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________________ जीवंती उट्ठिया तया ती ' समं एगो वरो वि जीविनो कम्मवस्सो अव्यय (जीव) भूकृ 1 / 1 [ ( कम ) - ( वस्स) 5 / 1] अव्यय (चउ) 1/2 अव्यय (वर) 1 / 2 श्रव्यय (मिल) भूक 1/2 कन्नापाणिग्गहणत्थ- [ ( कन्ना ) + ( पाणिग्गहण ) + मन्नोन्नं (त्थं ) + (अन्नोन्नं ) ] - [ ( कन्ना) - (पाणिग्गहण ) (प्रत्थ) - (अन्नोन्न) 2 / 1 वि] (faara) 2/1 ( कुण) व 1 / 2 [ ( बालचन्दराय ) - (मंदिर) 7 / 1] पुणो चउरो वि वरा एग मिलिग्रा (जीव) वकृ 1 / 1 ( उट्ठ) भूकृ 1 / 1 श्रव्यय (ar) 3/1 अव्यय विवायं कुता बालचंदराय मन्दिरे (एग ) 1/1 (वर) 1/1 Jain Education International 2010_03 = जीती हुई For Private & Personal Use Only = = उठी तब = उसके साथ = एक ==वर = भी = जिया == कर्म के वश से = फिर =चारों =हीं = वर = एक-एक करके = मिल गए = कन्या से विवाह करने के लिए आपस में -विवाद - करते हुए नोट - 1. 'साथ' के योग में तृतीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] = बालचन्द राजा के मन्दिर में [ 177 www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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