SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 37. पोट्टल (लुढ) भविष्यत्काल 39. सोक्ख (वड्ढ) भूतकाल 38 विमाण (उड्डु) वर्तमानकाल 40. णयरजण (हरिस) वर्तमान काल उदाहरणपत्तं सुख इ/सुक्खेइ/सुक्खए/सुक्ग्व दि/सुक्खदे/सुक्खति सुवखते । (ग-1)नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त (पूर्वकालिक क्रिया) के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिये तथा दूसरी क्रिया में वर्तमानकाल या भूतकाल के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्त रूपों के सभी विकल्प लिखिए1. सुत्त (गल, तुट्ट) 2. रूव (विप्रस, फुर) 3. मरण (कील, हरिस) 4. धन्न (उग, वड्ढ) 5. धण (तव, हव) 6. खीर (चुम, पसर) 7. रिण (छुट्ट, नस्स) 8. सासण (चे?, उच्छह) 9. रायरजण (हरिस, खेल) 10. पुप्फ (वड्ढ, विश्नस) उदाहरणसुत्तं गलिऊण/लिऊणं/गलिदूण/गलिदूणं/गलिउं/गलिय/गलित्ता तुट्टइ/तुट्टेइ/ तुट्टए/तुट्टदे/तुट्टदि/तुट्टति/तुट्टते । (ग-2)नीचे प्रकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञाएं तथा कोष्ठक में दो क्रियाएं दी गई हैं । संज्ञानों में प्रथमा एकवचन का प्रयोग करते हुए निर्दिष्ट क्रियानों में से किसी एक में कहीं सम्बन्धक भूतकृदन्त के, कहीं हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए तथा दूसरी क्रिया में विधि एवं प्राज्ञा के प्रत्यय लगाकर वाक्य बनाइये । संज्ञा, क्रिया एवं कृदन्त-रूपों के सभी विकल्प लिखिए - 1. णयरजण (जागर, चेट्ठ) 2. णाण (वड्ढ, फुर) 3. मण (खेल, रम) ____4. सासण (वड्ढ, पसर) प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 65 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy