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पच्छा पुण्णकरणेण
पुत्तसमो
जानो
जेरण
पुण
तं
ठाण
24.
रक्ख़ियं
सो
भत्ता
एवं
मंतिणा
विवाए
भग्गे
चउत्थेण
वरेण
कुरुचंदाभिहारोण
सा
परिणी
[ ( पच्छा (अ) = पीछे ) - (पुण्ण ) - (करण) 3 / 1]
[ ( पुत्त ) - (सम) 1 / 1 वि]
(जान) भूकृ 1 / 1 अनि
(ज) 3 / 1 स
श्रव्यय
(त) 1 / 1 स
( ठाण) 1 / 1
( रक्ख) भूकृ 1 / 1
(त) 1 / 1 स
( मत्तु ) 1 / 1
अव्यय
(मति ) 3 / 1
(faar) 7/1
(भग्ग) भूक 7 / 1 अनि
(उत्थ) 3 / 1 वि
(वर) 3 / 1
[ ( कुरुचन्द) + ( श्रमिहाणेण ) } [ ( कुरुचन्द) - ( अभिहाण ) 3 / 1]
(ता) 1 / 1 स (परिण) भूकु 1 / 1
प्राकृत अभ्यास सौरभ ]
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-
= पीछे पुण्य करने के
कारण
=पुत्र के समान
=हुआ
== जिसके द्वारा
=श्रर
= वह
= स्थान
= रक्षा किया गया
- वह
=पति
-
इस प्रकार
==मन्त्री द्वारा
=विवाद
=
नष्ट किया गया
( होने पर)
= चौथे
=वर के द्वारा
= कुरुचन्द नामवाले
= वह
= परणी गई
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