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अभ्यास-40
प्राकृत भाषा को अच्छी तरह समझने के लिए वाक्य में निहित प्रत्येक पद जैसे - संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, कृदन्त आदि का व्याकरणिक रूप से विश्लेषण करने का ज्ञान होना अति आवश्यक है।
__इसके लिए प्रत्येक पद की व्याकरणिक विश्लेषण-पद्धति तथा कुछ वाक्यों का व्याकरणिक विश्लेषण उदाहरणस्वरूप दिया जा रहा है ।
संकेत-सूची अक -अकर्मक क्रिया अनि --अनियमित प्राज्ञा - प्राज्ञा कर्म -कर्मवाच्य क्रिविन-क्रिया विशेषण अव्यय प्रे -प्रेरणार्थक क्रिया भवि -भविष्यत्काल भाव -भाववाच्य भूक -भूतकालिक कृदन्त व - वर्तमानकाल वकृ - वर्तमान कृदन्त वि -विशेषण विधि -विधि विधिकृ - विधिकृदन्त स सर्वनाम संकृ सम्बन्धक कृदन्त सक --- सकर्मक क्रिया सवि -सर्वनाम विशेषण स्त्री --स्त्रीलिंग हेकृ –हेत्वर्थक कृदन्त
•( ) - इस प्रकार के कोष्ठक में मूलशब्द
रखा गया है। •[ ()+ ()+()....) इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर -- चिह्न शब्दों में सन्धि का द्योतक है । यहां अन्दर के कोष्ठकों में मूलशब्द ही रखे गए हैं। •[() - ( ) - ()..] इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर '_' चिह्न समास का द्योतक है। •[ [ ()-()-() ] वि] जहां समस्त पद विशेषण का कार्य करता है वहाँ इस प्रकार के कोष्ठक का प्रयोग किया गया है। •जहां कोष्ठक के बाहर केवल संख्या (जैसे
1/1, 2/1 आदि) ही लिखी हैं वहां उस कोष्ठक के अन्दर का शब्द संज्ञा' है। •जहां कर्मवाच्य, कृदन्त आदि प्राकृत के नियमानुसार नहीं बने हैं वहां कोष्ठक के बाहर 'अनि' भी लिखा गया है ।
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[ प्राकृत अभ्यास सौरभ
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