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________________ विणु अव्यय क्रिया विशेषण भूतकालिक कृदन्त कर्मवाच्य अनियमित अवसेण मुक्को अव्यय (अवस) 3/1 क्रिवि (मुक्क) भूकृ 1/1 अनि (लब्मइ) व कर्म 3/1 सक अनि लब्म सुयो सज्जन नहीं क्रोध करता है कुप्पा उदाहरण1. सुयणो न कुप्पइ च्चिय ग्रह कुप्पइ मंगुलं न चितेइ । (सुयण) 1/1 अव्यय (कुप्प) व 3/1 सक च्चिय अव्यय प्रह अव्यय मंगुलं (मंगुल) 2/1 अव्यय चितेइ (चित) व 3/1 सक भी यदि अनिष्ट नहीं सोचता है 2. दूरट्टिया न दूरे सज्जनचित्तारण पुन्वमिलियाण । दूरट्टिया [(दूर) =दूर-(ट्ठिय) भूक 1/2 अनि दूरस्थित अव्यय नहीं अव्यय दूर सज्जनचित्ताण पुन्वमिलियारणं [(सज्जन)-(चित्त)4/2] [(पुव्व) क्रिविन-पूर्व में - (मिल) भूकृ 4/21 सज्जन चित्तों के लिए पूर्व में मिले हुए (सज्जन चित्तों) के लिए 3. सोलं वरं कुलामो दालिदं भव्वयं च रोगायो । सील (सील) 1/1 शील 162 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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