________________
3/2-तृतीया/बहुवचन 4/1-चतुर्थी/एकवचन 4/2 - चतुर्थी/बहुवचन 5/1-पंचमी/एकवचन 5/2-पंचमी/बहुवचन 6/1-षष्ठी/एकवचन 6/2-षष्ठी/बहुवचन 7/1-सप्तमी/एकवचन 7/2-सप्तमी/बहुवचन 8/1-सम्बोधन/एकवचन 8/2-सम्बोधन/बहुवचन
1/1 अक या सक --- उतम पुरुष/एकवचन 1/2 अक या सक - उत्तम पुरुष/बहुवचन 2/1 अक या सक -मध्यम पुरुष/एकवचन 2/2 अक या सक-मध्यम पुरुष/बहुवचन 3/1 अक या सक - अन्य पुरुष/एकवचन 3/2 अक या सक - अन्य पुरुष/बहुवचन 1/1 - प्रथमा/एकवचन 1/2 ----प्रथमा बहुवचन 2/1-द्वितीया/एकवचन 2/2 ---द्वितीया/बहुवचन 3/1-तृतीया/एकवचन व्याकरणिक विश्लेषण पद्धति
नरिंदस्स सर्वनाम
तेण सर्वनाम विशेषण
सव्व क्रिया
होहिइ सम्बन्धक कृदन्त
णिसुणिऊण हेत्वर्थक कृदन्त
हसित्तए वर्तमानकालिक कृदन्त जोयंतो भूतकालिक कृदन्त
मारियो विशेषण
समग्गलं भाववाच्य
णच्चिज्जइ कर्मवाच्य
विलसिज्जइ प्रेरणार्थक
दरिसावमि स्वार्थिक प्रत्यय
जंबूनो
संज्ञा
(नरिंद) 4/1 (त) 3/1 स (सव्व) 2/1 सवि (हो) भवि 3/1 अक (रिणसुण+ऊण) संकृ 'हस+त्तए) हेक (जोय+न्त) वकृ 1/1 (मार→मारिय) भूकृ 1/1 (समग्गल) 2/1 वि (णच्च+इज्ज) व भाव 3/1 अक (विलस-+ इज्ज) व कर्म 3/1 सक (दरिस+प्राव) प्रेव 1/1 सक (जंबूअ) 1/1 'अ' स्वार्थिक
प्राकृत अभ्यास सौरम ]
[ 161
Jain Education International 2010_03
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org