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________________ ग्रामीरण (गामिल्लम) गाड़ीवान (सागडिन) कहीं कोई ग्रामीण गृहपति था (जो) (कहीं) (गांव में) रहता था । और उसने किसी समय कभी एक बार धन से भरी हुई गाड़ी को लेकर, और गाड़ी में पिंजरे में रखे हुए तीतर को बांधकर नगर को प्रस्थान किया। नगर में गया और गधी पुत्रों द्वारा देखा गया। उनके द्वारा वह पूछा गया--तुम्हारे पिंजरे में यह क्या है ? उसके द्वारा कहा गया-'तीतर' । तब उनके द्वारा कहा गया-क्या यह गाड़ी में रखा हुआ तीतर बेचा जाएगा? उसके द्वारा कहा गया--'हां, बेचा जाएगा।' उनके द्वारा कहा गया . 'क्या प्राप्त किया जाएगा ?' गाड़ीवाले द्वारा कहा गया-'रुपये द्वारा।। तब उनके द्वारा रुपया दिया गया । गाड़ी और तीतर को ग्रहण करने के लिए प्रवृत्त हुए । तब उस गाड़ीवाले के द्वारा कहा जाता है-(तुम) यह गाड़ी क्यों ले जाते हो ? [कीस()=क्यों, किस कारण से उनके द्वारा कहा गया-'मोल से ली गई है' (लप-लइय-य) तब उनका फैसला हुआ। (उसमें) वह गाड़ीवाला जीत लिया गया । और वह गाड़ी तीतर के साथ ले जाई गई। __(जिसका) गाडीरूपी साधन' (उवगरण) ले जाया गया (है) (ऐसा) वह गाडीवाला योगक्षेम के लिए लाए गए बल को लेकर चिल्लाता हा जाने के लिए प्रवृत्त हुग्रा । दूसरे कुलपुत्र के द्वारा देखा गया, (वह) पूछा गया- क्यों रोते हो ? उसके द्वारा कहा गया-हे स्वामी । इस प्रकार और इस प्रकार मैं ठग लिया गया हूँ। तब उसके द्वारा दयासहित कहा गया-उनके ही घर जाग्रो और इस प्रकार, इस प्रकार कहो। तब वह उस वचन को सुनकर गया और जाकर उसके द्वारा कहा गया --हे स्वामी! तुम सबके द्वारा मेरी वस्तुओं से भरी हुई गाड़ी ली गई है, तो यह बल भी ले प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 183 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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