज्जम) 3. हं (खेल, सय) 5 ते (कुल्ल, उज्जम) 7. तुब्भे (व्हा, सय) 9. सा (अच्छ, खेल) 2. तुह (ठा, अच्छ) 4 ता (उल्लस, जीव) 6. अम्हे (जग्ग, उज्जम) 8. तुं (उट्ठ, जग्ग) 10. तुम्हे (हस, खेल) उदाहरणसो खेलिउ/खेलिदु/खेलेउं खेलेदुं खेल्लित्तए/खेलेत्तए उज्जमउ/उज्जमे उ/उज्जमदु/ उज्जमेदु । (ग-3) निम्नलिखित क्रियाओं में से किसी एक में सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) या हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में सर्वनामों के अनुरूप भविष्यकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । सभी विकल्प लिखिए1. ते (उच्छल, उज्जम) 2. अम्मि (खेल, उल्लप्स) प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 51 ___ 2010_03 Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3. वयं (उल्लस, घुम) 5. तुह (उच्छल, कुल्ल) 7 तुझे (हा, सय) 9. सो (मुच्छ, मर) उदाहरण ते उच्छ लिउं / उच्छलिदूं / उच्छले उं / उच्छले दूं / उच्छ लित्तए उज्जमिहिन्ति / उज्जम हिन्ते / उज्ज मिहिइरे / उज्ज मिस्सन्ति / उज्ज मिस्सन्ते / उज्ज मिस्सइरे / उज्जमिस्सिन्ति / उज्जमिस्सिन्ते / उज्जमिस्सिइरे । (च) निम्नलिखित कृदन्तों की मूल किया, प्रत्यय एवं उनके नाम लिखिए 2. घुमिदूर 3. मुच्छियारण 6. तडफडिउं 5. ठाश्राय 1. हसित्ता 4. सयिऊरण 7. जुज्झाए 10. कुल्लि 13. खेले दू 16. अच्छियाणं 19. जग्गेत्तए 22. उल्लसाए 25. उज्जमित्ता 28. उच्छलेउ उदाहरण हसित्ता 52 1 4 सा ( लज्ज, रगच्च ) 6. ता ( सय, उठ ) 8 हं (हस, जीव) 10 सा (उल्लस, पच्च) मूलक्रिया हस 2010_03 8. चिदं 11. रुवित्त ए 14. लुक्के उं 17. कंपेतु 20. व्हाइत्ताण 23. डरिउं 26. होइत्ताण 29. मरित्ता प्रत्यय त्ता 9. उ 12. पडित्ताण 15. मरिदुं 18. थक्किऊण 21. कलहियारण 24. जीवेऊण 27. रुवित्तु 30 लज्जित्ताण कृदन्त सम्बन्धक भूतकृदन्त [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-13 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । संज्ञा, कुदन्त एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए1. कुत्ता भोंकता है। 2. ऊँट नाचता है । 3 पुत्र प्रसन्न होवे । 4. मनुष्य बूढा होता है। 5. समुद्र सूखेगा। 6. मामा उठे। 7. अग्नि जली। 8. राक्षस मरे । 9. वस्त्र सूखता है। 10. संसार नष्ट होगा। 11. शास्त्र शोभे । 12. गर्व गलता है। 13. ससुर बैठे । 14. मित्र खुश होवेगा। 15. सूर्य उगा । 16. रत्न शोभता है । 17. दुःख गले । 18. सिंह बैठता है । 19. मकान गिरेगा । 20. व्रत टूटता है । 21 समुद्र फैले। 22. दादा थकेगा । 23. पोता घूमे। 24. गर्व नष्ट हो। 25. राम प्रसन्न होता है। 26 बालक रूसा । 27. अपयश फैलता है। 28. पुस्तक गिरती है । 29. पिता उठता है । 30. देवर घूमे । 31. परमेश्वर प्रसन्न हो। 32. कुआ सूखेगा। 33. नरेश जीवे । 34, राजा हँसता है। 35. हनुमान कूदता है । 36. मृत्यु होती है । 37. हवा (पवन ) फैलती है । 38. पानी झरेगा : 39. बाप जीवे । 40 अपयश गलता है । 41. पानी झरकर लुढ़कता है। 42. मनुष्य पैदा होकर मरता है । 43. दादा जीने के लिए प्रसन्न होवे । 44. बालक सोने के लिए रोता है । 45. सूर्य उगकर शोभेगा। 46. मामा प्रसन्न होकर बैठे । 47. सर्प उड़कर गिरेगा। 48. गर्व गलकर नष्ट होगा । 49. पोता नाचने के लिए उठे । 50, पुत्र कलह करके शरमायेगा । 51. ऊँट थकने के लिए नाचेगा। 52. देवर घूमने के लिए उठे। 53. रत्न गिरकर टूटता है। 54 पिता जागकर डोलता है। 55. घर गिरकर नष्ट होगा। 56. पुस्तक जलकर नष्ट होती है। 57. कुत्ता भोंककर बैठता है। 58. व्रत टूटकर गला। 59. राक्षस मरने के लिए कूदा। 60. पानी फैलकर सूखेगा। उदाहरणकुत्ता भोंकता है=कुक्कुरो/कुक्कुरे बुक्कइ/बुक्कए 'बुक्कदि/बुक्कदे। बुक्कति/ बुक्कते। नोट-इस अभ्यास-13 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 30 व 3। का अध्ययन कीजिए । पाठ-31 के पादटिप्पण में दिए गए नियम-7 का भी प्रयोग कीजिए। प्राकृत अभ्यास सोरभ । [ 53 ___ 2010_03 Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) नीचे अकारान्त पुल्लिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञाओं में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुये निर्दिष्ट कालों में वाक्य बनाइये। सभी विकल्प लिखिए 1. नरिद (स) वर्तमानकाल 3. सायर (सुक्ख) भविष्यत्काल 5. ससुर ( चिट्ठ) विधि एवं प्राज्ञा 7. दुज्जस ( पसर) वर्तमानकाल 9 बालन (कंद) भविष्यत्काल 11. माउल ( उट्ठ) विधि एवं प्रा. 13. पड ( सुक्ख ) वर्तमानकाल 15. दिवायर ( उग) भूतकाल 17. परमेसर (हरिस) वि. एवं प्र. 19 कुक्कुर ( बुक्क) वर्तमानकाल 21 कियंत ( सय) भविष्यत्काल 23 रहुणन्दण (हरिस) वर्तमानकाल 25. सप्प (उड्ड) वर्तमानकाल 27. कुव ( सुक्ख ) भविष्यत्काल 29 राय (उज्जम) विधि एवं प्रा. 31 हुम्रवह (जल) भविष्यत्काल 33 कियंत ( हो ) भूतकाल 35. दुह (जस्त) विधि एवं प्राज्ञा 37. सलिल ( णिज्भर) भविष्यत्काल 39. रक्खस (मर) भविष्यत्काल 54 उदाहरण नरिंदो हसइ / हस ए / सदि / हस दे / हसति / हसते । } 2. पुत्त (हरिस ) विधि एवं आज्ञा 4. गव्व (गल) वर्तमानकाल 6. मित्त (उल्लस) भविष्यत्काल 8. दिर (घुम) विधि एवं आज्ञा 10 पर (जर) वर्तमानकाल 12. घर (पड) भविष्यत्काल 14. पिश्रामह (वल) भूतकाल 16. वय (तुट्ट) वर्तमानकाल 18. करह (पला ) भूतकाल 20. गंथ ( सोह) भूतकाल 22. पोत (खेल) भूतकाल 24. ग्रागम ( सोह) विधि एवं प्राज्ञा 26. मव ( खय) वर्तमानकाल 28. रयण ( उपज्ज) वर्तमानकाल 30. हणुवन्त (कुल्ल) वर्तमानकाल 32. मार ( डुल) वर्तमानकाल 34. सीह (चिट्ठ) वर्तमानकाल 36 बप्प (जीव) वर्तमानकाल 38. गव्व (गल) भूतकाल 40. सलिल (लुढ) वर्तमानकाल 2010_03 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग-1) नीचे प्रकारान्त पुल्लिग सज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुये निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिये और दूसरी क्रिया में वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्त-रूपों के सभी विकल्प लिखिए 1 कुक्कुर (बुक्क, चिट्ठ) 3 रयण (पड, तुट्ट) 5. पोत्त (थक्क, घुम) 7. वय (गल, नस्स) 9. पड (जल, खय) 2. पिनामह (धुम, उट्ठ) 4. जणेर (जग्ग, कुल्ल) 6. घर (जल, पड) 8. रहुणन्दण (हरिस, चिट्ठ) 10. दिवायर (सोह, उग) उदाहरणकुक्कुरो बुक्किा /युक्किऊगं/बुक्कदूण/बुषिक: गं/बुक्किय/बुक्किउं/बुक्कित्ता चिट्ठीन। (ग-2) नीचे प्रकारान्त पुल्लिग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुये निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एव कृदन्त-रूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. णर (जीव, हरिस) 3. दिअर (घुम, उट्ठ) 5. रयण (सोह, उपज्ज) 7. माउल (कुल्ल, उज्जन) 9. बालम (गच्च, उट्ठ) 2. करह (थक्क, रगच्च) 4. जणेर (हरिस, अच्छ) 6. सलिल (सुक्ख, रिणज्झर) 8. नरिंद (हरिस, चिट्ठ) 10. पोत्त (खेल, उज्जम) उदाहरण---- णरो जीविजं/जीवे उं/ जीविद्/जीवे, हरिसउ/हरिसे उ/हरिसदु/हरिसे दु । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 55 __ 2010_03 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग-3, नीचे प्रकारान्त पुल्लिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए और दूसरी क्रिया में भविष्यत्काल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइए | संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. गव्व (गल, खय) 3 रक्खस (कुल्ल, मर ) 5. सलिल ( पसर, सुक्ख ) 7. पड ( जल, नस्स) 9 दुक्ख ( उपज्ज, खय ) उदाहरण वो गलिकण / गलिऊणं/गलि दूण/गलिदूणं/गलिय / गलिउं / गलित्ता खयिहिइ / हिए / हिदि / खयिहि दे / खयि सइ / खयिस्सए/ खयिरस दि/खयि रस दे / सिदि/खयिसिदे । - (घ) नीचे प्रकारान्त संज्ञाएं विभक्ति-प्रत्यय सहित दी गई हैं। उनके पुरुष, वचन, मूलसंज्ञा, लिंग एवं प्रत्यय लिखिए 1. नरिंदो 4. पोत्तो 7. मित्तो 10. गरो 13. सायरो 16. सीहो 19. आगमो 22. रक्खसो 56 1 2. पुत्त ( कलह, लज्ज) 4. सप्प (उड्ड, पड) 6. दिवायर ( सोह, उग्ग ) 8. मारुन ( पसर, पड) 10. बालन (रुव, सय) 2010_03 2. करहो 5. कुक्कुरो 8. बालश्र 11. सप्पो 14. हु हो 17. यणो 20. मारुश्रो 23. दुक्खो 3. हवन्त 6. गव्वो 9. पिग्राम हो 12. भवो 15. पडो 18. दिनरो 21. कियंतो 24. बप्पो [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 25. गामो 28. घरो 26. रायो 29. वयो 27. दुज्जमो 30. माउलो उदाहरण वचन पुरुष अन्य पुरुष मूलसंज्ञा नरिंद लिंग पुल्लिग प्रत्यय प्रो नरिंदो एकवचन प्राकृत अभ्यास मौरभ 1 । 57 2010_03 Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-14 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । संज्ञा, कृदन्त एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. कुत्ते भोंकते हैं। 2. ऊँट नाचते हैं । 3. पुत्र प्रसन्न होवें। 4 मनुष्य बूढ़े होते हैं। 5. समुद्र सूखेंगे। 6. मेघ गरजते हैं। 7 राक्षस मरें। 8. वस्त्र सूखते हैं। 9. शास्त्र शोभे । 10. मित्र खुश होवेंगे। 11. रत्न शोभते हैं । 12. सिंह बैठेंगे। 13. मकान गिरते हैं। 14. पोते घूमें । 15. बालक रूसेंगे । 16. दुःख नष्ट होते हैं। 17 पुस्तकें गिरती हैं। 18. कूए सूखे । 19. राजा हँसते हैं। 20. मेघ फैले । 21. व्रत शोभते हैं। 22. राक्षस डरते हैं । 23. दुःख गलें । 24. पुत्र जीवें । 25. सर्प उड़े। 26. मामा उठे। 27. राक्षस मुच्छित होंगे । 28 मनुष्य प्रयास करें। 29. बालक रोते हैं । 30. नरेश प्रसन्न हों। 31. मेघ फैलेंगे। 32 मकान जलेंगे। 33. पुस्तकें नष्ट होवेंगी। 34. पुत्र कांपते हैं। 35 व्रत टूटते हैं। 36. राक्षस भागेंगे । 37. कुत्ते लड़ते हैं। 38 राजा मूच्छित होते हैं। 39. बालक कूदते हैं। 40. पोते उछलें । 41. नुष्य लड़ते हैं। 42. बालक सोने के लिए रोते हैं। 43. मामा प्रसन्न होकर । 44. साँप उड़कर गिरेंगे। 45. गर्व नष्ट होने के लिए गलेंगे । 46. पत्र लह करके शरमाया । 47. पोते नाचने के लिए उठे। 48. ऊँट नाचकर थ । 49. रत्न गिरकर टूटते हैं। 50. वस्त्र लुढ़कते हैं । 51. कुत्ते भोंककर लडते हैं। 52. राक्षस मरने के लिए कूदेंगे। 53. पुत्र प्रसन्न होकर जीवें। 54 पैदा होकर मरते हैं । 55. बालक उछलकर कूदें। 56. पोता नाचने के लि. रठता है । 57. राजा प्रसन्न होकर बैठे। 58. राक्षस मूच्छित होकर मरेंगे। 59 बालक भागकर खेलें । 60. पुत्र नाचकर थकते हैं। उदाहरणकुत्ते भोंकते हैं कुक्कुरा बुक्क ।' न्ति/बुक्केन्ति/बुक्किरे/बुक्कन्ते । र ए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 32 नाट - इस अभ्यास-14 को हल क __ का अध्ययन कीजिए। 58 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) नीचे प्रकारान्त पुल्लिग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट कालों में वाक्य बनाइए । सभी विकल्प लिखिए1. नरिंद (हस) वर्तमानकाल 2. पुत्त (हरिस) विधि एवं आज्ञा 3. सायर (सुक्ख) भविष्यत्काल 4 गव्व (गल) विधि एवं प्राज्ञा 5. मित्त (उल्लस) भविष्यत्काल 6. दिअर (घुम) वर्तमानकाल 7. बालअ (कंद) भविष्यत्काल 8 णर (जर) वर्तमानकाल 9. माउल (उ8) विधि एवं प्राज्ञा 10. घर (पड) भविष्यत्काल 11. पड (सुक्ख) वर्तमानकाल 12. वय (तुट्ट) भूतकाल 13. करह (पला) भूतकाल 14 कुक्कुर (बुक्क) वर्तमानकाल 15. गन्थ (सोह) वर्तमानकाल 16. माउल (सय) भविष्यत्काल 17. पोत्त (खेल) विधि एवं प्राज्ञा 18. प्रामम (सोह) विधि एवं प्राज्ञा 19. सप्प (उड्ड) वर्तमानकाल 20. कूव (सुक्व) वर्तमानकाल 21. रयण (उपज्ज) वर्तमानकाल 22 राय (उज्जम) विधि एवं आज्ञा 23. सीह (बइस) वर्तमानकाल 24 दुह (नस्स) भूतकाल 25. हुप्रवह (जल) वर्तमानकाल 26 रक्खस (मर) भविष्यत्काल 27. करह (गच्च) वर्तमानकाल 28. रयण (सोह) भविष्यत्काल 29. णर (उज्जम विधि एवं प्राज्ञा 30. दुक्ख (नस्स) भविष्यत्काल 31. पुत्त (कंप) वर्तमानकाल 32. राय (हरिस) विधि एवं आज्ञा 33. दुह (गल) भविष्यत्काल 34. घर (जल) वर्तमानकाल 35. सप्प (वल) भविष्यत्काल 36 पोत्त (कुल्ल) विधि एवं आज्ञा 37. पुत्त (उच्छल) विधि एवं प्राज्ञा 38. मित्त (उ8) विधि एवं प्राज्ञा 39. माउल (डर) वर्तमानकाल 40. रक्खस (मुच्छ) भविष्यत्काल उदाहरणनरिंदा हसन्ति/हसेन्ति/हसिरे/हसन्ते । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 59 2010_03 Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग-1) नीचे प्रकारान्त पुल्लिग संज्ञाए तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियाओं में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. कुक्कुर (बुक्क, बइस) 3. घर(जल, पड) 5. वय (गल, नस्स) 7. बालम (सय, कंद) 9. पुत्त (गच्च, थक्क) 2. रयण (पड, तुट्ट) 4. पोत्त (थक्क, घुम) 6. पड (जल, खय) 8. गर (उपज्ज, मर) 10. रक्खस (मर, कुल्ल) उदाहरणकुक्कुरा बुक्किऊण/बुक्किऊणं/बुक्किदूण/बुक्किणं/बुक्किय/बुक्कि उं/बुक्कित्ता/ बुक्काय/बुक्काए/बुक्कियाण/बुक्कियारणं बइसन्ति /बइसन्ते/बइसिरे बइसेन्ति । (ग-2) नीचे प्रकारान्त पुल्लिग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिये तथा दूसरी क्रिया में विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये। संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. णर (जीव, हरिस) 3. दिअर (घुम, उट्ठ) 5. पोत्त (गच्च, उट्ठ) 7. नरिंद (हरिस, बइस) 9 पोत (खेल, उज्जम) 2. करह (थक्क, रगच्च) 4. रयण (सोह, उपज्ज) 6. माउल (कुल्ल, उज्जम) 8. बालअ (णच्च, उट्ठ) 10. बालअ (पला, खेल) उदाहरण णरा जीविउं/जीवेउं जीविदं/जीवेढुं/जीवित्तए जीवेत्तए हरिसन्तु/हरि सेन्तु । 60 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग 3) नीचे प्रकारान्त पुल्लिग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निष्टि क्रियाओं में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में भविष्यत्काल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एव कृदन्त रूपों के सभी विकल्प लिखिए -- 1. मेह (णिज्झर, सुक्ख) 3. रक्खस (कुल्ल, मर) 5. पड (जल, नस्स) 7. बालअ (रुव, सय) 9. रयण (पड तुट्ट) 2. पुत्त (कलह, लज्ज) 4. सप्प (उड्ड, पड) 6. दुक्ख (उपज्ज, खय) 8. करह (गच्च, थक्क) 10 बालअ (पला, खेल) उदाहरण - मेहा णिज्झरिऊण/णिज्झरिऊणं/णिज्झरिदूण/णिज्झरिदूण/णिज्झरिर/णिज्झरिय/ णिज्झरित्ता सुक्खि हिन्ति/सुक्खिहिन्ते सुविख हिइरे सुविखरसत्ति/ सुक्खिस्सन्ते/सुक्खिस्स इरे/सुक्खिस्सिन्ति/सुक्खिस्सिन्ते/सुक्खिस्सि इरे । (घ) नीचे प्रकारान्त संज्ञाएं विभक्ति-प्रत्ययसहित दी गई हैं। उनके पुरुष, वचन, मूलसंज्ञा, लिंग एवं प्रत्यय लिखिए 1. नरिंदा 4. कुक्कुरा 7. बालग्रा 10. सप्पा 13. हुप्रवहा 16. हणुवन्ता 19. आगमा 22. रक्खसा 2. करहो 5. गव्वा 8. पियामहा 11. भवो 14. पडा 17. रयणा 20. मारुयो 23. दुक्खो 3. पोतो 6. मित्ता 9. णरो 12. सायरा 15. सीहा 18 दिअरो 21. कियंता 24. बप्पा प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 61 2010_03 Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 25. गामा 28. घरो 26. राया 29. वया 27. दुज्जसा ___30. माउलो उदाहरण पुरुष वचन मूलसंज्ञा लिंग नरिंद पुल्लिग प्रत्यय →प्रा नरिंदा अन्यपुरुष बहुवचन 62 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास - 15 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञारूपों, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए - 15. नागरिक सोयेगा । 18. छींक छूटती है । 1. धन बढ़ता है । 2. धान उगेगा । 3. मद्य छूटे । 4. शासन फैलेगा । 5. व्यसन नष्ट होवे । 6 गठरी लुढ़की । 7. सुख बढ़े । 8. दूध टपकेगा । 9. दु:ख छूटे | 10. राज्य प्रयत्न करे । 11. यौवन खिलता है। 12 सदाचार शोभे । 13. आकाश गूंजता है । 14. वैराग्य बढ़ा | 16. विमान उड़े । 17 कागज सूखता है । 19. राज्य भूल करता है। 20. सत्य खिले । 21. लकड़ी जलेगी। 22. पानी टपका । 23. गीत गूंजे। 24 जुआ छूटे | 25. घास उगती है । 26. गीत गूंजता है । 27. भोजन बढ़ता है । 28. भय नष्ट होता है । 29. रक्त टपकता है । 30 मरण सिद्ध होता है । 31. खेत जलता है । 32. वस्त्र सूखेगा | 33 काठ जलती है । 34 भोजन बढ़ेगा । 35. घी तपा । 36. सिर दुःखता है । 37. धान उगे | 38 जंगल नष्ट होता है । 39. सदाचार शोभता है । 40. वस्त्र जलेगा । 41 पानी टपकेगा। 42. रूप खिलकर प्रकट होता है । 43. धागा गलकर टूटता है। 44 नागरिक जागने के लिए प्रयत्न करे । 45. विमान ठहरकर उड़ेगा । 46. राज्य फैलने के लिए झगड़ा करता है । 47. नागरिक ठहरकर उपस्थित होगा । 48 गीत गूंजकर प्रकट होगा । 49. नागरिक कूदने के लिए प्रयास करे। 50. मन हंसने के लिए क्रीड़ा करता है । 51. शासन प्रयत्न करने के लिए उत्साहित होता है। 52 ज्ञान बढ़कर प्रकट होवे | 53. नागरिक जागने के लिए प्रयत्न करेगा। 54 धान उगकर बढ़ता है। 55. मन खेलने के लिए रमा । 56. घन खेलने के लिए होता है । 57. धागा टूटकर नष्ट होवेगा । 58 दूध टपककर फैलता है | 59. कर्ज नष्ट होता है | 60. नागरिक प्रसन्न होने के लिए खेलता है । 1. यरजण = नागरिक, प्रयोग में यरजणाई शब्द मिलता है। इस कारण इसे नपुंसकलिंग शब्द माना गया है । नोट - इस अभ्यास - 15 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 34 व 35 का अध्ययन कीजिए । प्राकृत अभ्यास सौरम ] 2010_03 [ 63 Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उदाहरण--- धन बढ़ता है = धरणं वड्ढइ/वड्ढे इ/वड्ढए/वड्ढदि/वड्ढदे/वड्ढति/वड्ढते । (ख) नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट कालों में वाक्य बनाइए । सभी विकल्प लिखिए 1. पत्त (सुख) वर्तमान काल 2. सील (सोह) विधि एवं प्राज्ञा 3. सासण (पसर) भविष्यत्काल 4. धरण (वड्ढ) वर्तमानकाल 5 मज्ज (छुट्ट) विधि एवं प्राज्ञा 6. खीर (चुअ) भविष्यत्काल 7. जोवण (विग्रस) वर्तमानकाल 8. वेरग (वड्ढ) विधि एवं प्राज्ञा 9. रणयरजण (सय) भविष्यत्काल 10. छिक्क (छुट्ट) वर्तमानकाल 11. विमाण (उड्ड। विधि एवं प्राज्ञा 12. धन्न (उग) भविष्यत्काल 13. णह (गुंज) वर्तमानकाल 14. रज्ज (उज्जम) भूतकाल 15. सोक्ख (वड्ढ) विधि एवं प्राज्ञा 16. पोट्टल (लुढ) वर्तमान काल 17. रज्ज (चक्क) वर्तमान काल 18 वत्थ (सुक्ख) भविष्यत्काल 19. वसण (नस्स) विधि एवं प्राज्ञा 20. लक्कुड (जल) भविष्यत्काल 21. तिण ( उग) वर्तमानकाल 22. भय (खय) विधि एवं प्राज्ञा 23. सासण (छट्ट) भविष्यत्काल 24. रत्त (चय) वर्तमान काल 25. जून (छुट्ट) विधि एवं प्राज्ञा 26. वत्थ (वड्ढ) वर्तमानकाल 27. भोयण (वड्ढ) भविष्यत्काल 28. गाण (गुंज) विधि एवं प्राज्ञा 29. मरण (सिज्झ) वर्तमानकाल _30. कट्ठ (जल) वर्तमानकाल 31. घय (तव) विधि एवं प्राज्ञा 32. धन्न (उग) विधि एवं प्राज्ञा 33. वत्थ (जल) भविष्यत्काल 34. खेत्त (नस्स) वर्तमानकाल 35 वण (जल) वर्तमानकाल 36. उदग (चुन) वर्तमानकाल 64 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ ___ 2010_03 Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 37. पोट्टल (लुढ) भविष्यत्काल 39. सोक्ख (वड्ढ) भूतकाल 38 विमाण (उड्डु) वर्तमानकाल 40. णयरजण (हरिस) वर्तमान काल उदाहरणपत्तं सुख इ/सुक्खेइ/सुक्खए/सुक्ग्व दि/सुक्खदे/सुक्खति सुवखते । (ग-1)नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिये तथा दूसरी क्रिया में वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्त रूपों के सभी विकल्प लिखिए1. सुत्त (गल, तुट्ट) 2. रूव (विप्रस, फुर) 3. मरण (कील, हरिस) 4. धन्न (उग, वड्ढ) 5. धण (तव, हव) 6. खीर (चुम, पसर) 7. रिण (छुट्ट, नस्स) 8. सासण (चे?, उच्छह) 9. रायरजण (हरिस, खेल) 10. पुप्फ (वड्ढ, विश्नस) उदाहरणसुत्तं गलिऊण/लिऊणं/गलिदूण/गलिदूणं/गलिउं/गलिय/गलित्ता तुट्टइ/तुट्टेइ/ तुट्टए/तुट्टदे/तुट्टदि/तुट्टति/तुट्टते । (ग-2)नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्त-रूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. णयरजण (जागर, चेट्ठ) 2. णाण (वड्ढ, फुर) 3. मण (खेल, रम) ____4. सासण (वड्ढ, पसर) प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 65 2010_03 Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5. धन्न (उग, सोह) 7. सच्च (फुर, सोह) 9. कम्म (तप, सिझ) 6. मज्ज (छुट्ट, नस्स) 8 णय रजण (ठा, विज्ज) 10. खीर (चुअ, पसर) उदाहरणएयरजणं जागरिउं/जागरेउं/जागरिदं/जागरे,/जागरित्तए चेट्टउ/चेठेउ/चेट्टदु/ चेठेदु । (ग-3) नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियाओं में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में भविष्यत्काल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. विमाण (चिट्ठ, वड्ढ) 3. सुत्त (तुट्ट, नस्स) 5. णयरजण (विज्ज, चिट्ठ) 7.तिण (उग, वड्ढ) 9. सील (फुर, सोह) 2 णयरजण (जागर, उज्जम) 4 गाण (गुंज, फुर) 6. वण (जल, खय) 8. उदग (चुम, पसर) 10 रज्ज (पसर, वड्ढ) उदाहरण-- विमाणं चिट्ठिउं/चिठेउं/चिट्ठिदुं/चिट्ठदु/चिट्ठित्तए वड्ढिहिइ वढिहिए। वड्ढिहिदि/वढिहिदे/वडिढस्सइ/वड्ढिस्सए वढिस्सदि) वड्ढिस्सदे/ वढिस्सिदि/वड्ढिस्सिदे । (घ) नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं विभक्ति-प्रत्ययसहित दो गई हैं। उनके पुरुष, वचन, मूलसंज्ञा, लिंग एवं प्रत्यय लिखिए1. घणं 2 मणं 3. खेत्तं 4. सासणं 5. पत्तं 6. सोक्खं 7. सील 8. णयरजणं 9. भयं 66 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ ___ 2010_03 Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10. वेरग्गं 13. खीरं 16. छिक्क 19. तिणं 22 जोव्वणं 25 असणं 28 बीयं 11. रत्तं 14. विमाणं 17. लक्कुडं 20. भोयणं 23. कम्म 26. वत्थं 29. रिणं 12. मज्ज 15. रज्ज 18. उदगं 21. सुहं 24. णाणं 27. कळं 30. सिरं उदाहरण - पुरुष वचन मूलसंज्ञा धणं अन्यपुरुष एकवचन धण लिंग प्रत्यय नपुंसकलिंग - - - - - प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 67 2010_03 Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-16 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । संज्ञा, कृदन्त एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए-- 1 धन बढ़ें। 2. व्यसन नष्ट होते हैं। 3. गठरियाँ लुढ़कती हैं। 4. विमान उड़ते हैं। 5. राज्य प्रयत्न करते हैं। 6. नागरिक सोयेंगे । 7. विमान उड़ें। 8. कागज सूखते हैं । 9. छींके छूटती हैं । 10 लकड़ियाँ जलेंगी। 11. नागरिक अफसोस करते हैं। 12. गीत गूंजेंगे। 13. राज्य भूल करते हैं। 14. कागज सूखें। 15. जंगल नष्ट होते हैं। 16. लकड़ियां जलती हैं। 17. भय नष्ट हुए । 18 धान उगते हैं । 19. खेत जलेंगे। 20. व्यसन नष्ट हों। 21. गीत गूंजते हैं। 22. गठरियाँ लुढ़कें। 23. धान उगेंगे। 24. नागरिक प्रयत्न करें। 25. लकड़ियां जलीं। 26. कागज सूखेंगे। 27. गठरियाँ लुढ़ केंगी। 28 धान उगें। 29. भय नष्ट हों। 30. विमान पड़ते हैं। 31. जंगल नष्ट होंगे। 32. नागरिक भागें। 33. शासन फैलें। 34. विमान उड़ेंगे । 35. धागे टूटते हैं। 36. वस्त्र जलते हैं। 37. नागरिक कूदते हैं । 38. खेत नष्ट होते हैं । 39. राज्य सोहें। 40. बीज उगते हैं । 41. धागे गलकर टूटेंगे । 42. नागरिक भूल करके अफसोस करते हैं। 43 बीज बढ़ने के लिए उगेंगे। 44 घान उगकर बढ़ें। 45. नागरिक जागने के लिए उत्साहित होते हैं। 46. लकड़ियां नष्ट होने के लिए जलती हैं। 47. गीत गंजकर प्रकट होते हैं। 48. कर्ज नष्ट होंगे। 49. गठरियां लुढ़ककर गिरती हैं। 50. राज्य उत्साहित होकर प्रसन्न होंगे। 51. नागरिक नाचने के लिए उठे। 52. राज्य फैलने के लिए झगड़ा करते हैं। 53. नागरिक उपस्थित होकर प्रसन्न होंगे। 54. विमान गिरकर नष्ट होते हैं। 55. नागरिक प्रयास करके खेलें । 56. विमान ठहरकर उड़ेंगे । 57. बीज उगकर बढ़ते हैं। 58. नागरिक कदकर भागे। 59. लकड़ियां जलकर नष्ट होंगी। 60 वस्त्र गलकर नष्ट होते हैं । नोट- इस अभ्यास-!6 को हल करने के लिए प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 36 का अध्ययन कीजिए। 68 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उदाहरणधन बढ़ें =धणाइं/धणाई/धणाणि वड्ढन्तु/वड्ढेतु । (ख) नीचे अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञाओं में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुये निर्दिष्ट कालों में वाक्य बनाइये । सभी विकल्प लिखिए 1. विमाण (उड्ड) विधि एवं प्राज्ञा 2. वसण (नस्स) वर्तमानकाल 3. धरण (वड्ढ) विधि एवं प्राज्ञा 4. पोट्टल (लुढ) वर्तमानकाल 5. रज्ज (चेट्ठ) विधि एवं प्राज्ञा 6. णयरजण (लोट्ट) विधि एवं प्राज्ञा 7. लक्कुड (जल) भविष्यत्काल 8. णयरजण (खिज्ज) वर्तमानकाल 9. पत्त (सुक्ख) विधि एवं प्राज्ञा 10 छिक्क (छुट्ट) वर्तमानकाल 11. गाण (गुंज) भविष्यत्काल 12. खीर (चुअ) विधि एवं प्राज्ञा 13. धन्न (उग) वर्तमानकाल 14. खेत्त (जल) भूतकाल 15. वसण (नस्स) विधि एवं प्राज्ञा 16. गाण (गुंज) वर्तमानकाल 17. पोट्टल (लुढ) विधि एवं प्राज्ञा 18. पत्त (सुक्ख) वर्तमान काल 19 मय (खय) भविष्यत्काल 20. णयरजण (खिज्ज) भविष्यत्काल 21. रज्ज (चुक्क) वर्तमानकाल 22. सोक्ख (वड्ढ) विधि एवं प्राज्ञा 23. धन्न (उग) भविष्यत्काल 24. रणयरजण (चे) वर्तमानकाल 25. लक्कुड (जल) वर्तमानकाल 26. गाम (वस) भविष्यत्काल 27. पोट्टल (लुढ) भविष्यत्काल 28. धन्न (उग) विधि एवं प्राज्ञा 29. वण (खय) भूतकाल 30. भय (नस्स) विधि एवं प्राज्ञा 31. विमाण (उड्ड) वर्तमानकाल 32 सासण (पसर) विधि एवं प्राज्ञा 33. रणय रजण (पला) वि. एवं प्रा. 34. विमाण (उड्ड) भविष्यत्काल 35. सुत्त (तुट्ट) वर्तमानकाल 36. वत्थ (जल) वर्तमानकाल 37. णयरजण (कुल्ल) वि. एवं प्रा. 38. खेत्त (नस्स) वर्तमानकाल "काल प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 69 2010_03 Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 39. मज्ज (नस्स) विधि एव प्राज्ञा 40. बीन (उग) भविष्यत्काल उदाहरणविमाणाइं/विमाणाई/विमाणाणि उड्डन्तु/उड्डेन्तु । (ग-1) नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाए तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए1. धन्न (उग, वड्ढ) 2. णयरजण (चुक्क, खिज्न) 3. गाण (गुंज, फुर) 4. पोट्टल (लुढ, पड) 5. रज्ज (पसर, जुज्झ) 6. विमाण (पड, नस्स) 7. बीम (उग, वड्ढ) 8. णयरजण (कुद्द, पला) 9. वत्थ (गल, खय) 10. णयरजण (हरिस, विज्ज) उदाहरणधन्नाइं/धन्नाई/धन्नाणि उगिऊण/उगिऊणं/उगिदूण/उगिदूणं/उगिउं/उगिय/ उगित्ता वड्ढीन। (ग-2) नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिये तथा दूसरी क्रिया में विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये। संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए1. णयरजण (गच्च, उट्ठ) 2. वसण (छुट्ट, नस्स) 3. भय (नस्स, पला) 4 गाण (गुंज, पसर) 5. विमाण (चिट्ठ, उड्ड) 6. णयरजण (जागर, चेट्ठ) 70 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 7. सासण (वड्ढ, पसर) 9. वेरग्ग (वस, पसर) 8. धन्न (उग, सोह) 10. खीर (चुन, पसर) उदाहरण-- णयरजणाई/णय रजणाई/णयरजणाणि णच्चिउं/णच्चे उं/गच्चिदं/णच्चेदंणच्चित्तए ___उट्ठन्तु/उठेन्तु । (ग-3) नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में भविष्यत्काल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये। मंज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. विमाण (चिट्ठ, उड्डु) 3. गाण (गुंज, फुर) 5. सुत्त (गल, तुट्ट) 7. लक्कुड (जल, नस्स) 9. णयरजण (जागर, चेट्ट) 2. णयरजण (ठा, विज्ज) 4. रिण (छुट्ट, नस्स) 6. बीअ (वड्ढ, उग) 8. गाम (वस, पसर) 10. वसण (छुट्ट, नस्स) उदाहरणविमाणाई/विमाणाई/विमाणाणि चिट्ठिऊण/चिट्ठिऊणं/चिट्ठिदण/चिट्ठिदण/चिट्ठिउं| चिट्ठिय/चिट्ठित्ता उड्डिहिन्ति/उड्डिहिन्ते उड्डिहिइरे/उड्डिरसन्ति/ उड्डिस्सन्ते/उड्डिस्सइरे/उड्डिस्सिन्ति/उड्डिस्सिन्ते/उड्डिस्सिइरे। (घ) नीचे प्रकारान्त संज्ञाएं विभक्ति-प्रत्ययसहित दी गई हैं। उनके पुरुष, वचन, मूलसंज्ञा, लिंग एवं प्रत्यय लिखिए1. धणाई 2. खेत्ताणि 3. सासणाई 4. पत्ताई 5. लक्कुडाणि 6. सोक्खाई 7. णयरजणाई 8. रज्जाई 9. भयाई प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 71 2010_03 Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10. वसणाई 13. भोयाइँ 16. बीप्राई 19. पोट्टलाई 22. वत्थाई 25. घणाई 28. पोट्टलाणि उदाहरण धणाई 72 1 पुरुष अन्य पुरुष 2010_03 11. रत्ताणि 14. खोराणि 17. सासरलाई 20. छिक्काणि 23. कम्माणि 26. सासराइँ 29. छिक्का वचन बहुवचन मूलसंज्ञा घण 12. तिणाइँ 15. सुत्ता 18. गाणाई 21. घन्नाइँ 24. यरजाणि 27. रज्जाइँ 30. वत्थाई प्रत्यय लिंग नपुंसकलिंग इं आईं [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-17 (क) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए। संज्ञा, कृदन्त एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. माता प्रसन्न होती है । 2. श्रद्धा बढ़े। 3. शिक्षा फैली । 4. बहिन शोभती है। 5. भूख शान्त होवे । 6. वाणी थकती है। 7. मदिरा छूटे । 8 प्यास शान्त होगी । 9. प्रज्ञा प्रकट होती है । 10. बेटी प्रसन्न हो । 11. नदी सूखेगी । 12. लक्ष्मी बढ़ती है । 13 प्रज्ञा सिद्ध हो | 14. अभिलाषा शान्त होगी । 15. गुफा नष्ट होगी । 16. पत्नी डरती है । 17. वाणी प्रकट होवे । 18. दया छूटती है । 19. गंगा फैलती है। 20. प्रतिष्ठा बढ़े। 21 परीक्षा हुई | 22. प्यास शान्त होती है । 23 स्त्री उत्साहित हो । 24. कन्या दे करेगी। 25. नींद नष्ट होवे । 26. महिला तप करे। 27 पुत्री खाँसती है । 28. प्रशंसा फैलेगी। 29. खड्डा बढ़ता है । 30 यमुना सूखेगी। 31 बुद्धि खिले । 32. पुत्री खेलती है । 33. सीता हँसेगी । 34. बेटी प्रसन्न होती है । 35. तृष्णा घटे । 36. रात्रि सोने के लिए होती है । 37. नर्मदा फैलेगी । 38. शोभा बढ़े। 39. पुत्री सांस लेवे । 40. सीता शोभती है । 41. शोभा नष्ट होती है । 42. पुत्री डरकर सोती है । 43. बहिन शान्त होकर बैठे । 44. ननद घूमने के लिए रुकेगी। 45. ननद गिड़गिड़ाकर रोती है । 46. शिक्षा बढ़कर फैले । 47. कन्या देरी करके बैठती है । 48. बेटी रोई । 49. पत्नी ठहरकर सोये । 50. मादा वमन करके शान्त होती है 51. स्त्री उत्साहित होकर प्रयत्न करे । 52. ननद छीजकर कूदती है । 53. रुके । 54 लक्ष्मी बढ़कर शोभे । 55. कन्या रोकर देर करती है । 56. खेलने के लिए खुश होगी। 57 बहिन उत्साहित होकर घूमेगी । 58. कन्या सोने के लिए उठी | 59. बहिन खांसकर वमन करती है । । पुत्री बैठने के लिए पुत्री उदाहरण माता प्रसन्न होती है = माया हरिसइ / हरिसेइ / हरिसए / हरिस दि / हरिसेदि । नोट --- इस अभ्यास - 17 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 38-39 का अध्ययन कीजिए । प्राकृत अभ्यास सौरभ 1 2010_03 73 Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) नीचे आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट कालों में वाक्य बनाइये। सभी विकल्प लिखिए1. गंगा (पसर) वर्तमानकाल 2. जात्रा (बिह) वर्तमानकाल 3. सद्धा (वड्ढ) विधि एवं प्राज्ञा 4. सिक्खा (पसर) भविष्यत्काल 5. वाया (थक्क) वर्तमानकाल 6. पण्णा (सिझ) विधि एवं प्राज्ञा 7. करुणा (फुर) भविष्यत्काल 8 कमला (हो) वर्तमानकाल 9. धूपा (हरिस) विधि एवं प्राज्ञा 10. ससा (छज्ज) वर्तमानकाल 11 अहिलासा (उवसम)भविष्यत्काल 12. माया (उल्लस) भूतकाल 13. वाया (फुर) विधि एवं प्राज्ञा 14. परिक्खा (हव) भविष्यत्काल 15. धूमा (छुब्भ) वर्तमानकाल 16. महिला (उच्छह) विधि एवं प्राज्ञा 17. कन्ना (चिराव) भविष्यत्काल 18 णिद्दा (वड्ढ) विधि एवं प्राज्ञा 19. सुया (खास) वर्तमानकाल 20. महिला (चेट्ठ) विधि एवं प्राज्ञा 21. सरिमा (सुक्ख) भूतकाल 22 गड्डा (वड्ढ) वर्तमानकाल 23. मेहा (विप्रस) विधि एवं पा 24. तणया (बिह) वर्तमानकाल 25 नणन्दा (गडयड) भविष्यत्काल 26. तण्हा (हु) विधि एवं प्राज्ञा 27. धूप्रा (उवरम) वर्तमानकाल 28. सुया (उस्सस) विधि एवं प्राज्ञा 29. गुहा (नस्स) भविष्यत्काल 30. सोहा (खय) वर्तमानकाल 31. मइरा (छुट्ट) विधि एवं प्राज्ञा 3 . पइट्टा (वड्ढ) विधि एवं प्राज्ञा 33. सीया (सिन्झ) वर्तमानकाल 34 आणा (फुर) वर्तमानकाल 35. जरा (वड्ढ) वर्तमानकाल 36. जउणा (सुक्ख) भविष्यत्काल 37. कहा (हव) भविष्यत्काल 38 कलसिया (चन) वर्तमानकाल 39 संझा (हो) भविष्यत्काल 40. निसा (हव) वर्तमानकाल उदाहरणगंगा पसरइ/पस रेइ/पसरए/पसरदि/पसरदे । 74 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (T 1) नीचे प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाए तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियाओं में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के. कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर बाक्य बनाइए । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. सुया (बिह, लोट्ट) 3. कन्ना (चिराव, खिस) 5. माया (गडयड, उपसम) 7. ससा (खास, उवरम) 9. जाग्रा (उस्सस, थंभ) 2. नणन्दा (गडयड, रुव) 4. धूपा (रुव, खज) 6. कन्ना (उवसम, उवविस) 8. महिला (छज्ज, कुद्द) 10. झुपडा (वस, हो) उदाहरणसुया बिहिऊरण/बिहिऊणं/बिहिउं/विहिय/बिहिदूण/बिहिदूण/बिहित्ता लोट्टीप्र । (ग-2)नीचे प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो त्रियाएं दी गई है। संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हये निर्दिष्ट क्रियाओं में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एव कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. ससा (उवसम, उवविस) 3. जाया (चिट्ठ, लोट्ट) 5. तण्हा (जग्ग, उवसम) 7. कन्ना (लोट्ट, उट्ठ) 9 ससा (हरिस, ऊतर) 2. सिक्खा (वड्ढ, पसर) 4 महिला (उच्छह, चेट्ठ) 6. तणया (उवविस, थंभ) 8 कमला (वड्ढ, सोह) _10. धूया (थंभ, कील) उदाहरणसमा उवसमिउं उवसमेउं/ उबसमिदं/उवस मे, उवविसउ/उवविसदु/उववि से उ/ उववि से दु । प्राकृत अभ्यास सौरभ } [ 75 ____ 2010_03 Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग-3) नीचे प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञाओं में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुए निदिष्ट क्रियाओं में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में भविष्यकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. धूमा (थंभ, चिट्ठ) 3. जापा (बिह, पला) 5. ससा (हरिस, घुम) 7 कन्ना (चिराव, चिट्ठ) 9. करुणा (सोह, फुर) 2. सुया (कोल, हरिस) 4. महिला (चक्क, खिज्ज) 6. नणन्दा (खंज, कुद्द) 8. झुपडा (वस, हो) 10. माया (लोट्ट, चेट्ठ) उदाहरणधूग्रा थंभिऊण/थंभिऊणं/थंभिउं/थंमिय/थंभित्ता/थंभिदूण/थंमि गं चिट्ठिहिइ/ चिट्ठिहिए/चिट्ठिहिदि/चिट्ठिहिदे/चिट्ठिस्सइ/चिट्ठिस्सए चिट्ठिस्सदि/चिट्ठिस्सदे/ चिट्ठिस्सिदि/चिट्ठिस्सिदै । (घ) नीचे प्राकारान्त संज्ञाएं विभक्ति-प्रत्ययसहित दी गई हैं। उनके पुरुष, वचन, मूलसंज्ञा, लिंग एवं प्रत्यय लिखिए1. परिक्खा 2. ससा 3. माया 4. करुणा 5. वाया 6. प्राणा 7. णम्मया 8. मुक्खा 9. कलसिया 10. गुहा 11. मइरा 12 धूप्रा 13. महिला 14. तिसा 15. निसा 16 कहा 17. गंगा 18. अहिलासा 19. तण्हा 20. सोहा 21. झुपडा 22. सरिया 23. नणन्दा 24. सीया 76 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 25. जरा 28. जापा 24. णिद्दा 29. सद्धा 27. पसंसा 30. मेहा उदाहरण - पुरुष वचन मूलसंज्ञा परिक्खा अन्यपुरुष एकवचन परिक्खा प्रत्यय लिंग स्त्रीलिंग ०' (शून्य) प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 77 2010_03 Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-18 (क) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए । संज्ञा, कृदन्त एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. माताएं प्रसन्न होती हैं । 2. शिक्षाएं फैलेंगी । 3. बहिनें शोभती हैं । 4. अमिलाषाएं शान्त होंगी। 5. बेटियां प्रसन्न होवें। 6. गुफाएं नष्ट होंगी। 7. पत्नियां डरती हैं। 8. परीक्षाएं होंगी। 9. स्त्रियां उत्साहित होवें । 10. कन्याएं देर करेंगी। 11. पुत्रियां खांसती हैं। 13. स्त्रियां तप करें। 13. खड्डे बढ़ते हैं। 14. पुत्रियां क्षब्ध होती हैं। 15. बेटियां शान्त होती हैं। 16. ननदें नीचे आती हैं । 17. पुत्रियां सांस लेवें । 18. माताएं बैठती हैं । 19. वाणियां सिद्ध होती हैं । 20. झोंपड़ियां शोभती हैं। 21 परीक्षाएं होती हैं। 22. पूत्रियां बैठती हैं। 23. नदियां सूखती हैं। 24. महिलाएं प्रयत्न करती हैं । 25. वाणियां प्रकट होवें । 26. बहिनें ठहरेंगी। 27. पुत्रियां क्रीड़ाकर प्रसन्न होंगी। 28. बहिनें खेलने के लिए लड़ी। 29. कन्याएं भागकर थकती हैं। 30. माताएं प्रसन्न होकर जीवें। 31. स्त्रियाँ थककर सोवें । 32. पुत्रियां नाचकर थकेंगी। 33. बहिनें शान्त होकर बैठे। 34 बेटियां प्रसन्न होकर ठहरेंगी । 35. शिक्षाएं बढ़कर फैलें। 36. कन्याएं डरकर रुकती हैं। 37. बेटियां लड़कर रोती हैं। 38. माताएं डरकर शान्त होती हैं। 39. पत्नियां सोने के लिए ठहरें। 40 स्त्रियां उत्साहित होकर प्रयत्न करें। 41. तृष्णाएं छूटकर शान्त होवें। 42. पुत्रियां डरकर सोती हैं। 43. ननदें घूमने के लिए उठेगी। 44. पुत्रियां रुककर बैठे। 45. कन्याएं रोकर देर करती हैं। 46. बहिनें खिसककर बैठती हैं। 47. पुत्रियां सोने के लिए रोती हैं । 48. माताएं जीने के लिए प्रयत्न करें। 49. पुत्रियां खेलने के लिए खुश होवेंगी। 50 कन्याएं नाचकर थकती हैं। 51. माताएं शान्त होकर बैठे। 52. बहिनें सोकर उठे। 53. ननदें थकने के लिए घूमें। 54. बहिनें जागने के लिए प्रयास करें। 55. कन्याएं सोने के लिए उठेंगी। 56. पुत्रियां नाचने के लिए प्रयास - नोट-इस अभ्यास-13 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 40 का अध्ययन कीजिए। 78 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करती हैं । 57. बहिने उत्साहित होय.र घूमेंगी। 58. पुत्रियां खेलने के लिए कूदेंगी। 59. कन्याएं मूच्छित होकर मरती हैं । 60. बहिनें घूमने के लिए रुके। उदाहरण - माताएं प्रसन्न होती हैं-माया/मा यानो मायाउ हरिसन्ति हरि से न्ति, हरिसन्ते हरिसिरे। (ख) नीचे आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट कालों में वाक्य बनाइए। सभी विकल्प लिखिए - !. धूमा (जभा) वर्तमानकाल 2 महिला (हरिस) विधि एवं प्राज्ञा 3 सिक्खा (पसर) भविष्यत्काल 4. माया (हरिस) वर्तमानकाल 5. सुया (जोह) विधि एवं आज्ञा 6. झंपडा (सोह) वर्तमानकाल 7. परिक्खा (हव) भविष्यत्काल 8 तणया (खास) वर्तमानकाल 9. ससा (थभ) भविष्यत्काल 10. नणन्दा (उस्सस) भविष्यत्काल 11. कन्ना (पला) भूतकाल 12. वाया (फुर) विधि एवं आज्ञा 13. माया (उवसम) वर्तमान काल 11. गुहा (खय) भविष्यत्काल 15. जाग्रा (उवविस)विधि एवं प्रा. 16. वाया (सिज्म) वर्तमानकाल 17. सरिया (सुक्ख) भविष्यत्काल 18 अहिलासा (उवम विधि एवं आज्ञा 19. सुया (गडय ड) वर्तमानकाल 20. कलसिया (लुढ ) वर्तमानकाल 21. माया (चेट विधि एवं प्राज्ञा 22 ससा (जुज्झ) • विष्यत्काल 23. जात्रा (जागर) वि. एवं प्रा. 24. कन्ना (छज्ज) भूतकाल 25. नणन्दा (चिराव) भविष्यत्काल 26 परिवखा (हव) वर्तमानकाल 27. कन्ना (उवविस) वर्तमानकाल 28. सुया (बिह) भविष्यत्काल 29. माया (खिज्ज) वर्तमानकाल 30. धूपा (कंद) वर्तमानकाल 31. तणया (खंज) विधि एवं प्राज्ञा 32. सरिया (सुक्ख) वर्तमान काल 33. अहिलासा (वड्ढ) वर्तमानकाल 34. कलसिया (तुट्ट) भविष्यत्काल 35 ससा (हरिस) विधि एवं प्राज्ञा 36. सुया (थंभ) विधि एवं प्राज्ञा प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 79 2010_03 Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 37. महिला (विज्ज) भविष्यत्काल 39. नन्दा (चुक्क) वर्तमानकाल उदाहरण धूम्रा / धूम्राउ / धूम्रायो जंभन्ति / जंभन्ते / जंभाइरे । ( ग - 1 ) नीचे श्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञाओं में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये | संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. ससा ( कोल, ठा) 3. धूम्रा ( जुज्झ, कंद ) 1 5. सुया ( बिह, लोह) 7. तरण्या (कंद, चिराव) 9. पडा (वस, हो) 38. कन्ना (खिस) वर्तमानकाल 40 धूम्रा (उच्छह) विधि एवं श्राज्ञा 80 1 उदाहरण ससा / ससाप्रो / ससाउ कोलिउं / कीलेउं / कीलितुं / कीलें ठाही / ठाही / ठासी । 1 माया (हरिस, जीव) 3. ससा (जागर, चंद्र) 5. सुया (थंभ, उबविस ) (ग-2 ) नीचे प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियात्रों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिये तथा दूसरी क्रिया में विधि एवं श्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए - 2. कन्ना (बिह, चिट्ठ) 4. माया (रुव, उवसम) 6. नणन्दा (छज्ज, कंद) 8 महिला ( थंभ, उवविस) 10. कन्ना ( गच्च थक्क ) 2010_03 2. जाग्रा (लोट्ट, चिट्ठ) 4. नगन्दा ( थक्क, घुम) 6. तण्हा (छुट्ट, उवसम) [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 7. सिक्खा (बड्ढ, पसर ) 9. ससा ( उवसम, उवविस) उदाहरण - माया / मायाश्रो मायाउ हरिसिऊण / हरिसिऊणं / हरिसिद्वण / हरिसिदूणं / हरिरि. उं / हरिसिया / हरिसित्ता जीवन्तु / जीवेन्तु । ( ग - 3 ) नीचे आकारान्त स्त्रीलिंग सज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । सज्ञानों में प्रथमा बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियाओं में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में भविष्यत्काल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइए | संज्ञा, किया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. कन्ना (लोट्ट, उट्ठ) 3 धूम्रा (कील, रम) नस्स) 5. गुहा (जल, 7. जात्रा ( बिह, पला) 9. भुंपडा (वस, हो ) 8. माया (उच्छह, चेट्ठ) 10. धूम्र ( रम, कील) 1. सीया 4. कहाउ 7. गंगाओ 10. निसाउ उदाहरण कन्ना / कन्ना ओ / कन्नाउ लोट्टिऊण / लोट्टिऊणं / लोट्टिदूण/लोट्टिदूणं/लोट्टडं/लोट्टिय / लोट्टिता उद्विसन्ति / उरिसन्ते / उस्सिइरे/उहिन्ति / उट्टिन्ते / उट्ठहिरे / उट्ठस्सिन्ति / उट्ठिस्सिन्ते / उट्ठिस्सिइरे । प्राकृत अभ्यास सौरम j (घ) नीचे श्राकारान्त संज्ञाएं विभक्ति-प्रत्ययसहित दी गई हैं। उनके पुरुष, वचन, मूलसंज्ञा, लिंग एवं प्रत्यय लिखिए 2010_03 2. ससा (हरिस, घुम) 4. सिक्खा (वड्ढ, पसर) 2. परिवखा 5. तणयाओ 8. नणदाउ 11. सरिश्रा 6. सुया (कंद, चिट्ठ) 8. महिला (जागर, उट्ठ) 10. नन्दा ( जोह, कन्द ) 3. मायाश्र 6. अहिलासा 9. महिलाओ 12. सिक्खा [ 81 Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 13. झंपडामो 16. जाग्राउ 19. पसंतामो 22. मीयानी 25. सुयानो 28. माया 14. कलसिया 17. गुहागो 20. धूप्रायो 23. झंपडा 26. वायानो 29. सिक्खायो 15. गड्डाउ 18. कन्नाउ 21. महिलाउ 24. ससा 27. सरिग्राउ 30. निसानो उदाहरण - पुरुष वचन मलसंज्ञा लिंग प्रत्यय एकवचन व बहुवचन सीया स्त्रीलिंग शून्य सीया अन्यपुरुष 821 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ ____ 2010_03 Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-19 ( * ) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए | संज्ञा, कृदन्त एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. ऊँट बैठता है । 2. विमान उड़ें। 3. परीक्षा होवेगी । 4. कुत्ता भोंकता है । 5. कन्याएँ नाचीं । 6. शासन फैले। 7. पुस्तकें जलती हैं। 8 सुख बढ़े । 9. बहिनें खेलती हैं । 10 राजा प्रसन्न होवे | 12 छोटे घड़े टूटते हैं । 13. पोता प्रसन्न होवे | 15. लक्ष्मी बढ़ती है। 16. मेघ गरजते हैं । 17. वैराग्य बढ़े । 18. अभिलाषाएं शान्त होंगी । 19. वस्त्र सूखता है । 20. रूप खिलेगा । 21. शिक्षा फैलेगी । 22. मामा उठे। 23 पानी टपकता है । 24 नदियाँ सूखेंगी। 25. अपयश फैलता है 26. दु:ख छूटे। 27. गुफाएं नष्ट हुईं। 28 व्रत शोभते हैं । 29. ज्ञान सिद्ध हो | 30. बहिनें ठहरेंगी । 31. पुत्र कांपता है । 32. सदाचार शोभे । 33. प्यास शान्त होवे । 34. राक्षस मरे । 35 बीज उगेंगे । 36. महिलाएं उत्साहित हों । 37. सिंह भागते हैं । 38. सत्य खिले । 39. वाणी थकती है। 40. राक्षस कूदकर मरते हैं । 41. नागरिक जागने के लिए प्रयत्न करेगा। 42 पुत्री लड़कर रोती है । 43. बालक रोकर सोयेंगे । 44. विमान ठहरकर उड़ेगा । 45. तृष्णा छूटकर शान्त होवे । 46. सूर्य उगकर शोभा । 47. मनुष्य जीने के लिए प्रयास करे। 48 पुत्रियां खेलने के लिए खुश होंगी । 49. मामा थककर बैठते हैं । 50. धागा गलकर टूटता है । 51. कन्या देरी करके उठती है। 52. रत्न गिरकर टूटेगा । 53. राज्य फैलने के लिए लड़ते हैं । 54. बेटी ठहरकर उठेगी । 55. पुस्तकें जलकर नष्ट होता हैं । 56 नागरिक प्रयास करके खेलें । 57 बहिन खुश होकर घूमेगी । 58. सर्प डरकर भागे । 59 माताएँ जीने के लिए प्रयत्न करे । उदाहरण करहो बइसइ / ब इसे इ / ब इस ए / ब इस दि/ब इसदे । नोट - इस अभ्यास - 19 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 30 से 40 का अध्ययन कीजिए । प्राकृत अभ्यास सौरभ } 11. गठरी लुढ़कती है । 14. नागरिक जागेंगे । 2010_03 [ 83 Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) नीचे संज्ञाएं तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं । निर्दिष्ट कालों में किसी भी वचन में वाक्य बनाइए । सभी विकल्प लिखिए 1. कुक्कुर (बुक्क) वर्तमानकाल 2. पत्त (सुक्ख) विधि एवं आज्ञा 3. सिक्खा (पसर) भविष्यत्काल 4. पोत्त (गच्च) वर्तमानकाल 5. लक्कुड (जल) विधि एवं प्राज्ञा 6. अहिलासा (उवसम) भविष्यत्काल 7. परिक्खा (हव) भविष्यत्काल 8. वत्थ (सुक्ख) विधि एवं प्राज्ञा 9. पुत्त (कुद्द) भूतकाल 10. माया (थंभ) भविष्यत्काल 11. खीर (चुअ) विधि एवं आज्ञा 12. वय (गल) वर्तमानकाल 13. घर (पड) वर्तमानकाल 14. सासण (पसर) विधि एवं प्राज्ञा 15. मेहा (विप्रस) भविष्यत्काल 16. मेह (गज्ज) वर्तमानकाल 17. रज्ज (चेट्ठ) विधि एवं आज्ञा 18. कन्ना (चिराव) भविष्यत्काल 19. माउल (पला) वर्तमानकाल 20. जोवण (विप्रस) वर्तमानकाल 21. कमला (सोह) वर्तमानकाल 22. दुक्ख (गल) विधि एवं प्राज्ञा 23. वेरग्ग (वड्ढ) विधि एवं आज्ञा 24. पण्णा (सिज्झ) विधि एवं प्राज्ञा 25. हुअवह (जल) भविष्यत्काल 26. रज्ज (उच्छह) भविष्यत्काल 27. तिसा (उवसम) भविष्यत्काल 28. मेहा (विप्रस) वर्तमानकाल 29. विमाण (उड्ड) भूतकाल 30. प्रागम (सोह) विधि एवं प्राज्ञा 31. वाया (सिज्झ) वर्तमानकाल 32. णयरजण (चेट्ठ) विधि एवं प्राज्ञा 33. महिला (उज्छह) विधि एवं प्रा. 34. पर (उज्जम) भविष्यत्काल 35 बीअ (उग) भविष्यत्काल 36. गुहा (नस्स) भविष्यत्काल 37. दुज्जस (पसर) वर्तमानकाल 38. सील (सोह) विधि एवं प्राज्ञा 39. ससा (चिट्ठ) भविष्यत्काल 40. करह (णच्च) वर्तमान काल उदाहरणकुक्कुरो बुक्कइ बुक्केइ/बुक्कए बुक्कदि/बुक्कदे । 84 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग-1) नीचे संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में कहीं एकवचन व कहीं बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियाओं में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त ( पूर्वकालिक क्रिया) के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिये तथा दूसरी क्रिया में वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये | संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्त रूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. कुक्कुर ( बुक्क, उवविस) 3. ससा ( खास, उट्ठ) 5. गाण (गुंज फुर) 7. दिर (बल, 9. भुंपडा (वस, हो) उवविस) उदाहरण - कुक्कुरा बुक्किऊण / बुविकणं / बुक्कि दूण/ बुविक दूणं / बुक्किय/बुक्किउं / बुकिकता उवविसी | (ग- 2) नीचे संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञानों में कहीं एकवचन व कहीं बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्त-रूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. रहुणन्दण ( हरिस, श्रच्छ ) 3. गाण (गुंज, फुर) 5. गाम ( बस, पसर) 7. जणेर ( हस, जीव) 9. ससा ( उवसम, उबविस) 2 सलिल ( चुघ, पसर) 4. णर ( उपज्ज, मर ) 6. सुया ( लोट्ट, कंद) 8. र ( उट्ठ, उवविस ) 10. वसण (छुट्ट, नस्स) प्राकृत अभ्यास सौरभ 1 2010_03 ――― 2. रज्ज ( पसर, सोह) 4. महिला (उच्छह, चेट्ठ) 6.वसरण (छुट्ट, नस्स) 8. दिवायर (सोह, उग ) 10. सिक्खा (वड्ढ, पसर) [85 Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उदाहरणरहुणन्दण हरिसिऊण/हरिसिऊणं/हरिसिदूण/हरिसिणं, हरिसिय/हरिसिउं/ हरिसित्ता अच्छउ/अच्छेउ/अच्छदु/अच्छेदु । - (ग-3) नीचे संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में कहीं एकवचन व कहीं बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियाओं में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में भविष्यत्काल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एव कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. सुत्त (गल, तुट्ट) 3. विमाण (ठा, उड्ड) 5. सुया (खेल, रम) 7. घर (पड, नस्स) 9. गंथ (जल, नस्स) 2. रयण (पड, तुट्ट) 4. धूपा (थंभ, चिट्ठ) 6. ससा (हरिस, कोल) 8 उदग (सुक्ख, गिझर) 10 महिला (उच्छह, चेट्ठ) उदाहरणसुत्तं गलिऊण/गलिऊण/पलिदूण/गलिदूण गलिय/गलिउं/गलित्ता तुट्टिहिइ/ तुट्टिहिए/तुट्टिहिदि/तुट्टिहिदे तुट्टिस्सइ/तुट्टिस्सए/तुट्टिस्सदि/तुट्टिस्सदे/ तुट्टिस्सिदि/तुट्टिस्सिदे । (घ) नीचे संज्ञाएं विभक्ति-प्रत्ययसहित दी गई हैं। उनके पुरुष, वचन, मूलसंज्ञा, लिंग एवं प्रत्यय लिखिए 1. सोक्खाई 4. विमाणाणि 7. रज्जाई 10. लक्कुडं 13. सासणाई 2 ससानो 5. तणयाउ 8. माया 11. मेहाम्रो 14. परिक्खा 3. पुत्तो 6 वया 9. सप्पो 12. प्रागमो · 15. परमेसरो 86 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16. छिक्क 19. वत्थाई 22 भोयणं 25. खेत्तं 28 उदगं 17. सुयानो 20. प्राणा 23. राया 26. करुणाम्रो 29. सायरा 18. रयणाई 21. अवयसो 24. सरिया 27. भवो 30. धरणाई उदाहरण - पुरुष वचन मूलसंज्ञा सोक्खाई अन्यपुरुष बहुवचन सोक्ख लिंग प्रत्यय नपुंसकलिंग इं→पाई प्राकृत अभ्यास सौरम 1 187 2010_03 Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-20 (क-1) निम्नलिखित क्रियाओं से भूतकालिक कृदन्त बनाइए। तत्पश्चात् उनमें प्रकारान्त पुल्लिग संज्ञानों के समान प्रथमा एकवचन के प्रत्यय लगाइए1. हस 2. सय 3. णच्च 4. रूस 5. लुवक 6. जग्ग 7. जीव 8. कंद 9 हरिस उदाहरणभूतकालिक कृदन्त अकारान्त पुल्लिग संज्ञायों के समान प्रथमा एकवचन हस हसिप्र हसिय/हसित/हसिद हसियो/हसियो/हसितो/हसिदो । - - (क-2) निम्नलिखित क्रियाओं से भूतकालिक कृदन्त बनाइए। तत्पश्चात् उनमें अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञानों के समान प्रथमा एकवचन के प्रत्यय लगाइए 1. वड्ढ 4. कुद्द 2. विनस 5. जागर 8. बस 3 गुंज 6. विज्ज 9. चुक्क 7. छुट्ट - - - - उदाहरण भूतकालिक कृदन्त प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञानों के समान प्रथमा एकवचन वड्ढिय/वढियं/वड्ढितं/ वडिढदं वड्ढ बड्ढिग्र/वढिय/वड्ढित वढिद - नोट-- इस अभ्यास-20 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 42 का अध्ययन कीजिए। 88 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (क-3) निम्नलिखित क्रियानों से भूतकालिक कृदन्त बनाइए । तत्पश्चात् उनमें प्रका रान्त पुल्लिग संज्ञाओं के समान प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय लगाइए 1. णच्च 4. सोह 2. खय 5. सुक्ख ४. बुक्क 3. जल 6. पला 9. उग 7. ठा उदाहरण भूतकालिक कृदन्त अकारान्त पुल्लिग संज्ञाओं के समान प्रथमा बहुवचन रणच्चिया/णच्चिया/णच्चिता/ णच्चिदा गच्च रणच्चिन/णच्चिय/सच्चित/ णच्चिद (क-4) निम्नलिखित क्रियाओं से भूतकालिक कृदन्त बनाइए । तत्पश्चात् उनमें प्रका रान्त नपुसकलिंग संज्ञाओं के समान प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय लगाइए 1. विस 4. खास 7. ऊतर 2 हो 5. उत्सम 8. तुट्ट 3. उवविस 6. थंभ 9. उड्ड उदाहरण - भूतकालिक कृदन्त अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाओं के समान प्रथमा बहुवचन विग्रसिपाइं/विप्रसिपाई। विप्रसिप्राणि विप्रस विप्रसिन - (क-5) निम्नलिखित क्रियाओं से भूतकालिक कृदन्त बनाइए । तत्पश्चात् उन्हें प्राका रान्त बनाकर स्त्रीलिंग बनाइए । फिर उनमें प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं के समान प्रथमा एकवचन के प्रत्यय लगाइए - 1. उट्ठ 2. ठा 3. हस प्राकृत अभ्यास सौरभ ] । 89 2010_03 Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4. लज्ज 7. मर 90 ] उदाहरण उट्ठ 1. जग्ग 4 पसर 7. हव भूतकालिक कृदन्त उ/उट्टिय उति / उदि उदाहरण 5. अच्छ 8. खेल - ( क - 6 ) निम्नलिखित क्रियाओं से भूतकालिक कृदन्त बनाइए । तत्पश्चात् उन्हें श्राकारान्त बनाकर स्त्रीलिंग बनाइए । फिर उनमें ग्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं के समान प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय लगाइए भूतकालिक कृदन्त जग्ग जग्गिश्र / जग्गिय / जग्गित/ जग्गिद 2010_03 आकारान्त में परिवर्तन उट्टिश्रा / उट्टिया / उद्विता / उद्विदा 2. छज्ज 5. थंभ 8. उच्छह - श्राकारान्त में परिवर्तन 6. णिज्भर 9. कुल्ल जग्गा / जग्गिया / जग्गिता/ जग्गिदा आका. स्त्री. संज्ञानों के समान प्रथमा एकव. उट्टिश्रा / उट्टिया / उट्टिता / उट्टिदा 3. बिह 6. उस्सस 9. चेट्ठ आकारान्त स्त्रीलिंग सज्ञान के समान प्रथमा बहुवचन जग्गश्रा / जग्गनाउ / जग्गा / जगिया / जग्गियाउ / जग्गियाश्रो / जगता / जगताउ जग्गिताश्रो / जग्गिदा / जग्गिदाउ / जग्गिदाश्रो [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए। संज्ञानों व सर्वनामों के लिंग व वचन के अनुरूप भूतकालिक कृदन्त बनाकर उसके सभी विकल्प लिखिए 1 राजा हंसा । 2. पुत्र उठा। 3. व्रत गला। 4. रत्न गिरा। 5. अग्नि जली। 6. अपयश फैला । 7. पुस्तक नष्ट हुई । 8. बालक रोया। 9. हनुमान कूदा। 10 राक्षस मरा। 11. मेघ गरजे। 12. राजा हंसे । 13. पुत्र उठे। 14. व्रत गले । 15. रत्न गिरे । 16. वस्त्र सूखे । 17. गांव बसे । 18. पोते बैठे । 19. विमान उड़े। 20. शासन फैले। 21. राज्य बड़ा। 22 गठरी लुढ़की। 23. सदाचार प्रकट हुआ। 24. रूप खिला। 25. लकड़ी जली। 26. जंगल नष्ट हुा। 27. सिर दुःखा। 28 सत्य खिला। 29. विमान उड़े । 30. कागज सूखे । 31. सुख बढ़े। 32. राज्य फैले । 33. लकड़ियाँ जलीं। 34. व्यसन छूटे । 35. वस्त्र सूखे। 36. धागे टे। 37. गीत गंजे । 38. खेत शोभे । 39. परीक्षा हुई। 40. बहिन रुकी। 41. झोंपड़ी शोभी । 42. शिक्षा फैली। 43 नदी सूखी। 44 बेटी सोयी। 45. यमुना फैली। 46 पत्नी डरी । 47. पुत्री ठहरी । 48. प्रशंसा फैली। 49. पुत्रियां बैठीं। 50. परीक्षाएं हुईं। 51. बहिनें रुकी। 52. शिक्षाएं फैली। 53. बेटियां सोयीं। 54. पुत्रियां जागीं। 55. नदियां सूखीं। 56. प्रमिलाषाएं बढ़ीं। 57. झोंपड़ियां बसीं। 58. गुफाएं नष्ट हुईं। 59. मैं जागा। 60. वह ठहरा । 61. तुम प्रसन्न हुए । 62. मैं बैठी। 6 3. तुम सोये । 64. वह हंसी। 65. मैं भागा । 66. वह मुड़ा । 67. तुम उठे। 68. वह खेला। 69. हम सब जागे । 70. वे सब ठहरे । 71. तुम सब प्रसन्न हुए। 72. हम दोनों बैठे। 73 तुम सब सोये । 74. वे सब कूदे। 75. हम दोनों भागे। 76. वे दोनों मुड़े । 77. तुम दोनों उठे। 78. वे सब खेले। उदाहरणराजा हंसा-नरिंदो हसियो/हसियो/हसितो/हसिदो । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 91 2010_03 Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग-1)नीचे दी गई पुल्लिग संज्ञाओं का (कर्ता-रूप में)प्रथमा एकवचन या प्रथमा बहुवचन में प्रयोग कीजिए, कोष्ठक में दी गई क्रियानों का भूतकालिक कृदन्त के रूप में प्रयोग कीजिए। मध्य में दी गई क्रियानों में सम्बन्धक भूतकृदन्त अथवा हेत्वर्थक कृदन्त का कोई एक प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइए । संज्ञा एवं भूतकालिक कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. कुक्कुर, बुक्क (अच्छ) 3. गंथ, जल (नस्स) 5. पोत्त, रगच्च (उठ) 7. माउल, जागर (जुल) 9 दुह, गल (नस्स) 2. पुत्त, बिह (कंद) 4. मित्त, हरिस (जीव) 6. रयण, पड (तुट्ट) 8. करह, थक्क (गच्च) 10. वय, तुट्ट (गल) - उदाहरण---. कुक्कुरो बुक्किऊण अच्छिरो/अच्छियो/अच्छितो/अच्छिदो । (ग-2) नीचे दी गई नपुंसकलिंग संज्ञाओं का (कर्ता-रूप में) प्रथमा एकवचन या बहुवचन में प्रयोग कीजिए, कोष्ठक में दी गई नियात्रों का भूतकालिक कृदन्त के रूप मे प्रयोग कीजिए और मध्य में दी गई क्रियानों में सम्बन्धक भूतकृदन्त अथवा हेत्वर्थक कृदन्त का कोई एक प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये। संज्ञा एव भूतकालिक कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1 विमारण, उड्ड (थंभ) 3 लक्कुड, नस्स (जल) 5. सुत्त, गल (तुट्ट) 7. घय, चुम (पसर) 9. बीअ, उग (वड्ढ) 2. सासण, पसर (वड्ढ) 4. णयरजण, कुद्द (पला) 6. पोट्टल, लुढ (पड) 8. भय, खय (पला) 10. रिण, छुट्ट (नस्स) उदाहरणविमाणं उड्डिउं थंभिग्रं । 92 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग-3) नीचे दी गई स्त्रीलिंग संज्ञाओं का (कर्ता-रूप में)प्रथमा एकवचन या बहुवचन में प्रयोग कीजिए, कोष्ठक में दी गई क्रियानों का भूतकालिक कृदन्त के रूप में प्रयोग कीजिए तथा मध्य में दी गई क्रियाओं में सम्बन्धक भूतकृदन्त अथवा हेत्वर्थक कृदन्त का कोई एक प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा एवं भूतकालिक कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. सीया, थक्क (लोट्ट) 3. ससा, गच्च (थक्क) 5. तणया, जुज्झ (रुव) 7. तण्हा, छुट्ट (नस्स) 9. पसंसा, वड्ढ (पसर) 2. धूा, बिह (कंद) 4. महिला, डर (पला) 6. जाग्रा, उवसम (उपविस) 8. झंपडा, वस (हब) 10. कन्ना, कुद्द (चिट्ठ) उदाहरणसीया थक्किदूण लोट्टिा । (ग-4) नीचे दिए गए पुरुषवाचक सर्वनामों का (क रूप में) प्रथमा एकवचन या बहुवचन में प्रयोग कीजिए. कोष्ठक में दी गई क्रियाओं का भूतकालिक कृदन्त के रूप में प्रयोग कीजिए तथा मध्य में दी गई क्रियाओं में सम्बन्धक भूतकृदन्त या हेत्वर्थक कृदन्त का कोई एक प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइए। पुरुषवाचक सर्वनाम तथा भूतकालिक कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. त, णच्च (थक्क) 3. तुम्ह, उच्छह (उज्जम) 5. त, मर (कुल्ल) 7. तुम्ह, थक्क (घुम) 9. अम्ह, हरिस (कील) 2. अम्ह, डर (पला) 4. ता, खेल (सय) 6 अम्ह. चिराव (ऊतर) 8. ता, कंद (मुच्छ) 10. त, कलह (लज्ज) उदाहरणसो पच्चिऊणं थक्कियो/थक्कियो/थक्कितो/यक्किदो । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 93 2010_03 Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (घ) निम्नलिखित भूतकालिक कृदन्तों की मूलक्रिया, लिंग, वचन एवं प्रत्यय लिखिए - 1. हसिया 4. ठायो 7. दुक्खियं 10. सुक्खिग्राउ 13. गलिपाणि 16. रणच्चिनं 19. लुक्किामो 22. होप्राई 25. जुज्झिपाइं 28. उज्जमिश्रा 2. विप्रसिआई 5. बिहिबानो 8. चक्किा 11. खेलिनाई 14. नस्सिग्रं 17. जीविनो 20. जग्गियाउ 23. सयित्रो 26. घुमिश्र 29. लज्जिप्रायो 3. उद्विग्राउ 6. थभिप्रायो 9. कुद्दिमानो 12. उवसमियानो 15. हरिसिया 18. अच्छिाई 21. जागरिमा 24. ऊतरिायो 27. डरिपाई 30. दुक्खिप्राणि उदाहरण प्रत्यय मूलक्रिया हस हसिमा लिंग पु., नपु./ स्त्रीलिंग वचन बहुवचन/ एकवचन, बहुवचन 94 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-21 (क-1) निम्नलिखित क्रियाओं से वर्तमान कृदन्त बनाइए। तत्पश्चात् उनमें प्रका रात्त पल्लिग संज्ञाओं के समान प्रथमा एकवचन के प्रत्यय लगाइए 1. हस 3. सय 5. रूस 2. डर 4. पच्च 6. लज्ज उदाहरणक्रिया वर्तमान कृदन्त अकारान्त पुल्लिग संज्ञाओं के समान प्रथमा एकवचन हसन्तो/हसमायो हस हसन्त/हसमाण । (क-2) निम्नलिखित क्रियाओं से वर्तमान कृदन्त बनाइए। तत्पश्चात् उनमें प्रका रान्त पल्लिग संज्ञानों के समान प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय लगाइए 1. हस 3. खय 5. सोह 2. गच्च 4. जल 6. उवसम उदाहरणक्रिया वर्तमान कृदन्त अकारान्त पुल्लिग संज्ञानों के समान प्रथमा बहुवचन हसन्ता/हसमाणा हसन्त/हसमाण नोट-इस अभ्यास-21 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 43 का अध्ययन कीजिए। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 95 2010_03 Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (क-3) निम्नलिखित क्रियाओं से वर्तमान कृदन्त बनाइए। तत्पश्चात् उनमें प्रका रान्त नपुंसकलिंग संज्ञानों के समान प्रथमा एकवचन के प्रत्यय लगाइए 1. बड्ट 3 गुंज 5. जागर 2. विप्रस 4 कुद्द 6. ऊतर - - उदाहरण ... क्रिया वर्तमान कृदन्त अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाओं के समान प्रथमा एकवचन वड्ढन्तं/वड्ढमाणं वड्ढ वड्ढन्त/वड्ढमारण Co - m een - - - - - (क-4) निम्नलिखित क्रियानों से वर्तमान कृदन्त बनाइए। तत्पश्चात् उनमें अका. रान्त नपुसकलिंग संज्ञाओं के समान प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय लगाइए -- 2. हो 1. विप्रस 3. थंभ 5. उड्ड 4. तुट्ट 6. डर उदाहरणक्रिया वर्तमान कृदन्त अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञानों के समान प्रथमा बहुवचन विप्रस विप्रसन्त/विसमाण विअसन्ताइं/विप्रसन्ताई/विअसन्ताणि/ विग्रसमाणाई/विनसमाणाइँ/विप्रसमाणाणि - (क-5) निम्नलिखित क्रियाओं से वर्तमान कृदन्त बनाइए । तत्पश्चात उन्हें प्राकारान्त बनाकर स्त्रीलिंग बनाइए । फिर उनमें प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञानों के समान प्रथमा एकवचन के प्रत्यय लगाइए 1. पच्च 2. उट्ठ 96 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3. लज्ज 5. डुल 6. रूस उदाहरण -- क्रिया वर्तमान कृदन्त आकारान्त में परिवर्तन आका. स्त्रीलिंग संज्ञानों के समान प्रथमा एकवचन णच्चन्ता/गच्चमाणा णच्चन्ता/ णच्च णच्चन्त/ णच्चमारण णच्चमाणा (क -6) निम्नलिखित क्रियाओं से वर्तमान कृदन्त बनाइए । तत्पश्चात् उन्हें प्राकारान्त बनाकर स्त्रीलिग बनाइए। फिर उनमें प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञानों के समान प्रथमा बहुवचन के प्रत्यय लगाइए 1. सय 3. बिह 2. जग्ग 4. थंभ 6. हरिस 5. चे? उदाहरणक्रिया वर्तमान कृदन्त सय सयन्त/सयमाण प्राकारान्त में प्राका. स्त्रीलिंग संज्ञानों परिवर्तन के समान प्रथमा बहुवचन सयन्ता/सयमाणा सयन्ता/सयन्ताउ/ सयन्ताप्रो/सयमाणा/ सयमाणाउ/सयमाणामो (ख) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । कर्ता के लिंग व वचन के अनु रूप (पल्लिग व नपुंसकलिंग में प्रकारान्त तथा स्त्रीलिंग में प्राकारान्त संज्ञानों के प्रत्ययों से) वर्तमान कृदन्त बनाकर उनके सभी विकल्प लिखिए 1. पुत्र शरमाता हुप्रा बैठता है । 2. कुत्ता भोंकता हुमा भागता है । 3. राक्षस कांपते हुए बैठते हैं। 4 बालक डरता हुआ रोता है । 5. अग्नि जलती हुई प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 97 2010_03 Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नष्ट होती है। 6. ऊंट नाचते हुए थकते हैं। 7. सदाचार बढ़ता हुमा खिलता है। 8 लकड़ियाँ जलती हुई नष्ट होती हैं । 9. वैराग्य बढ़ता हुआ शोभता है । 10. माता उत्साहित होती हुई बैठती है । 11. प्रतिष्ठा बढ़ती हुई शोभती है। 12. महिलाएं अफसोस करती हुई घूमती हैं। 13. श्रद्धा बढ़ती हुई शोभती है। 14 कर्म गलते हुए छूटते हैं। 15. वह शरमाता हुआ छिपता है। 16. मैं खेलता हुआ खुश होता हूँ। 17. तुम नाचते हुए थकते हो । 18. वे सब रोते हुए लड़ते हैं। 19. हम सब खेलते हुए खुश होते हैं। 20. तुम सब कलह करती हुई लड़ती हो। 21. मनुष्य हंसता हुआ जीवे । 22. पिता खुश होता हुआ प्रयास करे। 23. बालिका उत्साहित होती हुई प्रयत्न करे । 24. महिलाएं उत्साहित होती हुई प्रयत्न करें। 25. कन्या शान्त होती हुई बैठे। 26. तुम प्रसन्न होते हुए खेलो। 27 मैं खुश होते हुए नाचूं । 28. तुम सब हंसते हुए बैठो। 29. हम सब भागते हुए खेलें। 30. सत्य सिद्ध होता हा शोभेगा। 31. शिक्षा बढ़ती हई फैलेगी। 32. कन्याएं नाचती हई थकेंगी। 33. रत्न गिरते हुए टूटेगे। 34. मनुष्य प्रयास करते हुए कूदेंगे। 35. पोता बैठता हुआ मुड़ेगा । 36. राक्षस कूदते हुए मरेंगे । 37. मैं हंसती हुई जीदूंगी। 38. तुम कूदते हुए थकोगे। 39. वह प्रसन्न होती हई नाचेगी। 40. हम सब प्रयास करते हुए जागेंगे । 41. वे सब शान्त होती हुई बैठेगी। 42. तुम सब डरते हुए छियोगे । 43. घी टपकता हुअा गिरा। 44. दादा प्रयास करता हुआ बैठा । 45. मित्र प्रयत्न करता हुग्रा प्रसन्न हुआ। 46. पोते लड़ते हुए कांपे । 47 पुत्र गिड़गिड़ाता हुअा मरा । 48. राक्षस छटपटाता हुआ मरा। 49. पानी टपकता हुआ सूखा । 50. नागरिक हंसता हुआ जीया । 51. पुत्री प्रसन्न होती हुई उठी। 52. झोंपड़ियां बसती हुई नष्ट हुई। 53. घास जलता हुआ नष्ट हुआ । 54 मैं खेलता हुआ प्रसन्न हुआ। 55. वह डरती हुई रोयी। 56. तुम अफसोस करते हुए बैठे। 57. वे सब रुकते हुए नीचे उतरे। 58. वे सब शान्त होती हुई बैठी। 59. हम सब कूदते हुए थके । उदाहरणपुत्र शरमाता हुआ बैठता है-पुत्तो लज्जन्तो बइस इ/बइसे इ/बइसए/बइसदि/ बइसदे । 98 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ग - 1 ) नीचे दिए गए संज्ञा - सर्वनामों का (कर्त्तारूप में) प्रथमा एकवचन या प्रथमा कोष्ठक में दी गई दो क्रियानों में से एक प्रयोग करते हुए दूसरी क्रिया में वर्तमानकाल बहुवचन में प्रयोग कीजिए तथा में वर्तमान कृदन्त के प्रत्ययों का का प्रयोग कर वाक्य बनाइये - 1 करह (रगच्च थक्क ) 3. भुंपडा (पड, नस्स) 5. ग्रम्ह (कील, हरिस) उदाहरण करहो णच्चन्तो थक्कइ / थक्के इ / थक्कए / थक्कदि / थक्कदे | (ग- 2) नीचे दिए गए संज्ञा सर्वनामों का ( कर्त्ता रूप में) प्रथमा एकवचन या प्रथमा बहुवचन में प्रयोग कीजिये तथा कोष्ठक में दी गई दो क्रियानों में से एक में वर्तमान कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग करते हुए दूसरी क्रिया में विधि एवं श्राज्ञा का प्रयोग कर वाक्य बनाइये - 1 रज्ज (वड्ढ, पसर) 3. बालअ (उच्छह, खेल) 5. ग्रम्ह (पला, खेल) 2. वेरग्ग (बड्ढ, सोह) 4. ता (डर, पला) 6 तुम्ह (उच्छह, चेट्ठ) उदाहरण रज्जाई / रज्जाइँ / रज्जाणि वड्ढन्ताई / वढन्ताएँ / वड्ढन्ताणि परन्तु / पसरेन्तु | प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2. महिला (उच्छह, चेट्ठ) 4. तुम्ह (हस, श्रच्छ 6. त ( उवसम बइस) ( ग - 3 ) नीचे दिए गए संज्ञा - सर्वनामों का ( कर्त्तारूप में ) प्रथमा एकवचन या प्रथमा बहुवचन में प्रयोग कीजिए तथा कोष्ठक में दी गई दो क्रियानों में से एक में वर्तमान कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग करते हुए दूसरी क्रिया में भविष्यत्काल का प्रयोग कर वाक्य बनाइए 1. सच्च (सिज्झ, सोह) 2010_03 2. रक्खस ( कुल्ल, मर ) [ 99 Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3. कन्ना (गच्च, थक्क) 5. तुम्ह (डर, लुक्क) 4 (उवसम, अच्छ) . 6. अम्ह (चेट्ट, जागर) उदाहरण - सच्चं सिझन्त सोहिहिइ/सोहिहिए/सोहिहिदि/सोहिहिदे/सोहिस्सइ/ सोहिस्सए/सोहिस्सदि/सोहिस्सदे/सोहिस्सिदि/सोहिस्सिदे । (ग-4) नीचे दिए गए संज्ञा-सर्वनामों का (क रूप में) प्रथमा एकवचन या प्रथमा बहुवचन में प्रयोग कीजिए तथा कोष्ठक में दी गई दो क्रियानों में से एक में वर्तमान कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग करते हुए दूसरी क्रिया में भूतकाल के भाव को प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त या भूतकाल का प्रयोग कर वाक्य बनाइये 1. पोत्त (जुज्झ, कंप) 3. सुया (हरिस, उट्ठ) 5 तुम्ह (खिज्ज, उवविस) ... 2. पुत्त (गडयड, चिट्ठ) 4. ता (डर, कंद) 6. अम्ह (कुद्द, थक्क) उदाहरण-- पोत्तो जुज्झन्तो कंपी या पोत्तो जुज्झन्तो कंपियो । (घ) निम्नलिखित वर्तमान कृदन्तों की मूलक्रिया, लिंग, वचन एवं प्रत्यय लिखिए 1. हसन्तो 4. कुद्दन्ताउ 7. चिट्ठन्ता 10. छुट्टन्तो 13. थंभमाणाई 2. विनसमाणाणि 5. रमन्तामो 8. चिरावमाणा 11. जागरन्ताई 14. खासन्ता 3. वड्ढन्ताइ 6. गुंजमाणाणि 9. फुरन्ता 12. छुट्टमाणो 15. फुल्लन्ताउ 100 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 डरन्तो 16. गडयडमाणाई 19. उट्ठन्ता 17. लज्जमाणो 20. थक्कन्ताई उदाहरण प्रत्यय मूलक्रिया लिंग हम पुल्लिग वचन एकवचन हसन्तो न्त प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 101 ___ 2010_03 Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास- 22 ( क - 1 ) निम्नलिखित अकारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के तृतीया एकवचन व बहुवचन के रूप लिखिए 1. नरिंद 4. मित्त 7. रक्खस उदाहरण →→→ अकारान्त पु. सं. नरिंद 102 1 1. कमल 4. खेत 7. लक्कुड 2. करह 5. परमेसर 8. मारु तृतीया एकवचन नरदे/नदेिणं ( क - 2 ) निम्नलिखित प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञानों के तृतीया एकवचन व बहुवचन के रूप लिखिए - 2. रज्ज 5. वत्थ 8. जीवण उदाहरण अकारान्त नपुं. सं. तृतीया एकवचन कमल कमले / कमलेणं 2010_03 3. दिवायर 6. गंथ 9. पड तृतीया बहुवचन नरदेहि/नरिदेहि/नरिदेहिं 2. माया ( क - 3 ) निम्नलिखित श्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं के तृतीया एकवचन व बहुवचन के रूप लिखिए 1. ससा 3. पोट्टल 6. कम्म 9. धण तृतीया बहुवचन कमले हि / कमले हि/कमले हिं - नोट – इस अभ्यास - 22 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 45 का अध्ययन कीजिए । 3. जरा [ प्राकृत अभ्यास सौरम Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4. कहा 7. महिला 5. कण्णा 8. गंगा 6. झंपडा 9. सिक्खा उदाहरण - आकारान्त स्त्री. सं. तृतीया एकवचन ससा ससाए ससाइ/ससा तृतीया बहुवचन ससाहि/ससाहि/ससाहिं (क-4) निम्नलिखित पुरुषवाचक सर्वनामों के तृतीया एकवचन व बहुवचन के रूप लिखिए - 1. अम्ह 2. तुम्ह 3. त 4. ता उदाहरणपुरुषवाचक सर्वनाम तृतीया एकवचन प्रम्ह मइ/मए मे/ममए तृतीया बहुवचन अम्हेहि/अम्हाहि (ख) निम्नलिखित क्रियानों के भूतकालिक कृदन्त बनाइए । उनके नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन के रूप लिखिए 1. हस 4. पड 7. खेल 10. सय 2. लज्ज 5. घुम 8. कुल्ल 11. बिह 3. थक्क 6. उच्छल 9. जुज्झ 12. पसर उदाहरणक्रिया भूतकालिक कृदन्त हस हसिग्र/हसिय/हसित/हसिद नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन हसिग्रं/हसियं/हसितं/हसिदं प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 103 ____ 2010_03 Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ग) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए। वाक्यों को बनाने के लिए संज्ञा-सर्वनाम में तृतीया एकवचन या बहुवचन का प्रयोग कीजिए । भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन में प्रयोग कोजिए 1. राजा द्वारा हसा गया। 2. कुत्ते द्वारा कूदा गया। 3. नागरिक द्वारा जागा गया। 4. पोते द्वारा कूदा गया। 5. कन्या द्वारा नाचा गया । 6. मित्र द्वारा प्रसन्न हुआ गया। 7. राक्षस द्वारा मरा गया। 8. परीक्षा द्वारा हुआ गया। 9. बेटी द्वारा खांसा गया । 10. समुद्र द्वारा सूखा गया। 11. विमान द्वारा उड़ा गया। 12. गठरी द्वारा लुढ़का गया। 13 सिंह द्वारा गरजा गया । 14. माता द्वारा खुश हुआ गया । 15 पत्नी द्वारा डरा गया। 16. ऊँट द्वारा बैठा गया। 17. पुत्र द्वारा सोया गया। 18. वस्त्र द्वारा सूखा गया । 19. उसके द्वारा थका गया। .0. तुम्हारे द्वारा देर की गई। 21. मेरे द्वारा बैठा गया । 22. राजाओं द्वारा हंसा गया । 23. मित्रों द्वारा प्रसन्न हुया गया। 24. राक्षसों द्वारा मरा गया। 25...टियों द्वारा खांसा गया। 26. सिंहों द्वारा गरजा गया। 27. माताओं द्वारा खुश हुआ गया। 28. ऊंटों द्वारा बैठा गया । 29. पुत्रों द्वारा सोया गया । 30. कुत्तों द्वारा भोंका गया । 31 नागरिकों द्वारा जागा गया। 32. कन्याओं द्वारा नाचा गया। 33. समुद्रों द्वारा सूखा गया। 34. कूओं द्वारा सूखा गया। 35. रत्नों द्वारा शोमा गया। 36. राज्यों द्वारा लड़ा गया। 37. महिलाओं द्वारा शान्त हुया गया । 38. विमानों द्वारा उड़ा गया । 39. कन्याओं द्वारा छिपा गया। 40 नागरिकों द्वारा अफसोस किया गया। 41. मामानों द्वारा प्रसन्न हुपा गया । 42. राजाओं द्वारा उपस्थित हुआ गया। 43. बालकों द्वारा खेला गया । 44. तुम सब के द्वारा डरा गया। 45. उनके द्वारा थका गया। 46. हमारे द्वारा बैठा गया। 47. तुम सबके द्वारा देर की गई । 48. उन (स्त्रियों) के द्वारा सोया गया । 49. हमारे द्वारा घूमा गया। उदाहरणराजा द्वारा हँसा गया=नरिदेण/नरिदेणं हसिनं । 104 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (घ) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए । भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का कर्तृवाच्य तथा भाववाच्य में प्रयोग कीजिए । सभी विकल्प लिखिए 1. मित्र प्रसन्न हुआ 3. राजा हँसा 5. राक्षस कूदे । 7. बेटी खांसी । 9. पोते कुदे । 11. माताएं खुश हुईं। 13. कुत्ता मोंका । 15. पत्नी डरी। 17. पुत्र सोया । 19. नागरिक जागे । 21. ऊँट बैठा । 23. पानी भरा । 25. अपयश फैला । 27. अग्नि जली | 29. प्रतिष्ठा कम हुई । 1 31. सुख गला । 33. विमान उड़ा । 35. गठरी लुढ़की । 37. वस्त्र सूखा । 39. पुस्तक जली | 41. कन्याएं नाचीं । 43 बादल गरजे । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 2. मित्र द्वारा प्रसन्न हुआ गया । 4. राजा द्वारा हंसा गया । 6. राक्षसों द्वारा कूदा गया । 8. बेटी द्वारा खांसा गया । 10. पोतों द्वारा कूदा गया । 12. मातानों द्वारा खुश हुआ गया । 14. कुत्ते द्वारा भोंका गया । 16. पत्नियों द्वारा डरा गया । 18. पुत्रों द्वारा सोया गया । 28. नागरिकों द्वारा जागा गया । 22. ऊँट द्वारा बैठा गया । 24. पानी द्वारा भरा गया । 26. अपयश द्वारा फैला गया । 28. अग्नि द्वारा जला गया । 30. प्रतिष्ठा द्वारा कम हुआ गया । 32. सुख द्वारा गला गया । 34. विमान द्वारा उड़ा गया । 36. गठरी द्वारा लुढ़का गया । 38. वस्त्र द्वारा सूखा गया । 40. पुस्तक द्वारा जला गया । 42. कन्याओं द्वारा नाचा गया । 44. बादलों द्वारा गरजा गया । [ 105 Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45. समुद्र सूखे । 47. रत्न शोभे। 49. महिला शान्त हुई। 46. समुद्रों द्वारा सूखा गया । 48. रत्नों द्वारा शोभा गया। 50. महिला द्वारा शान्त हुआ गया । - उदाहरणकर्तृवाच्य - मित्र प्रसन्न हुअा=मित्तो हरिसियो । भाववाच्य-मित्र द्वारा प्रसन्न हुअा गया=मित्तेण/मित्तेणं हरिसिधे । - 1061 । प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-23 (क) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए। संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया एवं कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. राजा हंसता है । 2. राजा हंसे । 3. राजा हंसेगा। 4. राजा हंसा । 5. राजा द्वारा हंसा गया। 6. बालक बैठते हैं । 7. बालक बैठे । 8. बालक बैठेंगे । 9. बालक बैठे। 10. बालकों द्वारा बैठा गया। 11. विमान उड़ता है। 12. विमान उड़े। 13. विमान उड़ेगा। 14. विमान उड़ा । 15. विमान द्वारा उड़ा गया। 16. विमान द्वारा उड़ा जायेगा । 17. नागरिक उपस्थित होते हैं। 18 नागरिक उपस्थित होवें। 19. नागरिक उपस्थित होंगे। 20. नागरिक उपस्थित हुए। 21. नागरिकों द्वारा उपस्थित हुया गया । 22. माता प्रसन्न होती है । 23. माता प्रसन्न होवे | 24. माता प्रसन्न होवेगी। 25. माता प्रसन्न हुई। 26. माता के द्वारा प्रसन्न हुअा गया। 27. कन्याएं छिपती हैं। 28. कन्याएं छिपें । 29. कन्याएं छिपेंगी । 30. कन्याओं द्वारा छिपा गया । 31. वह जागता है । 32. वह जागे । 33. वह जागेगा। 34. वह जागा । 35. उसके द्वारा जागा गया। 36. तुम सब रुकते हो। 37. तुम सब रुको। 38. तुम सब रुकोगे। 39 तुम सब रुके। 40. तुम सब के द्वारा रुका गया। 41. मैं ठहरती हैं। 42. मैं ठहरूं। 43. मैं ठहरूंगी। 44. मैं ठहरी। 45. मेरे द्वारा ठहरा गया। 46. वे सब जागती हैं। 47. वे सब जागें । 48. वे सब जागेगी। 49. वे सब जागीं। 50. उन सब के द्वारा जागा गया। 51. सीता सोने के लिए उठती है। 52. सीता सोने के लिए उठे । 53. सीता सोने के लिए उठी। 54. सीता सोने के लिए उठेगी। 55. सीता के द्वारा सोने के लिए उठा गया। 56. तुम नाचने के लिए उठते हो। 57. तुम नाचने के लिए उठो। 58. तुम नाचने के लिए उठोगे। 59. तुम नाचने के लिए उठे । 60. तुम्हारे द्वारा नाचने के लिए उठा गया। उदाहरणराजा हंसता है-नरिंदो हसइ/हसेइ हसए हसदि/हसदे । -- -- नोट-इस अभ्यास-23 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 1 से 45 तक दोहराएं। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 107 2010_03 Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) निम्नलिखित संज्ञानों एवं सर्वनामों के पुरुष, वचन, विभक्ति, लिंग, प्रत्यय एवं मूलशब्द लिखिए 1. नरिंदो 4. विमाणं 7. कमलाउ 10. गंगाओ 13. रहुणन्दणेह 16. एयरजणाणि 19. कम्माई 22. 25. हं 28. तेण उदाहरण 1. हसिप्रो 4. रूसिश्रा 7. सयिश्रा 10. अच्छन्ता 13. घुमन्ताउ 16. जलन्तो 19. बुक्कमाणा इं 2. पोते हि 5. रज्जाइं 8. तणयाए 11. रह 14. दिवायरा 17. छिक्का 20. णाणेण 23. साउ 26. तुम्हहि 29. ह लिंग प्रत्यय मूलशब्द पुरुष वचन विभक्ति नरिदो अन्यपुरुष एकवचन प्रथमा पुल्लिंग श्रो नरिंद 108 ] (ग) निम्नलिखित कृदन्तों को मूलक्रिया, प्रत्यय एवं नाम बताइए तथा जहां सम्भव हो वहां विभक्ति, वचन एवं लिंग भी बताइए — 2010_03 2. खच्चन्ता 5. लुक्कन्तो 8. लजाई 11. पडन्ताउ 14. उल्लसिनाउ 17. सुक्ताई 20. कंदन्ता 3. रेहि 6. वेरगं 9. ससाहि 12. गंथे 15. कूवा 18. भोयणेहि 21. सो 24. म्हे 27.ar 30. वयं [ 3. जीविप्रो 6. जग्गमाणो 9. डरमाणाई 12. उट्ठन्ताओ 15. णिज्भरिया 18. पसरमाणा 21. जलिउं प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22. सोहिऊण 25. तुट्टाय 28. फुरेण उदाहरण - मूलक्रिया हसिनो हस प्राकृत अभ्यास सौरभ 1 2010_03 प्रत्यय अ 23. पसरेढुं 26. विसे उं 29. णच्चेउं कृदन्त भूतका. कृ. विभक्ति प्रथमा 24. कंदित्ता 27. हसिढुं 30. जग्गिदुं वचन लिंग एकवचन पुल्लिंग [ 109 Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-24 (क) निम्नलिखित क्रियाओं के भाववाच्य बनाइए। उनमें चारों कालों के अन्य पुरुष एकवचन के प्रत्यय लगाइए1. हस 2. गच्च 3. लुक्क 4. गल 5. हरिस 6. उल्लस उदाहरण भाववाच्य वर्तमानकाल विधि एवं प्रा. भूतकाल भविष्यत्काल हस हसिज्ज/ हसिज्जइ/ हसिज्जउ हसिज्जईन/ हसिहिइ/ हसीन हसीअइ/ हसीअउ/ हसीअई हसिहिए। हसिज्जए। हसिज्जदु/ हसिहिदि हसीए/ हसी प्रदु हसिहिदे हसिज्जदि/हसीअदि हसिज्जदे/हसीअदे (ख) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए। वाक्यों को बनाने के लिए संज्ञा व सर्वनाम में तृतीया एकवचन/बहुवचन का प्रयोग कीजिए । विभिन्न कालों को प्रकट करने के लिए क्रियाओं में भाववाच्य के प्रत्यय लगाने के पश्चात् अन्यपुरुष एकवचन के प्रत्यय लगाइए 1. राजा के द्वारा हंसा जाता है । 2. कमल के द्वारा खिला जाता है । 3. बहिन द्वारा जागा जाता है। 4. मेरे द्वारा नाचा जाता है । 5. तुम्हारे द्वारा कूदा जाता है । 6. उसके द्वारा उठा जाता है। 7 उस (स्त्री) के द्वारा प्रसन्न हुआ जाता है। 8. राजाओं के द्वारा प्रसन्न हुया जाता है। 9. कमलों द्वारा खिला जाता है । 10. बहिनों द्वारा जागा जाता है। 11 हमारे द्वारा नाचा जाता है । 12. तुम सब के द्वारा कूदा जाता है। 13. उसके द्वारा उठा जाता है । नोट – इस अभ्यास-24 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 47 ___ का अध्ययन कीजिए। 110 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14. उन (स्त्रियों) के द्वारा प्रसन्न हुअा जाता है। 15. पुत्र के द्वारा खेला जाए। 16. नागरिक द्वारा उपस्थित हुआ जावे । 17. माता द्वारा बैठा जाए। 18. तुम्हारे द्वारा प्रयास किया गया। 19. मेरे द्वारा सोया जाए। 20. उसके द्वारा कूदा जाए। 21. उस (स्त्री) के द्वारा छिपा जाए । 22 पूत्रों के द्वारा खेला गया। 23. नागरिकों द्वारा उपस्थित हुअा जाए। 24. मातानों द्वारा बैठा जाए। 25. हमारे द्वारा सोया जाए। 26. तुम दोनों द्वारा प्रयास किया जाए। 27. उनके द्वारा कूदा गया। 28. उन (स्त्रियों) के द्वारा कूदा जाए। 29. कुते द्वारा भोंका जाए। 30. विमान द्वारा उड़ा जायेगा। 31. कन्या के द्वारा खेला जायेगा। 32. उसके द्वारा उछला जायेगा। 33. उस (स्त्री, के द्वारा अफसोस किया जायेगा। 34. तुम्हारे द्वारा देर की जायेगी। 35 मेरे द्वारा प्रसन्न हा जायेगा। 36. कुत्तों के द्वारा भोंका जायेगा। 37. विमानों द्वारा उड़ा जायेगा। 38. कन्याओं द्वारा छिपा जायेगा। 39. उनके द्वारा उछला जायेगा। 40 हम सब के द्वारा खिला जायेगा । 41. उन (स्त्रियों) के द्वारा अफसोस किया जायेगा । 42. तुम सब के द्वारा देर की जायेगी। उदाहरण - राजा के द्वारा हंसा जाता है =नरिदेण/नरिदेणं हसिज्जइ/हसीअइ/हसिज्जए/ हसिज्जदि। (ग) नीचे संज्ञाएं व पुरुषवाचक सर्वनाम तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं। संज्ञाओं व सर्वनामों में कहीं एकवचन, कहीं बहुवचन का प्रयोग करते हुए निदिष्ट कालों में भाववाच्य के वाक्य बनाइए1. नरिंद (हस) वर्तमानकाल 2. कुक्कुर (बुक्क) वर्तमानकाल 3 मित्त (हरिस) विधि एवं प्राज्ञा 4. सीह (गज्ज) विधि एवं आज्ञा 5. महिला (अच्छ) विधि एवं आज्ञा 6. दिवायर (उग) भूतकाल 7. कमल (विस) वर्तमानकाल 8. सील (फुर) विधि एवं प्राज्ञा 9. रज्ज (उज्जम) विधि एवं प्राज्ञा 10. विमाण (उड्ड) भूतकाल 11. सीया (हस) वर्तमानकाल 12. ससा (जग्ग) वर्तमानकाल 13. माया (हरिस) विधि एवं प्रा. 14. महिला (उवसम) विधि एवं प्राज्ञा 15. अम्ह (कुल्ल) भूतकाल 16. अम्ह (खेल) वर्तमानकाल प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 111 2010_03 Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 17. तुम्ह (हरिस) विधि एवं प्रा. 19. त ( उवविस) भविष्यत्काल उदाहरण - नरदे/नदेिणं हसिज्जइ / हसिज्जए / हसी इ / ह सिज्जदि / ह सिज्ज दे । (घ) निम्नलिखित भाववाच्यों को मूलक्रिया, पुरुष, वचन, प्रत्यय व काल लिखिए 2. गलिज्जइ 3. खयिहिइ 6. वसिहिए 5 हसिज्जउ 8. प्रचिचज्जउ 9. रुविज्जए 1. हसिज्जइ 4. की लिज्जइ 7. कुल्लिज्जए 10. लोट्टिहि उदाहरण भाववाच्य हसिज्जइ 112 1 मूलक्रिया हस 18. तुम्हे (उज्जम) विधि एवं आज्ञा 20. ता (रगच्च ) विधि एवं आज्ञा 2010_03 पुरुष अन्यपुरुष वचन एकवचन प्रत्यय इज्ज काल वर्तमान [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-25 (क) निम्नलिखित क्रियानों में विधि कृदन्त के प्रत्यय लगाइए। उनके नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन के रूप लिखिए 1. हस 2. लज्ज अच्छ 3. कलह 5. घुम 7. उवसम 9 कुद्द 8. थंभ 10. जागर उदाहरणक्रिया विधि कृदन्त विधि कृदन्त नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन हसितब्ब/हसिअव्व/हसिदध्व/ हसिअव्वं/हसितव्वं/हसिदव्वं/ह से अव्वं हसे प्रव्व/हसेतव्व/हसेदव/ हसेतव्वं/हसेदव्वं/हसणीयं हसणीय हस (ख) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए। इन वाक्यों को बनाने के लिए संज्ञा-सर्वनाम में तृतीया एकवचन/बहुवचन का, विधि के भावों को प्रकट करने के लिए विधि कृदन्त के नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन का प्रयोग कीजिए 1. राजा के द्वारा हँसा जाना चाहिए। 2. मित्र के द्वारा प्रसन्न हुअा जाना चाहिए। 3. पुत्र द्वारा सोया जाना चाहिए । 4. राजाओं के द्वारा हंसा जाना चाहिए। 5. मित्रों के द्वारा प्रसन्न हुआ जाना चाहिए । 6. पुत्रों के द्वारा सोया जाना चाहिए। 7. राज्य द्वारा लड़ा जाना चाहिए । 8. विमान द्वारा उड़ा जाना चाहिए। 9. राज्यों द्वारा लड़ा जाना चाहिए। 10 माता द्वारा खुश नोट-इस अभ्यास-25 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 49 का अध्ययन कीजिए। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 113 2010_03 Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हया जाना चाहिए। 11. विमानों द्वारा उड़ा जाना चाहिए। 12. कन्या द्वारा छिपा जाना चाएिए । 13. माताओं द्वारा खुश हुआ जाना चाहिए । 14. कन्याओं द्वारा छिपा जाना चाहिए। 15. उसके द्वारा खेला जाना चाहिए । 16. तुम्हारे द्वारा हंसा जाना चाहिए। 17. मेरे द्वारा प्रयत्न किया जाना चाहिए । 18 उसके (स्त्री) द्वारा नाचा जाना चाहिए । 19. हमारे द्वारा प्रयत्न किया जाना चाहिए। 20. उन सब के द्वारा प्रसन्न हुआ जाना चाहिए । उदाहरण - राजा के द्वारा हंसा जाना चाहिए = नरिदेण/नरिदेणं हसिपव्वं/हसितव्वं| हसिदव्वं/हसणीयं । (ग) नीचे संज्ञा-सर्वनाम तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं । क्रियानों में विधि कृदन्त का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइये - 1. नरिंद (हस) 3. ससा (खेल) 5. पोत्त (कुल्ल) 7. माया (हरिस) 9. ता (गच्च) 2. कमल (विप्रस) 4. अम्ह (जग्ग) 6. विमाण (उड्ड) 8. तुम्ह (उज्जम) 10. रज्ज (जुज्झ) उदाहरणनरिदेण/नरिंदेणं हसिअव्वं/हसितव्वं/हसिदव्वं/हसणीयं । (घ) निम्नलिखित विधि कृदन्तों की मूलक्रिया, वचन, विभक्ति एवं प्रत्यय लिखिए 1. हसिग्रव्वं 4. डरणीयं 7. पडेदव्वं 2 लज्जितव्वं 5. थक्के अव्वं 8. उदरणीयं 3. रुविदव्वं 6. अच्छेअव्वं 9. घुमिअव्वं 114 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10 उच्छलिसव्वं 13. मरिअव्वं 16. जुज्झेदव्वं 19. रूसिग्रव्वं 11. उज्जमितव्वं 14. खेलेअव्वं 17. सयणीय 20. लुक्किदव्वं 12. कंपिदव्वं 15. कुल्लतव्वं 18. णच्चितवं उदाहरण - TT मूलक्रिया हस वचन एकवचन विभक्ति प्रथमा प्रत्यय अव्वं हसिप्रव्वं - - - प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 115 2010_03 Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-26 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत्त में रचना कीजिए । संज्ञानों, क्रियाओं एवं कृदन्त. रूपों के प्रत्ययों के सभी विकल्प लिखिए। विधि के भाववाच्य में क्रिया-रूपों एवं विधि कृदन्त का प्रयोग कीजिए कर्तृवाच्य 1. बालक खेलते हैं। 3. बालक खेला। 5. बालक खेलें । 7. बालक खेलेंगे। 9. माता प्रसन्न होती है। 11. माता प्रसन्न हुई। 13. माता प्रसन्न होवे । 15. माता प्रसन्न होवेगी। 17, मै सोता हूँ 19. मैं सोया। 21. मैं सोवू । 23. मैं सोऊंगी। भाववाच्य 2. बालकों द्वारा खेला जाता है । 4. बालक द्वारा खेला गया। 6. बालकों द्वारा खेला जाए। 8. बालकों द्वारा खेला जायेगा। 10. माता द्वारा प्रसन्न हुआ जाता है । ___12. माता द्वारा प्रसन्न हुआ गया। 14. माता द्वारा प्रसन्न हुआ जावे । 16. माता द्वारा प्रसन्न हुया जावेगा। 18. मेरे द्वारा सोया जाता है । 20. मेरे द्वारा सोया गया। 22. मेरे द्वारा सोया जावे । 24. मेरे द्वरा सोया जायेगा । उदाहरण - 1. बालक खेलते हैं =बालग्रा खेलन्ति/खेलन्ते खेलिरे । 2. बालकों द्वारा खेला जाता है =बालएहि बालएहि/बालएहिं खेलिज्जइ/ खेलिज्जदि/खेलिज्जए/खेलिज्जदे । - नोट-इस अभ्यास-26 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 42 से 49 तक दोहराएं । 116 ] [ प्राकृत अभ्यास सोरम 2010_03 Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) नीचे संज्ञाएं, पुरुषवाचक सर्वनाम तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञाओं एवं सर्वनामों में कहीं एकवचन, कहीं बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट काल में कर्तृवाच्य एवं भाववाच्य के वाक्य बनाइए । 1. विमाण (उड्ड) वर्तमानकाल 2. कन्ना (लुक्क) भूतकाल 3. रज्ज (जुज्झ) भविष्यत्काल 4. कुक्कुर (बुक्क) वर्तमानकाल 5 ता (णच्च) भूतकाल 6. सद्धा (वड्ढ) विधि एवं प्राज्ञा 7. माया (हरिस) विधि एवं प्राज्ञा 8. तुम्ह (थक्क) वर्तमानकाल 9. त (हा) भूतकाल 10. सुया (खेल) विधि एवं आज्ञा उदाहरण - कर्तृवाच्य-विमाणं उड्डइ/उड्डए/उडुदि/उड्डदे । भाववाच्य -विमाणेण/विमाणेणं उड्डिज्जइ/उड्डिज्जदि/उड्डीअइ/उड्डीअदि । - - (ग) निम्नलिखित वाक्य कर्तृवाच्य में दिए गए हैं। इनका भाववाच्य में परिवर्तन कीजिए - 1. माउलो उट्ठउ/उट्ठदु/उठेदु । 2 मित्ता हरिसन्तु हरिसेन्तु । 3. ॥रा उज्जमिहिन्ति/उज्जमिस्सन्ति/आदि । 4. लक्कुडाणि/लक्कुडाई जलन्ति/जलन्ते/जलिरे । 5. वत्थाणि/वत्थाई/वत्थाइं/सुक्खि पाई/सुक्खिाइं/सुक्खिाणि । 6. अहं ठामि । 7. तुं लुक्कसि/लुक्कसे /लुक्के सि । 8. सो व्हाइ/हादि । 9. गच्चमु/णच्चेमु । 10. ता णच्चिया/णच्चियाउ/णच्चिायो । उदाहरण1. भाववाच्य=माउलेण/माउलेणं उद्विज्जउ/उद्विजदु/उट्ठीअउ/उट्ठीअदु । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 117 2010_03 Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (घ) निम्नलिखित वाक्य भाववाच्य में दिए गए हैं। इनका कर्तृवाच्य में परिवर्तन कीजिए 1 कुक्कुरेण/कुक्कुरेणं बुक्किज्जइ/बुक्किज्जए/बुक्कीयइ/बुक्कीयए । 2. पोत्तेहि/पोत्तेहि पोत्तेहिं सयिज्जइ/सयिज्जएसयीयइ/सयीयए । 3. णरेहि/णरेहिं/णरेहिं उज्जमिहिइ/उज्जमिहिदि । 4. मित्तेहि/मित्तेहिं/मित्तेहिं हरिसिधे । 5. लक्कुडे हि/लक्कुडेहिं/लक्कुडेहिं जलिय । 6. मइ कुल्लिज्जइ/कुल्लिज्जए/कुल्लीयइ/कुल्लीयए । 7. तइ/तए उद्विज्जइ/उट्ठिज्जए|उट्ठीयइ/उट्ठीयए । 8. तए/तइ णच्चिज्जउ/णच्चीयउ । 9. तेण/तेणं उवसमिज्जउ/उवसमीयउ । 10. मइ लुक्किनं । उदाहरणकर्तृवाच्य-कुक्कुरो बुक्कइ/बुक्केइ/बुक्कए/बुक्कदि/बुक्कदे । 118 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ ___ 2010_03 Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास- 27 ( क - 1 ) निम्नलिखित प्रकारान्त पुल्लिंग संज्ञानों के द्वितीया एकवचन व बहुवचन के रूप लिखिए 1. नरिंद 4. णर 7. रक्खस 10. सीह उदाहरण नरिंद 1. भोयण 4. णाण 7. खेत 10. रज्ज उदाहरण - भोयण द्वितीया एकवचन नरिंद ( क - 2 ) निम्नलिखित प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाओं के द्वितीया एकवचन व बहुवचन के रूप लिखिए 2. कुक्कुर 5. वय 8. सलिल 11. करह प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2. विमारण 5. सुत्त 8. सुह 11. धरण द्वितीया एकवचन मोयणं 2010_03 3. माउल 6. मेह 9. दिवायर 12. जर द्वितीया बहुवचन नरिंदा / नरदे नोट -- इस अभ्यास- 27 को हल करने के लिए प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 51-52 अध्ययन कीजिए । 3. कम्म 6. वत्थ 9. णयरजण 12. मण द्वितीया बहुवचन भाई / मोयणाई / मोयणाणि [ 119 Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( क - 3 ) निम्नलिखित प्राकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञानों के द्वितीया एकवचन व बहुवचन के रूप लिखिए 1. माया 4. कहा 7. कण्णा 10. नणन्दा उदाहरण माया 1. अम्ह 3. त (पु.) 5. ता (स्त्री.) उदाहरण अम्ह 2. कमला 5. सरिया 8. पसंसा 11. महिला द्वितीया एकवचन मायं ( क - 4 ) निम्नलिखित पुरुषवाचक सर्वनामों के द्वितीया एकवचन व बहुवचन के रूप लिखिए द्वितीया एकवचन ममं / मे / मं 2010_03 द्वितीया बहुवचन माया / मायाउ / मायाश्रो 3. णम्मया 6. गुहा 9. निसा 12. सिक्खा 2. तुम्ह 4. त ( नपु.) द्वितीया बहुवचन अम्हे / अम्ह (ख) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिये | संज्ञा, सर्वनाम एवं क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. राजा परमेश्वर को प्रणाम करता है। 2. ऊँट घास चरता है । 3. पुत्र माता को प्रणाम करता है । 4. तुम मुझको पालते हो । 5. पिता पुत्र की रक्षा 120 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करे । 6. राजा राज्यों को जाने । 7. पुत्री शिक्षा को समझे। 8. तुम मेरी रक्षा करते हो। 9. दादा पोते को पालेगा। 10. नागरिक गीत सुनेगा । 11. माता पुत्री की रक्षा करेगी। 12. वह उसको पालेगी। 13 राम परमेश्वरों को प्रणाम करता है। 14, शासन राज्यो को पालता है। 15. बहिनें कथाएँ सुनती हैं। 16. वह हम सबकी रक्षा करती है। 17. राजा व्रतों को पाले। 18 पुत्र सुखों को समझे। 19. पुत्री शिक्षाओं को समझे। 20 तुम उन सब की रक्षा करो। 21. वह तुमको जानती है। 22. सीता व्रतों को पालेगी। 23. वे मनुष्यों की रक्षा करेंगे । 24. ऊँट (विभिन्न प्रकार के) धानों को चरेंगे । 25. वेटी उन सब को प्रणाम करेगी। 26. पोता उन सबको प्रणाम करेगा। 27. वे हम सबको पालते हैं । 28. हनुमान राम को प्रणाम करता है। 29. हनुमान सीता की रक्षा करता है। 30. माता बेटियों की रक्षा करे । 31 राम हनुमान को समझता है । 32. ससुर (विभिन्न प्रकार के) भोजन खाता है। 33. दादा शास्त्रों को समझते हैं। 34. नागरिक रत्नों की रक्षा करें। 35 मित्र कथा सुनेगा। 36 दादा पोतों को पालेंगे। 37. नरेश नागरिकों को जानता है । 38. राज्य राजा की रक्षा करता है । 39. सीता कथा सुनेगी। 40. मैं तुमको प्रणाम करता हूँ। 41. राजा माता को प्रणाम करेगा। 42. परमेश्वर हम सब की रक्षा करें। 43 पुत्री विभिन्न प्रकार के भोजन खायेगी। 44 सीता हनुमान को जानती है। 45 मेव मनुष्यों को पालते हैं । 46. तुम दुःखों को जानो । 47 मैं उन सबको प्रणाम करूं । 48. वे हम सब को जानते हैं। 49. राक्षस बच्चों को खाता है। 50 तुम उन सबकी रक्षा करो। उदाहरणराजा परमेश्वर को प्रणाम करता है=नरिंदो पर मेसरं पणमइ/पणमेइपणमए पणम दि/पणमदे । (ग) नीचे संज्ञाएं, पुरुषवाचक सर्वनाम तथा कोष्ठक में सकर्मक क्रियाएं दी गई हैं । मध्य में दिए गए संज्ञानों या सर्वनामों में द्वितीया एकवचन या बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट कालों में वाक्य बनाइए । संज्ञा, सर्वनाम व क्रियारूपों के सभी विकल्प लिखिए1. करह, तिण (चर) वर्तमान काल प्राकृत अभ्यास मोरम ] [ 121 2010_03 Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. सीया, हणुवन्त (जारण) वर्तमानकाल 3. अम्ह, त (परगम) विधि एवं प्राज्ञा 4. णयरजण, रयण (रक्ख) विधि एवं प्राज्ञा 5. पोत्त, त (परणम) भविष्यत्काल 6. मित्त, कहा (सुरण) भविष्यत्काल 7. ससुर, भोयण (खा) वर्तमानकाल 8. त, अम्ह (जाण) वर्तमानकाल 9. तुम्ह, दुक्ख (जाण) विधि एवं प्राज्ञा 10. सुया, सिक्खा (सुरण) विधि एवं प्राज्ञा 11. माया, वय (पाल) भविष्यत्काल 12. तणया, भोयण (खा) भविष्यत्काल 13. त, णर (रक्ख) भविष्यत्काल 14. ता, त (पाल) विधि एवं प्राज्ञा 15. अम्ह, तुम्ह (परगम) विधि एवं प्राज्ञा 16. नरिंद, परमेसर (पणम) विधि एवं प्राशा 17. तुम्ह, अम्ह (जाण) भविष्यत्काल 18. बालअ, गाण (सुरण) भविष्यत्काल 19. पुत्त, माया (पगम) वर्तमानकाल 20. माउल, पूत्त (रक्ख) विधि एवं प्राज्ञा उदाहरणकरहो तिणं चरइ/चरए चरदि/चरदे । (घ) नीचे संज्ञाएं व पुरुषवाचक सर्वनाम विभक्ति-सहित दिए गए हैं । उनके मूलशब्द, लिंग, वचन एवं विभक्ति लिखिये । सज्ञानों के प्रत्यय भी लिखिए 1. माया 4. अम्हे 7. ससाउ 10. सोक्खं 2. नरिंदो 5. तए 8. करहा 11. माउलो 3. भोयणाई 6. विमाणइं 9. मम 12. अहिलासामो 122 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 13. तानो 16. रज्जं 19. ता 14. ताई 17. कमला 20 हं 15. पोते 18. तं उदाहरण ___ मूलशब्द माया माया लिंग वचन स्त्रीलिंग एकवचन विभक्ति प्रथमा प्रत्यय शून्य माया माया - प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 123 2010_03 Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास- 28 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए। संज्ञा, सर्वनाम व क्रिया- रूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. मैं परमेश्वर की पूजा करती हूँ । 2. सदाचार अपयश को रोकता है । 3. तुम दूध चखो । 4. पत्नी वस्त्रों को धोयेगी। 5. कन्याएं छोटे घड़े को उघाड़ती हैं। 6. हनुमान राम का उपकार करता है । 7. तुम भोजन करो । 8. कुत्ते धान को उपाड़ते हैं । 9. मनुष्य व्यसन छोड़ें। 10. बहिनें धान पीसेंगी । 11. तृष्णा निद्रा को रोकती है । 12 जुआ मनुष्य को कलंकित करता है । 13. वह बीजों को चुने । 14. देवर सिंहों को देखेगा | 15. हम धान कूटते हैं । 16. दादा पोतों को बुलाता है । 17. तुम उन सब को पुकारो । 18. वे दोनों खेत खोदते हैं । 19. वे सब गठरी को काटेंगे । 20 महिलाएं व्रतों को छोड़ेंगी। 21. बहिनें पुत्रियों को देखें । 22. हम गंगा की पूजा करेंगे। 23. तुम दोनों लकड़ी छीलते हो । 24 वे सब मदिरा छोड़े । 25. पुत्रियाँ वस्त्र धोयेंगी । 26. ननदें भोजन जीमती हैं। 27. राक्षस बच्चों को ठगेगा । 28. राक्षस बच्चों को ठगते हैं । 29. बालक कमल को तोड़ता है। 30. घी भोजन को स्निग्ध करता है | 31. मैं घी खाता हूं। 32 बहिनें नींद छोड़ें। 33. ससुर पत्नी की निन्दा करता है । 34. राजा रत्नों की खोज करता है । 35 तुम सब बादलों को देखो | 36. बेटी धागा तोड़ेगी । 37 नागरिक बालक को ठगता है । 38. मामा शास्त्रों को स्पर्श करता है । 39. प्रशंसा चित्त को छूती है। 40. वह सुख की खोज करे । 41. बालक विमान को देखते हैं । 42 तुम घी खाम्रो । 43. दु:ख सुख को रोकता है । 44. तुम जल को स्पर्श करो। 45. मैं जंगल को काटूंगा । 46. तुम सब भोजन जीमो । 47. भूख प्यास को रोकती है । 48. हम दोनों गड्ढे को खोदें । 49. माता पुत्र का स्पर्श करती है । 50. प्रज्ञा ज्ञान को प्रकट करती है । 51. वह वस्त्रों को फाड़ेगा। 52. राजा गर्व को छोड़े । 53. राक्षस कुत्ते को नोट - इस प्रयास -28 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 53 का अध्ययन कीजिए | 124 ] 2010_03 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रोकेगा। 54 पुत्र घास काटे । 55. सत्य सदाचार को प्रकट करेगा। 56. पुत्र व्यसन छोड़े। 57. तुम सब मद्य को छोड़ो। 58. वह बीजों को पीसता है। 59. मैं कन्या को पुकारता हूं। 60 महिला गड्ढे को ढकती है। उदाहरणमैं परमेश्वर की पूजा करती हूँ=अहं/ह/ अम्मि परमेसरं अच्चमि/प्रच्चामि | अच्चेमि। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 125 2010_03 Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-29 (क-1) निम्नलिखित इकारान्त व ईकारान्त पुल्लिग संज्ञानों के प्रथमा, द्वितीया व तृतीया के एकवचन तथा बहुवचन के रूप लिखिए 1. सामि 3. केसरि 5. रिसि 2. मुणि 4. गिरि 6. गामणी उदाहरण एकवचन सामि प्रथमा सामी द्वितीया सामि तृतीया सामिणा बहुवचन सामी/सामउ/सामग्रो/सामिणो सामी/सामिणो सामीहि/सामीहिँ/सामीहि (क-2) निम्नलिखित इकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाओं के प्रथमा, द्वितीया व तृतीया के एकवचन तथा बहुवचन के रूप लिखिए 1. दहि 3. अट्टि 5 सालि 2. अच्छि 4. वारि 6. सप्पि उदाहरण बहुवचन दहि प्रथमा द्वितीया तृतीया एकवचन दहिं दहि दहिणा दहीई/दहीइँ/दहीणि दहीइं/दहीई/दहीणि दहीहि दहीहिं/दहीहिं नोट-इस अभ्यास-29 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 55 से 61 का अध्ययन कीजिए । 126 ] । प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (क-3) निम्नलिखित इकारान्त व ईकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञानों के प्रथमा, द्वितीया व तृतीया के एकवचन तथा बहुवचन के रूप लिखिए 1. भत्ति 3. रत्ति 5. सामिणी 2. मणि 4. परमेसरी 6. णारी उदाहरण एकवचन भत्ति प्रथमा भत्ती द्वितीया भत्ति तृतीया भत्तीप्र/भत्तीपा भत्तीइ/भत्तीए बहुवचन भत्ती/भत्तीउ/भत्तीप्रो भत्ती/मत्तीउ/भत्तीओ भत्तीहि/मत्तीहिं/भत्तीहि (क-4) निम्नलिखित उकारान्त व अकारान्त पुल्लिग संज्ञानों के प्रथमा, द्वितीया व तृतीया के एकवचन तथा बहुवचन के रूप लिखिए 1. जंतु 3. मच्चु 2. बिन्दु 4. सत्तु 5. सयंभू 6. खलपू उदाहरण-~ एकवचन जतू जंतु प्रथमा द्वितीया तृतीया जंतू/जंतुणो/जंतवो/जंतनो/जत उ जंतू/जंतुणो जतूहि/जंतूहि/जतूहिँ जतुणा प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 127 2010_03 Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (क-5) निम्नलिखित उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञानों के प्रथमा, द्वितीया व तृतीया के एकवचन व बहवचन के रूप लिखिए 1. महु 3. वत्थु 5. आउ 2. अंसु 4. जाणु - उदाहरण एकवचन महुं महु प्रथमा द्वितीया तृतीया बहुवचन महूइं/महूई/महूणि महूइं/महूईं/महूणि महहिं/महूहि महूहि महु महुणा (क-6) निम्नलिखित उकारान्त व ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञाओं के प्रथमा, द्वितीया व तृतीया के एकवचन तथा बहुवचन के रूप लिखिए 2. सस्सु 3. हणु 6. चमू 1. घेणु 4. बहू 5. सासू उदाहरण - एकवचन घेणु प्रथमा द्वितीया तृतीया घेणू धेj बहुवचन धेणू/घेणूउ/घेणूगो धेणू/घेणूउ/घेणूत्रो घेणूहि/घेणूहि/ घेणूहिँ धेणू प्र/घेणूमा/घेणूइ/घेणूए - - - - - - 128 1 । प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-30 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कोजिये। संज्ञा व क्रिया-रूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. मालिक प्रसन्न होता है। 2. मुनि बैठेंगे। 3. मन्त्री प्रयास करें। 4. शत्रु लड़ा। 5. गांव का मुखिया बैठता है। 6. दही टपकता है । 7. अांखें दुःखीं । 8. हड्डी सूखेगी। 9. जल झरे । 10 भक्ति बढ़े। 11. तृप्ति होगी। 12. रत्न गिरते हैं। 13. वैभव बढ़ा। 14. पुत्रियां खेलती हैं। 15. लक्ष्मी बढ़े। 16. स्त्रियां प्रयास करेंगी। 17. मौसी थकी। 18. साड़ी सूखती है। 19. बहिन नाची। 20. माता थकेगी। 21. दादी बैठे। 22. बुदें गिरेंगी। 23 गुरु प्रसन्न होवे । 24. तेज खिले । 25. दुश्मन लड़ता है । 26. पिता हँसा । 27. मधु टपकता है । 28. मांसू झरेंगे। 29. घुटना थका। 30. प्रायू बढ़े। 31, पदार्थ सोहते हैं । 32. गायें भागती हैं । 33. चमची टूटी। 34. सासू बैठे। 35. बहू प्रयत्न करती है । उदाहरणमुनि बैठेंगे =मुणी/मुण उ/मुणनो/मुणिणो उवविसि हिन्ति/उवविसिहिन्ते उवविसिहिइरे/उवविसिस्सन्ति/उवविसिस्सन्ते/उवविसिस्सइरे। उवविसिस्सिन्ति/उवविसिस्सिन्ते/उवविसिस्सिइरे । (ख ) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिये । संज्ञा एवं क्रिया-रूपो के सभी विकल्प लिखिए 1. स्वामी भोजन जीमता है । 2. कवि व्रत पालेंगे। 3. मुनि जल पीवें । 4. गाँव का मुखिया उन सबका अभिनन्दन करता है । 5. अांखें मनुष्य को देखती हैं। 6 मैं दही खाऊं। 7. कुत्ता हड्डियां खाएगा। 8. मुनि जल पीते हैं। 9 मनुष्य भक्ति करें। 10. घरतो रत्न पैदा करेगी। 11. माताएं साड़ियां नोट -इस अभ्यास-30 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 54 से 59 का अध्ययन कीजिए। प्राकृत अभ्यास सोरम ] [ 129 2010_03 Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घोवेंगी। 12. बहिनें परमेश्वर को पूजें । 13. मनुष्य वैभव त्यागे । 14. पिता पुत्र की निन्दा करता है। 15. साधु गर्व छोड़े। 16. मोसी पुत्री को बधाई देती है । 17. प्रभु तुम सब की रक्षा करेंगे। 18. रघु हम सब का उपकार करते हैं। 19. खलियान साफ करनेवाला गड्ढा खोदता है। 20. स्वयंभू राम को प्रणाम करता है । 21. पुत्र मधु खाता है । 22. पुत्र घटने को स्पर्श करे । 23. तुम अांसुओं को रोको। 24 वह पदार्थों की खोज करेगी। 25. गाय जामुन के पेड़ को तोड़ती है। 26. बहू सासू की सेवा करेगी। 27. सेना प्राणियों की रक्षा करेगी। 28. बहिन रस्सी चुराती है। 29. पुत्र वस्त्र मैला करता है । 30. हाथी जल पीवेगा। उदाहरण - स्वामी भोजन जीमता है=सामी भोयणं जेमइ/जेमए/जेमदि/जेमदे । 130 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम ___ 2010_03 Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-31 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए - 1. स्वामी मुझको बुलाता है । 2. स्वामी के द्वारा मैं बुलाया जाता है। 3. मुनि हम सबको देखते हैं। 4. मुनि के द्वारा हम सब देखे जाते हैं। 5. दुश्मन तुमको मारेगा। 6. दुश्मन के द्वारा तुम मारे जाओगे। 7. राजा साधु को नमस्कार करे । 8. राजा के द्वारा साधु नमस्कार किया जावे। 9. तपस्वी कथा का व्याख्यान करेंगे। 10. तपस्वियों द्वारा कथा का व्याख्यान किया जावेगा। 11. भाई मुझको भूलता है। 12. भाई के द्वारा मैं भूला जाता है। 13. सेनापति स्वामी को नमस्कार करे । 14. सेनापति के द्वारा स्वामी नमस्कार किया जावे। 15. माता धान कूटेगी। 16. तुम मुझको पुकारते हो। 17. तुम्हारे द्वारा में पुकारी जाती हैं। 18. हम सब तुमको स्मरण करेंगे। 19. हम सब के द्वारा तुम स्मरण किये जाओगे। 20. वह वैभव को त्यागे । 21. • सके द्वारा वैभव त्यागा जावे | 22. माता के द्वारा धान कूटा जायेगा । 23. माताएं पुत्रों को पालती हैं। 24. माताओं द्वारा पुत्र पाले जाते हैं । 25. साँप बालक को डसता है । 26. साँप द्वारा बालक डसा जाता है । 27. बहिन श्रमणी की सेवा करती है । 27. बहिन द्वारा श्रमणी सेवा की जाती है । 29. वह उनकी स्तुति करता है । 30 उसके द्वारा उनकी स्तुति की जाती उदाहरणस्वामी मुझको बुलाता है=सामी ममं कोक्कइ/कोक्के इ/कोक्कार/कोक्कदि| कोक्कदे । नोट - इस अभ्यास-31 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 53-54 का अध्ययन कीजिए। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 131 2010_03 Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख) नीचे प्रारम्भ में दिए गए संज्ञा-सर्वनामों का (कर्ता-रूप में) प्रथमा एकवचन या बहुवचन में प्रयोग कीजिए तथा मध्य में दिए गए सज्ञा - सर्वनामों में द्वितीया एकवचन अथवा बहुवचन का प्रयोग करते हुए कोष्ठक में दी गई सकर्मक क्रियाओं से निर्दिष्ट कालों में कर्तृवाच्य व कर्मवाच्य में वाक्य बनाइए । सग, सर्वनाम व क्रिया-रूपो के सभी विकल्प लिखिए1. माइ""अम्ह (कोक्क) वर्तमानकाल 2. अम्ह""साहु (रणम) भविष्यत्काल 3. कइ""गाण (गा) विधि एवं प्राज्ञा 4. मंति" नरवइ (नम) भविष्यत्काल 5. तुम्ह"त (थुरण) विधि एवं प्राज्ञा 6. अरि""अम्ह (हण) वर्तमानकाल 7. अम्ह""तवस्सि (सुमर) वर्तमानकाल 8. जामाउ""भोयण (खाद) भविष्यत्काल 9. पहु""अम्ह (पेच्छ) वर्तमानकाल उदाहरणकर्तृवाच्य-माई मइ कोक्कइ/कोक्केइ/कोक्कए/कोक्कदि/कोक्कदे । कर्मवाच्य-भाइणा अहं/हं/अम्मि कोक्किज्जमि/कोक्कोअमि/को विकज्जामि/ कोक्कीमामि । (ग) नीचे विभक्तिसहित संज्ञाएं दी गई हैं। इनके मूलशब्द, लिंग, वचन, विभक्ति एवं प्रत्यय लिखिए1. सामिणा 2. कईहिं 3. वारीई 4. अट्ठिणा 5. भत्तीउ 6. तत्ती 7. लच्छीमा 8. सत्तूहि 9. भत्तीप्रो 10. पहू 11. साहुणा 12. महूहि _132 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 , Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15. पुत्तीइ 13. वत्थूई 16. सस्सूउ 19. वाउणा 14. अंसूहि 17. तणूए 20. बहिणीए 18. चमूहिं उदाहरण मूलशब्द सामिणा सामि लिंग वचन विभक्ति प्रत्यय एकवचन तृतीयाणा प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 133 2010_03 Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-32 (क-1) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । भूतकाल के भाव. को प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग कीजिए । संज्ञा सर्वनाम | कृदन्तरूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. शत्रु द्वारा सेनापति मारा गया। 2. बालक के द्वारा वस्त्र फाड़े गए । 3. भाइयों द्वारा दूध पिया गया। 4. प्राणियों द्वारा कर्म बांधे गए। 5. कवि द्वारा गाने गाए गए। 6. स्वामी द्वारा धागा काटा गया। 7. यति के द्वारा शिक्षा धारी गई। 8. ऋषियों के द्वारा प्रज्ञा जानी गई। 9. नागरिक द्वारा भोजन खाया गया। 10. राम के द्वारा राक्षस मारे गए। 11. पुत्री के द्वारा लक्ष्मी चाही गई । 12, यति के द्वारा शिक्षा फैलायी गई। 13. मेरे द्वारा विमान देखे गए। 14. उसके द्वारा वैराग्य चाहा गया । 15. तुम्हारे द्वारा व्यसनों का वर्णन किया गया। 16. हमारे द्वारा पानी पिया गया । 17. उनके द्वारा दया उत्पन्न की गई। 18 उसके द्वारा आज्ञा पाली गई। 19. गुरु के द्वारा मुनि की स्तुति की गई । 20. दामाद द्वारा झोंपड़ी देखी गई। उदाहरणशत्रु द्वारा सेनापति मारा गया=सत्तुणा सेणावई मारियो । (क-2) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए। विधि एवं प्राज्ञा का भाव प्रकट करने के लिए विधि कृदन्त का प्रयोग कीजिए । संज्ञा, सर्वनाम व कृदन्त-रूपों के सभी विकल्प लिखिए 1. भाई के द्वारा पेड़ सींचा जाना चाहिए । 2. रघुपति के द्वारा साधु बुलाए जाने चाहिए। 3. कवियों के द्वारा गीत गाए जाने चाहिए । 4. हाथी द्वारा - नोट - इस अभ्यास-32 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 57 से 62 का अध्ययन कीजिए। 134 ] प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिंह मारा जाना चाहिए। 5. ऋषि के द्वारा सूर्य की वन्दना की जानी चाहिए । 6. मेरे द्वारा दही खाया जाना चाहिए । 7. हमारे द्वारा जल पिया जाना चाहिए। 8. उनके द्वारा हड्डियाँ फेंकी जानी चाहिए | 9. तुम्हारे द्वारा पदार्थ सींचे जाने चाहिए। 10. उसके द्वारा श्रायु देखी जानी चाहिए | 11. तुम्हारे द्वारा वैभव प्राप्त किया जाना चाहिए । 12. उसके द्वारा तृप्ति मांगी जानी चाहिए । 13. पृथ्वी द्वारा रत्न धारण किए जाने चाहिए | 14. मौसी द्वारा साड़ियां खरीदी जानी चाहिए। 15. युवती द्वारा भक्ति की जानी चाहिए | 16. तुम्हारे द्वारा रस्सी गूंथी जानी चाहिए। 17. उसके द्वारा गाएं पाली जानी चाहिए। 18. हमारे द्वारा जामुन का पेड़ सींचा जाना चाहिए। 19. सासुत्रों द्वारा बहुएं लाड प्यार की जानी चाहिए | 20. तुम्हारे द्वारा घास जलाई जानी चाहिए । उदाहरण भाई के द्वारा पेड़ सींचा जाना चाहिए = माइणा तरु सिचिश्रव्यो / सिंचितव्वो/ सिंचिदव्वो / सिंचरणीयो । (ख - 1) नीचे संज्ञा - सर्वनाम तथा कोष्ठक में सकर्मक क्रियाएं दी गई हैं । मध्य में दी गई संज्ञानों में प्रथमा एकवचन प्रथवा बहुवचन का प्रयोग करते हुए कर्मवाच्य में भूतकाल के वाक्य बनाइये । सभी विकल्प लिखिए - 1. रहुणन्दण रक्खस (हरण) 3. कइ वय (पाल) 5. मित्त अम्ह ( वद्धाव) 7. त धण ( मग्ग) 9. तुम्ह म्ह (बंध) उदाहरण रहुणन्दणेण / रहुणन्दणेण रक्खसो हणियो । प्राकृत अभ्यास सौरभ 1 2010_03 2. सामि भोयर (खाद ) 4. ससा तुम्ह (लड्डु ) 6. भाइ श्रम्ह (पुक्कर ) 8. ग्रम्ह त ( रिक्ख) 10. मुणि तुम्ह (पेस) [ 135 Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ख- 2) नीचे संज्ञा - सर्वनाम तथा कोष्ठक में सकर्मक क्रियाएं दी गई हैं। मध्य में दो गई संज्ञाओं में प्रथमा एकवचन अथवा बहुवचन का प्रयोग करते हुए कर्मवाच्य में विधि के वाक्य बनाइये । सभी विकल्प लिखिए 1 136 1. हुवइ साहु (कोक्क) 3. म्ह दुक्ख (भुल) 5. जोगि आगम ( पढ ) 7. तुम्ह रज्जु (गुंथ) 9. अम्ह वारि (पित्र) } (ग) नीचे संज्ञाएं व कृदन्त विभक्तिसहित दिए गए हैं। इनके मूलशब्द, लिंग, वचन, विभक्ति, प्रत्यय एवं कृदन्त का नाम लिखिए 1. कोक्कि 4. कीणिप्रव्वं 7. झाएअव्वा 10. पेच्छेअन्वा 13. पेसि 16 मारणेतव्वो 19. सामिणा 22. साहूणा उदाहरण रहुवइणा साहू कोक्किज्जउ को क्किज्ज दु/कोक्की / कोक्कीदु | 2. त लक्कुड (रंग) 4. महेली परमेसर (थुरण) 6. तवस्सि श्रम्ह (सुमर) 2010_03 8. त म्ह (लड्डु ) 10. रिसि दिवायर (बंद) 2. देखि 5. रविखतव्वो 8. पिबिनव्वा 11. धारियाई 14. धारेश्रव्वा 17. बहूउ 20. मुणीह 23. विमाणाइं 3. सुणियाउ 6. लभिदव्वो 9. गणेश्रव्वाइ 12. पालिश्राउ 15. चक्खिश्रव्वाश्रो 18. धे 21. गामणीहिं 24. सीलेण [ प्राकृत अभ्यास सौरम Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 25. अच्छी हिं 28. बुझिव्वा उदाहरण मूल शब्द लिंग कोक्किनो कोक्क पुल्लिंग प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 26. गुरुह 29. गणि 2010_03 वचन एकवचन 27. पुत्तो 30. पाविश्रव्वाश्रो विभक्ति प्रत्यय प्रथमा अ कृदन्त-नाम भूतका. कृदन्त [ 137 Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-33 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । संज्ञा, कृदन्त एवं क्रियारूपों का कोई एक विकल्प लिखिए 1. स्वामी रघुपति को नमन करते हुए उठता है । 2. वह गांव के मुखिया की सेवा करते हुए थकेगा। 3. वे दोनों मधु को चखते हुए लालच करते हैं। 4. सिंह बालक को खाते हुए मारता है । 5. माता पुत्री को लाड-प्यार करते हुए खुश होवेगी। 6. पुत्री गीत गाती हुई नाचे । 7. पिता खेत को सींचता हुअा थकेगा। 8. तुम ईश्वर की स्तुति करते हुए वन्दना करो । 9. बहिन पुत्र को मारती हुई समझाती है। 10. वह पुत्र को भेजती हुई रोती है। 11. हम सब परमेश्वर की भक्ति करने के लिए उठे। 12. तुम तृप्ति प्राप्त करने के लिए प्रयास करोगे। 13. पिता पुत्री को पालने के लिए उत्साहित होता है। 14. वे सब रस्सी बांधने के लिए प्रयत्न करें । 15. महिला गाय को देखने के लिए उठती है। 16. वह वस्तु खरीदने के लिए जावेगी। 17. सेनापति शत्रु को मारने के लिए भागता है। 18. दादा पोते को बधाई देने के लिए जाता है। 19. तुम कथा सुनने के लिए उठो । 20. मैं भोजन को चबाने के लिए प्रयत्न करती हूँ। 21. स्वामी रघुपति को नमन करके प्रसन्न होता है । 22. कवि गुरु को प्रणाम करके बैठता है। 23. तुम भक्ति करके जीओ। 24. तुम तप्ति प्राप्त करके खुश होवोगे। 25. वे गायों को देखकर उठते हैं। 26. ऋषि परमेश्वर की वन्दना करके ध्यान करते हैं। 27. भाई रत्न चोरकर भागता है। 28. राजा परमेश्वर को स्मरण करके सोवे । 29. राक्षस बालक को पीड़ा देकर उछलता है। 30. पुत्र रस्सी को टुकड़े करके फैकता है। - उदाहरणस्वामी रघुपति को नमन करते हुए उठता है सामी रहुवई णमन्तो उट्टइ । नोट- इस अभ्यास-33 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 64 __ का अध्ययन कीजिए। 138 ] [ प्राकृत अभ्यास सोरम 2010_03 Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-34 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए। वाक्यों में प्रयुक्त चतुर्थी व षष्ठी विभक्ति के सभी विकल्प लिखिए 1. मेरा पुत्र सुख चाहता है । 2. राजा का पुत्र राम को प्रणाम करेगा। 3. पुत्र का सुख पिता का सुख होता है । 4. तुम्हारी माता कथा सूने । 5. मेरी पुत्री सुख चाहेगी। 6. स्वामी का माई परमेश्वर की वन्दना करेगा। 7. तुम नर्मदा का पानी पीप्रो । 8. मेरे गुरु परमेश्वर का ध्यान करते हैं । 9. राजाओं के दुश्मन युद्ध का विचार करते हैं। 10. मेरी मौसियां साड़ी खरीदती हैं । 11. उनकी पुत्रियां प्रसन्न होती हैं। 12. मेरी ननद उसका वर्णन करती है । 13. वह कवि के गीत को स्मरण करता है। 14 मामा की बहिन कथा सुने । 15. मेरा मित्र उसके लिए गठरी मांगे। 16. भाई का शत्रु पुत्र को मारेगा। 17. उसकी आंखे दुःखती हैं । 18. मौसी का पुत्र बहिन के लिए पुस्तक खरीदे। 19. राजा का पुत्र तपस्वी की सेवा करता है। 20. भाई की पुत्री ईश्वर की स्तुति करे। 21. सेनापति की बहिन मामा के लिए मधु भेजेगी। 22. मामा की बेटी वैभव के लिए परमेश्वर की पूजा करती है। 23. तुम्हारा पुत्र प्रात्मलाभ प्राप्त करे । 24. तुम साधु के लिए भोजन खरीदो। 25. दादी पोते के लिए भोजन बनाती है । 26. उसकी बहिन छिपे । 27. ननद की बेटी सोयेगी । 28. मौसी का बेटा उसका उपकार करेगा। 29. तुम्हारा पुत्र मेरे पुत्र को क्षमा करे। 30. तुम्हारे भाई मुनियों की गिनती करेंगे। 31 प्रभु तुम्हारे पुत्र की रक्षा करे। 32. जामुन का पेड़ बढ़ता है। 33. वह हाथी के लिए खड्डा खोदता है । 34. सासू उसकी बहू की रक्षा करती है। 35. वह त प्ति के लिए भोजन खाता है। 36. तुम प्राणियों के लिए वस्त्र प्राप्त करोगे। 37. मन्त्री का पुत्र राजा को नमस्कार करे। 38. राम का सुख मेरा सुखा है। 39. सीता की माता कथा सुनेगी। 40. राज्य का शासन उसकी रक्षा करेगा। 41. स्वा नोट-इस अभ्यास-34 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 66 से 69 का अध्ययन कीजिए। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 139 2010_03 Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मियों के भाई उसको नमस्कार करते हैं । 42. कवियों के गुरु हमको देखते हैं । 43. उसके गुरु भोजन जीमते हैं । 44 वह उसकी पुस्तक परीक्षा के लिए पढ़ता है । 45 मेरा पुत्र सुख के लिए हँसेगा । 46. राजा का पुत्र राम के लिए गठरी मांगे 47. वह शरीर के लिए नर्मदा का पानी पीता है । 48. उसकी माता तुमको पालेगी। 49. मैं गंगा की कथा सुनंगा। 50. उसका पुत्र घर जावे। - - उदाहरणमेरा पुत्र सुख चाहता है =मम/महं| मज्झ पुत्तो सोक्खं इच्छदि । dhi - - - 1401 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास 35 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । वाक्यों में प्रयुक्त पंचमी विभक्ति के सभी विकल्प लिखिए 1. बालक सर्प से डरता है । 2. खेत से अन्न उत्पन्न होता है। 3. वह गाय से डरेगा। 4. जामुन के पेड़ से पत्ते गिरते हैं। 5. पुत्र सिंह से डरकर भागेगा। 6. पहाड़ से बालक गिरता है। 7. पर्वत से गंगा निकलती है। 8. वह मुझसे डरे। 9. वह तुझसे पुस्तक पढ़ेगा। 10. बीज से वृक्ष उत्पन्न होता है । 11. हम सब पितानों से डरते हैं। 12. वे सब युवतियों से छिपते हैं । 13. हम सब पिताओं से डरते हैं। 14. वे सब स्वामी से डरते हैं । 15. तुम साधु से पढ़ो । 16. जल से पत्ता उत्पन्न होता है । 17. तुम सब राजा से डरो । 18. बच्चे हाथी से डरते हैं । 19. मन्त्री राजा से डरता है । 20. छोटे कलश से पानी निकलता है । 21. मामा सर्प से डरेगा। उदाहरणबालक सर्प से डरता है बालो सप्पत्तो/सप्पाग्रो/सप्पाउ/सप्पाहि/सप्पाहिन्तो सप्पा डरदे । (ख) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए। वाक्यों में प्रयुक्त सप्तमी विभक्ति के सभी विकल्प लिखिए -- 1. आकाश में बादल गरजते हैं । 2. नर्मदा में पानी सूखेगा । 3. सीता घर में कथा सुनती है । 4. वह पोटली पर बैठती है। 5 बुढापे में वाणी थकेगी। 6. राम के राज्य में लक्ष्मी बढ़ती है। 7. उसकी माता घर में पुत्र को पालती है। 8. तुम हँसकर घर में नाचो । 9. वह परीक्षा में मूच्छित होती है । 10. तुम गाय को खेत में बांधो। 11. पुत्रियां आकाश में चन्द्रमा को देखोंगी। नोट--इस अभ्यास-35 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 71 से 77 का अध्ययन कीजिए। प्राकृत अभ्यास सौरम । [ 141 2010_03 Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12. वे सब खेत में पदार्थ फैकती हैं । 13. तुम नहाने के लिए समुद्र में कूदो । 14. कुत्ता जंगल में खड्डा खोदता है । 15. सर्प पेड़ पर डोलता है । 16. पिता घर में परमेश्वर की स्तुति करता है । 17. मामा सायकाल में लक्ष्मी की वन्दना करता है । 18. पदार्थ झोंपडी में जलकर नष्ट होंगे। 19. वह यमुना में नहाता है। 20 उसका घर में चित्त लगता है । उदाहरणआकाश में बादल गरजते हैं=णहे/णहम्मि मेहा गज्जन्ति । (ग) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । वाक्यों में प्रयुक्त सम्बोधन के सभी विकल्प लिखिए 1. हे स्वामी! आप हमारी रक्षा करें। 2. हे राजा ! आपके राज्य में सुख होवे । 3. हे मित्र ! तुम मेरे घर पर पायो । 4. हे माता ! तुम बालकों को पालो । 5. हे सीता ! जंगल में दुख होगा। 6. हे पुत्र ! सत्य बोलो। 7. हे युवती ! तुम हंसो। 8. बालको ! तुम सब पुस्तक पढ़ो। 9. मित्रो ! प्राप सब राज्य से डरो। 10. साधुप्रो ! संयम पालो । उदाहरण-- हे स्वामी आप हमारी रक्षा करें=सामी/सामि तुम्हे अम्हे/अम्ह रक्साह । - - - - 142 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास- 36 (क) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । क्रियानों के प्रेरणार्थक रूप बनाकर वाक्य बनाइए राज्यों में शासन फैलावे । 1. वह आकाश में विमान उड़ाता है । 2. राजा 3. हनुमान जंगल जलाता है । 4. सेनापति सेना को छिपावेगा । 5. तुम बुढ़ापे में वैराग्य बढ़ाओ । 6. साधु मनुष्य को शान्त करता है । 7. माता पुत्री को नचाने के लिए रुकाती है । 8. वह मुझको हँसाती है । 9 मैं उसको जगाता 12. नाग14. मौसी हूँ। 10. तुम उसको छिपाते हो । 11. वे उन सबको नचाते हैं । रिक खेत में धान उगाते हैं । 13 राक्षस बच्चे को मरवाता है । पुत्री को समुद्र में कुदाती है । 15. दादी पोते को नहलाती है । बेटी को ठहराता है | 17. पिता पुत्री को सुलावे डराते हैं । बैठता है । 16. मामा 18. राक्षस बालकों को । 19. दादी बालकों को खिलाती है । 20. राजा साधु को उदाहरण वह आकाश में विमान उड़ाता है == सो गहे / णहम्मि विमाणं प्रोडुइ / प्रोड्डेइ / डाव / डावे | (ख) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए । कर्मवाच्य के प्रेरणार्थक प्रत्यय जोड़कर वाक्य बनाइए 1. उसके द्वारा प्राकाश में विमान उड़ाया जाता है। 2. राजाओं द्वारा राज्य में शासन फैलाया जाता है । 3. हनुमान द्वारा जंगल जलाया जाता है । 4. सेनापति द्वारा सेना को छिपाया जाता है । 5 तुम्हारे द्वारा बुढ़ापे में नोट - इस अभ्यास - 36 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 78 का अध्ययन कीजिए । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 [ 143 Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वैराग्य बढ़ाया जाना है। 6. साधु द्वारा मनुष्य को जिवाया जाता है । 7. माता द्वारा पुत्री नाचने के लिए रुकवाई जाती है । 8. उसके द्वारा मैं हँसाया जाता हूँ। 9. मेरे द्वारा वह जगाया जाता है। 10. तुम्हारे द्वारा वह छिपाया जाता है। 11 उनके द्वारा वे सब नचाये जाते हैं। 12. नागरिक द्वारा खेत में धान उगाया जाता है । 13. राक्षस द्वारा बच्चे को मरवाया जाता है। 14 द दा द्वारा पोते को नहलाया जाता है। 15. मामा द्वारा बेटी को ठहराया जाता है। 16. पिता द्वारा पुत्र को खिलाया जाता है। 17. राक्षसों द्वारा बच्चों को डराया जाता है। 18. दादा द्वारा बालक को खिलाया जाता है। 19 साधु द्वारा राजा को बैठाया जाता है। 20. मौसी के द्वारा बच्चे को समुद्र में कुदाया जाता है । उदाहरणउसके द्वारा प्रकाश में विमान उड़ाया जाता है तेण णहे विमाणं उड्डाविज्जइ/ __ उड्डावीअइ। (ग) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया एवं कृदन्तरूपों का कोई एक विकल्प लिखिए 1. मेरे द्वारा वह हंसाया गया। 2. तुम्हारे द्वारा मैं छिपाया गया। 3. पिता द्वारा पुत्र दिखाया गया। 4. मौसी के द्वारा पुत्री को नचाया गया। 5. हमारे द्वारा पदार्थ सारीदवाये गये। 6. वह हँसाता हुया खेलता है। 7. तुम भागते हुए थकते हो । 8. पुत्र डराता हुआ छिपता है । 9. बालक रुलाता हुअा मागता है । 10. मामा ठहराता हुमा प्रसन्न होता है। 11 तुम्हारे द्वारा वह हँसाया जाना चाहिए। 12. गुरु द्वारा शिक्षा फैलाई जानी चाहिए । 13. मुनि द्वारा तप करवाया जाना चाहिए। 14. योगी द्वारा ध्यान कराया जाना चाहिए। 15. उसके द्वारा पदार्थ रखवाया जाना चाहिए। 16. तुम हंसाकर जीते हो। 17. माता पुत्री को नचाकर प्रसन्न होती है। 18. मूनि मनुष्यों को ध्यान कराकर बैठता है। 19. वह जगाकर भागती है। 20. वे सब खिलाकर प्रसन्न होते हैं। . 1. वह हंसाने के लिए जागता है । 22. योगी ध्यान कराने के लिए 144 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बैठता है। 23. वह उसको भगाने के लिए कहता है । 24. माता पुत्री को नचाने के लिए उठती है। 25. दादी पोते को सुलाने के लिए प्रयत्न करती है। उदाहरणमेरे द्वारा वह हँसाया गया=ममं सो हासिन हसावित्र। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 145 2010_03 Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास - 37 (क) संज्ञान में स्वार्थिक प्रत्यय जोड़कर निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए 1. कमल खिलता है । 2. जीव प्रसन्न होता है । 3 योगी मुझको अच्छा लगता है । 4. पुत्र पिता का सम्मान करेगा । 5. सेनापति शत्रु को जीते । 6. बालक मधु चखता है। 7. प्रात्मा मन को प्रकाशित करती । 8. राजा मन्त्री को धिक्कारता है । 9 माता पुत्र को बधाई देती है । 10. पिता पुत्र को स्मरण करता है । 11. हाथी घास खावेगा । 12 मनुष्य गुरु की स्तुति करते हैं । 13. गुरु परमेश्वर की वन्दना करते हैं। 14. दामाद भोजन जीमे । 15. वृक्ष गिरता है । 16. धनुष सोहता है । 17. रत्न टूटता है । 18 घर अच्छा लगता है | 19. मोसी बैठे | 20. बहिन उठे । उदाहरण कमल खिलता 146 (ख) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए 1. वह मनुष्य हँसता है । 2. ये मनुष्य हँसते हैं । 3. वह यह ग्रन्थ पढ़ता है । 4. वे ये ग्रन्थ पढ़ते हैं । 5. मैं इसके लिए जीता हूँ । 6. वह इनके लिए जीती है । 7. मैं यह व्रत पालता हूँ । 8. तुम क्या करते हो ? 9. जो मनुष्य थकता है वह सोता है । 10. जिसका शरीर थका हुआ है, उसका बुढ़ापा बढ़ा हुआ है । 11. जिसके द्वारा सोया जाता है उसके द्वारा हंसा जाता है । 12. मैं जिसको बुलाता हूँ वह तुम हो । 13. जिस लकड़ी पर है । 14. वह किसका पुत्र है ? 15. तुम किन कार्यों को = कमलनं / कम लिल्लं / कमलुल्लं विसइ । नोट - - इस अभ्यास- 37 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 79 से 81 का अध्ययन कीजिए । 1 2010_03 तुम बैठे हो वह मेरी करते हो ? 16. कौन [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाचता है ? 17. वह किससे पानी पीता है ? 18. तुम किसके लिए जीते हो ? 19 किस राज्य की तुम रक्षा करते हो ? 20. किस घर में वह रहता है ? उदाहरणवह मनुष्य हंसता है=सो मणुयो हसइ । (ग) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए-- 1. जब तक तुम पढ़ोगे तब तक मैं तुमको पालूंगा। 2. जब तक तुम जागते हो तब तक मैं आकाश देखता हूँ। 3. जहाँ तुम्हारा गांव है वहां मेरा घर है। 4. जहां भी तुम जानोगे वहां प्रसन्न होओगे । 5. जिस प्रकार वह सुख चाहता है उसी प्रकार मैं सुखा चाहता हूँ। 6. जिस प्रकार तुम खेलते हो उसी प्रकार मैं खेलूंगा। 7. मन्त्री कहां रहता है ? 8. वे सब कहां सोते हैं ? 9. मैं यहां सोता है। 10. आज यहां मुनि आयेंगे । 11. तुम मत कूदो। 12 बालक नहीं उठता है। 13. माता नहीं थकती है । 14. यदि तुम कहते हो तो मैं गांव जाता हूँ। 15. यदि तुम कहोगे तो मैं खाना खाऊंगा। 16. जिस प्रकार तुम मन लगाकर खेलते हो, उसी प्रकार पढ़ो भी। 17. जिस प्रकार मां पुत्र को पालती है उसी प्रकार राजा राज्य को पालता है। 18. जैसे तुम गाओ वैसे नाचो भी। 19. तुम मद्य मत पीयो । 20. तुम इस प्रकार मत बठो । 21. शत्रु लड़ा इसीलिए मरा। 22 जब तक वह सत्य बोलता है तब तक वह प्रसन्न होता है । 23. तुम पुत्र के बिना घर मत जाओ। 24. तुम भी नाचो वह भी नाचेगा। उदाहरणजब तक तुम पढ़ोगे तब तक मैं तुमको पालूंगा=जाव तुमं पढिहिसि ताब अहं तुमं पालिहिमि । प्राकृत अभ्यास सोरम ] [ 147 2010_03 Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रनियमित कर्मवाच्य के क्रिया- रूप ( प्राकृत में ) सकर्मक क्रिया में 'इज्ज', 'ईश्र / ईय' प्रत्यय लगाकर जो रूप बनाया जाता है वह कर्मवाच्य का नियमित क्रिया रूप कहा जाता है । जैसे - 'कर' क्रिया में 'इज्ज' या 'ईश्र / ईय' प्रत्यय लगाकर बनाया गया - 'कर + इज्ज - करिज्ज'; 'कर + ईय / ई = करीय / करी ' रूप कर्मवाच्य का नियमित रूप है । 1 काल, पुरुष और वचन का प्रत्यय जोड़ने पर उस काल, पुरुष और वचन में कर्मवाच्य का नियमित क्रिया-रूप बन जायेगा । जैसे - करिज्ज‍ या करीयइ / करीमइ = वर्तमानकाल, अन्य पुरुष, एकवचन । इसके विपरीत सकर्मक क्रिया में बिना 'इज्ज' या 'ईश्र / ईय' प्रत्यय लगाए जो रूप तैयार मिलता है, उसमें काल, पुरुष और वचन का प्रत्यय लगा रहता है, वह कर्मवाच्य का अनियमित क्रिया रूप कहा जाता । जैसे— अभ्यास - 38 इनमें क्रिया को अलग नहीं किया जा सकता है । इनका ज्ञान साहित्य में उपलब्ध प्रयोगों के आधार से किया जाना चाहिए | अनियमित कर्मवाच्य के कुछ क्रियारूप संग्रहीत हैं 1. कोरइ, दोसइ प्रादि- अनियमित कर्मवाच्य का क्रिया रूप ( वर्तमानकाल, अन्य पुरुष, एकवचन ) । वर्तमानकाल अन्य पुरुष एकवचन 148 1. श्राढप्पइ = आरम्भ किया जाता है । 3 खम्मइ = खोदा जाता है । 5. घेप्पइ = ग्रहण किया जाता है । 7. जिव्बइ = जीता जाता है । 9. गज्जइ = जाना जाता है । 1. देखें 'प्राकृत रचना सौरभ' पाठ 54 1 2010_03 2. कोरइ = किया जाता है । 4. गम्मइ = जाया जाता है । 6. छिप्पइ = छुपा जाता है । 8. डज्झइ == जलाया जाता है । 10. पवइ = जाना जाता है । [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 11. थुम्वइस्तुति की जाती है। 12. दुब्भइ =दूहा जाता है। 13 दोसइ =देखा जाता है। 14. बज्झइ =बांधा जाता है । 15. भण्णइ कहा जाता है। 16. भुज्जइ = भोगा जाता है। 17. रुभइ =रोका जाता है। 18. रुवइ = रोया जाता है । 19. लगभइ =प्राप्त किया जाता है। 20. लुब्वइ =काटा जाता है। 21. लिब्भइ =चाटा जाता है। 22. बच्चइ = कहा जाता है। 23. विलिपइ = लीपा जाता है। 24. विढप्पइ = उपार्जन किया जाता है। 25. सीसइ कहा जाता है। 26. संपज्जइ प्राप्त किया जाता है। 27. सुब्वइ =सुना जाता है। 28. सिप्पइ =सींचा जाता है। 29. हम्मइ =मारा जाता है । 30. हीरइ =हरण किया जाता है । (क) निम्नलिखित कर्मवाच्य के वाक्यों का प्राकृत में अनुवाद कीजिए। अनुवाद में कर्मवाच्य के अनियमित क्रियारूपों का प्रयोग कीजिए1. मेरे द्वारा स्तुति प्रारम्भ की जाती है। 2. उस महिला के द्वारा व्रत किया जाता है। 3. दोनों भाइयों के द्वारा गड्डा खोदा जाता है। 4. कन्याओं द्वारा गीत सुना जाता है। 5. हमारे द्वारा मुरु से शिक्षा ग्रहण की जाती है । 6. बालक के द्वारा समुद्र का जल डरते हुए छुना जाता है । 7. राजा के द्वारा गांव जीता जाता है । 8. उनके द्वारा मेरा घर जलाया जाता है। 9. योगियों द्वारा संसार का दुःख जाना जाता है। 10. बहिन द्वारा भोजन करने के लिए घर जाया जाता है। 11. मुनियों द्वारा प्रागम जाना जाता है। 12. माता द्वारा पुत्र की अभिलाषा जानी जाती है । 13. महिलाओं द्वारा मुनि की स्तुति की जाती है। 14. उसके द्वारा गाय दूही जाती है। 15. राजा के द्वारा राज्य की शोभा देखी जाती है। 16. मेरे द्वारा रस्सी से गाय बांधी जाती है। 17. श्रमणी के द्वारा व्रत की विधि कही जाती है । 18. राजाओं के द्वारा वैभव मोगा जाता है। 19. माता के द्वारा भागता हुआ पुत्र रोका जाता है । 20. दुःख के कारण मौसी द्वारा रोया जाता है। 21. प्रयास करते हुए मामा द्वारा ज्ञान प्राप्त किया जाता है। 22. बालक के द्वारा मधु चाटा जाता है । 23. महिला के द्वारा वस्त्र काटा जाता है । 24. तुम्हारे द्वारा धन प्राप्त किया प्राकृत अभ्यास सौरम ] E 149 2010_03 Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाता है । 25. साधु के द्वारा कथा कही जाती है । 26. महिला के द्वारा झोंपड़ी लीपी जाती है । 27. पुत्र के द्वारा धन उपार्जन किया जाता है। 28. मुनि के द्वारा संसार का दुःख कहा जाता है । 29. स्वामिनी के द्वारा रत्न प्राप्त किया जाता है । 30 तुम्हारी पुत्री के द्वारा प्रशंसा की जाती है । 31. पुत्री के द्वारा जल से वृक्ष सींचा जाता है । 32. सेनापति के द्वारा शत्रु मारा जाता है । 33. मन्त्री द्वारा राजा का पुत्र हरण किया जाता है । उदाहरणमेरे द्वारा स्तुति प्रारम्भ की जाती है =मइ/मए/मे/ममए थुइ आढप्पइ । - - - - 150 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-39 अनियमित भूतकालिक कृदन्त प्राकृत में भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकाल के प्रत्यय और भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है । भूतकालिक कृदन्त के लिए क्रिया में 'प्र/य', त, द प्रत्यय जोड़े जाते हैं । जैसे - हस+9/य, त, व हसिम्र/हसिय, हसित, हसिद=हंसा, ठा+प्र/य, त, द%Dठाम/ठाय, ठात, ठाद-ठहरा, झा+प्र/य, त, द=झाप झाय, भात, झाद= ध्यान किया गया प्रादि । इस प्रकार प्र, त, द प्रत्यय के योग से बने भूतकालिक कृदन्त 'नियमित भूतकालिक कृदन्त' कहलाते हैं। इनमें मूलक्रिया को प्रत्यय से अलग करके स्पष्टतः समझा जा जा सकता है। इन कृदन्तों के रूप पुल्लिग में 'देव' के समान, नपंसकलिंग में 'कमल' के समान तथा स्त्रीलिंग में 'कहा' के समान चलेंगे। किन्तु जब 'प्र, त, द' प्रत्यय जोड़े बिना ही भूतकालिक कृदन्त प्राप्त हो जाए या तैयार मिले तो वे अनियमित भूतकालिक कृदन्त कहलाते हैं। इनमें मूलक्रिया को प्रत्यय से अलग करके स्पष्टत: नहीं समझा जा सकता है । जैसे वुत्त=कहा गया, दिटु देखा गया, दिण दिया गया, आदि । ये सभी अनियमित भूतकालिक कृदन्त हैं इनमें से क्रिया को अलग नहीं किया जा सकता है । इनके रूप भी पुल्लिग में 'देव' के समान, नपुंसकलिंग में 'कमल' के समान तथा स्त्रीलिंग में 'कहा' के समान चलेंगे । ___ सकर्मक क्रियाओं से बने हुए भूतकालिक कृदन्त (नियमित या अनियमित) कर्मवाच्य में ही प्रयुक्त होते हैं । केवल गत्यार्थक क्रियाओं से बने भूतकालिक कृदन्त (नियमित या अनियमित) कर्मवाच्य और कर्तृवाच्य दोनों में प्रयुक्त होते हैं । अकर्मक 1. देख 'प्राकृत रचना सौरभ' पाठ 42 व 57 । प्राकृत अभ्यास सौरभ । [ 151 2010_03 Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रियाओं से बने हुए भूतकालिक कृदन्त (नियमित या अनियमित) कर्तृवाच्य और भाववाच्य में प्रयुक्त होते हैं । अनियमित भूतकालिक कृदन्तों का ज्ञान साहित्य में उपलब्ध उदाहरणों के आधार से किया जाना चाहिए। यहां अनियमित भूतकालिक कृदन्त के विभक्तिरहित प्रयोग संग्रहीत हैं1. सकर्मक क्रियाओं से बने अनियमित भूतकालिक कृदन्तकृदन्त कर्मवाच्य में अर्थ प्रयोग 1. दिट्ठ देखा गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 2. संपुण्ण पूर्ण कर दिया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 3. खद्ध खा लिया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 4. दिण्ण दिया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 5. णिहिय रखा गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 6. पवन पाया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 7. छुद्ध डाल दिया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 8. दड्ढ जलाया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 9. वृत्त कहा गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 10. दुम्मिय कष्ट पहुंचाया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 11. किम किया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 12. लुम काट दिया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 13. हय मारा गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 14. रणीय ले जाया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में गत्यार्थक अनियमित भूतकालिक कृदन्तकृदन्त कर्तृवाच्य प्रयोग में अर्थ 1. गय/गा गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में कर्मवाच्य प्रयोग में अर्थ जाया गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 152 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2. पत्त पहुंचा तीनों लिंगों व दोनों वचनों में पहुंचा गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 3. अकर्मक क्रियाओं से बने अनियमित भूतकालिक कृदन्तकृदन्त कर्तृवाच्य प्रयोग भाववाच्य प्रयोग में अर्थ में अर्थ 1. मुन मरा तीनों लिंगों व मरा गया सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में एकवचन में 2. थिन ठहरा तीनों लिंगों ब ठहरा गया। सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में एकवचन में 3. संतुट्ठ प्रसन्न हुया तीनों लिंगों व प्रसन्न हुआ सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में गया एकवचन में 4. नट्ट नष्ट हुआ तीनों लिंगों व नष्ट हया सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में गया एकवचन में 5. सुत्त सोया तीनों लिंगों व सोया गया सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में एकवचन में 6. बद्ध बंधा तीनो लिंगों व बंधा गया सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में एकवचन में 7. भीय डरा तीनों लिंगों व डरा गया सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में एकवचन में ____1.क सकर्मक क्रिया से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त का सभी विकल्पों सहित प्रयोग -- कर्मवाच्य में प्रयोग किन-किया गया (1) मामा के द्वारा गर्व किया गया । -माउलेण/माउलेणं गवो कियो । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 153 2010_03 Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (2) बहिन के द्वारा व्रत किए गए । - ससान / ससाइ / ससाए क्या किया ( 3 ) राजा के द्वारा शासन किया गया । - नरिंदे /नरिदेणं सासणं किश्रं । ( 4 ) मालिक द्वारा विभिन्न कर्म किए गए। - सामिणा कम्माणि / कम्माई / कम्माई किलारिण / किग्रा / किश्राइ : ( 5 ) गुरु के द्वारा परीक्षा की गई । - गुरुणा परिक्खा किश्रा । ( 6 ) युवती के दारा प्रभिलाषाएँ की गईं । - - जुवइन / जुवइइ / जुवइए अहिलासा / महिलासाउ / महिलासाओ किला / किश्राउ / किश्राश्रो । 2.क गत्यर्थक क्रिया से बने हुए श्रनियमित भूतकालिक कृदन्त का सभी विकल्पोंसहित प्रयोग कर्तृवाच्य में प्रयोग गय/गन = गया (1) पुत्र घर गया । - पुत्तो घर गयो । (2) पोते घर गये । -पोत्ता घरं गया । ( 3 ) विमान जंगल गया । 154 ] - विमाणं वणं गयं । ( 4 ) नागरिक घर गये । -- यरजणाणि / णयरजणाई / णयरजणाईं घरं गयाणि / गयाई / गयाई । [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (5) कन्या घर गई। -कन्ना घरं गया। (6) पुत्रियां घर गई। -सुया/सुयाउ/सुयानो घरं गया/गयाउ/गयानो। 2.ख काव्य में गत्यार्थक क्रिया के कर्मवाच्य के प्रयोग बहुत कम मिलते हैं। अतः यहां एक ही उदाहरण दिया जा रहा हैकर्मवाच्य में प्रयोग (1) पुत्र के द्वारा घर जाया गया। -पुत्तेण/पुत्तेणं घरो गयो । 3 क अकर्मक क्रिया से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त का सभी विकल्पों सहित प्रयोगकर्तृवाच्य में प्रयोग मुग्र=मरा (1) शत्रु मरा। -सत्तू मुयो । (2) शत्रु मरे । -सत्तू सत्तउ/सत्तप्रो/सत्तवो/सत्तुणो मुमा । (3) भय मरा। --मयं मुझं । (4) भय मरे । - मयाई/भयाई/भयाणि मुग्राइं/मुमाई/मुमारिण । (5) पुत्री मरी। -सुया मुत्रा। (6) बहिनें मरीं। -ससा ससाउ/ससानो मुला/मुबाउ/मुमामो । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 155 2010_03 Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3. ख भाववाच्य में प्रयोग मुझ =मरा गया । (1) शत्रु के द्वारा मरा गया । -सतुखा मुत्रं । (2) शत्रुनों के द्वारा मरा गया । सत्तूहि / सत्तू हि / सत्तूहिं मुग्रं । ( 3 ) नागरिक के द्वारा मरा गया । —णय रजणेण / राय रजणेण मुद्रं । ( 4 ) नागरिकों द्वारा मरा गया । (5) - रणयरजणे हि / ण य रजणे हि /णयरजणेहिं मुषं । पुत्री के द्वारा मरा गया । - सुया / सुयाइ / सुयाए मुद्रं । ( 6 ) पुत्रियों के द्वारा मरा गया । - सुवाहि / सुया हि / सुवाहिँ मुनं । (क) सकर्मक क्रियाओं से बने हुए श्रनियमित भूतकालिक कृदन्तों के सभी विकल्पों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए 1. राजा द्वारा सेनापति के लिए हाथी दिया गया । 2. मुनि द्वारा पिता के लिए आगम दिए गए। 3. माता द्वारा पुत्री के लिए धन दिया गया । 4. माता द्वारा पुत्री के लिए वस्त्र दिए गए। 5. राजा द्वारा सेनापति के लिए मणि दी गई। 6. मालिक द्वारा भाई के लिए गाएं दी गईं । 7 मामा के द्वारा घर में ग्रन्थ रखा गया । 8. हरि के द्वारा घर में आगम रखे गए। 9 दादा के द्वारा कलश में धन रखा गया । 10. दाढी के द्वारा पोटलियां खेत में रखी गईं । 11 मौसी के द्वारा साड़ी पेड़ पर रखी गई । 12. महिलाओं के द्वारा कलश खेत में रखे गए । 13. तपस्वियों द्वारा जल प्राप्त किया गया । 14. मामा के द्वारा ग्रन्थ प्राप्त किए गए । 15. युवती के द्वारा भोजन प्राप्त किया गया । 16. बालकों द्वारा कमल प्राप्त किए गए । 17. राजा के द्वारा वैभव प्राप्त 156 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किया गया। 18. बहिन के द्वारा मणि प्राप्त की गई। 19. स्वामी के द्वारा धनुष पृथ्वी पर डाल दिया गया । 20. राजा के द्वारा समुद्र में रत्न डाल दिया गया। 21. महिला द्वारा कुवे में धन डाल दिया गया। 22. मनुष्यों द्वारा खेत में लकड़ियां डाल दी गईं। 23. मोसी द्वारा खेत में रस्सी डाल दी गई । 24. युवती द्वारा कलश में मरिणयां डाल दी गईं। 25. पुत्र के द्वारा वस्त्र जलाया गया । 26. मन्त्री के द्वारा घर जलाए गए। 27. मामा के द्वारा पोटली जलाई गई । 28. राजा के द्वारा राज्य जलाए गए। 29 पुत्री के द्वारा रस्सी जलाई गई। 30. शत्रुओं के द्वारा झोंपडियां जलाई गई। 31 माता के द्वारा दुःख कहा गया । 32. मुनि के द्वारा प्रागम कहे गए। 33. मामा के द्वारा सत्य कहा गया । 34. बहिनों के द्वारा सुख (विभिन्न) कहे गए। 35. पुत्री द्वारा कथा कही गई । 36. माता द्वारा कथाएं कही गईं। 37. राजा द्वारा मन्त्री कष्ट पहुंचाया गया। 38. दादा द्वारा पोते कष्ट पहुंचाए गए। 39. शत्रु द्वारा नागरिक कष्ट पहुंचाया गया। 40. मन्त्री द्वारा नागरिक कष्ट पहुंचाए गए। 41. बहिन द्वारा पुत्री कष्ट पहुंचायी गई। 42. बहिन द्वारा पुत्रियां कष्ट पहुंचायी गईं। 43. मामा द्वारा सांप देखा गया । 44. मामा द्वारा सांप देखे गए। 45. बालक द्वारा विमान देखा गया। 46. बालक दारा विमान देखे गए। 47. माता के द्वारा गुफा देखी गयी। 48. माता द्वारा गुफाएं देखी गईं। 49. मुनि द्वारा विधि पूर्ण कर दी गई। 50. मुनियों द्वारा विधियाँ पूर्ण कर दी गयीं। 51. मनुष्य द्वारा कर्म पूर्ण कर दिया गया । 52. मनुष्यों द्वारा कर्म पूर्ण कर दिए गए। 53. माता के द्वारा पुत्री की अभिलाषा पूर्ण कर दी गयी। 54. माता के द्वारा पुत्री की अभिलाषाएं पूर्ण कर दी गयीं। 55. सिंह के द्वारा गाय खा ली गयी। 56. सिंह के द्वारा गाएं खा ली गयीं। 57. पुत्र के द्वारा जामुन खा लिया गया। 58. पुत्रों के द्वारा जामुन खा लिए गए । 59. पुत्रों के द्वारा दही खा लिया गया। 60. कुत्ते के द्वारा हड्डियाँ खा ली गयीं। 61. मामा द्वारा पेड़ काट दिया गया । 62. मामाओं द्वारा पेड़ काट दिए गए। 1 3. पुत्र द्वारा कागज काट दिया गया। 64. पुत्र द्वारा कागज काट दिए गए। 65. सेनापति द्वारा शत्रु का घुटना काट दिया गया। 66. सेनापति द्वारा शत्रों के घुटने काट दिए गए। 67. राजा के द्वारा हाथी मारा गया । 68. राजा के द्वारा हाथी मारे गए। 69. सेनापति के द्वारा नागरिक मारा गया। 70. सेनापति के द्वारा नागरिक मारे गए। 71. शत्र के द्वारा राजा की प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 157 2010_03 Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बहिन मारी गयी। 72 शत्रु द्वारा राजा की बहिनें मारी गयीं । 73. मन्त्री के द्वारा पुत्र ले जाया गया। 74. मन्त्री के द्वारा पुत्र ले जाए गए। 75 राजा के द्वारा नागरिक ले जाया गया । 76. राजा के द्वारा नागरिक ले जाए गए । 77. मौसी के द्वारा पुत्री ले जायी गई । 78 मौसी के द्वारा पुत्रियाँ ले जायी गईं । उदाहरण राजा द्वारा सेनापति के लिए हाथी दिया गया = नरिदेण सेरगावइणो हत्थी दिण्णो । (ख) गत्यार्थक क्रियानों से बने हुए श्रनियमित भूतकालिक कृदन्तों के सभी विकल्पोंसहित निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए 1. पुत्र घर गया। 2. पुत्र घर गए । 3. पुत्र द्वारा घर जाया गया । 4. माता खेत पहुँची । 5. माताएं खेत पहुँचीं । 6. माता द्वारा खेत पहुंचा गया । उदाहरण पुत्र घर गया = पुत्तो घर गयो । (ग) अकर्मक क्रियाओं से बने हुए श्रनियमित भूतकालिक कृदन्तों के सभी विकल्पोंसहित निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए 1. पुत्र प्रसन्न हुआ । 2. पुत्र प्रसन्न हुए। 3. नागरिक प्रसन्न हुआ । 4. नागरिक प्रसन्न हुए। 5. माता प्रसन्न हुई । 6. माताएं प्रसन्न हुई । 7. गाँव नष्ट हुआ । 8. गाँव नष्ट हुए । 9. विमान नष्ट हुआ । 10 विमान नष्ट हुए I 11. शत्रु मरा। 12. शत्रु मरे । 13. नागरिक मरा । 14 नागरिक मरे । 15 पुत्री मरी । 16. पुत्रियाँ मरीं । 17. मामा ठहरा। 18 मामा ठहरे । 19. नागरिक ठहरा। 20. नागरिक ठहरे। 21. स्त्री ठहरी । 22. स्त्रियाँ ठहरीं । 23. ऊंट सोया । 24. ऊँट सोये । 25. नागरिक सोया | 26. नागरिक सोये | 27. बहिन सोयी । 28. बहिनें सोयीं । 29. पोता डरा | 30 पोते 158 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 - Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डरे। 32. नागरिक डरा । 33. नागरिक डरे । 34. कन्या डरी । 35. कन्याएं डरीं। 36. शत्र द्वारा मरा गया। 37. पुत्रियों द्वारा मरा गया। 38. शत्रों द्वारा मरा गया। 39. मामा द्वारा ठहरा गया। 40. स्त्रियों द्वारा ठहरा गया। 41. कर्मों द्वारा नष्ट हुपा गया। 42. बहिनों द्वारा सोया गया । 43. पोतों द्वारा डरा गया। 44 कन्या द्वारा डरा गया । उदाहरणपुत्र प्रसन्न हुा=पुत्तो संतुट्ठो । प्राकृत अभ्यास सौरभ 1 [ 159 2010_03 Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-40 प्राकृत भाषा को अच्छी तरह समझने के लिए वाक्य में निहित प्रत्येक पद जैसे - संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, कृदन्त आदि का व्याकरणिक रूप से विश्लेषण करने का ज्ञान होना अति आवश्यक है। __इसके लिए प्रत्येक पद की व्याकरणिक विश्लेषण-पद्धति तथा कुछ वाक्यों का व्याकरणिक विश्लेषण उदाहरणस्वरूप दिया जा रहा है । संकेत-सूची अक -अकर्मक क्रिया अनि --अनियमित प्राज्ञा - प्राज्ञा कर्म -कर्मवाच्य क्रिविन-क्रिया विशेषण अव्यय प्रे -प्रेरणार्थक क्रिया भवि -भविष्यत्काल भाव -भाववाच्य भूक -भूतकालिक कृदन्त व - वर्तमानकाल वकृ - वर्तमान कृदन्त वि -विशेषण विधि -विधि विधिकृ - विधिकृदन्त स सर्वनाम संकृ सम्बन्धक कृदन्त सक --- सकर्मक क्रिया सवि -सर्वनाम विशेषण स्त्री --स्त्रीलिंग हेकृ –हेत्वर्थक कृदन्त •( ) - इस प्रकार के कोष्ठक में मूलशब्द रखा गया है। •[ ()+ ()+()....) इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर -- चिह्न शब्दों में सन्धि का द्योतक है । यहां अन्दर के कोष्ठकों में मूलशब्द ही रखे गए हैं। •[() - ( ) - ()..] इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर '_' चिह्न समास का द्योतक है। •[ [ ()-()-() ] वि] जहां समस्त पद विशेषण का कार्य करता है वहाँ इस प्रकार के कोष्ठक का प्रयोग किया गया है। •जहां कोष्ठक के बाहर केवल संख्या (जैसे 1/1, 2/1 आदि) ही लिखी हैं वहां उस कोष्ठक के अन्दर का शब्द संज्ञा' है। •जहां कर्मवाच्य, कृदन्त आदि प्राकृत के नियमानुसार नहीं बने हैं वहां कोष्ठक के बाहर 'अनि' भी लिखा गया है । 160 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3/2-तृतीया/बहुवचन 4/1-चतुर्थी/एकवचन 4/2 - चतुर्थी/बहुवचन 5/1-पंचमी/एकवचन 5/2-पंचमी/बहुवचन 6/1-षष्ठी/एकवचन 6/2-षष्ठी/बहुवचन 7/1-सप्तमी/एकवचन 7/2-सप्तमी/बहुवचन 8/1-सम्बोधन/एकवचन 8/2-सम्बोधन/बहुवचन 1/1 अक या सक --- उतम पुरुष/एकवचन 1/2 अक या सक - उत्तम पुरुष/बहुवचन 2/1 अक या सक -मध्यम पुरुष/एकवचन 2/2 अक या सक-मध्यम पुरुष/बहुवचन 3/1 अक या सक - अन्य पुरुष/एकवचन 3/2 अक या सक - अन्य पुरुष/बहुवचन 1/1 - प्रथमा/एकवचन 1/2 ----प्रथमा बहुवचन 2/1-द्वितीया/एकवचन 2/2 ---द्वितीया/बहुवचन 3/1-तृतीया/एकवचन व्याकरणिक विश्लेषण पद्धति नरिंदस्स सर्वनाम तेण सर्वनाम विशेषण सव्व क्रिया होहिइ सम्बन्धक कृदन्त णिसुणिऊण हेत्वर्थक कृदन्त हसित्तए वर्तमानकालिक कृदन्त जोयंतो भूतकालिक कृदन्त मारियो विशेषण समग्गलं भाववाच्य णच्चिज्जइ कर्मवाच्य विलसिज्जइ प्रेरणार्थक दरिसावमि स्वार्थिक प्रत्यय जंबूनो संज्ञा (नरिंद) 4/1 (त) 3/1 स (सव्व) 2/1 सवि (हो) भवि 3/1 अक (रिणसुण+ऊण) संकृ 'हस+त्तए) हेक (जोय+न्त) वकृ 1/1 (मार→मारिय) भूकृ 1/1 (समग्गल) 2/1 वि (णच्च+इज्ज) व भाव 3/1 अक (विलस-+ इज्ज) व कर्म 3/1 सक (दरिस+प्राव) प्रेव 1/1 सक (जंबूअ) 1/1 'अ' स्वार्थिक प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 161 2010_03 Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विणु अव्यय क्रिया विशेषण भूतकालिक कृदन्त कर्मवाच्य अनियमित अवसेण मुक्को अव्यय (अवस) 3/1 क्रिवि (मुक्क) भूकृ 1/1 अनि (लब्मइ) व कर्म 3/1 सक अनि लब्म सुयो सज्जन नहीं क्रोध करता है कुप्पा उदाहरण1. सुयणो न कुप्पइ च्चिय ग्रह कुप्पइ मंगुलं न चितेइ । (सुयण) 1/1 अव्यय (कुप्प) व 3/1 सक च्चिय अव्यय प्रह अव्यय मंगुलं (मंगुल) 2/1 अव्यय चितेइ (चित) व 3/1 सक भी यदि अनिष्ट नहीं सोचता है 2. दूरट्टिया न दूरे सज्जनचित्तारण पुन्वमिलियाण । दूरट्टिया [(दूर) =दूर-(ट्ठिय) भूक 1/2 अनि दूरस्थित अव्यय नहीं अव्यय दूर सज्जनचित्ताण पुन्वमिलियारणं [(सज्जन)-(चित्त)4/2] [(पुव्व) क्रिविन-पूर्व में - (मिल) भूकृ 4/21 सज्जन चित्तों के लिए पूर्व में मिले हुए (सज्जन चित्तों) के लिए 3. सोलं वरं कुलामो दालिदं भव्वयं च रोगायो । सील (सील) 1/1 शील 162 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम ___ 2010_03 Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वरं कुलान दालिद्दं भव्वयं IP च रोगाश्री प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 अव्यय ( कुल ) 5 / 1 (zifag) 1/1 ( भव्व ) 1 / 1 वि 'य' स्वार्थिक अव्यय ( रोग ) 5 / 1 श्रेष्ठतर फुल से निर्धनता अच्छी तथा रोग से [ 163 Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-41 कस्सेसा भज्जा हत्थिणाउरे नयरे सूरनामा रायपुत्तो नाणागुगर यण संजुत्तो बस इ । तस्स भाकिया गगाभिहारणा सीलाइगुणाल किया परमसोहग्गसारा। सुम इनामा तेसिं धूया । सा कम्मपरिणामवसनो जणय-जणणी माया-माउले हिं पुढो-पुढो वराण दिन्ना। चउरो वि ते वरा एगम्मि चेव दिणे परिणेउं आगया परोप्परं कलहं कुणन्ति । तो तेसि विसमे संगामे जायमाणे बहुजणक्खयं ठूण अग्गिमि पविट्ठा सुमईकन्ना । तीए समं णिविडणे हेण एगो वरो वि पविट्ठो । एगो अट्ठीणि गंगप्पवाहे खिविउं गयो । एगो चिप्रारक्खं तत्थेव जलपूरे खिविऊण तदुक्खेणं मोहमहागह-गहिरो महीयले हिण्डइ । चउत्थो तत्थेव ठिो तं ठाणं रक्खंतो पइदिणं एगमन्नपिंडं मुअंतो कालं गमेइ। ___ अह तइयो नरो महीयलं ममन्तो कत्थवि गामे रंधणघरम्मि मोअणं करा: विऊण जिमिउं उवविट्टो । तस्स घरसामिणी परिवेसइ । तया तीए लहपुत्तो अईव रोइइ । तो तीए रोसपरव्वसं गयाए सो बालो जलणम्मि खिविप्रो । सो वरो भोयणं कुणतो उदिउ लग्गो। सा भणइ - "अवच्चरूवाणि कस्स वि न अप्पियाणि होति, जेसि कए पिउणो अणेगदेवयापूयादाणमंतजवाइं कि कि न कुणन्ति । तुमं सुहेण भोयण करेहि । पच्छा वि एयं पुत्तं जीवइस्सामि ।" तो सो वि भोयणं विहिऊण सिग्धं उद्विग्रो जाव ताव तीए नियघरमझायो अमयरस-कुरपयं आणिऊरण जलणम्मि छडुक्खेवो को। वालो हसंतो निग्गयो । जणणीए उच्छंगे नीग्रो । तो सो वरो झायइ - "अहो अच्छरिनं ! अहो अच्छ- अं! जं एवंविहजलणजलिमो वि जीवियो । जइ एसो अमयरसो मह हवइ ता अहम वि तं कन्नं जीवावेमि" त्ति चितिऊण धुत्तत्तेण फूडवेसं काऊण रयणीए तत्थेव ठिग्रो। अवसरं लहिऊण सं अमयरसकूवयं गिहिऊण हस्थिणाउरे आगयो । 164 ] प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यह किसकी पत्नि (है) ___हस्तिनापुर नगर में शूर नामक राजकुमार रहता था (जो) नाना गुणरूपी रत्नों से युक्त (था)। उसकी पत्नी गंगा नामवाली. शीलादि गुणों से अलंकृत और परम सौभाग्यशाली (और पराक्रमवाली) (थी)। सुमति नामक उनकी पुत्री थी । वह कर्मफल के वश से पिता, माता, भाई और मामा के द्वारा अलग अलग वरों के लिए दे दी गई । चारों ही वे वर एक ही दिन विवाह करने के लिए आ गये । और आपस में कलह करने लगे। तब उनके मध्य में उत्पन्न होते हुए विषम संग्राम व बहुत मनुष्यों के क्षय को देखकर सुमति कन्या आग में प्रविष्ट हुई, उसके साथ घनिष्ठ स्नेह के कारण एक वर भी प्रविष्ट हा । एक हड्डियों को गंगा के प्रवाह में डालने के लिए गया। एक चिता की राख को वहाँ ही जलधारा में डालकर उस दुःख के कारण मोहरूपी महाग्रहों से पकड़ा हुआ पृथ्वी पर भ्रमण करने लगा। चौथा वहीं ठहरा । उस स्थान की रक्षा करते हुए प्रतिदिन एक अन्य पिण्ड को छोड़ता हुआ काल बिताने लगा। अब तीसरा मनुष्य पृथ्वी पर घूमता हुआ किसी ग्राम में पाकगृह में भोजन बनवाकर जीमने के लिए बैठा। उसके लिए घर स्वामिनी ने (भोजन) परोसा । तब उसका छोटा पुत्र अत्यन्त रोया । तब उसके द्वारा क्रोध के वशीभूत हुअा गया । वह बालक अग्नि में फेंक दिया गया। वह वर भोजन करता हुए उठने लगा। उसने कहा"सन्तानरूप किसी के लिए भी अप्रिय नहीं होते हैं जिनके लिए माता-पिता अनेक देवताओं की पूजा, दान, मन्त्र, जाप आदि क्या-क्या नहीं करते हैं । तुम सुखपूर्वक भोजन करो। पीछे ही (मैं) इस पुत्र को जीवित कर दूंगी।" तब वह भी भोजन करके शीघ्र उठा, उसी समय उसके द्वारा (स्त्री के द्वारा) निज घर के भीतर से अमृत रस के घड़े को लाकर अग्नि में छिड़काव किया गया। बालक हँसता हुआ निकला । माता की गोद में लिया गया। तब उस वर ने सोचा "अहो आश्चर्य ! अहो आश्चर्य ! इस प्रकार अग्नि से जला हुमा भी जिया। यदि यह अमृत रस मेरे लिए होता है तो मैं भी उस कन्या को जिला दूंगा। इस प्रकार सोचकर धूर्तता से कपट वेश धारण करके रात्रि में वहां ठहरा । अवसर पाकर उस अमृत रस के घड़े को लेकर, ग्रहण करके हस्तिनापुर आ गया। प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 165 2010_03 Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेण पुण तीए जणयादिसमक्खं चिनामज्झे अमयरसो मुक्को। सा सुमइ कन्ना सालंकारा जीवंती उट्ठिया। तया तीए समं एगो वरो वि जीवियो । कम्मवस्सयो पुरणो चउरो वि वरा एगो मिलिग्रा । कन्नापाणिग्गहणत्थमन्नोन्नं विवायं कुणंता बालचंदरायमन्दिरे गया। चउहिं वि कहियं राइणो नियनियसरूवं । राइणा मंतिणो भणिया जहा – “एयाणं विवायं भंजिऊण एगो वरो पमाणीकायव्वो।" मंतिणो वि सव्वे परोप्परं वियारं कुणति । न पुण केरणावि विवानो भज्जइ । जत्रो - अासन्ने रणरंगे मूढे मते तहेव दुबिभक्खे । जस्स मुहं जोइज्ज इ सो पुरिसो महियले विरलो ।। तया एगेण मंतिणा भणियं-"जइ मन्नह ता विवायं भज्जेमि ।" तेहिं जंपियं - "जो रायहंसव्व गुणदोसपरिक्खं काऊण पक्खावावरहिनो वायं भजइ तस्स वयणं को न मन्नइ ?" तो तेण भणियं-"जेण जीविया, सो जम्महे उत्तणेण पिया जाओ । जो सहजीवियो सो एगजम्मदाणेण भाया । जो अट्रीणि गंगामज्झम्मि खिविउं गो सो पच्छापुण्णकरणेण पुत्तसमो जायो । जेण पुण तं ठाणं रखियं, सो भत्ता।" एवं मतिणा विवाए भग्गे, चउत्थेण वरेण कुरुचंदाभिहाणेण सा परिणीमा । 166 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम ___ 2010_03 Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उसके द्वारा फिर उसके पिता आदि के समक्ष चिता के मध्य में अमृतरस छोड़ा गया । वह सुमति कन्या अलंकारसहित जीती हुई उठी। तब उसके साथ एक वर भी जिया। कर्म के वश से फिर चारों ही वर एक-एक करके मिल गए । कन्या से विवाह करने के लिए आपस में विवाद करते हुए बालचन्द राजा के मन्दिर में गए। चारों के द्वारा ही राजा के लिए निज' बात कही गई। राजा के द्वारा मन्त्री कहे गएइन के विवाद को समाप्त करके एक वर प्रमाणित किया जाना चाहिए । सब मन्त्रियों ने भी आपस में विचार किया । किसी से भी विवाद नहीं सुलझा । क्योंकि समीपस्थ युद्ध में, कर्तव्य की सूझ से हीन व्यक्ति में, परामर्श में, उसी प्रकार अकाल में जिसका मुंह देखा जाता है वह पुरुष पृथ्वी पर दुर्लभ होता है । तब एक मन्त्री के द्वारा कहा गया- "यदि (तुम लोग ) मानोगे तो विवाद हल कर दूंगा।" उनके द्वारा कहा गया 'जो राजहंस के समान गुण-दोष परीक्षा करके पक्षपात रहित (होकर) विवाद को सुलझाता है उसकी बात को कौन नहीं मानेगा।" तब उसके द्वारा कहा गया- "जिसके द्वारा जिलाया गया, वह जन्म हेतुत्व के कारण पिता हुआ । जो एक साथ जिया वह एक जन्मस्थान होने के कारण भाई हुा । जो अस्थियों को गंगा के मध्य में डालने के लिए गया वह पीछे पुण्य करने के कारण पुत्र के समान हुआ । जिसके द्वारा वह स्थान रक्षा किया गया वह पति है। इस प्रकार मन्त्री द्वारा विवाद नष्ट किया गया । कुरुचन्द नामवाले चौथे वर के द्वारा वह परणी गई। प्राकृत अभ्यास सौरम ] 167 2010_03 Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कस्सेसा मज्जा व्याकरणिक विश्लेषण कस्सेसा [(कस्स)+ (एसा) कस्स (क) 6/1 स =किसकी एसा (एता) 1/1 स = यह मज्जा (भज्जा ) 1/1 = पत्नी हत्थिण:उरे (हत्थिरणाउर) 7/1 -हस्तिनापुर (में) नयरे (नयर) 7/1 =नगर में सूरनामा [(सूर)-(नाम(अ)=नामक) 1/1] =शूरनामक रायपुत्तो (रायपुत) 1/1 =राजपुत्र जाणागुणरयण-संजुत्तो [(गाणा)-(गुण)-(रयण)- =नाना गुणरूपी (संजुत्त) भूक 1/1 अनि] रत्नों से युक्त वसई (वस) व 3/1 अक = रहता है (था) तस्स (त) 6/1 स =उसकी भारिया (भारिया) 1/1 -पत्नी गंगाभिहाणा [(गंगो)+ (अभिहाणा)] = गंगा नामवाली [(गंगा)-(अभिहाणा) 1/1 वि] सीलाइगुणालंकिया (सील)+ (प्राइ)+ (गुण)+ =शीलादि गुणों से (प्रलंकिया)] [ (सील)-(प्राइ)- अलंकृत (गुण)-(अलंकिया) 1/1 वि | परमसोहगसारा [(परम) वि - (सोहग्ग) - =परम सौभाग्यशाली (सारा) 1/1 वि सुमइनामा [(सुमइ)-(नाम(अ)=नामक) =सुमति नामक 1/1 व नोट -1 अव्यय का प्रयोग जब संज्ञा के साथ किया जाता है तब ह्रस्व का दीर्घ हो जाता है। 168 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ ___ 2010_03 Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेसि धूया (त) 6/2 स (धूया) 1/1 (ता) 1 / 1 कम्मपरिणामवसो [ ( कम्म ) - ( परिणाम ) - (वस ) 5 / 1 सा जय जणणी - भाया माउलेह पुढो-पुढ वराणं दिन्ना चउरो वि ते वरा एगम्मि चेव दिणे परिणेउं आगया परोप्परं कलहं कुन्ति तनो तेसि विसमे [ ( जणय ) - ( जणणी ) - ( भाउ) (माउल) 3/2] अव्यय (वर) 4/2 (दिन्ना) भूकृ 1 / 1 अनि विया ( वसनो ( अ ) ) ] (चउ) 1 / 2 वि अव्यय (त) 1/2 स (वर) 1 / 2 (ग) 7 / 1 वि अव्यय (faur) 7/1 (परिण) हेकृ ( आगय) भूकृ 1 / 2 प्रति (परोप्पर) 2 / 1 वि ( कलह ) 2 / 1 (कुण) व 3 / 2 सक अव्यय (त) 6/2 स (विसम) 7/1 वि प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 = उनकी = पुत्री = वह == कर्मफल के वश से पिता, माता, भाई और मामा के द्वारा = अलग-अलग = = वरों के लिए = दे दी गई ==चारों = ही == त्रे वर = एक = ही = दिन = विवाह करने के लिए ==आ गये = परस्पर / आपस में = कलह = करते हैं ( करने लगे) =तब = उनके = विषम [ 169 Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संगामे जायमाणे बहुजणक्खयं दळूण अग्गिम्मि पविट्ठा सुमइकन्ना तीए सम णिविडणेहेण एगो (संगाम) 7/1 (जा→जाय) व 7/1 [(बहु)-(जण)-(क्खय) 2/1] संकृ अनि (अग्गि) 7/1 (पविट्ठ) भूकृ 1/1 अनि [(सुमइ)-(कन्ना ) 1/1] (ता) 3/1 स अव्यय [(णिविड) वि-(णेह) 3/1] (एग) 1/1 वि (वर) 1/1 --संग्राम में = उत्पन्न होते हुए बहुत मनुष्यों के क्षय को =देखकर ==आग में =प्रविष्ट हुई =सुमति कन्या =उसके =साथ =घनिष्ठ स्नेह के कारण =एक वरो वर वि अव्यय -भी =प्रविष्ट हुआ पविट्ठो एगो -एक अट्ठीणि मंगप्पवाहे खिविलं गयो (पविठ्ठ) भूक 1/1 अनि (एग) 1/1 वि (अट्ठि) 2/2 [ (गंगा)-(प्पवाह) 7/1] (खिव) हे (ग) भूक 1/1 अनि (एग) 1/1 वि [(चित्रा)-(रक्ख) 2/1) [(तत्थ)+ (एव)] तत्थ (क्रिवित्र), एव-अव्यय [(जल)-(पूर) 7/1] (खिव) संकृ =अस्थियों को =गंगा के प्रवाह में = डालने के लिए =गया =एक =चिता की राख को -वहां ही एगो चिप्रारक्खं तत्थेव जलधारा में जलपूरे खिविऊण -डालकर 170 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तदुक्खे ण (तदुक्ख) 3/1 =उस दुःख के कारण मोहमहागह-गहिरो [(मोह)-(महा)-(गह)-(गह) =मोहरूपी महा-ग्रहों से भूकृ 1/1] पकड़ा हुआ महीयले (महीयल) 7/1 =पृथ्वी पर हिण्डइ (हिण्ड) व 3/1 सक =भ्रमण करता है (करने लगा) चउत्थो (चउत्थ) 1/1 वि -चौथा तत्थेव (तत्थ)+ (एव) ]तत्थ (क्रिविन), =वहाँ, ही एव (अ) ठियो (ठिन) भूकृ 1/1 अनि -ठहरा (त) 2/1 सवि -उस ठाणं (ठाण) 2/1 =स्थान की रक्खंतो (रक्ख) वकृ 1/1 =रक्षा करते हुए पइदिणं [पइ(अ)=प्रति-(दिण) 1/1] ___-प्रतिदिन एगमन्नपिंड [(एग)+(अन्न)-पिंड)] =एक अन्य पिंड को [(एग)-(अन्न) -(पिंड) 2/1] (मुन) वकृ 1/1 = छोड़ते हुए कालं (काल) 211 -काल गमेइ (गम) व 3/1 सक =बिताता है(बिताने लगा) मुअंतो प्रह त इनो नरो महीयल। अव्यय (तइन) 1/1 वि (नर) 1/1 (महीयल) 2/1 =अब -तीसरा मनुष्य =पृथ्वी पर नोट-1. कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग भी पाया जाता है। प्राकृत अभ्यास सौरभ । [ 171 2010_03 Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भमन्तो कत्थवि गामे रंधव रम्मि भोश्रणं कराविऊण जिमिउं उवविट्ठो तस्स घरसामिणी परिवेसइ तया ती लहुपुत्तो अईव रोइइ तनो तीए रोसपव्वसं गयाए सो बालो जलणम्मि खिविप्रो सो वरो भोयणं कुतो उट्ठि 172 ] (भम) वकृ 1 / 1 अव्यय ( गाम) 7/1 [ ( रंधण ) - (घर) 7 / 1] ( भोश्रण ) 2 / 1 ( करें + व ) प्रे. संकृ (जिम) हे कृ ( उafa) भूकृ 1 / 1 (त) 4 / 1 स [(घर) - (सामिणी) 1 / 1] ( परिवेस ) व 3 / 1 सक अव्यय (ता) 6 / 1 स [ ( लहु अव्यय (अ) व 3 / 1 अक वि- (पुत) 1 / 1] अव्यय ( ता ) 3 / 1 स [ (रोस ) - ( परं) - (व्वस) 1 / 11 (ग) भूकृ 7 / 1 अनि (त) 1 / 1 स (बाल) 1/1 (जलण) 7/1 (खिव) मूक 1/1 (त) 1 / 1 स ( वरं) 1/1 ( भोयण ) 2 / 1 ( कुण) व ( उ ) हेकु 2010_03 1 / 1 =घूमता हुआ = किसी = ग्राम में = पाकगृह = भोजन = = बनवाकर - = जीमने के लिए = बैठा = www - उसके लिए = घर स्वामिनी ने = परोसती है (परोसा) तब == उसका = छोटा पुत्र ==अत्यन्त में - रोता है ( रोया) =तब = उसके द्वारा = क्रोध के वशीभूत = होने पर = वह बालक = अग्नि में = - फैंक दिया गया - = वह =वर - भोजन = करता हुआ = उठने के लिए [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लग्गो सा भणइ (लग्य) भूकृ 1/I अनि (ता) 1/1 स (भण) व 3/1 सक (अवच्च)-(रूव) 1/2] (क) 4/1 स प्रवच्चरूवाणि कस्स अव्यय =लगा वह (उसने) =कहती है (कहा) =संतानरूप -किसी के लिए =भी =नहीं -अप्रिय -होते हैं =जिनके =लिए =माता-पिता =अनेक देवताओं की । पूजा, दान, मन्त्र, जप मादि अव्यय अप्पियाणि (अप्पिय) 1/2 वि होंति (हो) व 3/2 अक जेसि (ज) 6/2 स कए अव्यय पिउणो (पिउ) 1/2 अणेगदेवयापूयादाण- [(अणेग)+(देवया)+(पूया)+ मंतजवाई (दाण)+ (मंत)+ (जव)+ (प्राइं)] [(अणेग) - (देवया) - (पूया) - (दाण) - (मंत) - (जव) - (माइ) 2/1]] किं-कि (किं) 1/1 स प्रव्यय कुणन्ति (कुण) व 3/2 सक (तुम्ह) 1/1 स सुहेण (सुह) 3/1 क्रिविन भोयण (भोयरण) 2/1 (कर) विधि 2/1 सक -क्या-क्या =नहीं =करते हैं -तुम = सुखपूर्वक = भोजन =करो = पीछे =ही करेहि पच्छा अव्यय अव्यय प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 173 2010_03 Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एयं पुत्तं जीवइस्सामि तो (ए) 2/1 सवि (पुत्त) 2/1 (जीव) भवि 1/1 सक अव्यय -इस =पुत्र को =जिला दूंगी =तब -वह = भी = भोजन =करके वि भोयरणं विहिऊरण सिग्धं उट्ठिो जाव ताव =शीघ्र -उठा तीए =उसी समय = उसके द्वारा =निजघर के भीतर से णियघरमझानो अमयरसकुष्पयं (त) 1/1 स अव्यय (मोयण) 2/1 (विह) संक (सिग्घ) 1/1 (उ8) भूकृ 1/1 अव्यय (ता) 3/1 स [(णिय) वि – (घर) - (मज्झ) 5/1] [(अमय) - (रस)(कुप्प)-अ स्वार्थिक 2/1] (माग) संकृ (जलण) 7/1 (छडुक्खेव) 1/1 (कअ) भूक 1/1 अनि (बाल) 1/1 (हस) वकृ 1/1 (निग्गा) भूक 1/। अनि (जणणी) 3/1 (उच्छंग) 7/1 (नी) भूकृ 1/1 =अमृत रस के घड़े को आणिऊण जलणम्मि छडुक्खेवो को बालो हसंतो निग्गयो जणणीए उच्छंगे नीग्रो =लाकर =अग्नि में =छिड़काव =किया गया -बालक -हंसता हुआ =निकला =माता के द्वारा =गोद में =लिया गया 174 ] [ प्राकत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ता -वह -वर -आश्चर्य अव्यय =तब (त) 1/1 स वरो (वर) 1/1 झायइ (झा-झाम) व 3/1 सक =सोचता है (सोचा) अहो अव्यय =पाश्चर्यसूचक अव्यय (अहो) अच्छरिअं (अच्छरित्र) 1/1 अव्यय =कि एवं विहजलणजलियो [(एवंविह(प्र)=इस प्रकार) - -इस प्रकार अग्नि से (जलण) - (जल) भूक 1/1] जला हुआ अव्यय =भी जीवियो (जीव) भूक =जिया जइ अव्यय = यदि एसो (एव) 1/1 स -यह अमयरसो [(अमय) - (रस) 1/1] -अमृतरस (अम्ह) 4/1 स == मेरे लिए हवइ (हव) व 3/1 अक =होता है ता प्रव्यय =तो अहमवि (अह)+(अवि)] अहं (अम्ह)1/1 स =मैं अवि (म) =मी (ता) 2/1 सवि =उस कन्न (कन्ना ) 2/1 -कन्या को जीवावेमि (जीव+पाव) प्रे व 1/1 सक =जिलाऊँगा ति अव्यय = इस प्रकार चिति ऊरण (चित) संकृ =सोचकर धुत्तत्तेण [(धुत्त)+ (अत्तेण)] [(धुत्त) - (अत्त) =धूर्तता से 3/1] मह प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 175 2010_03 Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कूडवेस काऊरण रयणीए -कपटवेश =धारण करके =रात्रि में वहां ही तत्थेव =ठहरा ठिो अवसरं लहिऊण [(कूड) - (वेस) 2/1] संकृ अनि (रयणी) 7/1 (तत्थ)+ (एव)] तत्थ क्रिविन, एव (अ) (ठिय) भूकृ 1/1 अनि (अवसर) 2/1 (लह) संकृ (त) 2/1 सवि [(अमय)-(रस)-(कूवय) 2/1] | (गिण्ह) संकृ (हत्थिणाउर) 7/1 (प्रागय) भूक 1/1 अनि =अवसर तं अमयरसकूवयं गिहिऊरण हत्थिरणाउरे प्रागो =पाकर -उस =अमृत रस के घड़े को =लेकर =हस्तिनापुर =पा गया तेण पुण तीए जणयादिसमक्खं चिग्रामज्झे अमय रसो मुक्को (त) 3/1 स ... = उसके द्वारा अव्यय =फिर (ता) 6/1 स -उसके [(जणय) +(आदि)+(समक्खं)] =पिता आदि के समक्ष [(जणय)-(प्रादि)- (समक्ख) 1/15 [(चित्रा)-(मज्झ) 7/1] =चिता के मध्य में [(अमय)-(रस) 1/1] =अमृतरस (मुक्क) भूक 1/1 अनि =छोड़ा गया (ता) 1/1 स -वह [(सुमइ)-(कन्ना) 1/1] =सुमति कन्या {(स)+ (अलंकारा)] [(स) वि- =अलकारसहित (अलंकारा) 1/1] सा सुमइकन्ना सालंकारा 176 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जीवंती उट्ठिया तया ती ' समं एगो वरो वि जीविनो कम्मवस्सो अव्यय (जीव) भूकृ 1 / 1 [ ( कम ) - ( वस्स) 5 / 1] अव्यय (चउ) 1/2 अव्यय (वर) 1 / 2 श्रव्यय (मिल) भूक 1/2 कन्नापाणिग्गहणत्थ- [ ( कन्ना ) + ( पाणिग्गहण ) + मन्नोन्नं (त्थं ) + (अन्नोन्नं ) ] - [ ( कन्ना) - (पाणिग्गहण ) (प्रत्थ) - (अन्नोन्न) 2 / 1 वि] (faara) 2/1 ( कुण) व 1 / 2 [ ( बालचन्दराय ) - (मंदिर) 7 / 1] पुणो चउरो वि वरा एग मिलिग्रा (जीव) वकृ 1 / 1 ( उट्ठ) भूकृ 1 / 1 श्रव्यय (ar) 3/1 अव्यय विवायं कुता बालचंदराय मन्दिरे (एग ) 1/1 (वर) 1/1 2010_03 = जीती हुई = = उठी तब = उसके साथ = एक ==वर = भी = जिया == कर्म के वश से = फिर =चारों =हीं = वर = एक-एक करके = मिल गए = कन्या से विवाह करने के लिए आपस में -विवाद - करते हुए नोट - 1. 'साथ' के योग में तृतीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] = बालचन्द राजा के मन्दिर में [ 177 Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गया चाहिं वि कहियं राइणो नियनि यसरूवं राइणा मंतिणो भणिया जहा एयाणं विवायं मंजिऊण एगो वरो पमाणीकायवो = एक (गय) भूकृ 1/2 अनि (चउ) 3/2 =चारों के द्वारा अव्यय (कह) भूक 1/1 =कही गयी (राइ) 4/1 = राजा के लिए [(निय) वि - (निय) वि - =अपनी-अपनी बात (सरूव)1/1] (राइ) 3/1 =राजा के द्वारा (मंति) 1/2 =मन्त्री (भण) भूकृ 1/2 कहे गए अव्यय =जैसे (एत) 6/2 स -इन के (विवाय) 2/1 =विवाद को (भंज) संकृ =समाप्त करके (एग) 1/1 वि (वर) 1/1 =वर (पमाणीकायव्व) विधिक 1/1 अनि =प्रमाणित किया जाना चाहिए (मंति) 1/2 =मन्त्रियों ने अव्यय = भी (सव्व) 1/2 स =सब (परोप्पर) 2/1 वि = नापस में (वियार) 2/1 =विचार (कुण) व 3/? सक =करते हैं (किया) अव्यय =नहीं अव्यय =फिर [(केण)--(प्रवि)] केण (क) 3/1 स, = किसी के द्वारा भी अवि (अ) (विवा) 1/1 -विवाद (भज्जइ) व 3/1 सक कर्म अनि =सुलझता है (सुलझा) अव्यय =क्योंकि मंतिणो वि सव्वे परोप्परं वियारं कुणति पूण केरणावि विवाग्रो भज्ज जो 178 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रसन्ने रणरंगे (आसन्न) 7/1 वि [(रण)- (रंग) 7/1] (मूढ 7/1 तहेव दुभिक्खे जस्स (मंत) 7/1 अव्यय (दुभिक्ख) 7/1 (ज) 6/1 स (मुह) 1/1 (जो+इज्ज) व कर्म 3/1 सक () 1/1 स (पुरिस) 1/1 (महियल) 7/1 (विरल) I/I वि =समीपस्थ = युद्ध में =कर्तव्य की सूझ से हीन व्यक्ति में =परामर्श में - उसी प्रकार =अकाल में -जिसका =मुंह =देखा जाता है -वह =पुरुष =पृथ्वी पर =दुर्लभ जोइज्जइ पुरिसो महियले विरलो -तब -एक तया एगेण मंतिणा भणियं ज मन्नह ता विवाय अव्यय (एग) 3/1 वि (मंति) 3/1 (भरण) भूकृ 1/1 अव्यय (मन्न) विधि 2/2 सक अव्यय (विवाय) 2/1 (भज्ज) व 1/1 सक (त) 3/2 स (जप) भूकृ 1/1 (ज) 1/1 स [(राय हंस) -(व्व(अ)- समान)] [ (गुण)-(दोस)-(परिक्ख) 2/1] (कर) संकृ भज्जेमि =मन्त्री के द्वारा =कहा गया - यदि =मानो -तब = विवाद =हल करता हूं (कर दूंगा) - उनके द्वारा -कहा गया =जो =राजहंस के समान =गुण-दोष परीक्षा =करके तेहि जंपियं जो रायहंसब्व गुणदोसपरिक्वं काऊण प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 179 2010_03 Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पक्खवायरहिरो वायं भंज तस्स वयरणं को -कौन मन्तइ तो तेण भरिणयं जेण जीविया जम्महेउत्तण पिया जामो [(पक्खवाय)- (रहिअ) 1/1 वि] =पक्षपातरहित (वाय) 2/1 =विवाद को (भंज) व 3/1 सक =सुलझाता है (त) 6/1 स = उसकी (वयण) 2/1 =बात को (क) 1/1 स अव्यय =नहीं (मन्न) व 3/1 सक -मानता है (मानेगा) अव्यय -तब (त)3/1स =उसके द्वारा (भण) भूकृ 1/1 =कहा गया (ज) 3/1 स =जिसके द्वारा (जीव) प्रे भूकृ 1/1 =जिलाया गया (त) 1/1 स -वह [(जम्म)-(हेउ)-(तण) 3/1] =जन्म हेतुत्व के कारण (पिउ) 1/1 =पिता (जाअ) भूक 1/1 अनि =हुआ (ज) 1/1 स =जो [(सह(अ)=साथ) - (जीव) भूक =साथ जिया 1/1] (त) 1/1 स =वह [(एग)-(जम्म)-(ट्ठाण) 3/1] =एक जन्मस्थान होने के कारण (भाउ) 1/1 -भाई (ज) 1/1 स =जो (अट्ठि) 2/2 -अस्थियों को [(गंगा)-(मज्झ) 7/1] =गंगा के मध्य में (खिव) हेक =डालने के लिए (ग) भूकृ 1/1 अनि (त) 1/1 स =वह सहजीवियो सो एगजम्मट्ठाणेण भाया जो अट्ठीणि गंगामज्झम्मि खिविउं गयो =गया 180 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पच्छा पुण्णकरणेण पुत्तसमो जानो जेरण पुण तं ठाण 24. रक्ख़ियं सो भत्ता एवं मंतिणा विवाए भग्गे चउत्थेण वरेण कुरुचंदाभिहारोण सा परिणी [ ( पच्छा (अ) = पीछे ) - (पुण्ण ) - (करण) 3 / 1] [ ( पुत्त ) - (सम) 1 / 1 वि] (जान) भूकृ 1 / 1 अनि (ज) 3 / 1 स श्रव्यय (त) 1 / 1 स ( ठाण) 1 / 1 ( रक्ख) भूकृ 1 / 1 (त) 1 / 1 स ( मत्तु ) 1 / 1 अव्यय (मति ) 3 / 1 (faar) 7/1 (भग्ग) भूक 7 / 1 अनि (उत्थ) 3 / 1 वि (वर) 3 / 1 [ ( कुरुचन्द) + ( श्रमिहाणेण ) } [ ( कुरुचन्द) - ( अभिहाण ) 3 / 1] (ता) 1 / 1 स (परिण) भूकु 1 / 1 प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 - = पीछे पुण्य करने के कारण =पुत्र के समान =हुआ == जिसके द्वारा =श्रर = वह = स्थान = रक्षा किया गया - वह =पति - इस प्रकार ==मन्त्री द्वारा =विवाद = नष्ट किया गया ( होने पर) = चौथे =वर के द्वारा = कुरुचन्द नामवाले = वह = परणी गई [ 181 Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-42 गामिल्लयो सागडियो अत्थि कोइ कम्हिइ गामेल्लो गहवइ परिवसइ । सो य अण्णया कयाई सगडं घण्ण भरियं काऊणं, सगडे य तित्तिरं पंजरगयं बंधेत्ता पट्टियो नयरं । नयरगयो य गंधिय पुत्तेहिं दीसइ । सो य तेहिं पुच्छियो-"कि एयं ते पंजरए ?" स्ति । तेण लवियं-'तित्तिरो' त्ति । तो तेहि लवियं-'कि इमा सगडतित्तिरी विकायइ ?' तेण लवियं'ग्राम, विक्कायइ ।' तेहिं भणियो-'कि लब्भइ ?' सागडिएण भणियं-'काहावणेणं' त्ति । तो तेहिं काहावरणो दिण्णो, सगडं तित्तिरं च घेत्तं पयत्ता । तो तेरा सागडिएणं भण्णइ-'कीस एयं सगडं नेहि ?' ति । तेहिं भणियं --'मोल्लेणं लइयय' त्ति । तो ताणं ववहारो जानो जितो सो सागडिओ, हिम्रो य सो सगडो तित्तिरीए सो सागडिनो हियसगडोवगरणो जोग-खेम-निमित्तं प्राणिएल्लियं वइल्लं घेत्तूणं विक्कोसमाणो गतुं पयत्तो, अण्णेण य कुलपुत्तएणं दीसइ, पुच्छिो य–'कीस विक्कोससि ?' तेण लवियं-सामि ! एवं च एवं च अइसंघियो हं ।' तो तेण साणुकंपेण भणियो- 'वच्च ताणं चेव गेहं एव च एवं च भणहि' त्ति । तम्रो सो तं वयणं सोऊण गयो, गंतूण य तेण भणिया . "समि ! तुभेहि मम मंडभरिप्रो सगडो हिरो ता इमं पि बइल्लं गेण्हह । मम पुण सत्तुयादुपा लियं देह, 182 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रामीरण (गामिल्लम) गाड़ीवान (सागडिन) कहीं कोई ग्रामीण गृहपति था (जो) (कहीं) (गांव में) रहता था । और उसने किसी समय कभी एक बार धन से भरी हुई गाड़ी को लेकर, और गाड़ी में पिंजरे में रखे हुए तीतर को बांधकर नगर को प्रस्थान किया। नगर में गया और गधी पुत्रों द्वारा देखा गया। उनके द्वारा वह पूछा गया--तुम्हारे पिंजरे में यह क्या है ? उसके द्वारा कहा गया-'तीतर' । तब उनके द्वारा कहा गया-क्या यह गाड़ी में रखा हुआ तीतर बेचा जाएगा? उसके द्वारा कहा गया--'हां, बेचा जाएगा।' उनके द्वारा कहा गया . 'क्या प्राप्त किया जाएगा ?' गाड़ीवाले द्वारा कहा गया-'रुपये द्वारा।। तब उनके द्वारा रुपया दिया गया । गाड़ी और तीतर को ग्रहण करने के लिए प्रवृत्त हुए । तब उस गाड़ीवाले के द्वारा कहा जाता है-(तुम) यह गाड़ी क्यों ले जाते हो ? [कीस()=क्यों, किस कारण से उनके द्वारा कहा गया-'मोल से ली गई है' (लप-लइय-य) तब उनका फैसला हुआ। (उसमें) वह गाड़ीवाला जीत लिया गया । और वह गाड़ी तीतर के साथ ले जाई गई। __(जिसका) गाडीरूपी साधन' (उवगरण) ले जाया गया (है) (ऐसा) वह गाडीवाला योगक्षेम के लिए लाए गए बल को लेकर चिल्लाता हा जाने के लिए प्रवृत्त हुग्रा । दूसरे कुलपुत्र के द्वारा देखा गया, (वह) पूछा गया- क्यों रोते हो ? उसके द्वारा कहा गया-हे स्वामी । इस प्रकार और इस प्रकार मैं ठग लिया गया हूँ। तब उसके द्वारा दयासहित कहा गया-उनके ही घर जाग्रो और इस प्रकार, इस प्रकार कहो। तब वह उस वचन को सुनकर गया और जाकर उसके द्वारा कहा गया --हे स्वामी! तुम सबके द्वारा मेरी वस्तुओं से भरी हुई गाड़ी ली गई है, तो यह बल भी ले प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 183 2010_03 Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जं घेतू वच्चामिति । न य अहं जस्स व कस्स व हत्थेण गेण्हामि, जा तुज्झ धरिणी पाणेहि वि पियरी सव्वालंकारभूसिया तीए दायव्वा, तत्रो मे परा तुट्ठी भविस्सइ । जीवलोगब्यंतरं व अप्पाणं मन्निस्सामि ।" ततो तेहि सक्खी आहूया, भणियं च - - ' एवं होउ' त्ति । तो ताणं पुत्तमाया सत्तुयादुपालियं घेत्तूण निग्गया, तेण सा हत्थे गहिया, घेत्तूणय तं पट्टियो । तेहि विभणि 'किमेयं करेसि ? ' तेण भणियं - 'सत्तुयादुपालियं नेमि ।' ततो ताणं सद्देण महाजणो संगहिश्रो, पुच्छिया - 'किमेयं ?' ति । ततो तह जहावत्तं सव्वं परिकहियं । समागयजणेण य मज्झत्थेणं होऊण ववहारनिच्छप्रो सुनो, पराजिया य ते गंधियपुत्ता । सो य किलेसेण तं महिलियं मोयाविनो, सगडो अत्थेण सुवहुएण सह परिदिण्णो । 184 1 2010_03 [ प्राकृत अभ्यास सौरम Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लो। और मेरे लिए (तुम) दो पालि (कटोरी) सत्तु दे दो । जिसको लेकर मैं जाऊँगा। और(वह) मैं जिस किसके हाथ से ग्रहण नहीं करूँगा । सब अलंकारों से भूषित प्राणों से भी अधिक प्यारी जो तुम्हारी पत्नी है, उसके द्वारा दिया जाना चाहिए। तब मेरी उत्तम सन्तुष्टि होगी। (मैं) अपने को जीवलोक के अन्दर (भाग्यशाली) मानूंगा। __ तब उनके द्वारा गवाही ((सक्खि) वि) बुलाई गई और वह कही गई-इसी प्रकार होवे । तब उन पुत्रों की माता दो पालि सत्तु लेकर निकली- उसके द्वारा वह हाथ पर पकड़ ली गई. उसको लेकर (उसने) प्रस्थान किया। उनके द्वारा ही कहा गया – 'यह क्या करते हो ?' उसके द्वारा कहा गया- दो पालि सत्तु को ले जाता हूं।' तब उनके शब्द से महाजन एकत्र हुए, (पूछा) (गया)- यह क्या है ? तब उनके द्वारा जैसा हुअा वैसा सब कह दिया गया। आये हुए मनुष्यों द्वारा मध्यस्थता से बनकर न्याय का निश्चय सुना गया। वे गंधी पराजित हुए। कठिनाईपर्वक उस महिला को उसने छुड़वाया । गाड़ी अच्छी तरह प्रचुर अर्थ के साथ दे दी गई। प्राकृत अभ्यास सौरभ 1 I 185 2010_03 Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपभ्रंश अनुवाद गामिल्लउ सागडिउन अस्थि कोइ कहिं गामेल्लउ गहवइ परिवसइ । सो य अण्ण या कयाई सगडु धण्णभरिउ करेविण सगडि य तित्तरी पंजरगउ बंधेवि पदिउ नयरु । नयरगउ य गंधियपुत्तहिं देखि उ । सो य तहिं पुच्छिउ --'कि एहु तुझ पंजरए ?' ति । तेण लविउ-तित्तिरु त्ति । ___ तो (तो) तहिं लविउ-कि इमु सगडतित्तिरी विक्किज्जइ ? तेरण लविउ-'ग्राम, विक्किज्जइ ।' तहिं भणिउ- "किं लभइ ?' सागडि एण भरिण उ'कहावणेणं' ति। तो (तो) तहिं काहावणु दिण्णु, सगडु तित्तिरु च घेत्तुं पवत्ता । तो (तो) तेणं सागडिएणं मण्णइ-'कीस एहु सगडु नेहि ?' ति । तहि मणिउ-'मोल्लेणं लइयय' ति । तपो (तो) ताहं ववहारु जाउ जिउ सो सागडिउ, हिउ य सो सगडु तित्तिरीएं सहुँ । सो सागडि उ हियसगडु उवगरणु जोग खेम-निमित्तु आणि उ बइल्लु गहेवि विक्कोसमाणु गमेव्वउ पयत्तु, अण्णे य कुलपुत्ते देखि अ, पुच्छिउ य-कीस विक्कोससि ?' तेण लविउ-'सामि ! एम च एम च अइसंधि उ हउं ।' ___ तो (तो) तेण साणुक (सो) मणिउ -- 'वच्च ताहं चेव गेहु एम च एम च भणहि' ति। तो (तो) सो तं वयणु सुणि गउ, गमेवि य तेण (ते) भणिया --- ' सामि ! तुम्हेहि महु भंडभरिउ सगडु हिउ, तावेहिं इमु पि बइल्लु गेण्हह । महु पुणु सत्तुया 1. 'पाइअगज्जसंगहो' में प्रकाशित 'गामिल्लो सागडिग्रो' का डॉ. कमलचन्द सोगाणी कृत अपभ्रंश रूपान्तरण । 186 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दुपालिया देह, जं गहेपि वच्चउं त्ति । णउ य हउं जासु व कासु व हत्थें गण्हाउं जा तुज्झ धरिणी पाणेहिं वि पिययरी सव्वालंकारभूसिया ताए दायव्वा, तावेहिं महु परू तुट्ठी भवेसइ । जीवलोगभंतरं व अप्पाणु मन्नेसउं ।" तो (तो) तेहिं सक्खी पाहूया, भणिउ च-'एम होउ' रित । तमो (तो) ताहं पुत्तमाया सत्तुया दुपालिया गहेविणु णिग्गया, तेण सा हत्थे गहिया, गहेविणु य तं पट्ठिउ । तेहिं वि (सो) मणिउ-'किं एहु करेसि ?' तेण मणिउ-'सत्तुया दुपालिया नेउ ।' तो (तो) ताहं म महाजणु संगहि उ-(ते) पुच्छिया-- "किं एहु ?' ति । तो (तो) तेहिं जहावत्तु सव्वु परिकहिउ । समागयजणेण य मज्झत्तेणं होइ (तेहिं) ववहारनिच्छ । सुरिणउ, पराजिया य ते गंधियपुत्ता। सो य किलेसेण तं महिलिउ मोयाविउ, सगडु प्रत्येण सु बहुएण सहुं परिदिण्णु । प्राकृत अभ्यास सौरभ 1 । 187 2010_03 Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-43 ससुरगेहवासीरणं चउजामायराणं कहा कत्थ वि गामे नरिंदस्स रज्जसंतिकारगो पुरोहिरो आसि । तस्स एगो पुत्तो, पंच य कन्नगाग्रो संति । तेण चउरो कन्नगाग्रो विउसमाहण-पुत्ताणं परिणाविनायो। कयाई पंचमीकन्न गाए विवाहमहूसवो पारद्धो। विवाहे चउरो जामाउरणो समागया । पुण्ण विवाहे जामाय रेहिं विणा सव्वे संबंधिणो नियनियघरेस गया । जामायरा भोयणलुद्धा गेहे गंतुं न इच्छंति । पुरोहियो विपारेइ- 'सासूए अईव पिया जामायरा, तेण अहुणा पंच छ दिणाई एए चिटुंतु, पच्छा गच्छेज्जा ।' ते जामायरा खज्जरसलुद्धा तो गच्छिउं न इच्छेज्जा । पहप्परं ते चितेइरे - 'ससुर-गिह निवासो सग्गतुल्लो नराणं' किल एसा सुत्ती सच्चा, एवं चितिऊणं एगाए भित्तीए एसा सुत्ती लिहिला । एगया एयं सुत्ति ससुरेण वाइऊण चितिअं—'एए जामायरा खज्जरसलुद्धा कयावि न गच्छेज्जा, तो एए बोहियव्वा' एवं चितिऊण तस्स सिलोगपायस्स हिठ्ठमि पायत्तिगं लिहियं "जइ वसइ विवेगी पंच छव्वा दिखाई। दहिषयगुडलुद्धा मासमेगं वसेज्जा स हवइ खरतुल्लो माणवो माणहीणो ।।" तेहिं जामायरेहिं पायतिगं वाइअं पि खज्जरसलुद्धत्तणेण तो गंतुं नेच्छंति । ससुरो वि चितेइ- 'कहं एए नीसारिअव्वा ? साउ भोयणरया एए खरसमा णा माणहीणा संति, तेण जुत्तीए निक्कासणिज्जा ।' पुरोहियो नियं भज्ज पुच्छइ- 'एएसि जामाऊणं भोयणाय किं देसि ?' सा कहेइ–'अइप्पियजामाय राणं तिकालं दहि-घयगुडमीसिअमन्नं पक्कन्नं च सएव देमि ।' पुरोहियो भज्जं कहेइ - अज्जयणाप्रो प्रारम्भ तुमए जामायराणं वज्जकुडो थूलो रोट्टगो घयजुत्तो दायम्बो।' पियस्स प्राणा प्रणइक्कमणीअ, त्ति चितिऊण सा भोयणकाले ताणं थूलं रोट्टगं धय जुत्तं देइ । तं दठूणं पढमो मणीरामो जामाया मित्ताणं कहेइ- "अहुणा 188 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ ___ 2010_03 Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ससुर के घर में रहने वाले चार दामादों की कथा किसी ग्राम में राजा के राज्य में शान्ति स्थापित करनेवाला पुरोहित रहता था। उसके एक पूत्र और पांच कल्याएं थीं (कन्नगा)। उसके द्वारा चार कन्याएं विज्ञ ब्राह्मण पुत्रों के साथ विवाह करवा दी गई। किसी समय पांचवीं कन्या का विवाह महोत्सव प्रारम्भ हुआ। विवाह में चार दामाद आये । विवाह के पूर्ण होने पर दामादों के अलावा सब सम्बन्धी अपने अपने घर चले गये। भोजन के लोभी दामाद घर में जाने के लिए इच्छुक नहीं थे। पुरोहित ने विचार किया-ये) दामाद सासू के अत्यन्त प्रिय हैं । इसलिए ये पांच छः दिन ठहरे (रुके) हैं पीछे चले जायेंगे । वे भोजन-रस लोभी दामाद बाद में भी जाने के लिए इच्छुक नहीं हुए। आपस में उन्होंने विचार किया- ससुर का गृह मनुष्यों के लिए स्वर्गतुल्य (होता है) । निश्चय ही यह सूक्ति सच्ची है। इस प्रकार विचारकर एक भीत पर यह सूक्ति लिखी गई। एक बार इस सूक्ति को पढ कर ससूर के द्वारा विचार किया गया ये भोजन रस लोभी दामाद कभी भी नहीं जायेंगे, तब ये समझाए जाने चाहिए । इस प्रकार सोचकर उस श्लोक के चरण के नीचे तीन चरण लिखे गये विवेकीजन 5-6 दिन ही रहते हैं, यदि दही, घी एवं गुड़ का लोभी एक साथ ठहरता है, तो वह गधे के समान मनुष्य मानहीन ही होता है । उन दामादों के द्वारा (यद्यपि) तीनों पाद पढ़े गये तब भी भोज नरस के लालची होने के कारण जाने की इच्छा नहीं की। ससुर ने भी विचार किया - ये कैसे निकाले जाने चाहिए ? स्वादिष्ट भोजन में लीन ये गधे के समान मानहीन हैं, इसलिए (ये) युकिन पूर्वक निकाले जाने चाहिए। पुरोहित नित्य पत्नी को पूछता है(तुम) इन दामादों को भोजन के लिए क्या देती हो ? उसने कहा--अतिप्रिय दामादों के लिए तीन बार दहि, घी, गुड़ से मिश्रित अन्न और पकवान सदैव देती हूँ। पुरोहित ने पत्नी को कहा-तुम्हारे द्वारा दामादों के लिए कठोर की हुई स्थूल (ौर) घी लगी हुई रोटी दी जानी चाहिए । पति की आज्ञा टाली नहीं जानी चाहिए। इस प्रकार विचारकर वह भोजन के समय उनके लिए स्थूल रोटी घी लगी हुई देती है। उसको देखकर प्रथम प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 189 2010_03 Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एत्थ वसणं न जुत्तं, नियघरं मि अश्रो साउभोयणं अस्थि, तो इनो गमणं चिय सेयं । ससुरस्स पच्चूसे कहिऊण हं गमिस्सामि ।" ते कहिति --- "भो मित्त ! विणा मुल्ल भोयणं कत्थ सिया, एयं वज्जकुडरोट्टगं साउं गणि ऊरण भोत्तव्वं, जो - 'परन्न दुल्लहं लोगे' इअ सुई तए किं न सुप्रा ? तव इच्छा सिया तया गच्छसु, अम्हाणं ससुरो कहिही तया गमिस्सामो ।" एवं मित्तारणं वयणं सोच्चा पभाए ससुरस्स अग्गे गच्छित्ता सिक्खं आणं च मग्गेइ । ससुरो वि तं सिक्खं दाऊण 'पुणावि आगच्छेज्जा' एवं कहिऊण किंचि अणुसरिऊण अणुण्णं देइ । एवं पढमो जामायरो 'वज्जकुडेण मणीरामो' निस्सरियो। पुणरवि भज्ज कहे इ - अहुणा अज्जयणामो जामायराणं तिल तेल्लेण जुत्तं रोट्टगं दिज्जा ।' सा भोयणसमए जामायराणं तिलतेल्लजुत्त रोट्टगं देइ । तं दठूण माहवो नाम जामायरो चितेइ--'घरंमि वि एयं लब्भइ, तो इअो गमणं सुहं, मित्ताणं पि कहेइ ... 'हं कल्ले गमिस्स, जो भोयणे तेल्लं समागयं ।' तया ते मित्ता कहिंति - "अम्हकेरा सासू विउसी अस्थि, तेण सीयलं तिलतेल चित्र उयरग्गिदीवणेण सोहणं, न घयं, तेण तेल्लं देइ, अम्हे उ अत्थ ठास्सामो।" तया माहवो नाम जामायरो ससुरपासे गच्चा सिक्खं अणुण्णं च मग्गेइ । तया ससुरो 'गच्छ गच्छ' त्ति अणुण्णं देइ, न सिक्खं । एवं 'तिलतेल्लेण माहवो' बीयो वि जामायरो गयो । तइअचउत्थ जामायरा न गच्छति । 'कहं एए निक्कासणिज्जा' इअ चितित्ता लद्धवानो ससुरो मज्जं पुच्छेइ-'एए जामाउणो रत्तीए सयणाय कया आगच्छन्ति ?' तया पिया कहेइ-कयाइ रत्तीए पहरे गए आगच्छेज्जा, कया दुति पहरे गए आगच्छति ।' पुरोहियो कहेइ–'अज्ज रत्तीए दारं न उग्घाडियव्वं, अहं जागरिस्सं ।' ते दोषिण जामायरा संझाए गामे विलसिउं गया, विविहकीलामो कुणता नट्टाइं च पासंता, मउझरत्तीए गिहदारे समागया । पिहिनं दारं दठूण दारुग्घाडणाए उच्चसरेण अकोसंति- 'दारं उग्घाडेसु' ति, तया दार समीवे सयणत्थे पुरोहियो जागरंतो कहेइ'मज्झरत्ति जाब कत्थं तुम्हे थिया? अहुणा न उग्घाडिस्सं, जत्थ उग्घाडिमदारं अस्थि, 190 ] प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मणीराम (नामक) दामाद ने मित्रों को कहा--- अब यहां रहना ठीक नहीं है । निज घर में इसकी अपेक्षा स्वादिष्ट भोजन है, इसलिए यहां से गमन ही उत्तम (है)। ससुर को प्रभात में कहकर मैं जाऊंगा। उन्होंने (मित्रों ने) कहा-हे मित्र ! बिना मूल्य भोजन कहां है (इसलिए) यह कठोर की हई रोटी स्वादवाली गिनकर खाई जानी चाहिए । क्योंकि लोक में दूसरे की रोटी दुर्लभ है। यह कहावत तुम्हारे द्वारा क्या नहीं सुनी गई ? तुम्हारी इच्छा है तो जानो, हमारे लिए तो ससुर कहेंगे तो (हम) जायेंगे। इस प्रकार मित्रों के वचन को सुनकर प्रभात में ससुर के आगे जाकर सीख और आज्ञा मांगी। ससुर भी उसको शिक्षा देकर 'फिर भी पाना' इस प्रकार कहकर कुछ पीछे जाकर आज्ञा दी। इस प्रकार प्रथम दामाद मणीराम, कठोर की हुई रोटी से निकाल दिया गया । फिर पत्नी को कहता है--अब " दामादों के लिए तिल के तेल से युक्त रोटी दी जानी चाहिए। वह भोजन के समय दामादों के लिए तिल के तेल से युक्त रोटी देती है । उसको देखकर माधव नामक दामाद विचार करता है । घर में भी यह प्राप्त किया जाता है इसलिए यहां से गमन सुखकारी है, मित्रों को भी कहता है- मैं कल जाऊंगा, क्योंकि भोजन में तेल दिया गया (है)। तब उन मित्रों ने कहा- हमारी सासु विदुषी हैं, क्योंकि शीतल तिलों का तेल ही उदर की अग्नि का उद्दीपक होने के कारण सुन्दर है, घी नहीं, इसलिए तेल देती है । हम सब ही यहां ठहरेंगे । तब माधव नामक दामाद ससुर के पास जाकर सीख व अनुज्ञा मांगता है । तब ससुर ने जाओ, जाओ (कहा), इस प्रकार प्राज्ञा दी, सीख नहीं दी। इस प्रकार तिल के तेल के कारण माधव नाम क दूसरा दामाद गया। तीसरे चौथे दामाद नहीं गए। किस प्रकार ये निकाले जाने चाहिए, इस प्रकार विचार करके उपाय प्राप्त किया हुआ ससुर पत्नी को पूछता है - ये दामाद रात्रि में सोने के लिए कब आते हैं ? तब पत्नी ने कहा -- कभी रात्रि में एक पहर गये आते हैं, कभी दो-तीन पहर गये आते हैं। पुरोहित ने कहा ~ आज रात्रि में द्वार नहीं खोला जाना चाहिए, मैं जागूंगा। वे दोनों दामाद सायंकाल ग्राम में मनोरंजन के लिए गए । विविध क्रीडाएं (कीला) करते हुए और नाटक देखते हुए मध्यरात्रि में घर के द्वार पर आए । घर को ढका हुआ देखकर द्वार खोलने के लिए उच्च स्वर से पुकारा-द्वार खोलो। तब द्वार के समीप सोने के लिए जागते हुए पुरोहित ने कहा - मध्यरात्रि को भी तुम प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 191 2010_03 Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तत्थ गच्छेह' एवं कहिऊण मोरोण थियो। तया ते दुण्णि समीवत्थियाए तुरंगसालाए गया। तत्थ प्रात्थरणाभावे अईवसीयबाहिया तुरंगमपिट्ठन्छा इावरणवत्थं गहिऊण भूमीए सुत्ता। तया विजयरामेण जामाउणा चितिग्रं- 'एत्थ सावमारणं ठाउं न उइ ।' तो सो मित्तं कहेइ -- 'हे मित्त ! अम्ह सुहसज्जा का ? इमं भूलोट्टण च कत्थ? अग्रो इप्रो गमणं चिन वरं ।' स मित्तो बोल्ले इ -- 'एमा रिसदुहे वि परन्न कत्थ ?' अहं तु एत्थ ठाहिस्सं । तुमं गंतुमिच्छसि जइ, तया गच्छसु ।' तो सो पच्चूसे पुरोहियसमीवे गच्चां सिक्खं अणुण्णं च मग्गी । तया पुरोहियो सुट्ठ त्ति कहेइ । एवं सो विजयरामो 'भूसज्जाए विजयरामो' वि निग्गयो । अहुणा केवल केसवो जामायरो तत्थ थियो संतो गंतुं नेच्छइ । पुरोहियो वि केसव जामाउणो निक्कासणत्थं जुत्ति विपारेइ । एगया नियपुत्तस्स कण्णे किंचि वि कहिऊण जया केसवजामायरो भोयणत्थं उवविट्ठो, पुरोहिअस्स य पुत्तो समीवे ठिो वाइ, तया पुरोहियो समागमो समाणो पुत्ते पुच्छ इ --- 'वच्छ !' एत्थ मए रुप्पगं मुत्तं, तं च केण गहियं ?' सो कह इ --- 'अहं न जाणामि ।' पुरोहियो बोल्लेइ–'तुमए च्चिय गहिनं, हे असच्चवाइ ! पाव ! धिट्ट ! देहि ममं तं, अन्नहा तुमं मारइस्सं हं' ति कहिऊरण सो उवा णहं गहिऊण मारिउं धावियो। पुत्तो वि मुद्धि बंधिऊरण पिउस्स सम्मुह गयो । दोणि ते जुज्झमाणे दखूण केसवो ताणं मज्झे गंतूण --'मा जुज्झह, मा जुज्झह' त्ति कहिऊण ठियो । तया सो पुरोहियो हे जामायर ! 'अवसरसु अवसरसु' कहिऊण त उवाणहेण पहरेइ । पुत्तो वि 'केसव ! दूरी भव दूरीभव' त्ति कहिऊण मुट्ठीए तं केसवं पहरेइ । एवं पिउपुत्ता केसवं ताडिति । तमो सो तेहिं धक्कामुक्केण ताडिज्जमाणो सिग्धं भग्गो, एवं धक्कामुक्केण केसवो' सो अकहिऊण गो। तद्दिणे पुरोहियो निवसहाए विलंबेण गयो । नरिंदो तं पुच्छइ-'किं विलबेण तुम आगो सि ।' सो कहेइ-"विवाहमहूसवे चउरो जामायरा समागया। ते उ भोयणरसलुद्धा चिरं ठिपावि गंतुं न इच्छंति । तो जुत्तीए सव्वे निक्कासिमा ते एवं 192 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कहां ठहरे ? अब नहीं खोलूंगा। जहां द्वार खुला है, वहां जाओ । इस प्रकार कहकर मौन हा। तब वे दोनों समीप में स्थित घुड़साल में गए। वहां बिस्तर के अभाव में अत्यन्त ठण्ड से बीमार (तुरंगम) घोड़े की पीठ पर (अच्छाइ) ढकनेवाले आवश्यक वस्त्र को ग्रहण करके भूमि पर सोए। तब विजयराम दामाद के द्वारा विचारा गया-यहां अपमानसहित ठहरने के लिए उचित नहीं है । तब उसने मित्र को कहा- हे मित्र ! हमारी सुख शय्या क्या है ? और यह जमीन पर लोटना कसे होगा? अतः यहां से गमन ही श्रेष्ठ है । उस मित्र ने कहा इस जैसे दुःख में भी पर अन्न कहां ? मैं तो यहां ठहरूंगा। यदि तुम जाने की इच्छा रखते हो तो जाओ । तब उसने प्रभात में पुरोहित के समीप जाकर सीख व अनुज्ञा मांगी (भूतकाल) तब पुरोहित ने कहा, अच्छा । इस प्रकार वह विजयराम, भूशय्यावाला विजयराम' भी निकाला गया। अब केवल केशव दामाद वहां ठहरा रहा, जाने की इच्छा नहीं की । पुरोहित भी केशव दामाद को निकालने के लिए युक्ति विचारता है। एक बार निज पुत्र के कान में कुछ भी कहकर जब केशव दामाद भोजन के लिए बैठा। पुरोहित का पुत्र समीप बैठा रहा तब पुरोहित पाया (और) पुत्र को पूछा- हे पुत्र ! यहां मेरे द्वारा रुपया छोड़ा गया है और वह किसके द्वारा लिया गया है ? उसने कहा-मैं नहीं जानता हूँ। पुरोहित कहता है-तुम्हारे द्वारा ही लिया गया है, हे असत्यवाद ! हे पापी ! हे धीठ ! उसको मुझे दो। अन्यथा मैं तुमको मारूगा। इस प्रकार कहकर वह जूता लेकर मारने के लिए दौड़ा। पुत्र भी मुट्ठी को बांधकर पिता के सम्मुख हो गया। वे दोनों लड़ते हुए (रहे) तब केशव उनको देखकर उनके मध्य में जाकर, मत लड़ो, मत लड़ो इस प्रकार कहकर खड़ा रहा। तब वह पुरोहित, हे दामाद ! हटो हटो कहकर उसको जूते से पीटा । पुत्र भी हे केशव ! दूर हो, दूर हो इस प्रकार कहकर मुट्ठी से उस केशव को पीटा। इस प्रकार पिता-पुत्र ने केशव को ताड़ा । तब वह उनके द्वारा धक्का मुक्के में ताड़ा जाते हुए शीघ्र भाग गया, इस प्रकार धक्का मुक्के से केशव बिना कहकर गया। उस दिन पुरोहित राजसभा में देर से गया । राजा ने उसको पूछा-तुम देर से क्यों आए हो । उसने कहा-विवाह महोत्सव में चार दामाद पाए। वे भोजनरस के लोभी चिरकाल तक ठहरे और जाने के लिए इच्छा नहीं करते हैं । तब युक्तिपूर्वक वे सभी निकाले गये, इस प्रकार - प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 193 2010_03 Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वज्जकुडेण मणीरामो, तिलतेल्लेण माहवो । भूसज्जाए विजयरामो, धक्कामुक्केण केसवो ।। त्ति, सव्वो वुत्तंतो नरिंदस्स अग्गे कहियो । नरिंदो वि तस्स बुद्धीए अईव तुट्ठो । उवएसो-- जामायरच उक्कस्स सुरिणऊण पराभवं । ससुरस्स गिहावासे सम्माणं जाव संवसे ।। 194 1 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ ___ 2010_03 Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कठोर की हुई रोटी से मणीराम, तिलों के तेल से माधव, भूशय्या से विजयराम (और) धक्का मुक्के से केशव निकाले गए । इस प्रकार सभी वृतान्त राजा के सामने कहा गया। राजा भी उसकी बुद्धि से अत्यन्त सन्तुष्ट हुआ। उपदेश चार दामाद के पराभव को सुनकर (तुम) ससुर के गृहवास में सम्मानपूर्वक ही बसो। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 195 2010_03 Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभ्यास-44 विउसीए पुत्तबहूए कहाणगं कम्मि नयरे लच्छीदासो सेट्ठी वरीवट्टइ । सो बहुधणसंपत्तीए गचिट्ठो पासि । भोगविलासेसु एव लग्गो कयावि धम्म ण कुणेइ । तस्स पुत्तो वि एयारिसो अस्थि । जोवणे पिउणा धम्मिअस्स धम्मदासस्स जहत्थनामाए सीलवईए कन्नाए सह पाणिग्गहणं पुत्तस्स कारावियं । सा कन्ना जया अट्ठवासा जाया, तया तीए पिउपेरणाए साहुणीसगासामो सवण्णधम्मसवणेण सम्मत्तं अणुव्वयाइं य गहीयाई, सवण्णधम्मे अईव निउणा संजामा। जया सा ससुरगेहे अागया तया ससुराई धम्मानो विमुहं दळूण तीए बहुदुहं संजायं । कहं मम नियवयस्स निम्बाहो होज्जा ? कहं वा देवगुरुविमुहाणं ससुराईणं धम्मोवएसो भवेज्जा, एवं सा वियारेइ । एगया 'संसारो असारो, लच्छी वि प्रसारा, देहोवि विणस्सरो, एगो धम्मो च्चिय परलोगपवन्नाणं जीवाणमाहारु' त्ति उपएसदाणेण नियमत्ता सव्वण्णधम्मेण वासियो क प्रो । एवं सासूम वि कालंतरे बोहेइ । ससुरं पडिबोहिउ सा समयं मग्गेइ । एगया तीए घरे समणगुणगणालंकित्रो महत्वइ नाणी जोव्वरण त्थो एगो साहू भिक्खत्थं समागमो। जोव्वणे वि गहीयवयं संतं दंतं साहं घरंमि आगयं दठूण पाहारे विज्जमाणे वि तीए वियारियं-'जोव्वणे महत्वयं महादुल्लहं, कहं एएण एयमि जोव्वणत्तणे गहीयं ?' ति परिक्खत्थं समस्साए पुढें-'अहुणा समयो न संजानो, किं पुव्वं निग्गया ?' तीए हिययगय भावं नाऊरण साहुणा उत्तं - "समयनाण कया मच्चू होस्सइ त्ति नत्थि नाणं, तेण समयं विणा निग्गयो ।" सा उत्तरं नाऊण तुट्ठा । मुणिणा वि सा पुट्ठा -- 'कइ वरिसा तुम्ह संजाया ?' मुणिस्म पुच्छा मावं नाऊण वीसवासेसु जाएसु वि तीए 'वारसवास' त्ति उत्तं । पुण रवि ‘ते सामिस्स क इ वासा जात' त्ति ? पुठं । तीए पियस्स पणवीसवासेसु जाएसु वि पंचवासा उत्ता, एवं सासूए 'छम्मासा' कहिया । ससुरस्स पुच्छाए सो 'अहुणा न उप्पण्णो अत्थि' ति भणिया । 196 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विदुषी पुत्रवधू का कथानक किसी नगर में लक्ष्मीदास सेठ भली प्रकार से रहता था । वह बहुत धनसम्पत्ति के कारण अत्यन्त गर्वीला था । भोगविलासों में ही ( वह ) लगा हुआ ( था ) ( श्रौर) कभी भी धर्म नहीं करता था । उसका पुत्र भी ऐसा ही था । यौवन में पिता द्वारा धार्मिक धर्मदास को यथानाम शीलवती कन्या के साथ पुत्र का विवाह करवा दिया गया। जब वह कन्या आठ वर्ष की हुई, तब उसके द्वारा पिता की प्रेरणा से (एक) साध्वी के पास सर्वज्ञ के धर्म के श्रवण से सम्यकत्व और अणुव्रत ग्रहण किए गए । सर्वज्ञ के धर्म में वह बहुत निपुण हुई । जब वह ससुर के घर में आ गई, तब ससुर आदि को धर्म से विमुख देखकर, उसके द्वारा बहुत दुःख प्राप्त किया गया । मेरे निजव्रत का निर्वाह कैसे होगा ? अथवा देव - गुरु से विमुख ससुर आदि के लिए धर्मोपदेश कैसे सम्भव होगा ? इस प्रकार वह विचार करती है । संसार असार है, लक्ष्मी भी असार है, देह भी विनाशशील है, एक धर्म ही परलोक जानेवाले जीव के लिए आधार है, इस प्रकार एक बार उपदेश देने से निज पति सर्वज्ञ के धर्म में संस्कारित किया गया । कुछ समय पश्चात् ( वह) इस प्रकार सास को भी समझाती है । ससुर को समझाने के लिए वह समय खोजने लगी । - एक बार उसके घर में श्रमण-गुण-समूह से अलंकृत महाव्रती, ज्ञानी, यौवन में स्थित एक साधु भिक्षा के लिए आए । यौवन में ही व्रत को ग्रहण किए हुए शान्त और जितेन्द्रिय साधु को घर में आया हुआ देखकर श्राहार को प्राप्त करते हुए होने पर ही उसके द्वारा विचार किया गया - यौवन में महाव्रत अत्यन्त दुर्लभ ( है ) । इनके द्वारा इस यौवन अवस्था में ( महाव्रत ) कैसे ग्रहण किए गए ? इस प्रकार परीक्षा के लिए समस्या का उत्तर पूछा गया - अभी समय न हुआ, पहिले ही (आप) क्यों निकल गए ? उसके हृदय में उत्पन्न भाव को जानकर साधु के द्वारा कहा गया- ज्ञान समय ( है ) । कब मृत्यु होगी, ऐसा ज्ञान किसी को नहीं है । इसलिए समय के बिना निकल गया । वह उत्तर को समझकर सन्तुष्ट हुई । मुनि के द्वारा वह भी पूछी गई — तुम्हें उत्पन्न हुए कितने वर्ष हुए ? मुनि के प्रश्न के आशय को जानकर बीस वर्ष हो जाने पर भी उसके द्वारा बारह वर्ष कहे गए । फिर, तुम्हारे स्वामी ( का जन्म हुए) कितने वर्ष हुए ? इस प्रकार (यह ) पूछा गया । उसके द्वारा प्रिय का ( जन्म हुए ) पच्चीस वर्ष हो जाने पर भी पाँच वर्ष कहा गया । इस प्रकार सासू का छः माह कहा गया, ससुर के लिए पूछने पर 'वह अभी उत्पन्न नहीं हुआ है' इस प्रकार शब्द कहे गए । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 [ 197 Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं वहू-साहूणं वट्टा अंत ट्ठिएण ससुरेण सुप्रा । लद्धभिक्खे साहुंमि गए सो अईव कोहाउलो संजाओ, जो पुत्तवहु म उद्दिस्स 'न जाउ' त्ति कहेइ । रुटो सो पुत्तस्स कहणत्थ हट्ट गच्छइ । गच्छन्तं ससुरं सा वएइ–'मोत्तूणं हे ससुर ! तुं गच्छसु ।' ससुरो कहेइ - 'जइ हं न जानो म्हि, तया कहं भोयण चव्वेमि-भक्खेमि' इन कहिऊण हट्टे गयो । पुत्तस्स सब्बं वुत्तंतं कहेइ -'तव पत्ती दुरायारा असम्भव यणा अस्थि, अग्रो तं गिहारो निक्कासय ।' सो पिउणा सह गेहे आगो। वहुं पुच्छइ-कि माउपिउणो अवमाणं कयं ? साहुणा सह वट्टाए किं असच्चमुत्तरं दिण्णं ?' तीए उत्तं- 'तुम्हे मुरिण पुच्छह, सो सव्वं कहिहिइ ।' ससुरो उवस्सए गंतूण सावमाणं मुणि पुच्छइ-~'हे मुणे, अज्ज मम गेहे भिक्खत्थं तुम्हे किं प्रागया ?' मुणी कहेइ-'तुम्हाण घरं ण जाणामि, तुमं कुत्थ वससि ?' सेट्री वियारेइ 'मुणी असच्चं कहेइ।' पुणरवि पुढें-'कत्थ वि गेहे बालाए सह वट्टा कया कि ?' मुणी कहेइ-'सा बाला अईव कुसला, तीए मम वि परिक्खा कया ।' तीए हं वुत्तो-'समयं विणा कहं निग्गयो सि ?' मए उत्तरं दिण्णं- "समयस्स . 'मरणसमय' नाणं नत्थि, तेण पुववयम्मि निग्गयो म्हि ।" मए वि परिक्खत्थं सव्वेसि ससुर ईणं वासाइं पुट्ठाई । तीए सम्म कहियाई । सेट्ठी पुच्छइ – 'ससुरो न जाप्रो इअ तीए कि कहियं ?' मुणिणा उत्तं- 'सा चिय पुच्छिज्जउ, जो विउसीए तीए जहत्थो भावो नज्जइ । ससुरो गेहं गच्चा पुत्तवहुं पुच्छइ--'तीए मुणिस्स पुरो किमेवं वुत्तं-मे ससुरो जानो वि न ।' तीए उत्त-"हे ससुर, धम्महीण मणुसस्स माणवभवो पत्तो वि अपत्तो एव, जो सद्धम्म किच्चेहि सहलो भवो न को सो मणुसभवो निप्फलो चिय । तो तुम्हं जीवणं पि धम्महीणं सब्बं गयं तेण मए कहिअं मम ससुरस्स उप्पत्ती एव न ।” एवं सच्चस्थाणे तुट्ठो धम्माभिमुहो जायो । पुणरवि पुढें—'तुमए सासूए छम्मासा कहं कहिया ?' तीए उत्त - 'सासुं पुच्छह' ।' से ट्ठिणा सा पुट्ठा । 198 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ ___ 2010_03 Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इस प्रकार बहू और साधु की वार्ता भीतर बैठे हुए ससुर के द्वारा सुनी गई । भिक्षा को प्राप्त साधु के चले जाने पर वह अत्यन्त क्रोध से व्याकुल हया, क्योंकि पुत्रवधु मुझको लक्ष्य करके कहती है कि (मैं) उत्पन्न नहीं हुआ। वह रूठ गया, (और) पुत्र को कहने के लिए दुकान पर गया । जाते हुए ससुर को वह कहती है - हे ससुर ! आप भोजन करके जाएं। ससुर कहता है यदि मैं उत्पन्न नहीं हुआ हूँ, तो भोजन कैसे चबाऊंगा-खाऊँगा । इस (बात) को कहकर दुकान पर गया । पुत्र को सब वार्ता कहता है-तेरी पत्नी दुराचारिणी है और अशिष्ट बोलनेवाली है, इसलिए (तुम) उसको घर से निकालो। वह पिता के साथ घर में आया। (वह) बहू को पूछता है (तुम्हारे द्वारा) माता-पिता का अपमान क्यों किया गया ? साध के साथ वार्ता में असत्य उत्तर क्यों दिए गए ? उसके द्वारा कहा गया ... तुम्ही मुनि को पूछो, वह सब कह देंगे । ससुर ने उपासरे में जाकर अपमानसहित मुनि को पूछा-हे मुनि ! आज मेरे घर में भिक्षा के लिए तुम क्यों पाए ? मुनि ने कहा-तुम्हारे घर को नहीं जानता हूँ, तुम कहां रहते हो? सेठ विचारता है कि मुनि प्रसत्य कहता है । फिर पूछा गया-क्या किसी भी घर में बाला के साथ वार्ता की गई ? मुनि ने कहा- वह बाला प्रत्यन्त कुशल है । उसके द्वारा मेरी भी परीक्षा की गई। उसके द्वारा मैं कहा गया-समय के बिना तुम कैसे निकले हो ? मेरे द्वारा उत्तर दिया गया--समय का-मरण समय का ज्ञान नहीं है, इसलिए आयु के पूर्व में ही निकल गया हूँ। मेरे द्वारा भी परीक्षा के लिए ससुर आदि सभी के वर्ष (प्रायु) पूछे गए (तो) उसके द्वारा (बाला के द्वारा) उचित प्रकार से उत्तर कहे गए । सेठ ने पूछा-ससुर उत्पन्न नहीं हुआ, यह उसके द्वारा क्यों कहा गया ? मुनि के द्वारा कहा गया-वह ही पूछी जाए, क्योंकि उस विदुषी के द्वारा यथार्थ भाव जाने जाते (जाने गये) हैं । ___ ससुर घर जाकर पुत्रवधू से पूछता है-तुम्हारे द्वारा मुनि के समक्ष इस प्रकार से क्यों कहा गया (कि) मेरा ससुर उत्पन्न ही नहीं (हया) है। उसके द्वारा कहा गया-हे ससुर ! धर्महीन मनुष्य का मनुष्यभव प्राप्त किया हुआ भी प्राप्त नहीं किया हना (अप्राप्त) ही है, क्योंकि सत् धर्म की क्रिया के द्वारा (मनुष्य) भव सफल नहीं किया गया (है। (तो) वह मनुष्य जन्म निरर्थक ही है । उस कारण से तुम्हारा सारा जीवन धर्महीन ही गया, इसलिए मेरे द्वारा कहा गया- मेरे ससुर की उत्पति ही नहीं है । इस प्रकार सत्य बात पर (वह) सन्तुष्ट हुमा और धर्माभिमुख हुमा । फिर प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 199 2010_03 Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ताए वि कहिलं- "पुत्तवहूणं वयणं सच्चं, जो मम सव्वण्णुधम्मपत्तीए छम्मासा एव जाया, जो इनो छम्मासानो पुव्वं कत्थ वि मरणपसंगे अह गया । तत्थ थीणं विविहगुणदोसवट्टा जाया।" एगाए वुड्ढाए उत्तं - "नारीण मज्झे इमीए पुत्तवहू सेट्ठा । जोव्वणवए वि सासूभत्तिपरा धम्म कज्जम्मि स एव अपमत्ता, गिहकज्जेसु वि कुसला नन्ना एरिसा । इमीए सासू निब्भगा, एरिसीए भत्तिवच्छलाए पुत्तवहूए वि धम्म कज्जे पेरिज्जमाणावि धम्म न कुणेइ इमं सोऊरण बहुगुणरंजिया तीए मुहायो धम्मो पत्तो। धम्मपत्तीए छम्मासा जाया, तो पुत्तवहूए छम्मासा कहिा , तं जुत्तं ।” पुत्तो वि पुट्ठो, तेण वि उत्तं - "रत्तीए समयधम्मोवएसपराए भज्जाए संसारासारदसणेण भोगविलासाणं च परिणामदुहदाइत्तणेण वासाणईपूरतुल्ल जुव्वणत्तण य देहस्स खणभंगुरत्तणेण जयम्मि धम्मो एव सारु त्ति उदिट्ठो हं सव्वण्णुधम्माराहगो जाओ, अज्ज पंचवासा जाया । तो वहूए मं उद्दिस्स पंचवासा कहिया, तं सच्चं ।" एवं कुडुंबस्स धम्मपत्तीए वट्टाए विउसीए य पुत्तवहूए जहत्थवयणं सोऊण लच्छीदासो वि पडिबुद्धो वुड्ढत्तणे वि धम्म पाराहि सग्गई पत्तो सपरिवारो। 2001 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूछा गया - तुम्हारे द्वारा सासू की (उम्र) छः मास कैसे कही गई ? उसके द्वारा उत्तर दिया गया - सासू को पूछो । सेठ के द्वारा वह पूछी गई । उसके द्वारा भी कहा गया-पुत्र की बहू के वचन सत्य हैं, क्योंकि मेरी सर्वज्ञ-धर्म की प्राप्ति में छः माह ही हुए हैं, क्योंकि इस लोक में छः मास पूर्व मैं किसी (की) मृत्यु प्रसंग में गई। वहां उस स्त्री (बहू) के विविध गुण-दोषों की वार्ता हुई । (वहां) एक वृद्धा के द्वारा कहा गया - स्त्रियों के मध्य में इसकी पुत्रवधु श्रेष्ठ है । यौवन की अवस्था में भी वह सासू की भक्ति में लीन (तथा) धर्म कार्यों में भी अप्रमादी है, गृहकार्यों में भी कुशल ( उसके ) समान दूसरी नहीं है । इसकी सासू ग्रभागी है ऐसी भक्ति प्रेमी पुत्रवधु द्वारा धर्म कार्य में प्रेरित किए जाते हुए भी धर्म नहीं करती है । इसको सुनकर बहू के गुणों से प्रसन्न हुई ( मेरे द्वारा ) उसके मुख से धर्म प्राप्त किया गया । धर्मं - लाभ में छः मास हुए । इसलिए पुत्रवधु के द्वारा छः मास कहे गये, वह युक्त है । पुत्र भी पूछा गया, उसके द्वारा भी कहा गया - रात्रि में सिद्धान्त और धर्म के उपदेश में लीन पत्नी के द्वारा संसार में प्रसार के दर्शन से और भोगविलास के परिणाम के दुःखदाई होने से, वर्षा नदी के जल-प्रवाह के समान यौवनावस्था के कारण और देह की क्षणभंगुरता से, जगत मे धर्म ही सार (है), इस प्रकार बताया गया । मैं सर्वज्ञ के धर्म का श्राराधक बना, आज पांच वर्ष पूरे हुए। इसीलिए बहू के द्वारा मुझको लक्ष्य करके पांच वर्ष कहे गए, वह सत्य है । इस प्रकार कुटुम्ब के लिए धर्म - लाभ की वार्ता से विदुषी पुत्रवधु के यथार्थ वचन को सुनकर लक्ष्मीदास भी ज्ञानी (हुप्रा) और बुढापे में (उसके द्वारा ) भी धर्म पाला गया । उसने सपरिवार सन्मार्ग प्राप्त किया । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 [ 201 Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपभ्रंश अनुवाद विउसीहे पुत्त-बहूहे कहारणगु! कहिं णयरि लच्छीदासु सेट्टि वरीबट्टइ । सो बहुधण-संपत्तिए गविठ्ठ आसि । मोगविलासहिं एव लग्गु कयावि धम्मु ण कुणेइ । तासु पुत्तु वि एयारिसु अस्थि । जोव्व रिण पिउए धम्मिग्रहो धम्मदास हो जहत्थनामाए सीलवईए कन्नाए सह पुत्तसु पाणिग्गहणु कराविउ । सा कन्ना जइयहुं अट्ठवासा जाया, तइयतुं ताए पिउ पेरणाए साहुणी सगासह सव्वण्ण धम्म सवणें सम्मत्तु अणुव्व यई य गहीयइं, सव्वण्ण धम्मि अईव निउणा संजाया। ___जइयहं सा ससुर गेहि आगया त इयहं ससुराइ धम्महु विमुहु देवखेवि ताए बहुदुहु संजाउ । कहं मझु नियवय निव्वाहु होसइ ? कहं वा देवगुरुह विमुहहं ससुराइ धम्मोवएसु मवेसइ, एवं सा वियारेइ । एगया संसारु असारु, लच्छी वि प्रसारा, देहु वि विणस्सरु, एक्कु घम्मु च्चिय परलोअपवनहं जीवहं आहारु सि उवएसदाणे नियमत्ता सव्वण्ण धमें वासिउ कउ । एवं सासू वि कालंतरे बोहेइ । ससुर पडिबोहेवं सा समयु मग्गेइ । एगया ताहे घरि समणगुणगणालंकि उ महव्व इ नाणी जोवणत्यु एक्कु साहु भिक्खसु समागउ । जोव्वणि वि गहीयवय संत दंत साहु घरे प्रागय देवखे प्पिणु पाहारे विज्जमाणे वि ताए वियारिय - जोवणे महत्वय महादुल्लहु, कहं एतें एतहिं जोवणत्तणे गहीय ? इति परिक्खेवं समस्साहे उत्तर पुढें- प्रणा समउ न संजाउ किं पुवं निग्गया ? ताहे हियये गउ भाउ णाइ साहुए उत्तु- 'समयनाणु', कया मच्चु होसइ स्ति नस्थि नाणु, तेण समय विणा निग्गउ । सा उत्तरु णाएवि तुट्ठा। मुणिएं वि सा पुट्ठा - कइ वरिसा तुहं संजाया ? मुणि पुच्छाभावु णाइ वीसवासे हिं जाहि वि ताए बारसवासु त्ति उत्तु । पुणु 'तुज्झ-सामि कइ वासा जात्रा' ति पुठ्ठ ताहे पियहो पणवीसवासहिं जाअहिं वि पंचवासा उत्ता, एवं सासूहे 'छमासा' कहिया। मुरिणएं ससुन्हो पुच्छिउ, सो 'अहुणा न उप्पण्णु अत्थि' ति सद्दा भणिया। 1. 'पाइयगज्जसंगहो' में प्रकाशित 'वि उसीए पुत्तवहूए कहाणगं' का डॉ. कमलचन्द सोगाणीकृत अपभ्रंश रूपान्तरण । 202 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं वहू साहु वट्टा अंत ट्ठिएं ससुर सुना। लद्धभिवखे साहुहि गए सो अईव काहाउलु संजाउ, जो पुन्तवहू मई उद्दिस्सेवि 'न जाउ' ति कहेइ । रुठ्ठ सो पुत्तसु कहेवि हट्ट गच्छइ । गच्छन्तु ससुरु सा वयइ-मुजेवि हे ससुरु ! तुहुं गच्छहि । ससुर कहेइ-जइ हउं न जाउ अत्थि, तो कहं भोयणु चव्वेमि-भक्खेमि, इअ कहेप्पिणु हट्टि गउ । पुत्तसु सन्वु वुत्तंतु कहे इ - तउ पत्ती दुरायारा असम्भवयणा अस्थि, अमओ तं गिहाहु निक्कास। सो पिउं सह गेहि पागउ । (सो) बहू पुच्छइ-कि माउ पिउ अवमाणु कउ ? साहुं सह वट्टाहिं कि प्रसच्चु उत्तरु दिण्णु ? ताए उत्तु - तुम्हे मुणि पुच्छह, सो सव्वु कहिहिइ । ससुरु उवस्सइ जाएवि सावमाणु मुणि पुच्छइ-हे मुरिण, अज्जु महु गेहि भिक्खसु तुम्हे कि आगया ? मुणि कहे इ-तुम्हहं घरु ण जाणामि, तुहं कुत्थ वसहि ? सेट्ठि वियारेइ-मुणि असच्चु कहे इ । पुणु पुठ्ठ-कत्थ वि गेहि बालाए सह वट्टा कया कि ? मुरिण कहेइ-'सा बाला अईव कुसला, ताए महु वि परिक्खा कया ।' तया हउं वुत्तु-समया विरणा कहं निग्गउ सि ? मई उत्तर दिण्णु - "समयहो-मरणसम यहो नाणु नत्थि, तेण पुव्ववये निग्गउ म्हि ।” मई वि परिक्खेवि सव्वाहु ससुराइ वासाई पुट्ठाई। ताए सम्म कहियाई । सेट्ठि पुच्छइ-ससुरु न जाउ इन ताए किं कहिय ? मुणि उत्तु-सा चिन पुच्छिज्जउ, जो 'विउसीए ताए जहत्थु भावु णाइज्जइ ।' ___ससुरु गेहु जाइ पुत्तवहु पुच्छइ – 'तई मुणि पुरो कि एव वुत्त-महु ससुरु जाउ वि न ।' ताए उत्त-'हे ससुर, धम्महीण मणुसहो माणव भवु पत्तु वि अपत्तु एव, जो सद्धम्म किच्चहिं सहलु भवु न कउ सो मणुसभव निष्फल चिय । तमो तउ जीवषु पि धम्महीणु सव्वु गउ । तेण मई कहिय-महु ससुरहो उप्पत्ति एव न ।' एवं सच्चि ठाणि तु? धम्माभिमुहु जाउ । पुणु पुठ्ठ पइं सासू छम्मासा कहं कहिया ? ताए उत्त - सासू पुच्छह । सेट्टिएं सा पुट्ठा । ताए वि कहिन पुत्तवहू वयणु सच्चु, जो महु सव्वण्ड धम्मपत्तीहि छमासा एव जाया, जो छमासाहु पुव्वं कत्थ वि मरणपसंगे हउं गया । तत्थ थीहु विविहगुणदोसवट्टा जाया । एगाए वुड्ढाए उत्त नारीहु मज्झे इमाहे पुत्तवहू सेट्ठा । जोव्वणवए वि सासूभत्तिपरा धम्मकज्जे सा एव अपमत्ता, गिहकज्जहिं वि कुसला नन्ना एरिसा । इमाहे सासू निब्भगा, एरिसीए भत्तिवच्छलाए पुत्तवहूए वि धम्मकज्जि पेरिज्माणावि प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 203 2010_03 Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धम्मन कुरणे, इमु सुणेवि बहुगुणरंजिया ताहे मुहे धम्मो पत्तो । धम्मपत्तीह छमासा जाया, तम्रो पुत्तवहूए छम्मासा कहिश्रा, तं जुत्तु । पुत्तु विपुट्टू, तेण वि उत्तु - रत्तिर्हि समय धम्मोवएसपराए भज्जाए संसारासारदंसणें भोगविलासहं च परिणामदुहदाइत्तणे, वासाणईपूरतुल जुव्वणतणे य देहसु खणभंगुरतणे जयि धम्म एव सारु ति उवदिट्टु । हरं सव्वष्णु-धम्मारागहो जाउ, अज्जु पंचवासा जाया । तो बहुए मई उद्दिस्सेवि पंचवासा कहिया त सच्चु । एव कुटुंबसु धम्मपत्ति वट्टाए विउसी य पुत्तबहूहे जहत्थवयणु सुणेप्पिणु लच्छोदासु वि पडिबुद्ध वुड्ढत्तणि विधम्मु राहिउ सग्गइ पत्तु सपरिवारु । 204 ] 2010_03 प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंगलियपुरिसस्स कहा एगंमि नयरे एगो मंगलियो मुद्धो पुरिसो प्रासि । सो एरिसो प्रत्थि, जो को विमार्यमि तस्स मुहं पासेइ, सो भोयणं पि न लहेज्जा । पउरा वि पच्चूसे कया वि तस्स मुहं न पिक्खति । नरवइणा वि अमंगलियपुरिसस्स वट्टा सुणिया । परिक्खत्थं नरिदेण एगया पभायकाले सो आहू, तस्स मुहं दिट्ठे । जया राया भोयणत्थमुवविसइ, कवलं च मुहे पक्खिवइ, तया श्रहिलंमि नयरे प्रकम्हा परचक्कभएण हलबोलो जानो । तया नरवइ वि मोयणं चिच्चा सहसा उत्थाय ससेण्णो नयराम्रो बाहि निग्गयो । अभ्यास 45 भयकारणमट्ठूण पुणो पच्छा आगो । समाणो नरिदो चितेइ - ' प्रस्स भ्रमंगलियस सरूवं मय पच्चक्खं दिट्ठ तम्रो एसो हंतब्वो' एवं चितिऊण अमंगलियं बोल्लाविऊण वहत्थं चंडालस्स अप्पे । जया एसो रुयंतो, सकम्मं निदतो चंडालेण सह गच्छंतो प्रत्थि तथा एगो कारुणि बुद्धिनिहाणो वहाडं नेइज्जतमाणं तं दणं कारणं गच्चा तस्स रक्खणाय कण्णे किपि कहिऊण उवाय दंसेइ । हरिसंतो जया वहत्थंभ ठविप्रो, तया चंडालो तं पुच्छइ - 'जीवणं विणा तव कावि इच्छा सिया, तया मग्गियव्वं ।' सो कहेइ - ' मज्झ नरिदमुहदंसणेच्छा अस्थि' तया सो नरिदसमीवमाणी | नरिंदो तं पुच्छर - 'किमेत्थ आगमणपश्रयणं ?' सो कहेइ - "हे नरिद, पच्चूसे मम मुहस्स दंसणेण भोयणं न लब्भइ, परंतु तुम्हाणं मुहपेक्खणेण मम वहो भविस्सइ, तथा पउरा किं कहिस्संति ? मम मुहाम्रो सिरिमंताणं मुहदंसणं केरिसफलयं संजायं, नायरा वि पभाए तुम्हाणं मुहं कहं पासिहिरे ।" एवं तस्स वयरणजुत्तीए संतुट्ठो नरिदो वहाएसं निसेहिऊरणं पारितोसि च दच्चा तं अमंगलियं संतोसी । प्राकृत अभ्यास सौरभ 1 2010_03 [ 205 Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अमांगलिक पुरुष की कथा ___ एक नगर में एक अमांगलिक मूर्ख पुरुष था। वह ऐसा था जो कोई भी प्रभात में उसके मुंह को देखता वह भोजन भी नहीं पाता (उसे भोजन भी नहीं मिलता)। नगर के निवासी भी प्रातःकाल में कभी भी उसके मुंह को नहीं देखते थे । राजा के द्वारा भी अमांगलिक पुरुष की बात सुनी गई । परीक्षा के लिए राजा के द्वारा एक बार प्रभातकाल में वह बुलाया गया, उसका मुख देखा गया। ज्योहिं राजा भोजन के लिए बैठा और मुंह में (रोटी का) ग्रास रखा त्योंहिं समस्त नगर में अकस्मात् शत्रु के द्वारा आक्रमण के भय से शोरगुल हुआ। तब राजा भो भोजन को छोड़कर (प्रौर) शीघ्र उठकर सेना-सहित नगर से बाहर गया । और भय के कारण को न देखकर बाद में आया। अहंकारी राजा ने सोचाइस अमांगलिक के स्वरूप को मेरे द्वारा प्रत्यक्ष देखा गया, इसलिए यह मारा जाना चाहिए । इस प्रकार विचारकर अमांगलिक को बुलवाकर वध के लिए चांडाल को सौंप दिया । जब यह रोता हुमा स्व-कर्म की (को) निन्दा करता हुना चाण्डाल के साथ जा रहा था, तब एक दयावान, बुद्धिमान ने वध के लिए ले जाए जाते हुए उसको देखकर, कारण को जानकर उसकी रक्षा के लिए कान में कुछ कहकर उपाय दिखलाया। (इसके फलस्वरूप वह) प्रसन्न होते हुए (चला)। जब (वह) वध के खम्भे पर खड़ा किया गया तब चाण्डाल ने उसको पूछा -- जीवन के अलावा तुम्हारी कोई भी, (वस्तु की) इच्छा हो, तो (तुम्हारे द्वारा) (वह वस्तु) मांगी जानी चाहिए । उसने कहा- मेरी इच्छा राजा के मुख-दर्शन की है। तब वह राजा के सामने लाया गया। राजा ने उसको पूछा -- यहां पाने का प्रयोजन क्या है ? उसने कहा हे राजा ! प्रात: काल में मेरे मुव के दर्शन से (तुम्हारे द्वारा) भोजन ग्रहण नहीं किया गया, परन्तु तुम्हारा मुख देखने से मेरा वध होगा तब नगर के निवासी क्या कहेंगे ? मेरे मुंह (दर्शन) की तुलना में श्रीमान् का मुख-दर्शन कंसा फल उत्पन्न करता है ? नागरिक भी प्रभात में तुम्हारे मुख को कैसे देखेगे ? इस प्रकार उसकी वचन की युक्ति से राजा सन्तुष्ट हुना । (वह) वध के आदेश को रद्द करके और उसको पारितोषिक देकर प्रसन्न हुआ। (इससे) वह अमांगलिक भी सन्तुष्ट हुआ। 206 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपभ्रंश अनुवाद अमंगलिय पुरिसहो कहा एक्कहिं णयरि एक्कु अमंगलिउ मुद्धु पुरिसु आसि । सो एरिसु अत्थि जो को वि पभाये तहो मुह पासे इ, सो भोयणु पि न लहेइ । पउरा वि पच्चूसे कयावि तहो मुहु न पिक्खहिं । नरवइएं वि अमंगलिय पुरिसहो वट्टा सुणिमा । परिक्खेवं नरिंदें एगया पभायकाले सो पाहूठ, तासु मुहु दिठ्ठ । जइयतुं राउ मोयणा उवविसइ, कवलु च मुहि पक्खि व इ, तइयहुं अहिलि नयरे अकम्हा परचक्क भयें हलबोलु जाउ । तावेहिं नरवइ वि भोयणु चयेवि सहसा उठेविणु ससेण्णु नयरहे वाहिं निग्गउ । भय कारणु अदठूण पुणु पच्छा प्रागउ । समाणु नरिंदु चितेइ-इमहो अमंगलियहो सरूवु मई पच्चक्खु दिठ्ठ, तो एहो हंतव्वो। एवं चितेप्पि अमंगलिय कोक्काविएप्पिणु वहेवं चंडालसु अप्पेइ । जइयहुं एहो रुवंतु, सकम्मु निदंतु चंडालें सह गच्छंतु अस्थि तइयहुँ एक्कु कारुणिउ बुद्धिणिहाणु वहाहे नेइज्जमाणु तं दळूणं कारणु णाइ तासु रक्खणसु कण्णि किंपि कहेप्पिणु उवाय दंसेइ । हरिसंतु जावेहिं वहस्सु थभि ठविउ तावेहिं चंडालु तं पुच्छइ - ‘जीवणु विणा तउ कावि इच्छा होइ, तया मग्गियत्रा ।' सो कहे इ .-- महु नरिंद मुह दसण इच्छा अस्थि । तया सो नरिंद समीवं आणिउ । नरिंदु तं पुच्छइ-एत्थु प्रागमण किं पोयणु ? ___ सो कहेइ-हे नरिंदु ! पच्चूसे महु मुहस्सु दंसणे भोयणु न लहिज्जइ । परन्तु तुम्हहं मुह पेक्खणे मझु बहु भवेसइ, तइयहुं पउर कि कहेसंति/कहे सहिं । महु मुहहे सिरिमंतहं मुह दंसणु केरिसु फलउ जाउ ? नायरा वि पभाए तुम्हहं मुह कहं पासिहिरे? एवं तासु वयण जुत्तिए संतुठ्ठ नरिंदु । सो वहाएसु निसेहेवि पारितोसिउ च दायवि हरिसिउ सो अमंगलिउ वि संतुस्सिउ । 1. 'पाइयगज्जसंगहो' (प्राच्य भारती प्रकाशन, पारा) में प्रकाशित प्राकृत कथा 'अमंगलिय पुरिसस्सकथा' का डॉ. कमलचन्द सोगाणीकृत अपभ्रंश रूपान्तरण । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 207 2010_03 Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गेहे सूरो एमि गाये एगो सुवणयारो वसइ । तस्स रायपहस्स मज्झमाए हट्टिगा विज्जइ । सया मज्भरत्तीए सो सुवण्णभरियं मंजूसं गहिऊरगं नियघरंमि आगच्छइ । एगया तस्स भज्जाए चितिअं - " एसो मम भत्ता सव्वया मंजूसं गद्दिऊणं मज्झरत्तीए गेहे आगच्छ, तं न वरं, जनो कयावि मग्गे चोरा मिलेज्जा तया कि होज्जा ?" तो तीए नियमत्तारो वुत्तो - "हे पिन ! मज्झरतीए तुज्झ गिहे आगमणं न सोहणं ति, मज्झमाए कयावि को वि मिलेज्जा तया कि होज्जा ?" सो कहेइ - "तुं मम बलं न जाणासि, तेरण एवं बोल्लेसि । मम पुरो नरसयं पि आगच्छेज्ज, ते कि कुणेज्जा ? ममग ते किमवि काउं न समत्था । तुमए भयं न कायव्वं ।" एवं सुणिऊण तीए चिति – 'गेहेसूरो मम पित्रो अस्थि, समए तस्स परिवखं काहिमि ।' अभ्यास - 46 एगया सा नियरसमीववासिणीए खत्तियाणीए घरे गंतूण कहेइ - "हे पियमज्झ अप्पेहि मम किं पि पोरण प्रत्थि ।" प्रसिस हिश्र - सिरवेढण- कडिपट्टाइ - सुहडवेसं सव्वं सहि ! तुं तव भत्तणो सव्वं वत्थभूसं ती खत्तियाणीए अप्पणी पित्रस्स समपि । सा गहिऊण गेहे गया । जया रत्तीए एगो जामो गो, तया सा तं सच्वं सुहडवेसं परिहाय, असि गहिऊण निम्संचारे रायपहंमि निग्गया । पिग्रस्स हट्टायो नाइदूरे रुक्खस्स पच्छा पण प्रवर ठिप्रा । कियंतकाले सो सोण्णारो हट्ट संवरिय, मंजूसं च हत्थे गहिऊण सो भयमंतो इम्रो तम्रो पासंतो सिग्धं गच्छंतो जाव तस्स रुक्खस्स समीवं 208 गो, तया पुरिसवेसधारिणी सा सहसा नीसरिऊण मउरणेण तं निब्भच्छेइ - 'हुं, हुं, सव्वं मुंचेहि, अन्नहा मारइस्सं ।' सो कम्हा रुधिश्रो भएण थरथरंतो 'मं न मारेसु, मंन मारेसु' इ कहिऊण मंजूसा श्रपि । तो सा सव्वपरिहिश्रवत्थग्गहणाय करवालग्गं तस्स वच्छंमि ठविऊरण सन्नाए वसणाई पि कड्ढावेइ । तया सो परिहिश्र - कडपट्टयमेत्तो जाओ । तो सा कडिपट्टयं पि मरणभयं दंसिऊण कड्ढावेइ । सो प्रणा जाओ इव नग्गो जाओ । सा सव्वं गहिऊण घरंमि गया, घरदारं पिहिऊरण अंतो थिना । ] 2010_03 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घर में शूर एक गांव में एक स्वर्णकार रहता था । राजपथ के मध्य भाग में उसकी दुकान थी। वह सदा मध्यरात्रि में सोने से भरी हुई पेटी को लेकर निजघर में आता था । एक बार उसकी पत्नी के द्वारा सोचा गया-यह मेरा पति पेटी को लेकर सदैव मध्यरात्रि में घर में आता है, वह ठीक नहीं है। क्योंकि कभी मार्ग में चोर मिलेंगे तो क्या होगा? तब उसके द्वारा अपना पति कहा गया - "हे प्रिय ! मध्य रात्रि में तुम्हारा इस प्रकार घर में आगमन शोभता नहीं है, मध्यभाग में कभी भी कोई मिलेगा तो क्या होगा ?" उसने कहा-"तुम मेरे बल को नहीं जानती हो, इसलिए (ही) तुम बोलती हो। मेरे सामने सैंकड़ों मनुष्य भी आयेंगे, वे क्या करेंगे ? मेरे सामने वे कुछ भी करने के लिए समर्थ नहीं हैं । तुम्हारे द्वारा भय नहीं किया जाना चाहिए।" इस प्रकार सुनकर उसके द्वारा विचारा गया- मेरा पति घर में शूर है, (मैं) समय पर उसकी परीक्षा करूंगी। ___ एक बार वह अपने घर के समीप रहनेवाली क्षत्रियाणी के घर में जाकर कहती है- "हे प्रिय सखी ! तुम तुम्हारे पति के सभी वस्त्र प्राभूषण मेरे लिए दे दो, मेरा कोई प्रयोजन है।" उस क्षत्रियाणी के द्वारा अपने प्रिय की तलवारसहित सिर ढकनेवाला तथा कटिपट्ट आदि योद्धा की वेशभूषा (ग्रादि) सब ही दे दी गई । वह (उन्हें) लेकर घर में गई । __जब रात्रि में एक प्रहर बीता तब वह उस सभी योद्धावेश को पहिनकर तलवार को लेकर संचाररहित राजमार्ग पर निकल गई। पति की दुकान से नजदीक पेड़ के पीछे अपने को छिपाकर खड़ी रही। कुछ समय में वह सुनार दुकान को बन्द करके, पेटी को हाथ से लेकर भय से घबराया हुया इधर-उधर देखता हुआ, शीघ्र जाता हुआ जब उस पेड़ के समीप पाया तब पुरुष का वेश धारण करनेवाली वह अचानक निकलकर मौन से उसका तिरस्कार करती है (ौर संकेत से कहती है)-हु-हं, सब छोड़ो अन्यथा मार दूंगा। वह अचानक रोक लिया गया, भय से थर-थर कांपता हुआ'मुझको मत मारो, मुझको मत मारो,' इस प्रकार कहकर पेटी दे दी। तब उसने सभी पहिने हुए वस्त्रों को लेने के लिए तलवार की नोक उसकी छाती पर रखकर पहने हुए वस्त्र भी उतरवा लिये। तब वह कटिपट्टमात्र ही पहने हुए रहा। तब उस कटिपट्ट को भी मरणभय को दिखाकर उतरवा लिया। अब वह बच्चे के समान नग्न हया । वह सब लेकर घर गई, घर के द्वार को ढककर (बन्दकर) अन्दर बैठ गई। प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 209 2010_03 Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सो सुवण्णयारो भएण कंपमाणो इप्रो तमो अवलोएंतो मग्गे प्रावणवीहीए गच्छंतो कमेण जया सागवावारिणो हट्टसमीवमागो, तया के रण जणेण पक्कचिन्भड बाहिरं पक्खितं, तं तु तस्स सुवण्णयारस्स पिट्ठभागे लग्गिनं । तेण नायं केणावि अह पहरियो । पिट्ठदेसे हत्येण फासे इ, तत्थ चिन्भडस्स रसं बीआई च फासिऊणं विनारिप--"अहो हं गाढयर पहरिओ म्हि, तेण घाएण सह सोणिग्रं पि निग्गयं, तम्मझे कीडगावि समुप्पन्ना एवं अच्चत भयाउलो तुरियं तुरिअं गच्छतो घरदारे समागमो। पिहिनं घरद्दारं पासिकण नियमज्जाए पाहवणत्थं उच्चसरेण कहेह – 'हे मयणस्स मायरे, दारं उग्घाडेहि, दारं उग्घाडेहि ।' सा अब्भंतरत्थिा सुणती वि असुणंतीव किंचि काल थिया । अइवक्कोसणे सा आगच्च दारं उग्धाडिन एवं पुच्छइ- कि वहुं अक्कोससि ?' सो भयभतो गिहमि पविसिय भज्जं कहेइ- 'दार सिग्धं पिहाहि, तालगं पि देसु ।' तीए सव्वं काऊण पुट्ठ-'किं एवं नग्गो जामो ?' तेण वुत्तं'अभंतरे अववरए चल पच्छा मं पुच्छ ।' गिहस्स अंते प्रववरए गच्चा निच्चितो जानो । तीए पुणो वि पुढें-'किं एवं नग्गो प्रागो ?' तेण कहियं- "चोरेहि लुंठिो , सव्वं अवहरि प्र नग्गो करो।' सा कहेइ-"पुव्वं मए कहियं, हे सामि ! तए एव मज्झरत्तीए मंजूसं गहिऊण न प्रागंतव्वं, तुमए न मन्निग्रं तेण एवं जायं ।” सो कहेइ -"अहं महाबलिट्रो वि किं करेमि ? जइ पंच छ वा चोरा आगया होज्जा, तया ते सव्वे अहं जेउं समत्थो, एए उ सयसो थेणा आगया, तेरणाहं तेहिं सह जुज्झमाणो पराजिमो, सव्वं लुंठिऊण नग्गो को, पिट्ठदेसे य असिणाहं पहरियो । पासेसु पितृदेसं घाएण सह कीडगावि उप्पन्ना।" तीए तस्स पिटुदेसं पासित्ता णायं-चिब्भडस्स रसं बीयाइं च इमाई संति । भत्तुस्सं वि कहियं-'सामि ! भयभंतेण तए एवं जाणियं, केण वि अहं पहरियो एवं तो सोरिणग्रं निग्गयं, तत्थ य कीडगा वि समुप्पन्ना, तं न सच्च । तुं चिन्भडेण पहरिओ सि, तस्स रसं बीयाइ च पिट्ठदेसे लग्गाई" ति । तो 210 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वह सुनार भय से कांपता हुअा, मार्ग में इधर-उधर देखता हया बाजार मार्ग से जाता हुआ सीमा से जब साग के व्यापारी की दुकान के समीप गया (पहुंचा) तब किसी मनुष्य के द्वारा पकी हुई ककड़ी (खीरा) बाहर फेंकी गई और वह उस सुनार की पीठ पर लगी। उसके द्वारा समझा गया (कि) किसी के द्वारा मैं प्रहार किया गया हूँ। (उसने) पीठ पर हाथ से छुआ, वहां (उसके द्वारा) खीरे के रस और बीज को छकर विचार किया गया-अहो, मैं प्रगाढरूप से प्रहार किया गया है, इसलिए घाव के साथ खून भी निकला है, उसमें कीड़े भी उत्पन्न हुए हैं। इस प्रकार मय से अत्यन्त व्याकुल (वह) जल्दी-जल्दी चलता हुआ घर-द्वार पर पहुंचा । बन्द हुए घरद्वार को देखकर अपनी पत्नी को बुलाने के लिए उच्च स्वर से कहा- "हे मदन की माता ! द्वार खोलो, द्वारा खोलो।" वह अन्दर बैठी रही। सुनती हुई भी न सुनती हुई (सी) कुछ काल ठहरी । बहुत गुस्सा करने पर उसने आकर और दरवाजे को खोलकर इस प्रकार पूछा-"बहुत क्यों चिल्लाते हो ?" भय से ग्रस्त वह घर में घुसकर पत्नी से कहता है-"द्वार शीघ्र बन्द करो, ताला भी लगायो।" सब करके उसके द्वारा पूछा गया- "इस प्रकार नग्न क्यों हुए ?" उसके द्वारा कहा गया-"अन्दर कोठरी में चलो, पीछे मुझको पूछो" | घर की अन्तिम कोठरी में जाकर निश्चित हुना। फिर उसके द्वारा पूछा गया- "इस प्रकार नग्न क्यों पाये ?” उसके द्वारा कहा गया- "चोरों द्वारा लूटा गया हूँ, सब छीनकर नग्न किया गया है।" उसने कहा- "मेरे द्वारा पहले (भी) कहा गया है (कि) हे स्वामी ! तुम्हारे द्वारा मध्यरात्रि में पेटी को लेकर नहीं आया जाना चाहिए, तुम्हारे द्वारा (यह) नहीं माना गया, इसलिए इस प्रकार हुआ है।" उसने कहा -.. "मैं महाबलवान (हूँ, तो भी) क्या करूं? यदि पांच या छः चोर पाये होते तो उन सबको मैं जीतने के लिए समर्थ होता किन्तु ये सैकड़ों चोर पाये इसलिए मैं उनके साथ लड़ते हुए हरा दिया गया, सब लूटकर नग्न किया गया और पीठ में तलवार से प्रहार किया गया । पीठ को देखो, घावसहित कीड़े भी उत्पन्न हुए (हो गए)।" उसके द्वारा उसकी पीठ को देखकर जान लिया गया-ये खीरे के बीज और रस हैं । पति के लिए ही कहा गया- "हे स्वामी ! भय से ग्रस्त होने के कारण तुम्हारे द्वारा इस प्रकार जाना गया है। किसी के द्वारा मैं प्रहार किया गया (और) इस प्रकार उससे खून निकला तथा वहां कीड़े भी उत्पन्न हुए वह सत्य नहीं है। तुम खीरे के द्वारा प्रहार किए गए हो, उसका रस और बीज पीठ में लगे हैं।" तब उसके प्राकृत अभ्यास सोरम ] । 211 2010_03 Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तस्स देहपक्खालणाय सा जलं गहिऊण आगया, नियपइस्स देहसुद्धि करेऊण परिहाणवत्थप्पणे ताई चेव वत्थाई अप्पेइ । सो ताई वत्थाई पासिऊणं धिट्टत्तणेण कहे इ– “हुँ, हुं, मए तयच्चिय तुमं नाया, मए चितिअं-मम भज्जा किं करेइ ? तेणाहं भय भंतो इव तत्थ थियो, सव्वावहरणमुवेक्खिग्रं, अन्नहा मए पुरो इत्थीए का सत्ती ?" सा कहेइ"हे भत्तार ! तव बलं मए तया चेव नायं, गेहेसूरो तुमं असि, असो अज्जयणानो तुमए मज्झरत्तीए मंजूसं गहिऊण कयावि न, प्रागंतव्वं" ति भज्जाए वयणं सो अंगीकरेइ । 212 1 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देह-प्रक्षालन के लिए वह जल लेकर आई। अपने पति की देह की सफाई करके, पहनने के लिए अर्पण में (उसने) वे ही वस्त्र दिए । वह उन वस्त्रों को देखकर ढीठता से कहता है -हुं-हुँ मेरे द्वारा उस समय ही तुम जान ली गई थीं। मेरे द्वारा विचार किया गया-मेरी पत्नी क्या करती है ? इसलिए भय से ग्रस्त की तरह वहां रहा और सब अपहरण की उपेक्षा की गई। अन्यथा मेरे सामने स्त्री की क्या शक्ति है ? उसने कहा- "हे स्वामी ! तुम्हारा बल मेरे द्वारा उसी समय ही जान लिया गया (था), तुम गृह- शूर हो । अतः माज से तुम्हारे द्वारा मध्यरात्रि में पेटी को लेकर कभी भी न पाया जाना चाहिए।" इस प्रकार पत्नी के वचन को उसने अंगीकार किया। प्राकृत अभ्यास सौरम । [ 213 2010_03 Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपभ्रंश अनुवाद गेहि सूरु एक्कहिं गामे एक्कु सुवण्णयारु वसइ । तासु रायपहहो मज्झमाए हट्टिगा (हट्टी) विज्जइ । सया मज्झरतिहि सो सुवण्ण मरिउ मंजूसा गहेप्पिणु नियघरि आगच्छइ । एक्कया तासु मज्जाए चितिउ-एहो महु भत्तारु सया मंजूसा गहेप्पिणु मज्झरतिहिं गेहि आगच्छइ, त ण वरु । जावेहिं कयावि मग्गे चोरा मिलेसंति तावेहि कि होसइ ? त इयतुं ताए नियमत्तारु वुत्तु- "हे पिउ ! मज्झरत्तिहि तउ गिहे प्रागमणु णवि सोहणु ति । मज्झमाए कयावि को वि मिलेसइ तइयतुं कि होसइ ?' सो कहेइ-"तुहं मह बलु णहि जाणहि, तेण एव बोल्लसि । महु अग्गए नरसउ पि आगच्छेसहि ते किं करेसहि मज्झ अग्गए ते किं वि करेवं णउ समत्था । तई भउ णउ करिएब्वउं ।" एम सुणिवि ताए चितिउ-गेहि सूरु महु पिउ अस्थि, समए तासु परिक्खा करेसउं । एक्कया सा नियघर समीववामिणीहे खत्तियाणीहे घरि गमेप्पिणु कहेइ"हे पियसहि ! तुहं तुज्झ भत्तारहो सव्वु वत्थभूसु मज्झ अप्पि, महु कि पि पनोयणु अस्थि ।' ताए खत्तियाणी अप्पहो पिपासु असिसहिअ सिरवेढण, कडिपट्टाइ, सुहडवेसु सव्वु समप्पिउ । सा गहेवि गेहि गया। जइय हुं रतिहिं एक्कु जाम गउ तइयतुं सा तं सव्वु सुहडवेसु परिहाइ, असि गहेप्पि निस्संचारे रायपहे निग्गया। पिहो हट्टाहु ना इदूरे स्वखसु पच्छा अप्पाणु पावरेविणु ठिा । किंचि काले सो सोण्णारो हट्ट संवरे वि, मंजूसा च हत्थेण गहेप्पिणु सो भयभंतो एतहे-तेत्तहे पासंतु झत्ति गच्छंतु जावेहिं तासु रुक्खसु समीउ प्रागउ, तावेहिं पुरिसवेसधारिणी सा अत्थकए नीसरवि मउणें तं निब्मच्छेइ - हुं हुं सव्वु मुंचि, अण्णहा मारिहिउं । सो सहसत्ति रु घिउ, भएण थरथर तो 'म इंण मारेसु, मई ण मारेसु' एम कहेप्पि मंजूसा अप्पिया। तो (तो) तइयतुं सा सव्व परिहिप्रवत्वगहणस्सु करवाल-अग्गु तासु वच्छि ठविवि वसणाइ पि कड्ढावेइ । ताम सो परिहियकडिपट्टयमेत्तो जानो। तो (तो) सा कडिपट्टय पि मरण भय दंसावि कड्ढावेइ । सो एवहिं जाम्रो इव नग्गु जाउ । सा सव्व गहिवि घरि गया, घरदारु पिहेवि अंतो थिया । 214 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सो सुवण्णारु भएण कंपमाणु एत्त हे - तेत्त हे अवलोएंतु मग्गि श्रावणवीहीहि गच्छंतु जइहुं सागवावारी हट्टसमीव श्रागउ तइयहुं केण जणेण पक्कचिन्भडु बाहिर पक्खित्तु तं तु तासु सुवण्णयारस्सु पिट्ठभागे लग्गिउ । तेण णाउ केणावि हउं पहरिउ । पिट्ठदेसि हत्थे फासेइ, तेत्थु चिन्भस्सु रसु बीश्राइं च फासेवि विद्यारिउ - अहो ! हउं गाढयरुपहरिउ म्हि । तेण घाएण समउ सोणिउ पि निग्गउ, तासु मज्भे कीडगा वि समुपपन्ना | एम अच्चंत भयाउलो तुरन्ते गच्छंतु घरदारे समागउ | -- पिहिउ घरदारु पासिवि नियमज्जा ग्राहवणहो उच्चसरे कहेइ - "हे मयणस्सु माया ! दारु उग्धाडे, दारु उग्धाडे ।" सा प्रभंतरि थिया सुगंति विप्रसुति व किचि कालु थिया । अइ अक्कोसणे सा आगच्छिवि दारु उग्घाडिउ एम पुच्छइ — "कि - इक्कोससि ? " सो भयभंतु गिहि पविसिउ भज्जा कहेइ – "दारु तुरन्ते पिहाहि तालगुपि देसु ।" ताए सब्बु करिवि पुट्ठ - " कि एव नग्गु जाउ ?" तेण वुस्तु-अभंतरि ववरइ चलि, पच्छा मई पुच्छ ।” गिहसु अंते अववरइ गमेवि निच्चितु जाउ । ताए पुणु विपुट्टू — "कि एम नग्गु ग्रागउ ?" तेण कहिउ - "चोरहिं लुंठिउ, सहवि नग्गु कउ ।" सा कहेइ - "पुव्वि मई कहिउ - हे सामि ! पई एव मज्झ रतिहिं मंजूसा गहेविण श्रागच्छेव्वउं, तई ण मण्णिउ तेण एम जाउ” । सो कहेइ"हउं महाबलिट्ठ वि कि करउं ? जइ पंच-छ वा चोरा श्रागया होज्जा तावेहिता सव्वा हउं जाएवं समत्थु, एइ उ सउ थेणा प्रागया, तेण हउं तहि सहुं जुज्झमाणु पराजिउ, सब्बु लुंठेवि नग्गु किउ, पिट्ठदेसु य असिएं हउं पहरिउ । पासे पिट्ठदेसु, घाण समर कीडगावि उत्पन्ना । ताए तासु पिट्ठदेसु पासि गाउ - चिन्भस्सु रसु बियाई च इमाई संति । भत्ता रहो विकहिउ -- "सामि ! भयभंतेण पई एम जाणिउ - 'केण वि हउं पहरिउ एम तावेहि सोणि निग्गउ, तेत्थु य कीडगा वि समुप्पन्ना' तं गउ सच्च । तुहुं चिब्भडे पहरिउ सि, तासु रसु बीयाई च पिट्ठदेसि लग्गाइ ति ।" तम्रो (तो) तहो देह · प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 [ 215 Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पक्खालणस्सु सा जल गप्पणु प्रागया, नियपर देहसुद्धि करेवि परिहारणवत्थ अप्पणि ताइं चेव वत्थाइं अप्पेइ । सो ताई वत्थाई पासि धिट्ठतणेण कहेइ - हुं, हुं, मई तावेहि च्चिय तुहुं गाया, मई चितिउ - महु भज्जा कि करेइ ? तेरा हउं भयभंतो इव तेथु थिउ, सव्वाहरणु उवेक्खिउ अण्णहा महु श्रग्गए इत्थी का सत्ती ? सा कहे इ.--" हे मत्तार ! तउ बलु मई तामहि चेव गाउ, तुहुं गेहि सूरु प्रत्थि, तेण अज्जयणाहु त मरत्तिहिं मंजूसा गहि कयावि णउ प्रागच्छेन्वउं" ति भज्जा-वयणु सो अंगीकरेइ | 216 1 2010_03 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट 2010_03 Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. .. . . परिशिष्ट अंक-योजना दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी परीक्षार्थी का क्रमांकअपभ्रंश साहित्य अकादमी, अंकों में...... (जनविद्या संस्थान) शब्दों में................. भट्टारकजी की नसियां, सवाई रामसिंह रोड़, पंजीयन संख्या ............... जयपुर-302004 प्रश्नपत्र-प्रथम विषय - अपभ्रंश साहित्य अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर परीक्षा तिथि........................ अपभ्रंश डिप्लोमा परीक्षा, ............ प्रथम- प्रश्नपत्र प्रश्न संख्या प्राप्तांक अपभ्रंश साहित्य का इतिहास एवं हिन्दी का प्रादिकाल अवास्तविक क्रमांक ............... . .. . .. . .... .. .. . ... .... ... . ... .. .. ... . .. .... .. .. .... .... . .. . ... .... .... ...... .. ... . ... .. .. .. .. . .... . ... .... .. .. .. . . .. .. .. .. .... . ... .. . .... . ... .. .... .... .... ... . K ... .. . : ............... अंक योजना - 1. प्रश्न के उत्तर में जहां दो या दो से अधिक 6 ..... गलतियों की सम्भावना हो वहाँ उत्तर के 7 ... मूल्यांकन में एक गलती के लिए है अंक कम 8 कर दिया जायेगा । किन्तु जहाँ एक गलती 9 ................ की ही सम्भावना हो वहाँ उत्तर में गलती 10 .......... होने पर शून्य अंक दिया जायेगा । कुल योग 2. प्रत्येक गलती लाल स्याही के गोले 0 से अंकों में........ दर्शायी जायेगी। . .. .. .. .. ... .... ... . शब्दों में.... .. .. . .. ... . 3. प्राप्तांक के कुल योग में है या आने पर अगला पूर्णाङ्क कर दिया जायेगा। (जैसे 60%=61)। परीक्षक के हस्ताक्षर........ दिनांक.... . . .. .... ... ... ..... .. 218 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रेषो योजना पूर्णाङ्क=150 1. विशिष्ट श्रेणी-80% या अधिक (120 अक) 2. प्रथम श्रेणी सामान्य अंक-60% या अधिक (90 अंक) प्रतिष्ठा अंक-80% या अधिक (120 अंक) (किसी एक प्रश्नपत्र में) 3. द्वितीय श्रेणी-50% या अधिक (75 अंक) 4. पास श्रेणी -36% या अधिक (54 अंक) प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 219 2010_03 Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समय - 3 घण्टे --- मॉडल प्रश्नपत्र अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर 220 ] पत्राचार अपभ्रंश डिप्लोमा परीक्षा, प्रश्नपत्र - प्रथम अपभ्रंश साहित्य का इतिहास एवं हिन्दी का श्रादिकाल नोट - निम्नलिखित में से कोई से 5 प्रश्न करिए । इस प्रश्नपत्र में 10 प्रश्न पूछे जायेंगे । इनमें से कोई से 5 प्रश्न करना अनिवार्य होगा | सभी प्रश्न समान अंकों के होंगे । 2010_03 पूर्णाङ्क - 150 [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर पत्राचार अपभ्रंश डिप्लोमा परीक्षा, .. प्रश्नपत्र - द्वितीय अपभ्रंश काव्य और काव्यांश समय-3 घण्टे पूर्णाङ्क-150 20 1. निम्नलिखित काव्यांशों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए। (प्रत्येक पाठ में से एक काव्यांश पूछा जायेगा)। 2. निम्नलिखित गद्यांशों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए । (प्रत्येक पाठ में से दो गद्यांश पूछे जायेंगे) । 3. निम्नलिखित काव्यांशों का अन्वय कीजिए । (दो काव्यांशों का अन्वय पूछा जायेगा)। 4. निम्नलिखित गद्यांश व पद्यांश का अकादमी-पद्धति से व्याकरणिक विश्लेषण कीजिए। (एक गद्यांश व एक पद्यांश का व्याकरणिक विश्लेषण पूछा जायेगा) । 5. समीक्षात्मक लेख में से कोई एक प्रश्न पूछा जायेगा। निम्नलिखित काव्यांशों में प्रयुक्त छन्दों के मात्रा लगाकर उनके नाम व लक्षण लिखिए। (इसमें पाठ छन्द पूछे जायेंगे)। 7. जिन छन्दों के निम्नलिखित लक्षण हैं, उनके नाम लिखिए । (इसमें पांच छन्द पूछे जायेंगे)। 8. अपभ्रंश के छन्दों का हिन्दी में प्रयोग पर एक प्रश्न पूछा जायेगा। 9. अपभ्रंश की हिन्दी छन्दों को देन पर एक प्रश्न पूछा जायेगा । 20 6. 16 प्राकृत अभ्यास सौरम ] [ 221 2010_03 Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर पत्राचार अपभ्रंश डिप्लोमा परीक्षा, ............ प्रश्नपत्र-तृतीय प्राकृत एवं अपभ्रंश-व्याकरण रचना समय-3 घण्टे पूर्णाक -150 1. निम्नलिखित वाक्यों का प्राकृत एवं अपभ्रंश में अनुवाद कीजिए। प्राकृत अनुवाद की संरचना भी लिखिए। (संज्ञा-सर्वनाम शब्दों, क्रियाओं तथा कृदन्तों के केवल एक विकल्प का प्रयोग कीजिए। अनुवाद-20 अंक संरचना--10 अंक (10 वाक्य पूछे जायेंगे) 30 2. क. निम्नलिखित प्राकृत के पद्यों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए। 16 (प्रत्येक चयनिका में से दो पद्य पूछे जायेंगे) ख. निम्नलिखित प्राकृत के पद्यों का अकादमी पद्धति से व्याकरणिक विश्लेषण कीजिए। (प्रत्येक चयनिका में से पद्य की एक पंक्ति का व्याकरणिक विश्लेषण पूछा जायेगा) 3. निम्नलिखित अपभ्रंश के पद्य का हिन्दी में अनुवाद कीजिए । क. (चयनिका में से दो पद्य पूछे जायेंगे) ख. निम्नलिखित अपभ्रंश के पद्य का व्याकरणिक विश्लेषण कीजिए। 2 (चयनिका में से एक प्रश्न पूछा जायेगा) 4. निम्नलिखित प्राकृत के गधों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए। (प्रत्येक पाठ में से एक गद्यांश पूछा जायेगा) 5. क. निम्नलिखित शब्दों में सन्धि कीजिए। (4 शब्दों में सन्धि पूछी जायेगी) ख. निम्नलिखित शब्दों का सन्धि विच्छेद कीजिए । (4 शब्दों का सन्धि विच्छेद पूछा जायेगा) 222 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6. निम्नलिखित पद्य में आए हुए समासों को बताइए। (कोई एक पद्य पूछा जायेगा) 7. प्राकृत की किसी एक विभक्ति के प्रयोग की व्याख्या पछी जायेगी। (प्राकृत की किसी एक विभक्ति के सम्बन्ध में पूछा जायेगा) 8. निर्देशानुसार निम्नलिखित संज्ञा शब्दों के प्राकृत एवं अपभ्रंश के रूप सभी विकल्पों में लिखिए। (इसमें पांच शब्द पूछे जायेंगे) निर्देशानुसार निम्नलिखित सर्वनामों के प्राकृत एवं अपभ्रंश के रूप सभी विकल्पों में लिखिए। (इसमें तीन शब्द पूछे जायेंगे) 10. निम्नलिखित अपभ्रंश व प्राकृत के वाक्यों को शुद्ध कीजिए। (इस में दो प्राकृत व दो अपभ्रंश के वाक्य पूछे जायेगे) 11. निम्नलिखित अपभ्रंश व प्राकृत के वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए। (इसमें दो अपभ्रंश व दो प्राकृत के वाक्य पूछे जायेंगे) 12. निम्नलिखित वाक्यों का दो प्रकार से प्राकृत एव अपभ्रंश में अनुवाद कीजिए। (इसमें दो वाक्य पूछे जायेंगे) 13. अनियमित भूतकालिक कृदन्तों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित वाक्यों का प्राकृत में अनुवाद कीजिए। 5 (इसमें पांच वाक्य पूछे जायेंगे) 14. अनियमित कर्मवाच्यों के क्रिया-रूपों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित वाक्यों का प्राकृत में अनुवाद कीजिए। 5 (इसमें पांच वाक्य पूछे जायेंगे) 15. निर्देशानुसार निम्नलिखित क्रियाओं के प्राकृत में सभी विकल्पोंसहित क्रिया रूप लिखिए। (इसमें चार क्रियारूप पूछे जायेंगे) प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 223 2010_03 Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16. निम्नलिखित कृदन्तों का प्रयोग करते हुए प्राकृत के वाक्य बनाइए तथा उनका हिन्दी अनुवाद भी कीजिए । ये सभी कृदन्त विभक्ति चिह्नरहित हैं। 4 (इसमें चार कृदन्त पूछे जायेंगे) 17. निर्देशानुसार निम्नलिखित क्रियाओं के कृदन्त के रूप में किसी एक विकल्प का प्रयोग करते हुए प्राकृत एवं अपभ्रंश के वाक्य बनाइए । (इसमें दो क्रियाएं पूछी जायेंगी) 18. प्रेरणार्थक प्रत्ययों में से किसी एक का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित वाक्यों का प्राकृत एवं अपभ्रंश में अनुवाद कीजिए । (इसमें दो वाक्य पूछे जायेगे) 19. निम्नलिखित क्यिों में से कृदन्त छांटिए और उनके नाम लिखिए। जहां आवश्यक हो वहां विभक्ति बताइए।' (इसमें दो वाक्य अपभ्रश व दो वाक्य प्राकृत के पूछे जायेंगे) 5 20. निम्नलिखित प्राकृत की क्रियाओं के काल, वचन और पुरुष लिखिए। (इसमें पाँच क्रियाएँ पूछी जायेंगी) 21. अपठित प्राकृत गछ पूछा जायेगा । 22. अपभ्रंश प्राकृत व्याकरण साहित्य पर प्रश्न पूछा जायेगा। 224 1 [ प्राकृत अभ्यास सौरम 2010_03 Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समय - 3 घण्टे 1. 2. 3. 4. अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर पत्राचार अपभ्रंश डिप्लोमा परीक्षा, प्रश्नपत्र - चतुर्थ पाण्डुलिपि सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक पक्ष खण्ड-क नोट - निम्नलिखित प्रध्यायों में से तीन प्रश्न पूछे जाएंगे। कोई एक प्रश्न करना अनिवार्य होगा । अध्याय 1, 2, 3, 4, 5 5. 6. -- प्राकृत अभ्यास सौरभ ] 2010_03 पूर्णाङ्क - 150 खण्ड - ग (सभी प्रश्न कीजिए) 7. पठित अंश (इसमें 20 पंक्तियां पूछी जायेंगी) 1 8. अपठित अंश (इसमें 20 पंक्तियां पूछी जायेंगी) । 9. प्रशस्ति, प्रारम्भ ( इसमें से एक प्रश्न पूछा जायेगा ) | 10. पांडुलिपि का परिचय पत्र बनाना ( इसमें से एक प्रश्न पूछा जायेगा ) । 11. वेष्टन बांधना (इसमें से एक प्रश्न पूछा जायेगा ) । खण्ड - ख निम्नलिखित अध्यायों में से तीन प्रश्न पूछे जायेंगे । कोई दो प्रश्न करना अनिवार्य होगा । अध्याय 6, 7, 8, 9 222 25 25 25 3235 200 30 5 5 5 [ 225 Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुद्धि-पत्र क्र. सं. 1. 2. पृष्ठ संख्या 2 19 पंक्ति संख्या 2 11 अशुद्ध अनरुप अनुरूप मलरूप मूलरूप जुज्झमि/जुज्झामि| जुज्झमु/जुज्झेमु/ जुज्झमि जुज्झामु 23 35 खलह खेलह 36 तुहं/तुं/तुह तुमं/तुं/तुह 114 चाएिए चाहिए 226 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ 2010_03 Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2010_03 F or Private & Personal Use Only