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________________ कूडवेस काऊरण रयणीए -कपटवेश =धारण करके =रात्रि में वहां ही तत्थेव =ठहरा ठिो अवसरं लहिऊण [(कूड) - (वेस) 2/1] संकृ अनि (रयणी) 7/1 (तत्थ)+ (एव)] तत्थ क्रिविन, एव (अ) (ठिय) भूकृ 1/1 अनि (अवसर) 2/1 (लह) संकृ (त) 2/1 सवि [(अमय)-(रस)-(कूवय) 2/1] | (गिण्ह) संकृ (हत्थिणाउर) 7/1 (प्रागय) भूक 1/1 अनि =अवसर तं अमयरसकूवयं गिहिऊरण हत्थिरणाउरे प्रागो =पाकर -उस =अमृत रस के घड़े को =लेकर =हस्तिनापुर =पा गया तेण पुण तीए जणयादिसमक्खं चिग्रामज्झे अमय रसो मुक्को (त) 3/1 स ... = उसके द्वारा अव्यय =फिर (ता) 6/1 स -उसके [(जणय) +(आदि)+(समक्खं)] =पिता आदि के समक्ष [(जणय)-(प्रादि)- (समक्ख) 1/15 [(चित्रा)-(मज्झ) 7/1] =चिता के मध्य में [(अमय)-(रस) 1/1] =अमृतरस (मुक्क) भूक 1/1 अनि =छोड़ा गया (ता) 1/1 स -वह [(सुमइ)-(कन्ना) 1/1] =सुमति कन्या {(स)+ (अलंकारा)] [(स) वि- =अलकारसहित (अलंकारा) 1/1] सा सुमइकन्ना सालंकारा 176 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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