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________________ कस्सेसा मज्जा व्याकरणिक विश्लेषण कस्सेसा [(कस्स)+ (एसा) कस्स (क) 6/1 स =किसकी एसा (एता) 1/1 स = यह मज्जा (भज्जा ) 1/1 = पत्नी हत्थिण:उरे (हत्थिरणाउर) 7/1 -हस्तिनापुर (में) नयरे (नयर) 7/1 =नगर में सूरनामा [(सूर)-(नाम(अ)=नामक) 1/1] =शूरनामक रायपुत्तो (रायपुत) 1/1 =राजपुत्र जाणागुणरयण-संजुत्तो [(गाणा)-(गुण)-(रयण)- =नाना गुणरूपी (संजुत्त) भूक 1/1 अनि] रत्नों से युक्त वसई (वस) व 3/1 अक = रहता है (था) तस्स (त) 6/1 स =उसकी भारिया (भारिया) 1/1 -पत्नी गंगाभिहाणा [(गंगो)+ (अभिहाणा)] = गंगा नामवाली [(गंगा)-(अभिहाणा) 1/1 वि] सीलाइगुणालंकिया (सील)+ (प्राइ)+ (गुण)+ =शीलादि गुणों से (प्रलंकिया)] [ (सील)-(प्राइ)- अलंकृत (गुण)-(अलंकिया) 1/1 वि | परमसोहगसारा [(परम) वि - (सोहग्ग) - =परम सौभाग्यशाली (सारा) 1/1 वि सुमइनामा [(सुमइ)-(नाम(अ)=नामक) =सुमति नामक 1/1 व नोट -1 अव्यय का प्रयोग जब संज्ञा के साथ किया जाता है तब ह्रस्व का दीर्घ हो जाता है। 168 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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