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________________ (ख) नीचे संज्ञाएं, पुरुषवाचक सर्वनाम तथा कोष्ठक में क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञाओं एवं सर्वनामों में कहीं एकवचन, कहीं बहुवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट काल में कर्तृवाच्य एवं भाववाच्य के वाक्य बनाइए । 1. विमाण (उड्ड) वर्तमानकाल 2. कन्ना (लुक्क) भूतकाल 3. रज्ज (जुज्झ) भविष्यत्काल 4. कुक्कुर (बुक्क) वर्तमानकाल 5 ता (णच्च) भूतकाल 6. सद्धा (वड्ढ) विधि एवं प्राज्ञा 7. माया (हरिस) विधि एवं प्राज्ञा 8. तुम्ह (थक्क) वर्तमानकाल 9. त (हा) भूतकाल 10. सुया (खेल) विधि एवं आज्ञा उदाहरण - कर्तृवाच्य-विमाणं उड्डइ/उड्डए/उडुदि/उड्डदे । भाववाच्य -विमाणेण/विमाणेणं उड्डिज्जइ/उड्डिज्जदि/उड्डीअइ/उड्डीअदि । - - (ग) निम्नलिखित वाक्य कर्तृवाच्य में दिए गए हैं। इनका भाववाच्य में परिवर्तन कीजिए - 1. माउलो उट्ठउ/उट्ठदु/उठेदु । 2 मित्ता हरिसन्तु हरिसेन्तु । 3. ॥रा उज्जमिहिन्ति/उज्जमिस्सन्ति/आदि । 4. लक्कुडाणि/लक्कुडाई जलन्ति/जलन्ते/जलिरे । 5. वत्थाणि/वत्थाई/वत्थाइं/सुक्खि पाई/सुक्खिाइं/सुक्खिाणि । 6. अहं ठामि । 7. तुं लुक्कसि/लुक्कसे /लुक्के सि । 8. सो व्हाइ/हादि । 9. गच्चमु/णच्चेमु । 10. ता णच्चिया/णच्चियाउ/णच्चिायो । उदाहरण1. भाववाच्य=माउलेण/माउलेणं उद्विज्जउ/उद्विजदु/उट्ठीअउ/उट्ठीअदु । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 117 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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