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________________ लग्गो सा भणइ (लग्य) भूकृ 1/I अनि (ता) 1/1 स (भण) व 3/1 सक (अवच्च)-(रूव) 1/2] (क) 4/1 स प्रवच्चरूवाणि कस्स अव्यय =लगा वह (उसने) =कहती है (कहा) =संतानरूप -किसी के लिए =भी =नहीं -अप्रिय -होते हैं =जिनके =लिए =माता-पिता =अनेक देवताओं की । पूजा, दान, मन्त्र, जप मादि अव्यय अप्पियाणि (अप्पिय) 1/2 वि होंति (हो) व 3/2 अक जेसि (ज) 6/2 स कए अव्यय पिउणो (पिउ) 1/2 अणेगदेवयापूयादाण- [(अणेग)+(देवया)+(पूया)+ मंतजवाई (दाण)+ (मंत)+ (जव)+ (प्राइं)] [(अणेग) - (देवया) - (पूया) - (दाण) - (मंत) - (जव) - (माइ) 2/1]] किं-कि (किं) 1/1 स प्रव्यय कुणन्ति (कुण) व 3/2 सक (तुम्ह) 1/1 स सुहेण (सुह) 3/1 क्रिविन भोयण (भोयरण) 2/1 (कर) विधि 2/1 सक -क्या-क्या =नहीं =करते हैं -तुम = सुखपूर्वक = भोजन =करो = पीछे =ही करेहि पच्छा अव्यय अव्यय प्राकृत अभ्यास सौरभ ] [ 173 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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