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अपभ्रंश अनुवाद विउसीहे पुत्त-बहूहे कहारणगु!
कहिं णयरि लच्छीदासु सेट्टि वरीबट्टइ । सो बहुधण-संपत्तिए गविठ्ठ आसि । मोगविलासहिं एव लग्गु कयावि धम्मु ण कुणेइ । तासु पुत्तु वि एयारिसु अस्थि । जोव्व रिण पिउए धम्मिग्रहो धम्मदास हो जहत्थनामाए सीलवईए कन्नाए सह पुत्तसु पाणिग्गहणु कराविउ । सा कन्ना जइयहुं अट्ठवासा जाया, तइयतुं ताए पिउ पेरणाए साहुणी सगासह सव्वण्ण धम्म सवणें सम्मत्तु अणुव्व यई य गहीयइं, सव्वण्ण धम्मि अईव निउणा संजाया।
___जइयहं सा ससुर गेहि आगया त इयहं ससुराइ धम्महु विमुहु देवखेवि ताए बहुदुहु संजाउ । कहं मझु नियवय निव्वाहु होसइ ? कहं वा देवगुरुह विमुहहं ससुराइ धम्मोवएसु मवेसइ, एवं सा वियारेइ ।
एगया संसारु असारु, लच्छी वि प्रसारा, देहु वि विणस्सरु, एक्कु घम्मु च्चिय परलोअपवनहं जीवहं आहारु सि उवएसदाणे नियमत्ता सव्वण्ण धमें वासिउ कउ । एवं सासू वि कालंतरे बोहेइ । ससुर पडिबोहेवं सा समयु मग्गेइ ।
एगया ताहे घरि समणगुणगणालंकि उ महव्व इ नाणी जोवणत्यु एक्कु साहु भिक्खसु समागउ । जोव्वणि वि गहीयवय संत दंत साहु घरे प्रागय देवखे प्पिणु पाहारे विज्जमाणे वि ताए वियारिय - जोवणे महत्वय महादुल्लहु, कहं एतें एतहिं जोवणत्तणे गहीय ? इति परिक्खेवं समस्साहे उत्तर पुढें- प्रणा समउ न संजाउ किं पुवं निग्गया ? ताहे हियये गउ भाउ णाइ साहुए उत्तु- 'समयनाणु', कया मच्चु होसइ स्ति नस्थि नाणु, तेण समय विणा निग्गउ । सा उत्तरु णाएवि तुट्ठा। मुणिएं वि सा पुट्ठा - कइ वरिसा तुहं संजाया ? मुणि पुच्छाभावु णाइ वीसवासे हिं जाहि वि ताए बारसवासु त्ति उत्तु । पुणु 'तुज्झ-सामि कइ वासा जात्रा' ति पुठ्ठ ताहे पियहो पणवीसवासहिं जाअहिं वि पंचवासा उत्ता, एवं सासूहे 'छमासा' कहिया। मुरिणएं ससुन्हो पुच्छिउ, सो 'अहुणा न उप्पण्णु अत्थि' ति सद्दा भणिया।
1. 'पाइयगज्जसंगहो' में प्रकाशित 'वि उसीए पुत्तवहूए कहाणगं' का डॉ. कमलचन्द
सोगाणीकृत अपभ्रंश रूपान्तरण ।
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[ प्राकृत अभ्यास सौरभ
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