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अभ्यास-39 अनियमित भूतकालिक कृदन्त
प्राकृत में भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकाल के प्रत्यय और भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है । भूतकालिक कृदन्त के लिए क्रिया में 'प्र/य', त, द प्रत्यय जोड़े जाते हैं । जैसे -
हस+9/य, त, व हसिम्र/हसिय, हसित, हसिद=हंसा, ठा+प्र/य, त, द%Dठाम/ठाय, ठात, ठाद-ठहरा,
झा+प्र/य, त, द=झाप झाय, भात, झाद= ध्यान किया गया प्रादि । इस प्रकार प्र, त, द प्रत्यय के योग से बने भूतकालिक कृदन्त 'नियमित भूतकालिक कृदन्त' कहलाते हैं। इनमें मूलक्रिया को प्रत्यय से अलग करके स्पष्टतः समझा जा जा सकता है। इन कृदन्तों के रूप पुल्लिग में 'देव' के समान, नपंसकलिंग में 'कमल' के समान तथा स्त्रीलिंग में 'कहा' के समान चलेंगे।
किन्तु जब 'प्र, त, द' प्रत्यय जोड़े बिना ही भूतकालिक कृदन्त प्राप्त हो जाए या तैयार मिले तो वे अनियमित भूतकालिक कृदन्त कहलाते हैं। इनमें मूलक्रिया को प्रत्यय से अलग करके स्पष्टत: नहीं समझा जा सकता है । जैसे
वुत्त=कहा गया, दिटु देखा गया,
दिण दिया गया, आदि । ये सभी अनियमित भूतकालिक कृदन्त हैं इनमें से क्रिया को अलग नहीं किया जा सकता है । इनके रूप भी पुल्लिग में 'देव' के समान, नपुंसकलिंग में 'कमल' के समान तथा स्त्रीलिंग में 'कहा' के समान चलेंगे ।
___ सकर्मक क्रियाओं से बने हुए भूतकालिक कृदन्त (नियमित या अनियमित) कर्मवाच्य में ही प्रयुक्त होते हैं । केवल गत्यार्थक क्रियाओं से बने भूतकालिक कृदन्त (नियमित या अनियमित) कर्मवाच्य और कर्तृवाच्य दोनों में प्रयुक्त होते हैं । अकर्मक
1. देख 'प्राकृत रचना सौरभ' पाठ 42 व 57 ।
प्राकृत अभ्यास सौरभ ।
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