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________________ अभ्यास - 37 (क) संज्ञान में स्वार्थिक प्रत्यय जोड़कर निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए 1. कमल खिलता है । 2. जीव प्रसन्न होता है । 3 योगी मुझको अच्छा लगता है । 4. पुत्र पिता का सम्मान करेगा । 5. सेनापति शत्रु को जीते । 6. बालक मधु चखता है। 7. प्रात्मा मन को प्रकाशित करती । 8. राजा मन्त्री को धिक्कारता है । 9 माता पुत्र को बधाई देती है । 10. पिता पुत्र को स्मरण करता है । 11. हाथी घास खावेगा । 12 मनुष्य गुरु की स्तुति करते हैं । 13. गुरु परमेश्वर की वन्दना करते हैं। 14. दामाद भोजन जीमे । 15. वृक्ष गिरता है । 16. धनुष सोहता है । 17. रत्न टूटता है । 18 घर अच्छा लगता है | 19. मोसी बैठे | 20. बहिन उठे । उदाहरण कमल खिलता 146 (ख) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए 1. वह मनुष्य हँसता है । 2. ये मनुष्य हँसते हैं । 3. वह यह ग्रन्थ पढ़ता है । 4. वे ये ग्रन्थ पढ़ते हैं । 5. मैं इसके लिए जीता हूँ । 6. वह इनके लिए जीती है । 7. मैं यह व्रत पालता हूँ । 8. तुम क्या करते हो ? 9. जो मनुष्य थकता है वह सोता है । 10. जिसका शरीर थका हुआ है, उसका बुढ़ापा बढ़ा हुआ है । 11. जिसके द्वारा सोया जाता है उसके द्वारा हंसा जाता है । 12. मैं जिसको बुलाता हूँ वह तुम हो । 13. जिस लकड़ी पर है । 14. वह किसका पुत्र है ? 15. तुम किन कार्यों को = कमलनं / कम लिल्लं / कमलुल्लं विसइ । नोट - - इस अभ्यास- 37 को हल करने के लिए 'प्राकृत रचना सौरभ' के पाठ 79 से 81 का अध्ययन कीजिए । 1 Jain Education International 2010_03 तुम बैठे हो वह मेरी करते हो ? 16. कौन For Private & Personal Use Only [ प्राकृत अभ्यास सौरभ www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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