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________________ 2. पत्त पहुंचा तीनों लिंगों व दोनों वचनों में पहुंचा गया तीनों लिंगों व दोनों वचनों में 3. अकर्मक क्रियाओं से बने अनियमित भूतकालिक कृदन्तकृदन्त कर्तृवाच्य प्रयोग भाववाच्य प्रयोग में अर्थ में अर्थ 1. मुन मरा तीनों लिंगों व मरा गया सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में एकवचन में 2. थिन ठहरा तीनों लिंगों ब ठहरा गया। सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में एकवचन में 3. संतुट्ठ प्रसन्न हुया तीनों लिंगों व प्रसन्न हुआ सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में गया एकवचन में 4. नट्ट नष्ट हुआ तीनों लिंगों व नष्ट हया सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में गया एकवचन में 5. सुत्त सोया तीनों लिंगों व सोया गया सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में एकवचन में 6. बद्ध बंधा तीनो लिंगों व बंधा गया सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में एकवचन में 7. भीय डरा तीनों लिंगों व डरा गया सदैव नपुंसकलिंग दोनों वचनों में एकवचन में ____1.क सकर्मक क्रिया से बने हुए अनियमित भूतकालिक कृदन्त का सभी विकल्पों सहित प्रयोग -- कर्मवाच्य में प्रयोग किन-किया गया (1) मामा के द्वारा गर्व किया गया । -माउलेण/माउलेणं गवो कियो । प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 153 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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