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________________ ता -वह -वर -आश्चर्य अव्यय =तब (त) 1/1 स वरो (वर) 1/1 झायइ (झा-झाम) व 3/1 सक =सोचता है (सोचा) अहो अव्यय =पाश्चर्यसूचक अव्यय (अहो) अच्छरिअं (अच्छरित्र) 1/1 अव्यय =कि एवं विहजलणजलियो [(एवंविह(प्र)=इस प्रकार) - -इस प्रकार अग्नि से (जलण) - (जल) भूक 1/1] जला हुआ अव्यय =भी जीवियो (जीव) भूक =जिया जइ अव्यय = यदि एसो (एव) 1/1 स -यह अमयरसो [(अमय) - (रस) 1/1] -अमृतरस (अम्ह) 4/1 स == मेरे लिए हवइ (हव) व 3/1 अक =होता है ता प्रव्यय =तो अहमवि (अह)+(अवि)] अहं (अम्ह)1/1 स =मैं अवि (म) =मी (ता) 2/1 सवि =उस कन्न (कन्ना ) 2/1 -कन्या को जीवावेमि (जीव+पाव) प्रे व 1/1 सक =जिलाऊँगा ति अव्यय = इस प्रकार चिति ऊरण (चित) संकृ =सोचकर धुत्तत्तेण [(धुत्त)+ (अत्तेण)] [(धुत्त) - (अत्त) =धूर्तता से 3/1] मह प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 175 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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