SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 12. वे सब खेत में पदार्थ फैकती हैं । 13. तुम नहाने के लिए समुद्र में कूदो । 14. कुत्ता जंगल में खड्डा खोदता है । 15. सर्प पेड़ पर डोलता है । 16. पिता घर में परमेश्वर की स्तुति करता है । 17. मामा सायकाल में लक्ष्मी की वन्दना करता है । 18. पदार्थ झोंपडी में जलकर नष्ट होंगे। 19. वह यमुना में नहाता है। 20 उसका घर में चित्त लगता है । उदाहरणआकाश में बादल गरजते हैं=णहे/णहम्मि मेहा गज्जन्ति । (ग) निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए । वाक्यों में प्रयुक्त सम्बोधन के सभी विकल्प लिखिए 1. हे स्वामी! आप हमारी रक्षा करें। 2. हे राजा ! आपके राज्य में सुख होवे । 3. हे मित्र ! तुम मेरे घर पर पायो । 4. हे माता ! तुम बालकों को पालो । 5. हे सीता ! जंगल में दुख होगा। 6. हे पुत्र ! सत्य बोलो। 7. हे युवती ! तुम हंसो। 8. बालको ! तुम सब पुस्तक पढ़ो। 9. मित्रो ! प्राप सब राज्य से डरो। 10. साधुप्रो ! संयम पालो । उदाहरण-- हे स्वामी आप हमारी रक्षा करें=सामी/सामि तुम्हे अम्हे/अम्ह रक्साह । - - - - 142 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरम Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy