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________________ तेसि धूया (त) 6/2 स (धूया) 1/1 (ता) 1 / 1 कम्मपरिणामवसो [ ( कम्म ) - ( परिणाम ) - (वस ) 5 / 1 सा जय जणणी - भाया माउलेह पुढो-पुढ वराणं दिन्ना चउरो वि ते वरा एगम्मि चेव दिणे परिणेउं आगया परोप्परं कलहं कुन्ति तनो तेसि विसमे [ ( जणय ) - ( जणणी ) - ( भाउ) (माउल) 3/2] अव्यय (वर) 4/2 (दिन्ना) भूकृ 1 / 1 अनि विया ( वसनो ( अ ) ) ] (चउ) 1 / 2 वि अव्यय (त) 1/2 स (वर) 1 / 2 (ग) 7 / 1 वि अव्यय (faur) 7/1 (परिण) हेकृ ( आगय) भूकृ 1 / 2 प्रति (परोप्पर) 2 / 1 वि ( कलह ) 2 / 1 (कुण) व 3 / 2 सक अव्यय (त) 6/2 स (विसम) 7/1 वि प्राकृत अभ्यास सौरभ ] Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only = उनकी = पुत्री = वह == कर्मफल के वश से पिता, माता, भाई और मामा के द्वारा = अलग-अलग = = वरों के लिए = दे दी गई ==चारों = ही == त्रे वर = एक = ही = दिन = विवाह करने के लिए ==आ गये = परस्पर / आपस में = कलह = करते हैं ( करने लगे) =तब = उनके = विषम [ 169 www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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