SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (ग) निम्नलिखित वाक्यों को प्राकृत में रचना कीजिए। वाक्यों को बनाने के लिए संज्ञा-सर्वनाम में तृतीया एकवचन या बहुवचन का प्रयोग कीजिए । भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का नपुंसकलिंग प्रथमा एकवचन में प्रयोग कोजिए 1. राजा द्वारा हसा गया। 2. कुत्ते द्वारा कूदा गया। 3. नागरिक द्वारा जागा गया। 4. पोते द्वारा कूदा गया। 5. कन्या द्वारा नाचा गया । 6. मित्र द्वारा प्रसन्न हुआ गया। 7. राक्षस द्वारा मरा गया। 8. परीक्षा द्वारा हुआ गया। 9. बेटी द्वारा खांसा गया । 10. समुद्र द्वारा सूखा गया। 11. विमान द्वारा उड़ा गया। 12. गठरी द्वारा लुढ़का गया। 13 सिंह द्वारा गरजा गया । 14. माता द्वारा खुश हुआ गया । 15 पत्नी द्वारा डरा गया। 16. ऊँट द्वारा बैठा गया। 17. पुत्र द्वारा सोया गया। 18. वस्त्र द्वारा सूखा गया । 19. उसके द्वारा थका गया। .0. तुम्हारे द्वारा देर की गई। 21. मेरे द्वारा बैठा गया । 22. राजाओं द्वारा हंसा गया । 23. मित्रों द्वारा प्रसन्न हुया गया। 24. राक्षसों द्वारा मरा गया। 25...टियों द्वारा खांसा गया। 26. सिंहों द्वारा गरजा गया। 27. माताओं द्वारा खुश हुआ गया। 28. ऊंटों द्वारा बैठा गया । 29. पुत्रों द्वारा सोया गया । 30. कुत्तों द्वारा भोंका गया । 31 नागरिकों द्वारा जागा गया। 32. कन्याओं द्वारा नाचा गया। 33. समुद्रों द्वारा सूखा गया। 34. कूओं द्वारा सूखा गया। 35. रत्नों द्वारा शोमा गया। 36. राज्यों द्वारा लड़ा गया। 37. महिलाओं द्वारा शान्त हुया गया । 38. विमानों द्वारा उड़ा गया । 39. कन्याओं द्वारा छिपा गया। 40 नागरिकों द्वारा अफसोस किया गया। 41. मामानों द्वारा प्रसन्न हुपा गया । 42. राजाओं द्वारा उपस्थित हुआ गया। 43. बालकों द्वारा खेला गया । 44. तुम सब के द्वारा डरा गया। 45. उनके द्वारा थका गया। 46. हमारे द्वारा बैठा गया। 47. तुम सबके द्वारा देर की गई । 48. उन (स्त्रियों) के द्वारा सोया गया । 49. हमारे द्वारा घूमा गया। उदाहरणराजा द्वारा हँसा गया=नरिदेण/नरिदेणं हसिनं । 104 ] [ प्राकृत अभ्यास सौरभ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002575
Book TitlePrakrit Abhyasa Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1997
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy