Book Title: Good Night
Author(s): Rashmiratnasuri
Publisher: Jingun Aradhak Trust
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विधि विज्ञान . डायनिंग टेबल की चटपटी बातें भविष्यवाणियां ब्रह्मचर्य टेन्शन टु पीसध्यान प्रयोग ©ছ তা रात्रि प्रवचन | आचार्य भगवंत श्रीमद्विज्ञाय रश्मिरत्न सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूज्य दीक्षादानेश्वरी आचार्य भगवंत श्रीमद्विजय गुणरत्न सूरीश्वरजी महाराज माता राज कँवर धनपतराज सिंघवी-कुसुम सिंघवी मनीष-प्रियंका सिंघवी हनी एवं पर्ल सिंघवी or Personal & Private Use Onlyww.jainelibrary.org Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * गुड नाईट रात्रि प्रवचन विधि विज्ञान, डायनींग टेबल की चटपटी बातें, भविष्यवाणियां, ब्रह्मचर्य, टेन्शन टु पीस - ध्यान प्रयोग जिन गुण प्रवचनकार परम पूज्य दीक्षादानेश्वरी श्रीमद्विजय गुणरत्न सूरीश्वरजी महाराज __ के शिष्यरत्न गुरूदेव आचार्य भगवंत श्रीमद्विजय रश्मिरत्न सूरीश्वरजी म.सा. Jain Edur de personal & Private Onlwww.jainelibrary.o Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * लेखक परिचय सिद्धान्तमहोदधि सूरि प्रेम भुवनभानु समुदाय के प. पू. तपा. गच्छाधिपति आ. श्री जयघोष सू.म.सा. के आज्ञानुवर्ती प. पू. मेवाड़ देशोद्धारक आ. श्री जितेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न प. पू. युवक जागृति प्रेरक दीक्षादानेश्वरी आ. श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्यरत्न गुरुदेव आचार्य श्री रश्मिरत्न सूरीश्वरजी म.सा. * अनुवादक मुनिप्रवर श्री मतिरत्नविजयजी म. सा. संस्करण: बीसवाँ (१,५०,००० प्रतियाँ पूर्ण हो चुकी हैं।) * विषय जोधपुर, पाली, ब्यावर, शिवगंज, सुरेन्द्रनगर, गिरधरनगर साबरमती, ईडर, भावनगर, सूरत आदि अनेक संघों के बीच मात्र पुरूषों के लिये आयोजित विधि और विज्ञान आधारित हिट और हॉट फेवरिट रात्रि प्रवचन श्रेणी शिविर के प्रवचनांश Jain Education Internation Personal & Private Use Onlwww.jainelibr Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 Jain Educat रात्रि प्रवचन के अंश विधि और विज्ञान १. दिशा बदलो दशा बदल जायेगी । २. विधि की दिशा पकड़ो, मुक्ति मिल जायेगी । ३. श्रावकों का क्या करना, क्या नहीं करना, इन तमाम बातों को ज्ञानियों ने बिना पूछे ही बता दी है । ४. जीवन कर्तव्य ८, वार्षिक कर्तव्य ११, चातुर्मासिक कर्तव्य ८, पर्युषण कर्तव्य ५, और दैनिक कर्तव्य ६ हैं । ५. दिन उगे और अस्त हो जाय उस बीच ६ कर्तव्य करे वही सच्चा श्रावक है। ६. सच्चे साधु बनो, न बन सको तो सच्चे श्रावक अवश्य बनो । ७. छः कर्तव्य : देव स्वाध्याय, संयम, तप और दान । देव पूजा, गुरू की उपासना, गुड नाईट - 3 Personal & Pri Onlwww.jainelloral Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८. आठ जीवन कर्तव्य: (१) जिन मंदिर बनाना, (२) गृहमंदिर बनाना, (३) जिनबिंब भरवाना, (४) प्रभु प्रतिष्ठा करवानी, (५) दीक्षा महोत्सव करवाना, (६) पदवीदान, (७) आगम लेखन, (८) पौषधशाला बनवाना । ९. आठ चातुर्मासिक कर्तव्य : (१) नियम ग्रहण, (२) देशावगासिक, (३) सामायिक, (४) अतिथि संविभाग, (५) विविधतप, (६) अध्ययन, (७) स्वाध्याय, (८) जयणापालन । * सर्वप्रथम शयन विधि १. सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग ३ घंटे) के बाद ही शयन करना चाहिए। परिवार मिलन : रात्रि को घर के सभी सभ्य एकत्रित होते हैं। बड़े बुजुर्ग गुरूदेवों के श्रीमुख से सुनी हुई प्रवचन की बातें सुनाते हैं । जिससे बच्चों में धर्म के संस्कार पड़ते हैं, प्रवचन श्रवण का रस जगता हैं और देव गुरू की महिमा बढ़ती है। गुड नाईट - 4 or Personal & Private Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २. लगभग १०बजे सोना और ४बजे उठना चाहिए। युवकों के लिए ६ घंटे की नींद काफी है। ३. सोने की मुद्रा : उल्टा सोये भोगी, सीधा सोये योगी, डाबा सोये निरोगी, जीमना सोये रोगी। बाँयीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये भी हितकर है, “वामपासेणं'' शास्त्रीय विधान भी है, आयुर्वेद में “वामकुक्षि' की बात आती है। शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान और औंधा सोने से आंखे बिगड़ती है। सोते समय कितने नवकार गिने जाय?"सूतां सात, उठता आठ' सोते वक्त सात भय को दूर करने के लिये सात नवकार गिनें और उठते वक्त आठ कर्मों को दूर करने के लिये आठ नवकार गिनें। सात भय : इहलोक - परलोक - आदान - अकस्मात - वेदना - मरण - अश्लोकभय। ६. “माथे मारे मल्लीनाथ, काने मारे कुंथुनाथ, नाके मारे नेमिनाथ, आँखे मारे अरनाथ, शाता करे - गुड नाईट -5 cation International Onlyww.jainelibrary.org Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शांतिनाथ, पार उतारे पार्श्वनाथ, हियड़े मारे आदिनाथ ए कोईने न घाले घात. आहार शरीर ने उपधि, पच्चक्खू पाप अढ़ार, मरण आवे तो वोसिरे, जीवू तो आगार'', इस प्रकार शरीर के अंगों में परमात्मा की स्थापना करनी चाहिये। ७. दुःस्वप्नों के नाश के लिए : सोते वक्त श्री नेमिनाथ और पार्श्वनाथ प्रभु का स्मरण करना। सुखनिद्रा के लिये - श्री चंद्रप्रभस्वामी का स्मरण करना। चौरादि भय के नाश के लिए - श्री शांतिनाथ। भगवान का स्मरण करना। (आचारोपदेश) दिशाज्ञान: दक्षिण दिशा में पांव रख कर कभी सोना नहीं। यम और दुष्टदेवों का निवास है। कान में हवा भरती है। मस्तिष्क में रक्त संचार कम हो जाता है। स्मृतिभ्रंश, मौत और असाध्य बीमारियाँ होती है। यह बात वैज्ञानिकों ने एवं वास्तुविदों ने भी जाहिर की है। ९. कहा भी है : गुड नाईट -6 - Jain Ede Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राक्शिरः शयने विद्या, धनलाभश्चदक्षिणे । पश्चिमे प्रबला चिन्ता, मृत्युहानिस्तथोत्तरे ।। पूर्व दिशा में मस्तक रखकर सोने से विद्या की प्राप्ति होती है। दक्षिण में मस्तक रखकर सोने से धन और आरोग्य लाभ होता है। पश्चिम में मस्तक रखकर सोने से प्रबल चिन्ता होती है । उत्तर में मस्तक रखकर सोने से मृत्यु और हानि होती है । अन्य ग्रंथों में शयनविधि के विषय में और भी बातें सावधानी के तौर पर बताई गई हैं । १. मस्तक और पाँव की ओर दीपक रखना नहीं। बायीं या दायीं ओर कम से कम ५ हाथ दूर दीपक रखना चाहिये । २. सोते वख्त मस्तक दीवार से कम से कम ३ हाथ दूर होना चाहिये । ३. पाँव की ओर खांडनी - सांबेला नहीं रखना । ४. संध्याकाल में निद्रा नहीं लेनी । गुड नाईट - 7 Education internationalor Per Car & Private Onl Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५. शय्या पर बैठे-बैठे निद्रा नहीं लेनी । ६. द्वार के उंबरे पर मस्तक रखकर नींद न ले । ७. हृदय पर हाथ रखकर, छत के पाट के नीचे और पाँव पर पाँव चढ़ाकर निद्रा न लें । ८. सूर्यास्त के पहिले सोना नहीं । ९. पाँव की ओर शय्या ऊंची हो तो अशुभ है। १०. शय्या पर बैठकर खाना अशुभ है। (बेड टी पीने वाले सावधान!) ११. सोते-सोते पढ़ना नहीं । १२. सोते-सोते तांबूल चबाना नहीं। (मुंह में गुटखा रखकर सोने वाले चेत जाएं!) १३. ललाट पर तिलक रखकर सोना अशुभ है । (इसलिए सोते वक्त मिटाने को कहा जाता है ।) १४. शय्या पर बैठकर अस्त्रे से सुपारी के टुकड़े करना अशुभ है । गुड नाईट - 8 or Personal & Priv se Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुबह उठने की विधि सुबह चार घड़ी (९६ मिनट) शेष रहे तब जग जाना चाहिये। इसे ब्रह्ममुहूर्त भी कहा जाता है। "श्रावक तू उठे प्रभात, चार घड़ी रहे पाछली रात''। अंग्रेजी कहावत "Early to bed and early to rise is the way to be healthy, wealthy and wise." ___ आज के वैज्ञानिकों ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि जो मनुष्य सूर्योदय के बाद उठता है, उसकी मस्तिष्क शक्ति कमजोर बनती है। ज्यादा नींद लेना, शरीर और मन के लिये हानिकारक है, ऐसा केलिफोर्निया के रिसर्च डाक्टरों ने सिद्ध किया है। बालकों के लिये ८ घंटे, युवकों के लिये ६ घंटे और वृद्धों के लिये ४-२ घंटे काफी हैं। परम और श्रेष्ठ वैज्ञानिक भगवान महावीर ने तो आज से २५०० वर्ष पूर्व ही बात कह दी थी कि युवा साधुओं को २ प्रहर (६ घंटे करीब) से ज्यादा नींद नहीं लेनी चाहिये। - गुड नाईट -9 and on Internationālor Persona & Pre ise Only painelibrary.org Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इसलिये १० बजे सोने के बाद ४ बजे उठना हो सकता है । ( नाईट क्लबों में जाना, आधी रात को पोर्नोग्राफिक फिल्में देखना, १२ बजे सोना, सुबह १० बजे उठना स्वस्थ एवं सज्जन व्यक्ति के लिये शोभास्पद नहीं है।) कहावत भी है "आहार और निद्रा ज्यों बढाओं त्यों बढती है और घटाओं त्यों घटती है ।' सुबह उठकर अंजलिंबद्ध प्रणाम में हाथ जोड़कर ८ नवकार गिनें 1 T विवेक - यदि बिस्तर पर बैठकर गिन रहे हैं तो मौन पूर्वक गिनें । उच्चारण पूर्वक गिनना है तो नीचे बैठकर गिने । उठते वक्त आठ नवकार ८ कर्म को करने के लिये हैं। आठ कर्मों के नाम ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, अंतराय, नाम, गौत्र और आयुष्य हैं। दूर उदाहरण - ज्ञानचंद सेठ दर्शन करने गये। पैर में वेदना हुई। मोहनलाल वैद्य मिले। पूछा दर्शन में अंतराय कैसे पड़ा ? नाम क्या ? गौत्र क्या? दवाई देकर कहा यह पूड़िया ले लेना तेरा आयुष्य बहुत लंबा हो जाएगा। गुड नाईट - 10 Education Internationalor Personal & Fmvateyser nelibrary.org Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * अंजलिबद्ध प्रणाम करने की विधि दायें हाथ की उंगलियाँ ऊपर आये इस प्रकार हाथ की उंगलियाँ एक दूसरे में फंसानी । तत्पश्चात् दोनों हथेली इकट्ठी कर सिद्धशिला पर विराजमान २४ तीर्थंकरों एवं अनंतसिद्धों के भाव से दर्शन करें और उन्हें वंदन करें, "जिस सिद्धात्मा की कृपा से मेरी आत्मा निगोद में से बाहर आई, सातवीं नरक से भी अनंतगुणी वेदना से मेरा छुटकारा हुआ, उन परमोपकारी सिद्ध भगवंत को मेरी कोटि-कोटि वंदना हो!" वैदिक दर्शन में भी विधान के रूप में कहा गया है "प्रभाते करदर्शनं कुर्यात् " सुबह उठकर पुरूषों को दायां हाथ देखना, बहिनों को बायां हाथ देखना । आगे भी कहा है - "कराग्रे वसति लक्ष्मी: कर मध्ये च सरस्वती''। सुबह उठकर सर्वप्रथम अपनी हथेली के अग्रभाग गुड नाईट - 11 or Personal & Pr Use onl. Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के दर्शन करने वाले को लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और हथेली के मध्यभाग के दर्शन करने से सरस्वती-विद्या की प्राप्ति होती है। अपने महापुरूषों ने “एक पंथ दो काज'' का गणित लगाते हुए यह भी लाभ हो जाय एवं मोक्ष का लक्ष्य ही मन में रहे तदर्थ हथेली में सिद्धशिला के दर्शन करने का विधान किया । के प्रात:काल का चिन्तन: आचारांगादि आगमसूत्र अनुसार प्रतिदिन प्रातः ऐसा सोचना चाहिये "कहं में आगओ ? पुव्वाओ ?” मैं कहाँ से आया हूँ? किस दिशा से आया हूँ? मेरा क्या कर्तव्य है? मैं कहाँ जाऊँगा? मुझे कैसा दुर्लभ और उत्तम जिनशासनं मिला है? मेरे देव गुरू और धर्म कितने महान् है ! यह मानवजन्म मुनि बनकर मोक्ष में जाने के लिये है । संयम न मिले तब तक मुझे अपना जीवन कैसा बनाने का है? प्रतिज्ञा बिना का जीवन पशुतुल्य है। नियम तो लगाम है, अंकुश है। वह हाथी-घोड़े पर लगता है, गधे पर नहीं। मैंने कौन-कौन सी प्रतिज्ञायें ली हैं? मुझे मोक्ष मार्ग किस उपकारी गुरूदेव ने बताया ? किसने Main Education Internationa गुड नाईट - 12 rsonal & Private 1 gelibrary.org Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उस मार्ग में मुझे स्थिर किया? मेरा धर्ममित्र कौन है? भुलक्कड़ गोपीचंद की तरह मैं मेरे उपकारी उत्तम देव गुरू को भूला तो नहीं हूँ न ? आदि । 3 बिस्तर से नीचे उतरने की विधि अच्छा स्वप्न आया हो तो परमात्मा एवं महापुरूषों के गुणों का स्मरण करते हुए धर्मजागरण करना, अर्थात् जागते रहना । खराब स्वप्न आया हो और पुनः सो जायें तो खराब फल नष्ट हो जाता है। ऐसा स्वप्न शास्त्र में कहा गया है । जैन शास्त्रों में खराब स्वप्न के फल को दूर करने के लिये कायोत्सर्ग का विधान किया गया है। जो सुबह का प्रतिक्रमण प्रतिदिन करते हैं, प्रतिक्रमण की विधि में यह कायोत्सर्ग जुड़ा हुआ ही है। जो संजोगवशात प्रतिक्रमण करने में असमर्थ है, उन्हें भी यह कायोत्सर्ग-काउसग्ग अवश्य करना चाहिये । गुड नाईट - 13 Jain Education Internation for Personal & Private Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इच्छा. कुसुमिणदुसुमिण ओहडावणत्थं राइयपायच्छित्तंविसोहणत्थं काउसग्ग करूं? इच्छं । कुसुमिण॰ करेमि काउसग्गं अन्नत्थ॰ चोथाव्रतभंग (स्वप्नदोषादि) के स्वप्न का पाप धोने के लिये ४ लोगस्स सागवरगंभीरा, अन्य हिंसादि के स्वप्न दोष लगा हो तो उसके प्रायश्चित हेतु ४ लोगस्स चंदेसु निम्मलयरा या १६ नवकार का काउसग्ग करना। इससे खराब स्वप्न का फल नाश होता है, अच्छे स्वप्न का फल मजबूत बनता है 1 कायोत्सर्ग में नियम आराधना के तमाम काउसग्ग सागरवरगंभीरा तक, प्रतिक्रमण के काउसग्ग चंदेसु निम्मलयरा तक और कर्मक्षय या शांति का काउसग्ग संपूर्ण लोगस्स का करना चाहिये । फिर अनुकूलतानुसार प्रातः प्रतिक्रमण अवश्य करना चाहिये । कम से कम सात लाख बोलकर रात्रि के पापों की माफी मांगना और भावजिन सीमंधरस्वामी + शाश्वत गिरिराज शंत्रुजय तीर्थं का चैत्यवंदन करना चाहिये। अईमुत्ता केवली ने शत्रुंजय गुड नाईट - 14 sonal & Faivate use Onlwww.jainelitary Jain Education Internation 14 - Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लघुकल्प में कहा है कि कोई भी भव्यजीव यदि शत्रुजय की भाववंदनापूर्वक नवकारशी का पच्चक्खाण करता है तो उसे छट्ठ का लाभ मिलता है। सुबह उठकर किस मंदिर में सर्वप्रथम जाना चाहिये? 4 मंदिर पांच प्रकार के होते हैं (प्रवचन सारोद्धार ग्रंथ) (१) मंगलचैत्य :- घर के द्धार के बारसाख पर प्रभु पार्श्वनाथादि जिनबिंब जैसे अन्य धर्मों की मान्यता रखने वाले गणपति आदि की मूर्ति रखते हैं। (२) गृहचैत्य :- घर मंदिर (३) शाश्वतचैत्य :- देवलोकों में एवं नंदीश्वरादि द्वीपों में शाश्वत मंदिर है (४) निश्राकृत चैत्य :- अमुक सोसायटी एरिया या गच्छविशेष का पर्सनल मंदिर हो। (५) अनिश्राकृतचैत्य :- संघ मंदिर - गुड नाईट - 15 e rsorat Privale Use On E cation Interation ainelibrary.org Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * मंगलचैत्य आज घर-घर अशांति की आग है क्योंकि लोग शास्त्र में बताये गये मार्ग का अनुसरण नहीं करते हैं । * जैन शास्त्रानुसार गृहवास्तु शिल्प घर के मुख्य बारसाख पर पार्श्वनाथादि प्रभुमूर्ति एवं अष्टमंगल होना चाहिये । वास्तुशिल्प की महत्वपूर्ण बातें....... १. आरम्भ-समारंभ और रागविशेष का कारण होने से जैन श्रावक घर नया बनाने की बजाय तैयार घर में रहना पसंद करता है 1 २. घर सज्जनों की बस्ती में होना चाहिये। समान संस्कार वाली बस्ती हो तो ज्यादा लाभप्रद है । जिससे बच्चों में विपरीत संस्कार न पड़े। (कॉस्मोपोलिटन सीटी विस्तारों में यह प्रोबलम नासूर बन गया है। बच्चे खेल-खेल में नोनवेज नाम सीख लेते हैं । भोले बच्चों को कोई खिला भी देता है। युवाओं में लव मैरेज की विकट समस्या भी पैदा हो जाती है ।) गुड नाईट - 16 on Personal & Private Use Only ww.jaihelip Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३. उत्तम-पश्चिमद्वार शुभ, उत्तर कुबेर द्वार धन वैभव-दक्षिण द्वार निषेध। दक्षिण द्वार घर में अशांति पैदा करता है। (सामने राजमार्ग न हो ४. घर में ज्यादा द्वार नहीं होना चाहिये वर्ना शील की सुरक्षा को खतरा रहता है। ५. घर में युद्ध के चित्र नहीं रखने चाहिये, अशांति पैदा होती है। आजकल नई फैशन चली हैं महाभारत का युद्ध चित्र रखते हैं। घर के मूल द्वार पर मंगलमूर्ति और अष्टमंगल होना चाहिये। दूसरा भी एक बड़ा फायदा है। यह जैन घर है ऐसी पहचान भी हो जाती है, जैसे मुस्लिम चांद रखते हैं और अजैन गणपति को रखते हैं। ७. घर में ईशान कोण में लोहे की वजनदार पेटी आदि नहीं रखनी चाहिये ऐसा वास्तुशास्त्री कहते हैं। कारण कि वह देव दिशा है। (भगवान सीमंधरस्वामी ईशान दिशा में है।) - गुड नाईट - 17 - Jain Educa t er tonnor Personal & Private Use Onlwww.jainelibrary Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ईशान कोण में पूजा का स्थान घर मंदिर रखना चाहिये। श्री संबोध प्रकरण में (गाथा २३-२४) आ. श्री हरिभद्र सू.म. ने फरमाया है कि, जिसकी सामान्य मूडी १०० रू. की भी हो, उसके घर में घर मंदिर अवश्य होना चाहिये। जिसके घर में घर मंदिर नहीं वह घर नहीं, श्मशान है। ऐसे कठोर शब्द लिखे हैं। __आज टी.वी, विडियो चैनलों से भरपूर पापाचारों के युग में धर्म और संस्कृति का तो निकंदन निकल रहा है। मर्यादा की मौत हुई जा रही है। ऐसे भयंकर विषम समय में इंसान अपने बुद्धिबल से या पुण्यबल से अपनी संतान को बचा पायेगा क्या? यह लाख रूपये का सवाल है। मात्र परमात्मा ही उसे बचा सकेंगे। * घर मंदिर के अनेक लाभ* घर के सभी सदस्य पूजा करने लगते हैं, दर्शन करते हैं, आरती करते हैं। छोटे बड़े सभी अनेक प्रकार के पापों से बच जाते हैं। - गुड नाईट-18 - Jain Education Internatio e rsoral Private Use Onlyww.jaingbrary.org Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जिसके घर में मंदिर बने, उसका घर भी मंदिर बनें जिसके घर में अरिहंत उसके घट में भी अरिहंत । 1 चूँकि मन में भावना पैदा होती है कि घर में भगवान हैं, हमें ऐसा नहीं करना चाहिये । वैसा नहीं करना चाहिये। छोटे बच्चों में अनायास ही सुंदर संस्कार पड़ जाते हैं। जिसके घर में हो अरिहंत, उसका होता है भवभ्रमण का अंत ! कभी कभार छ: रीपालक संघ की पधरामणी हो जाय। कभी चैत्यपरिपाटी में चतुर्विध संघ घर पर पधार जाय, पूज्य आचार्य भगवतादि साधु-साध्वी भगवंत के पुनीत पगले हो जाय । ५ तिथि को ५ मंदिर अवश्य जाने का होता है, इसलिये अनेक गुरूभगवंतों का लाभ मिल सकता है। श्रीराम, रावण, कृष्ण, अभयकुमार,शालिभद्र, दमयंती, कुमारपाल, वस्तुपाल, घरमंदिर रखते थे। साबरमती और विशाखापट्टनम का उद्धार घर मंदिर से ही हुआ । * घर मंदिर की विधि संघ मंदिर में प्रभु का मुख विशेषकर पूर्व या उत्तराभिमुख होता है। घर मंदिर में इसके ठीक गुड नाईट - 19 Sonal & Priva Jain Educat Onlwww.jainelibrar Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विपरीत होता है। घर मंदिर में प्रभु का मुख या तो पश्चिम की ओर रखें या दक्षिण चूँकि घर मंदिर में पूजक की दिशा (पूजा करने वाले का मुंह ) पूर्व या उत्तर की ओर ही चलता है । (१) घर मंदिर में अन्य छ: दिशाओं का निषेध क्यों है ? • पश्चिम दिशा में मुंह रखकर पूजा करने से ४थीं पीढी नष्ट होती है । दक्षिण दिशा में मुंह रखकर पूजा करने से संतति बढ़ती नहीं है । • अग्निकोण में मुंह रखकर पूजा करने से धन की हानि होती है । वायव्य कोण में मुंह रखकर पूजा करने से धन की हानि होती है । • नैऋत्य कोण में मुंह रखकर पूजा करने से कुल का क्षय होता है। • ईशान कोण में मुंह रखकर पूजा करने से संतति का क्षय होता है । (विवेक विलास - श्राध्ध विधि) (२) घर मंदिर में १-३-५-७-११ अंगुल से बड़ी मूर्ति नहीं चलती। (आजकल इंच का माप चलता है गुड नाईट - 20 sonal & Private Use Onlyww.jainelibrary.org Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मगर अंगुल का माप शास्त्रीय है। आत्मा प्रबोधक पृष्ठ ३६) उत्तर वायव्य । ईशान पश्चिम -पूर्व नैऋत्य | अग्नि दक्षिण (३) घर मंदिर में संगमरमर यानि आरस के भगवान नहीं रखने चाहिये। पंचधातु-सर्वधातु के रख सकते हैं। (समयावली सूत्र) (४)शिल्पानुसार घर मंदिर में परिकर वाले भगवान ही रख सकते हैं। परिकर बिना के भगवान घर मंदिर में निषिद्ध हैं। (संघ मंदिर में भी या तो परिकर वाले भगवान हो या परिवार वाले त्रिगड़ा वगैरह। तीर्थं की बात अलग है।) (५) नाम राशि के अनुसार ही भगवान लेने चाहिये। घर का मैन व्यक्ति या घर में रहने वाले मेम्बर के नाम से भगवान ले सकते हैं। लड़की के नाम से नहीं ले सकते चूंकि वह पराये घर जाने वाली - गुड नाईट - 21 education Internationaltor Onl Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ है। जैसे कि "अ आ ई उ ऊ" से शुरू होने वाले नाम वाले व्यक्ति को वासुपूज्य स्वामी है तो ग और भ से शुरू होने वाले को पार्श्वनाथ है, इस तरह सभी नाम से अलग-अलग भगवान आते हैं। जाप भी अपनी राशि के भगवान के नाम का करने से तुरंत फलदायी होता है । 6 (१) घर में कांटे वाले कैकट्स आदि वृक्ष रखने का निषेध है (पूजा हेतु गुलाब के सिवाय) (२) वृक्ष और जिनमंदिर के ध्वजा की छाया दिन के दूसरे तीसरे प्रहर में घर पर नहीं पड़नी चाहिये । बाकि समय ध्वजा की छाया शुभ है। (वास्तुसार गा. १४३) (३) असती पोषण का निषेध होने से शौक के खातिर कुत्ते, बिल्ली, तोता, मैना आदि नहीं रखने चाहिये । गुड नाईट - 22 or Personal & Privat se Onll Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * घर में शोकेस कैसा होना चाहिये?* जिसको देखकर आनंद होता हो, प्राय: अगला जन्म वहाँ रिझर्व हो जाता है। शोकेस में यदि बाघ, बिल्ली रखेंगे और उन्हें देखकर बच्चे खुश हो जायें और यदि उसी वक्त आयूष्य बंध हो जाये तो गजब हो जायेगा, उसे बाघ, बिल्ली के भव में जाना पड़ेगा। श्री धर्मनाथ भगवान के वक्त चूहे को देखकर | साधु खुश हो गया “वाह! क्या मजे की लाईफ है चूहे | की!' उसी वक्त आयुष्य बंध गया। मरकर साधु को चूहा बनना पड़ा। इडियट बोक्स की उपमा को प्राप्त टी.वी, वीडियो इन्टरनेट और चेनल के दृश्य आत्मा की परभव में कैसी अवदशा करेंगे, यह बात सोचते ही आप चौक उठेगे। किसी ने ठीक ही व्यंग्य कसा है आज के टी.वी. प्रेमियों पर .... __टी.वी. ब्रह्मा, टी.वी विष्णु, टी.वी देवो महेश्वर।, टी.वी. साक्षात् परमब्रह्म, तस्मै श्री टी.वी. गुरवे नमः।। - गुड नाईट - 23 - ducation International e Onlwww jainelibrary.org Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आज का इंसान बीबी छोड़ने को तैयार है, टी.वी. नहीं छोड़ेगा ! ओ पूज्य पप्पाओं और पूज्य वाली मम्मीओं! जागो और समझो। कहलाने यदि आपको अपने बच्चे प्यारे हैं, उनका भविष्य आप सोच सकते हैं ऐसी बौद्धिक क्षमता है तो अब घड़ी, टी.वी. का बहिष्कार करो । आज की ताजा खबर :- केनेडा की एक मासूम १४ साल की कन्या पर कुछ नराधमों ने बलात्कार गुजारा। इस बर्बर कृत्य से सभी हतप्रभ हो गये। रो-रो कर आँखे सूज गई और उस कन्या ने निदान किया । इस पापाचार का मूल टी.वी. के भयंकर सैक्सी दृश्य हैं । २.५ करोड़ केनेडा की जनता है। लाख हस्ताक्षर इकट्ठे करके ओटोवा में प्राईम मिनिस्टर को हाथोहाथ पत्र अर्पित किया और धमकी भरे शब्द में विनती की कि यदि टी.वी. पर अश्लील और हिंसक दृश्य बंद नहीं किये गये तो भयंकर परिणाम की चेतावनी दी। पूरी सेनेट ने पत्र को खूब गंभीरता से गुड नाईट - 24 or Personal & Prix Use Onl Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लिया और पूरे देश में अश्लील और हिंसक प्रसारण पर रोक लगा दी। (भारत के मांधाताओं की आँखे कब खुलेगी? ) भायखला की जेल में कैद २५० बालकों ने कहा हमने जो भी मर्डर आदि भयंकर अपराध किये हैं उनका मूल टी.वी. है। भावनगर में कई मुस्लिमों ने मिलकर खुद के टी.वी. सेट तोड़ दिये हैं । (सौराष्ट्र समाचार) वीडियो गेम से बालकों में हिंसक वृत्ति पनपती है। 7 प्रश्न- जल्दी उठने को कहा है, लेकिन जल्दी कैसे उठना ? उत्तर- (१) जल्दी उठने के लिये जल्दी सोने का कहा गया है। (२) मन के दो भेद है - - सुषुप्त मन और जाग्रत मन । चेतन मन और अवचेतन मन । सुषुप्त मन को आदेश दिया जाय तो जल्दी उठ सकते हैं। रात को गुड नाईट - 25 or Personal & Priva . Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | सोते वक्त पहले नवकार गिनकर तीन बार मन को आदेश करना "मुझे इतने बजे उठना है" इसी तरह ऑटो सजेसन थैरेपी द्वारा बॉडी एलार्म की व्यवस्था कर सकते हैं। इसी तरह किसी भी प्रकार का व्यसन और बुरी आदत को छोड़ने के लिये सोने से पहले अवचेतन मन को, आदेश देने से काम हो जाता है, सिगरेट का व्यसन हो तो हमेशा सोते समय मन को आदेश दो कि मैं सिगरेट देखूंगा तो मुझे उल्टी हो जायेगी।'' दो चार दिन में उल्टी जैसे हो जायेगा फिर सिगरेट छोड़नी ही पड़ेगी ये बात आज के मनोवैज्ञानिकों ने जाहिर की है। जैन शासन का तो कहना है कि मन के जीते जीत है मन के हारे हार । मन को मजबूत करो, तो कुछ भी इम्पोसिबल नहीं। प्रश्न- जल्दी सोने के लिये क्या करना चाहिये? उत्तर - खाने और सोने के बीच में चार घंटों का अंतर चाहिये ऐसा आज का विज्ञान कबूल करता है। जैन शास्त्र में तो यह बात हजारों सालों से लिखी हुई है कि सूर्यास्त से पहले भोजन कर लेना। रात्रि भोजन नहीं गुड नाईट- 26 Main Education Internation for Personal & Private Us Onlym library.org Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करना। जैन दर्शन कितना सायन्टिफिक है सूर्यास्त के ४८ मिनट पूर्व भोजन और तीन घंटे बाद शयन । * घर मंदिर के लिये आवश्यक बातें (१) मुख्य रूप से अंजनशलाका वाले भगवान को मंदिर में रखने चाहिये । जैसे यंत्र शक्ति से T लोहा रोबर्ट बनकर काम करता है वैसे मंत्र शक्ति से बिंब परमात्मा बनता है । अंजनशलाका महापवित्र विधान है । उस समय ५६ दिक्कुमारी आदि की स्थापना मंत्रोचार के साथ होती है। उसके अलावा मात्र नाटक के रूप में पेश करना उचित नहीं है । 1 (२) अंजनशलाका के भगवान पधराने हो तो फिर हमेशा पूजा सेवा आरती आवश्यक है । जहाँ भगवान पधराये हुए हों वहाँ टेरेश में किसी का पाँव नहीं आना चाहिये। इसलिये वहाँ ऊपर ईंट का स्तूप (घुमट) जैसा बना सकते हैं । गुड नाईट - 27 or Personal & Private Onl Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३) बहुमंजिली बिल्डिंग में दिवाल के ऊपर दिवाल आती है इसलिये अलमारी में भगवान पधराने से कोई दिक्कत नहीं है । (४) अढ़ार अभिषेक के भगवान दर्शनीय हैं, प्रात: पडदा कर आलमारी बंध करने के बाद कछ आशातना नहीं हैं। वासक्षेप, पूजा, दीया और धूप होता है। दो दिन रह भी जाये तो कोई दोष नहीं। फोटो का भी १८ अभिषेक कराना चाहिये। सुबह उठकर घर में मंदिर हो तो सर्वप्रथम घर मंदिर में दर्शन करना चाहिये । इसके बाद में श्री संघ के मंदिर में दर्शन करने जाना चाहिये । गुड नाईट - 28 or Personal & Private Use Onlwww.anelibrary.org Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8 प्रभु दर्शन की शास्त्रीय विधि वीतराग भगवान के दर्शन पापों का नाश करता है। वीतराग प्रभु को वंदन वांछित को पूरता है। वीतराग प्रभु की पूजा लक्ष्मी प्रदान करती है। इसलिये परमात्मा साक्षात् कल्पवृक्ष है। प्रभु दर्शन की इच्छा हुई तब से ही लाभ शुरू हो जाता है। उपवास, छट्ठ, अट्ठम, १५ उपवास, ३० उपवासादि लाभ मिलता है। कषाय क्लेश हुआ हो तो दिमाग को शांत करके दर्शन करने जाना चाहिये। मंदिर जाते समय दूध का बर्तन और शाक सब्जी की थैली लेकर नहीं जाना चाहिये । शुभ शकुन देखकर प्रभु को मिलने के लिये जाना चाहिये। नंगे पैर दर्शन करने जाने से यात्रा का लाभ मिलता है, जयणा का पालन होता है। मंदिर की ध्वजा देखते ही दो हाथ जोड़कर मस्तक झुकाकर 'णमो जिणाणं' बोलना । जेब में खाने-पीने की चीजों को न रखें । झूठा मुंह हो तो स्वच्छ पानी से साफ करना । दर्शन के गुड नाईट - 29 Jain Education Internationer Personal & Private Use Onlyww.jainelibrary.org Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लिये स्नान करना जरूरी नहीं है । (हाथ, मुंह धोकर अंग शुद्धि कर लें तो चलता है) भगवान की आज्ञा मस्तक चढ़ाने के प्रतीक के रूप में मस्तक पर तिलक रखना (पुरूषों के लिये बादाम-ज्योत का आकार और महिलाओं के लिये गोल तिलक करना चाहिए) अजयपाल के क्रूर हठाग्रह से उन्नीस युगल गरमागरम तेल में तल कर खतम हो गये लेकिन तिलक नहीं मिटाया। उस बलिदान को याद करके माता बहिनों को में सूचना है कि सुबह बच्चों को टुथब्रश के बारे में पूछते हो लेकिन यह पूछना क्यों भूल जाती है कि बेटा! तिलक क्यों नहीं लगाया? जा जल्दी लगा के आ । तिलक बिना जैन का बच्चा शोभता नहीं।'' तिलक पूरे दिन रहे इस तरह से लगाना । सेठ मालिक को वफादार रहने वाला आदमी, क्या तिलक को बेवफा बनेगा? मेरे मस्तक पर प्रभु का तिलक है, यह याद आते ही बहुत से पापों से बच जायेंगे । • प्रभु को तीन प्रदक्षिणा देनी चाहिये। तीन प्रदक्षिणा देने से १०० वर्ष के उपवास का लाभ मिलता or Personal Private Use Onlwww.jainelibrar गुड नाईट - 30 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ है। यानि ३६४०० उपवास का लाभ मिलता है प्रदक्षिणा ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से भी महामांगलिक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रयाण करने से पहले तीन प्रदक्षिणा देने से तमाम दोष दूर हो जाते हैं । • मंदिर के मुख्य द्वार पर निसीहि कहकर प्रवेश करना । पुरूषों को अपने बांये हाथ से और महिलाओं को अपने दांये हाथ से अंदर प्रवेश करना चाहिये । मुख्यद्वार के नीचे शिल्प के अनुसार दृष्टि दोष निवारण के लिये, दो जलग्राह बनाये हुए हैं। उन दोनों के बीच की जगह हाथ से स्पर्श करना। भगवान के दर्शन होते ही 'णमो जिणाणं" बोलना । 9 प्रदक्षिणा का अर्थ (१) श्रेष्ठ दक्षिणामोक्ष पाने के लिये! प्रभु तुम्हारे पास हम आये हैं । (२) भगवान की दाहिनी बाजू से राउन्ड फिरे, वह प्रदक्षिणा कहलाती है । रत्नत्रयी की आराधना और भव भ्रमण को मिटाने वाली प्रदक्षिणा Jain Education Internationa गुड नाईट- 31 Sonal & Private Use Onlwww.jainetibraly.org Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवश्य देनी चाहिये। तीन जगह पर निसीहि बोलनी चाहिये। (१) प्रथम निसीहि मुख्य द्वार पर - संसार की तमाम पाप प्रवृत्तिओं और विचारणाओं को मैं मन वचन और काया से निषेध करता हूँ। मंदिर में प्रवेश कर काजा निकाल सकते हैं। १०० उपवास का लाभ मिलता हैं। (२) तीन प्रदक्षिणा पूरी होने के बाद प्रभु के गंभारे के पास दूसरी बार निसीहि। मंदिर संबंधी बातों का भी त्याग करता हूँ। (३) धूप, दीप और साथिया करने के बाद चैत्यवंदन के पहिले तीसरी बार निसीहि बोलनी। मुख्य द्वार पर निसीहि बोल कर क्या-क्या करना? भगवान के समवसरण में पहुँच गया हूँ ऐसी भावना भानी चाहिये। जैसे समवसर भगवान एक होते हैं, तीनों दिशा में उनकी मूर्ति होती है, वैसे इधर भी मूलनायक एक दिशा में हैं और तीन दिशा में मंगलमूर्ति रखी हुई है, - गुड नाईट - 32 Jan Education intemation e Use Onlwww.jalgelib 330000000 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इसीलिये प्रदक्षिणा में जब-जब भगवान के दर्शन हों तब "णमो जिणाणं'' बोलना चाहिये । • उसके बाद भगवान के दाहिने साईड में पुरूषों को और महिलाओं को बायीं साईड में खड़े होकर दर्शन करने चाहिये । धूप घर से लायें तो स्वद्रव्य पूजा से विशेष लाभ होता है अथवा धूपधानी से धूप करना (चालू हो तो उसी को लेकर ) । 10 बहिनों को नम्र सूचना मंदिर में दर्शन और पूजन करने के लिये जाते वक्त महिलाओं को मर्यादा पूर्ण सिर ढँक कर भारतीय संस्कृति के अनुरूप वस्त्रों को पहिनना चाहिये। किसी को विकार पैदा हो, वैसे चुस्त या पारदर्शी पहिनना, बरमुडा जैसे शॉर्ट ड्रेस पहिनकर जाना आशातना है। जैसे पाप खराब है वैसे पाप में निमित्त बनना यह भी खराब है 1 Jain Education गुड नाईट - 33 sonal & Private Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * चामर से नृत्य पूजा प्रभु स्तुति गाने से अतिशय पुण्य का बंध होता है। पंचाशक ग्रंथ में कहा है कि आती हो तो १०८ स्तुति हर रोज गानी चाहिये। स्तुति बोलते वक्त ध्यान रहे कि दूसरों को भक्ति में अंतराय न पड़े। परमात्मा की आँखों को ध्यान से देखने से 'त्राटक' होता है। परमात्मा के साथ बातें करनी हो, रावण और मंदोदरी की तरह प्रफुल्लित होकर नाचना हो, पाप के पश्चाताप में फूट-फूटकर रोना हो तो घर मंदिर जरूरी है। श्रावक के कर्त्तव्य में एक घर मंदिर और यथाशक्ति छोटी सी मूर्ति भी भरानी चाहिये ऐसा विधान है। शक्ति हो तो हीरा, माणिक, स्फटिक, सोना या चांदी की मूर्ति भरानी चाहिये, कम से कम आरस की मूर्ति। मूर्ति में जितने परमाणु हो उतने साल का दैविक सुख प्राप्त होता है । धूप, दीप पूजा होने के बाद धूप भगवान की बायीं ओर और दीपैक दाहिनी ओर स्थापित करें । चामर लेकर जो प्रभु के सामने नाचता है उसे दुनिया में कहीं नाचना नहीं पड़ता। or गुड नाईट- 34 te Use Onlywwwww.ainelibrary.org Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___ दर्पण में प्रभु के प्रतिबिंब को पंखा वींझना चाहिये। मेरे हृदय में प्रभु बसें ऐसी भावना रखनी चाहिये। निमित्त शास्त्र के अनुसार मस्तक के ऊपर दो हाथ नहीं रखना। दर्पण में देखकर तिलक करना। इससे कालदर्शन भी हो जाता है। प्रभो! तू दर्पण में कालातीत है, मैं काल से कवलित हूँ। ऐसा सोचना। अक्षत पूजा में प्रथम साथिया बाद में तीन ढगली भरकर रखनी और ढगली में खड्डा नहीं करना। सिद्धशिला अर्ध चंद्राकार पर सीधी रेखा करनी, यह शास्त्रीय है। बिंदीवाला चंद्रमा का आकार गलत है। साथिया पर नैवेद्य और सिद्धशिला पर फल रखना चाहिये। तीसरी निसीहि बोलकर चैत्यवंदन करना। मूलनायक की माला गिननी और दर्शन पूजन का आनंद व्यक्त करने के लिये घंट बजाना। आज के साईन्स ने साबित कर दिया है कि घंटनाद करने से कान की अनेक बिमारियाँ दूर हो जाती हैं। ___ भगवान को पूंठ न हो वैसे बाहर निकलना। बाहर बैठकर बारह नवकार गिनना। ।।इति दर्शन विधि संपूर्ण ।। - गुड नाईट - 35 - Jain ucation Internationaltor Personal Private Onlyww.ainelibrary.org Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * प्रांसगिक चिंतन • जो नवकार गिनता है उसको भव गिनना नहीं पड़ता। योगी के पास जाओ, योगी न बन सको तो उपयोगी अवश्य बनो । • संत के पास जाओ और संत न बन सको तो शांत अवश्य बनो । । आग से भरे अंगारे नदी में डुबकी लगाते ही ठंडे हो जाते हैं। चाहे कैसा भी टेंशन हो, हृदय में ज्वाला हो लेकिन प्रभु की शरण में आ जाओ ठंडे बन जाओगे। भक्त शासन का बनाओ, देवगुरू का बनाओ, तिर जाओगे । अपना भक्त बनाने की वृत्ति छोड़ देनी चाहिये । छोटी-छोटी सी बात में शासन को छिन्न-भिन्न मत करो। तीर्थों पर आक्रमण, शासन पर आक्रमण आ रहा है । कमर कसकर शासन रक्षा, तीर्थ रक्षा करने का पुरूषार्थ बढ़ाओ । Jain Education Internation गुड नाईट - 36 Personal & Private Use Onl Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * माला गिनने की विधि १. हाथ पर माला आवर्तों से गिन सकते हैं। २. सूत की माता श्रेष्ठ कहलाती है । ३. नाक से ऊपर नहीं और नाभि से नीचे नहीं इस ढ़ंग से माला पकड़नी चाहिये | ४. चार अंगुली पर माला रखकर अंगुठे से गिननी। (कहीं तर्जनी से गिनने का भी विधान किया गया है।) 11 पूजा विधि की वैज्ञानिकता और पूजा का महत्व पूजा उपसर्गों का नाश करती है, विघ्न की बेल को काटती है और मन की प्रसन्नता को बढ़ाती है । जिनका दर्शन मन को आनंद दिलाता है, उनका स्पर्श अधिक आनंद देता है। प्रभु के दर्शन से मन खुश हो जाय तो स्पर्श से भक्त का मन झूम उठता है । गुड नाईट - 37 Jain Exication Internationalo Onl Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * त्रिकाल पूजा * श्राद्ध विधि में कहा है - सुबह में शुद्ध सामायिक के कपड़े में वासक्षेप पूजा करने से १ रात्रि का पाप का नाश होता है। दोपहर में नये या रोज धुले हुए शुद्ध पूजा के वस्त्रों से अष्टप्रकारी पूजा करने से १ भवों का पाप नाश होता है और सायम् सूर्यास्त से पहिले आरती मंगलदीप पूजा करने से ७ भव का पाप नाश होता है। तीन प्रकार की पूजा - अंगपूजा अभ्युदय करती हैं । अग्रपूजा विघ्न हरती है और भावपूजा से मोक्ष मिलता है। प्रश्न- पूजा के लिये स्नान करते हैं। हिंसा होती या नहीं? उत्तर - शास्त्रों में हिंसा तीन प्रकार की बताई गई । (१) अनुबंध हिंसा - जिसके बिना मजे से जी सकते हैं, उदाहरण के रूप में टी.वी, फ्रीज, कलर, बाथ, वॉटर पार्क बिना चल सकता है । किक्रेट मैच के बिना रावण वध, होली की ज्वाला देखे बिना चल सकता है, नाटक सर्कस देखे बिना चल सकता है। ऐसे अनर्थ दंड जैसे पाप और गुड नाईट - 38 dam Education Internatio Tag E Pnlwww.jabraord Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हिंसा अनुबंध हिंसा कहलाती है। इसका त्याग जरूरी है । (२) हेतु हिंसा - भोजन बिना चल नहीं सकता, पीने के लिये पानी चाहिये । रसोई बनाने के लिये अग्नि की हिंसा करनी पड़ती है। यह सब जीने के लिये जरूरी हिंसा है वह हेतु हिंसा कहलाती है। इस हिंसा में दुःख होता है कि मैं मोक्ष में नहीं गया इसलिये मुझे खाना और पीना पड़ रहा है। इस प्रकार हृदय में अपार दुःख हो तो हिंसा होती हैं, फिर भी पाप कम लगता है । (३) स्वरूप हिंसा - पूजा के लिये स्नान करते हैं । व्याख्यान के लिये जाते हैं, गुरू वंदन के लिये जाते हैं इन सभी में हिंसा दिखती है लेकिन हिंसा का भाव न होने से पाप नहीं लगता। कमाने के लिये पहिले इनवेस्टमेंट तो करना पड़ता है न? उसी प्रकार भाव शुद्धि के लिये पूजा है उसमें हिंसा होती है मगर पाप का बंध नहीं होता । गुड नाईट - 39 Jain cation Internatiflor Personal & Private Use Onl Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवांगी टीकाकार पू अभयदेव सू.म. कुँए का उदाहरण देते है। प्यासा व्यक्ति पानी पीने के लिये कुँआ खोदता है। तब प्यास बढ़ती तो है फिर भी खुद प्यास मिटती है और औरों को भी पीने को पानी मिलता है । ठीक उसी तरह पानी से स्नान करने में हिंसा दिखती है तो है मगर भाव से अहिंसा है। तो फिर महाराज साहेब पूजा क्यों नहीं करते? जिसको द्रव्य रोग होता है वह द्रव्यपूजा करता है, साधु भावपूजा करते हैं। जैसे श्रावक द्रव्यदया करता है और साधु भावदया करते हैं ठीक उसी तरह साधु भावपूजा करते हैं। 12 ... पूजा के लिये स्नान विधि... • पूर्व दिशा की ओर मुख को रखकर पूजा के लिये कम से कम पानी से स्नान करना चाहिये। गंदा पानी ४८ मिनिट में सूख जाय वैसी व्यवस्था करनी चाहिए । चर्बी वाले साबुन लगाने से शुद्धि कैसे होगी ? गुड नाईट- 40 Jain Education Internation for Personal & Private Us Onl Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर पूजा के वस्त्र पहिनने चाहिये। गरम और ठंडा पाणी मिक्स नहीं करना। गीझर में अनछणा हुआ पानी उबलता है अत: वापरना उचित नहीं है। * वस्त्र शुद्धि* सुखी और सम्पन्न मनुष्य को कुमारपाल राजा की तरह हमेंशा नये वस्त्रों से पूजा करनी चाहिये अथवा पूजा के बाद हमेंशा पानी में भिगो देना चाहिये जिससे पसीना निकल जाय। पुरूषों को दो वस्त्र धोती और खेस और बहिनों को तीन वस्त्र रखने चाहिये। वस्त्र फटे हुए, जले हुए और सिलाई किये हुए अथवा किनार ओटे हुए नहीं होने चाहिये। पूजा के लिये शुद्ध रेशमी वस्त्रों का विधान है। रेशमी वस्त्र अशुद्ध परमाणुओं को पकड़ता नहीं है। धोती पहिनते ध्यान रखना कि नाभि न ढंके और खेस इस तरह पहिनना की पेट ढंक जाये। रूमाल रखना अविधि है। खेस से आठ पड़का - गुड नाईट -4] - Soils Private Jain Education www.jainelibrary Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुखकोष बाँधना। हो सके तो घर के तमाम सभ्यों को एक ही टाइम पूजा करने जाना चाहिये। सामूहिक पुण्य बँधता है और देखने वाले अनुमोदना करके धर्म पा जाते हैं। बगीचे में कपड़ा धीरे से डाल कर बाँधना। अपने आप ही फूल गिरते हैं वो लेने चाहिये। और कीड़ी कीडे वाले फूलों को छोड़ देना। पूरे खिले हुए सुगंधित फूल ही लेने चाहिये। • यदि चूंटना पड़ता है तो बहुत सावधानी पूर्वक कोमलता से चूंटना। फूलों को धोना नहीं धूपाने से चलता है। फूलों को लाकर माला गुंथनी। फूलों को सूई से पीरोना नहीं। डोरी से हलकी गांठ देकर माला | तैयार करनी। यदि शक्य हो तो मंदिर के पानी की बूंद भी उपयोग में नहीं लेनी चाहिये। इसी तरह घर में शुद्ध कुएं के पानी से ओरसिये पर. केसर घिसकर तैयार कर सकते हैं। - गुड नाईट -42 - an Education Internas Personal Sellblaty.ora Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 13 सूतक- एम. सी. में सावधानी घर में एम.सी. (माहवारी) का पालन होना अति जरूरी है । प्रश्न- छुआछुत होती हो तो पूजा कितने दिन तक नहीं कर सकते ? उत्तर- जो ऊपर के कारण से पूजा एवं दर्शन बंद हो जाय तो बड़े परिवारवालों के घर में पूजा दर्शन हमेंशा के लिए बंद हो जाय, इसलिए पानी के छींटे लेकर स्नान करके पूजा कर सकते हैं। पूजा के वस्त्र शुद्ध कपड़े में बाँधकर ऊपर लटका देने चाहिए जिससे बच्चे इन वस्त्रों को छूए नहीं । प्रश्न - घर में जन्म-मरण के सूतक होने पर कितने दिन तक पूजा बंद रखनी चाहिए? उत्तर - भारत में दो मुख्य संस्कृति थी, श्रमण संस्कृति और ब्राह्मण संस्कृति। जैन धर्म श्रमण संस्कृति को मानता है । सूतक की मान्यता ब्राह्मण संस्कृति में हैं। जो जन्म-मरण के गुड नाईट - 43 Jain Eucation Int Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूतक से दर्शन पूजा बंद करनी हो, तो भरत चक्रवर्ती जिन्दगी में कभी भी पूजा नहीं कर सकते कारण कि उनके एक लाख बानवे हजार(१,९२,०००) स्त्री परिवार था। जन्ममरण का सूतक चलता ही रहे। जैन डॉक्टर को भी हमेशा सूतक ही रहेगा। इसलिए स्नान करने के पश्चात् कोई बाधा नहीं है। जैन शासन का प्रामाणिक ग्रंथ सेनप्रश्न रचियता जगद्गुरू हीरसूरि के शिष्य विजयसेन सूरीजी महाराज स्पष्ट बताते हैं। प्रश्न- जन्म-मरण के सूतक में प्रभु पूजा कब कर सकते हैं? उत्तर - जन्म-मरण सूतक में स्नान करने के बाद प्रभु पूजा निषेध का कहीं पर जानने को नहीं मिलता है। इसलिए पूजा नहीं करनी वैसी बात नहीं है। यह बात व्यवहार भाष्य और हीर प्रश्न में भी अंकित हैं। ____* उपकरण शुद्धि* उत्तम से उत्तम उपकरण उपयोग में लेने चाहिए। in Education Internationalor Personal Private Use Onl Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपनी शक्ति हो तो सोने के उपकरणों पर हीरे जड़े हुए हो अथवा चांदी के हो, ये भी न हो, तो शुद्ध पीतल आदि के उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं। जर्मन सिल्वर में निकल नामक अशुद्ध धातु आता है। पूजा की पेटी भी प्लास्टिक, एल्युमीनियम, स्टील आदि की उचित नहीं हैं आभूषणादि पहिनकर इन्द्र जैसे बनकर पूजा करनी चाहिए। कभी मन में उत्तम भाव जग जाय तो पहिने हुए आभूषणों को पानी में धोकर तुरंत भगवान को पहिना सकते हैं। 1 14 पूजा करने के लिए घर से प्रयाण की विधि • वैभवानुसार ऋद्धि-समृद्धि के साथ प्रभु पूजा करनी चाहिए। दान देने की प्रवृति साथ में रखने से धर्म प्रशंसनीय बनता है । • आजकल घरों में चप्पल पहिनकर फिरने की फैशन चल रही है। पूजा करने के लिए चप्पल पहिन कर जाते है। कहते हैं “ये पूजा के चप्पल हैं" पूजा के चप्पल हो ही नहीं सकते । घरों में गुड नाईट - 45 ducation Internation for be Use Onl Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चप्पल पहिन कर गोचरी वहोराने की भी अविधि चालू हो गई है। इन सब अविधियों को रोकना आवश्यक हैं वरना यह कहाँ तक पहुँचेगी, कुछ कह नहीं सकते। मुखकोश बांधकर केसर घिसना चाहिए। ललाट पर तिलक करने के लिए थोड़ा सा केसर हथेली पर लेकर तिलक करके बचा हुआ केसर मंदिर में तिलक करने की केसर वाली कटोरी में डाल सकते हैं। शरीर में पांच अंगों पर तिलक लगाना चाहिए - (१) ललाट पर, (२) कान, (३) कंठ, (४) हृदय, (५) नाभि पर। ____* केशर घीसने की विधि * • शरद ऋतु में केशर कस्तूरी जैसे गरम पदार्थ ज्यादा एवं चंदन अंबर जैसे पदार्थ कम लेने चाहिए। गर्मी में - चंदन अंबर ज्यादा लेना, केसर कम, चौमासा में दोनों पदार्थ समभाग लेने चाहिए। पूजा की सामग्री हाथ में रखकर तीन प्रदक्षिणा देनी चाहिए। - गुड नाईट-46 Jain Education Internatio se Onlwww amelibre Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा की सभी सामग्री को धूपानी चाहिये । फल-फूल धोने की आवश्यकता नहीं है । • भगवान के गंभारे में प्रवेश करते समय निसीहि बोलकर मुख कोष बांधकर प्रवेश करना चाहिए। गंभारे में खड़े रहकर स्तुति, स्तवनादि नहीं गाने चाहिए, नव अंग के दोहे भी मन में ही बोलने चाहिए । • अभिषेक पूजा का जैन शासन में बहुत ही बड़ा महत्व है। देवता भी भगवान की अभिषेक पूजा के लिए दौड़ कर आते हैं । • अभिषेक जल आँख और मस्तिष्क पर लगाना चाहिए। अभिषेक जल भी पूजनीय है । 15 अभिषेक पूजा का महत्व १८ अभिषेक, लघु शांतिस्नात्र में २७ अभिषेक, अष्टोत्तरी में १०८ अभिषेक वगैरह में अभिषेक पूजा काही महत्व हैं । * प्रभाव * १. जरासंघ के द्वारा फेंकी गई जरा विद्या नवण जल गुड नाईट - 47 Jain Education Internationator Personal Private Use Onl Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ से दूर हो गई। २. श्रीपाल एवं सात सौ कोढ़ियों का कोढ रोग अभिषेक जल से मिट गया। ३. कोढ़ रोग से पीड़ित अभयदेवसूरीजी पर अभिषेक जल छांटने से स्वस्थ हो गए। वे ही नवांगी टीकाकार बने। ४. पालनपुर के प्रहलाद राजा का कोढ़ रोग भी अभिषेक जल से दूर हुआ। भगवान के जन्माभिषेक के समय ६४ इन्द्र असंख्य देवों के साथ आते हैं। इन्द्र स्वयं ५ रूप बनाते हैं। मागध-वरदाम, प्रभास तीर्थ, गंगा-सिंधु वगैरह नदियों के पानी में क्षीर समुद्र का पानी मिलाकर भाव-विभोर होकर अभिषेक पूजा करते हैं। आठ जाति के कलश (१) रत्न, (२) स्वर्ण, (३) चांदी, (४) रत्नस्वर्ण, (५) रत्नचांदी, (६ स्वर्णचांदी, (७) चांदी एवं (८) मिट्टी। प्रत्येक के ८-८ हजार कलाश = ६४००० x २४० = १,६०,00,000 (एक करोड़ साठ लाख) अभिषेक होते हैं। गुड नाईट - 48 - Jain Education analor Personat & Private Uslyww.ainelbana Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * भावना* अपने मन में ऐसी भावना होनी चाहिए कि “मैं भगवान का अभिषेक कर रहा हूँ और मेरे हृदय के सिंहासन पर जो मोह राजा अनंत काल से बैठा हुआ है उसको पद भ्रष्ट करके भगवान का राज्याभिषेक कर रहा हूँ। अहो! कितना सुंदर! अभिषेक आपका हो रहा है, और शुद्धि मेरी हो रही है।" * अभिषेक विधि* निसीहि बोलकर मुख कोष बांधकर गंभारे में प्रवेश करना, पंचामृत अभिषेक जल तैयार करना। (१) जल, (२) गाय का दूध, (३) दही, (४) घी, (५) मिश्री। गाय का दूध मिल जाये तो उत्तम। प्रत्येक घर से छोटी-छोटी कटोरी भर कर अभिषेक दूध लेकर आयें तो उत्तम लाभ मिलता है। दादा प्रेमसूरी की जन्मभूमि पिंडवाडा में कई घरों से अभिषेक हेतु दूध लेकर जाते हैं, यह प्रथा अनुमोदनीय एवं अनुकरणीय है। ___पहले मोर पींछी से भगवान के अंगों को पूजना, फिर आंगी उतारकर गीले वस्त्र से केशर उतारना। दोनों हाथों से कलश पकड़कर मौन रहते हुए मस्तिष्क से अभिषेक शुरू करना चाहिए। - गुड नाईट-49 ucaueternational Gainelibrary.org Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 अभिषेक पूजा में सावधानियाँ अभिषेक जल पाँवों मे न आवे इसका ध्यान रखें। छोटे भगवान को अभिषेक के लिए ले जाने से पहले प्रभुजी से आज्ञा लेनी चाहिए कि - "हे प्रभु! आप मुझे कृपा करके आज्ञा दीजिए। पूजा के लिए मैं आपको ग्रहण करूँ ।" तीन नवकार गिनकर बहुमान के साथ प्रभु को ग्रहण करें। जो आंगी बनी हो तो उससे बेहतरीन आंगी बना सकते हो तो ही दुबारा अभिषेक करना उचित है। अभिषेक में वालाकंची का उपयोग जहाँ तहाँ करना आशातना हैं। जरूरी होने पर पानी में भिगोने से वालाकुंची नरम हो जाती है । अगर कहीं पर केशर रह जाय तो जिस प्रकार दाँत में से कोई फँसे हुए पदार्थ को धीरे से निकालते हैं उसी प्रकार उपयोग करनी चाहिए । वालाकुंची के दुरूपयोग से कई पंचधातु भगवान गुड नाईट - 50 Plain Education Internationalor euse eriwww.arabian.org Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के नाक और मुँह घिस गये हैं। यह घोर आशातना हैं, अत: वालाकुंची न वापरे, यही अच्छा है। अभिषेक जल आँखों पर लगाकर उन्हीं हाथों से पूजा करना योग्य नहीं है। बाहर आकर हाथ धोने पड़ते हैं । अभिषेक जल के पात्र में हाथ नहीं धोने चाहिए। धोने से दोष लगता है । I अभिषेक जल का निकास : ऐसी जगह पर करना चाहिए, जहाँ पाँवों में नहीं आवे, जल्दी सूख जाय, जीव जंतु की उत्पत्ति न हो, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए । मुद्रा : कलश को दोनों हाथों में लेकर सहज नमाना इसको समर्पण मुद्रा कहते हैं । "हे भगवान्! संसार वृक्ष के तीन मूल हैं। अग्नि, स्त्री और सचित्त जल । अग्नि और स्त्री छोड़ सकते हैं। सचित्त जल रूपी संसार के प्रतीक को आपके चरणों में अर्पित करता हूँ।” पहले देव बाद में गुरू उसके पश्चात् देव-देवी, परिकर में रहे हए सभी का अभिषेक प्रभ के साथ ही कर सकते हैं। गुड नाईट - 51 or Personal & Vate Use Onl Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वे प्रभु (यज्ञ- याक्षिणी) अलग स्थापित तो उनका अभिषेक अलग करना चाहिए। के ही अंग के रूप में स्वीकार्य है 1 * अंगलुंछणा * १. तीन अंगलुंछणा रखना आवश्यक है। अंगलुंछणा थाली में रखने चाहिए। २. अंगलुंछणा रोजाना धोने चाहिए। ३. अलग डोरी पर सुखाने चाहिए। ४. नीचे गिर जाय तो नए लेने चाहिए। ५. प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने घर से मलमल के अंगलुंछणा लाये तो बहुत ही लाभ मिलता है। ६. पहला मोटा, दूसरा उससे पतला, तीसरा एकदम पतला कपड़ा, अंगलुंछणा हेतु होना चाहिए । अगर पानी रह जाता है, तो जीवों की उत्पत्ति हो सकती है, प्रतिमाजी काले पड़ जाते हैं, इसलिए भगवान एवं परिकर एकदम कोरे करना जरूरी हैं। जरूरत पड़े तो तांबे की सली का उपयोग भी कर सकते हैं । गुड नाईट - 52 Jain Education internation Slor Personal & Private - Onl Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 17 चंदन पूजा चंदन से प्रभु के अंग पर विलेपन पूजा करनी चाहिये। आंगी - विलेपन करने के पश्चात् आंगी करनी चाहिये। सोने के बरख की आंगी करने से बहुत सी अंतराये टूट जाती हैं। फालना-वरकाणा में रोजाना एक भाई की ओर से सोने के बरख की आंगी बनती है। आंगी में बरख वापर सकते हैं कारण कि सोना, चाँदी अशुद्धि को ग्रहण नहीं करते हैं। परन्तु अशुद्धि को दूर फेंकते हैं। एल्यूमीनियम एवं सीसा वाले बरख प्रतिमा के ऊपर चिपक जाते हैं, इसलिए अशुद्ध बरख से दूर रहें। आंगी में उत्तम द्रव्य का उपयोग करें। प्लास्टिक एवं रूई उपयोग में नहीं लेवें। * केसर पूजा* कटोरी में अंगुली से केसर लेते समय केसर नाखून पर नहीं लगे, उसका ख्याल रखना जरूरी है। नाखून में केसर लगा सूख जावे और भोजन करते वक्त पेट मे चला जाय तो देवद्रव्य के भक्षण का दोष लगता है। - गुड नाईट - 53 - rivate us Jain Education int w.jainelibrary.org Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1819 प्रासांगिक देवद्रव्य चर्चा चढ़ावा बोलकर तुरंत रकम जमा कर चढ़ावे का लाभ लेना चाहिए। यह संभव न हो तो घर पहुँचते ही पहले देव द्रव्य का पैसा भरकर बाद में मुँह में पानी डालना चाहिए। देवद्रव्य की रकम बैंक में रखने, या ब्याज दर पर देने की जरूरत नहीं है। जीर्णोद्वार में तुरंत लगा देनी चाहिए। क्योंकि बैंक मत्स्योद्योग, कत्लखाने आदि में खुले आम लोन देती है, उसमें अपना द्रव्य जाये तो? सोचें! निर्माल्य द्रव्य (बादाम वगैरह) वापस नहीं चढ़ाने चाहिए। गंभारे में प्रवेश करते समय दाहिना पैर पहले अंदर रखना। बायाँ स्वर चालू हो तब पूजा करनी चाहिये। प्रभु की पूजा नव-अंग पर ही करनी चाहिये। चरण अंगूठे पर पूजा करने से १००० उपवास का लाभ मिलता है। पूजा अनामिका अँगुली से ही क्यों? - गुड नाईट - 54 malneliorary Ver Jai or Personal ducation Internal Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१) प्रत्येक अँगुली का नाम है लेकिन पूजा की अंगुली का नाम ही नहीं है। इसलिए अनामिका = नाम का भी मोह प्रभु मुझे न हो। अनामी बनने के लिये अनामिका से पूजा। (२) अन्य अँगुलियाँ अलग-अलग काम के लिए नियत हैं,परन्तु इस अंगुली को केवल पूजा का ही काम है। अंगूठे पर बार-बार पूजा की कोई विधि नहीं हैं। जहाँ-जहाँ पर टीका लगा हुआ है वहाँ पर पूजा करनी चाहिए, यह व्यवस्थाहै । टीके न रखें तो बढ़िया। मस्तिष्क, गला, हृदय, नाभि के सिवाय छाती, पेट पर टीका हो तो मूल स्थान पर पूजा करनी चाहिए। चरण अंगूठे की पूजा क्यों? इसमें अनेक प्रकार के रहस्य छुपे हुए हैं । चरण स्पर्श विनय का प्रतीक है। प्रासंगिक - कलिकाल सर्वज्ञ हेमचंद्रसूरिजी म.सा. ने कहा कि रात को सोते समय दाँये नथुने से साँस खींचकर अंगूठे के ऊपर दृष्टि केन्द्रित करने से अनेक दोष (स्वप्न दोष वगैरह) नष्ट हो जाते हैं। सर्वप्रथम हो सके वहाँ तक मूलनायक भगवान की - - गुड नाईट - 55 Jan Eflication Internet inalot Personal frivate Amalnelibrary.org Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूजा करनी चाहिए। उसके बाद आरस के भगवान, उसके बाद पंच धातु के भगवान, सिद्धचक्र भगवान, गुरूमूर्ति, देव और देवी। नौ अंग की पूजा का ही मुख्य विधान है। इसलिए फणों की पूजा जरूरी नहीं है। फिर भी अगर फणों की पूजा करनी ही हो तो अनामिका अँगूली से कर सकते हैं। कारण कि फणा भी प्रभु का अंग ही है। 20 पूजा की सावधानियाँ दूसरे भगवान की पूजा करने के पश्चात् उसी केसर से मूलनायक भगवान की पूजा हो सकती| है। सिद्धचक्रजी की पूजा के पश्चात् भी प्रभु पूजा | हो सकती है। क्योंकि उसमें गुण की पूजा है। अष्टमंगल प्रभुजी के सामने धरना चाहिए, उसकी पूजा नहीं होती है। भगवान की गोद में सिर रखना, पाँव दबाना, गालो पर लाड़ करना आदि अविधि है। पूजा के लिये केसर जितना उपयोग में आए - गुड नाईट - 56 Pere Private Use On Jain Educanternat a ine. Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उतना ही लेना चाहिए, पूजा की थाली एवं कटोरी, पूजा करने के बाद जहाँ-तहाँ नहीं रखनी चाहिए, यथा स्थान पर रखनी चाहिए । • थाली एवं कटोरी का पानी भी किसी के पाँवों में नहीं आना चाहिये । * फूल पूजा * फूल भगवान को सूँघा कर चढ़ाने की कोई विधि नहीं है । • बाहर शुद्ध फूल न मिलें तो सामूहिक या घर पर इसकी व्यवस्था हो सकती है। फूल पूजा का लाभ बहुत ही जबरदस्त है । उदाहरण नागकेतु, कुमारपाल, पेथड़, धनसार आदि । • फूल नहीं मिलें तो लोंग आदि नहीं चढ़ाने चाहिए। चाँदी के फूल या कुसुमांजलि चढ़ा सकते हैं । स्नात्र में कुसुमांजलि का अर्थ - अंजली भर कर फूल। अगर फूल न मिले तो चावल में केसर गुड नाईट - 57 Jain Education Internation For Pecanal muse se Onl Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डाल कर चढ़ा सकते हैं। • अंग पूजा होने के पश्चात् धूप, दीप प्रकटाना, गंभारे में धूप-दीप नहीं लेकर जाना। धूप-दीप-अक्षत-नैवेद्य-फल पूजा के बाद निसीहि कहकर चैत्यवंदन करना। १०० वर्ष पुराने भाववाही स्तवन बोलने चाहिए। इसके बाद प्रभु की आँखों में आँखे मिलाकर ऐसे भाव हृदय में लाने चाहिए, "ह प्रभो! आप ही मेरे आधार हो।' ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए। प्रभु के सामने त्राटक योग करके लययोग' में प्रभुमय बनना चाहिए। दर्पण-पंखी व चामर पूजा (नृत्य पूजा) करने के बाद घंटनाद करके प्रभु को पीठ न हो ऐसे बाहर निकलना चाहिए। - गुड नाईट-58 Education internat Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 21 डायनिंग टेबल की चटपटी बातें • भजन की बात पूर्ण हुई, अब भोजन का विचार करते हैं। • भोजन में जब गड़बड़ी होती है। तब भजन में भंग पड़ता है। इसलिए भोजन संबंधी बातें करना जरूरी है। प्रभु महावीर ने ३० वर्ष तक देशना की आहेलक जगाई उसमें भक्ष्य-अभक्ष्य को बहुत ही सूक्ष्मता से बताया, जो अन्य कहीं भी देखने को नहीं मिलता है। अमेरिकन प्रेसीडेन्ट बिल क्लिंटन के डायटिशियन ने एक किताब लिखी है उसमें जैन डायट' को सबसे योग्य बताया है। जमीकंद तामसी है। इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। मानव तामसी पदार्थों के सेवन से उत्तेजित होता आज के वैज्ञानिक आलू में जहर बताते हैं जिससे कैन्सर की संभावना रहती है। जैन दर्शन में पूर्व - गुड नाईट - 59 - Jain Education internando Personal Private Ukenswaelibeary.org Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काल से आलू सेवन का निषेध कहा है। जैन की पहचान निम्न बातों से होती है(१) जिन पूजा (२) जमीनकंद का त्याग (३) रात्रि भोजन त्यांग • जैन भाईयों जागो! आज कुछ स्वार्थी इंसान 'जैन' शब्द का दुरूपयोग करके जैनों को भ्रष्ट करने का एक षड़यंत्र खेल रहे हैं। जैन पॉव, जैन पीज्जा, जैन आमलेट, जैन आईसक्रीम आदि (जैन आमलेट में प्याज नहीं होता है लेकिन अण्डे का रस होता है।) चेत जाइये....... । एक बार पेट बिगड़ जाता है तो जीवन बिगड़ जाता है। • ऐसा कहते हैं कि जिसका खान-पान बिगड़ा उसका जीवन बिगड़ने में समय नहीं लगता । अन्न और मन की होट लाईन है। जैसा अन्न वैसा मन, जैसा आहार वैसी डकार । जैसा खाओगे अन्न, वैसा बनेगा मन, जैसा पीओगे पानी, वैसी निकलेगी वाणी । '' • तीन डिशों की चर्चा यहाँ पर विशेष तौर पर करनी है । गुड नाईट- 60 or Personal & Private Use Ont Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१) मारवाड़ी डिश, (२) कच्छी डिश, (३) और गुजराती डिश । मारवाड़ी पापड़ को, कच्छी छाछ को एवं गुजराती आचार को भोजन का मुख्य अंग मानते हैं। इस पर भक्ष्य अभक्ष्य का प्रकाश डालना अति आवश्यक है । * मारवाड़ी डिश १. चौमासे में पापड़ अभक्ष्य है। इसके सिवाय ८ महिना अभक्ष्य नहीं होते हैं I २. सिके हुए पापड़ और खीचिया दूसरे दिन बासी हो जाते हैं। इसमें रहा खार हवा की नमी को ग्रहण करता है। तले हुए पापड़ मिठाई के काल के अनुसार है । • वासी भोजन- जिस वस्तु में पानी का अंश रहता है, वो सब पदार्थ बासी होते हैं, उसमें अनेक जीव उत्पन्न होते हैं । (१) रोटी, जाड़ी रोटी, ब्रेड, पॉव, दूसरे दिन बासी होते हैं। इनमें पानी का अंश रहता ही है । (२) गुलाब जामुन, जलेबी, फीणी, बंगाली मिठाईयों गुड नाईट - 61 Jain Education Internationator Personal & Private Us Onlwww.jainelibrary.ore Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ की चासनी कच्ची होती है, इसलिए दूसरे दिन अभक्ष्य है । (३) शीरा, लापसी घी में सीक जाती है, फिर भी दूसरे दिन बासी होती है क्योंकि इनमें पानी का अंश रह जाता है । (४) मावे के पेड़े, बरफी, कलाकंद यदि घी में लाल नहीं किया हो तो दूसरे दिन अभक्ष्य हैं चूंकि इसमें पानी का अंश रहता है। (५) दहीं, छाछ में बनी हुई पूड़ी, थेपले दूसरे दिन चल सकते है बाद में अभक्ष्य है। (६) रात्रि में बनी हुई वस्तु के उपयोग से अजयणा का दोष लगता है इसलिए सबेरे उजाला होने के बाद वस्तु बनानी चाहिए । 22 बूंदी के लड्डू में पानी के हाथ लगते हैं, केशर पानी में भिंगोकर मिठाई पर छांटते हैं उसमें पानी का अंश रह जाता है । उसका ध्यान रखें । गुड नाईट - 62 • बूंदी के Education Internationator Personal & Private Us Harary.org Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दूध से बनी हुई पूरी दूसरे दिन अभक्ष्य है । दहीं को दो रात निकलने के बाद उपयोग नहीं कर सकते, इसके पहले छाछ बनाकर रखें तो यह भी दो रात नहीं निकलनी चाहिए। छाछ के थेपला या बड़ा बनाए हों तो दूसरे दिन उपयोग में ले सकते हैं। • जलेबी में खटास लाने के लिए जो केमिकल (हाइड्रो- हड्डी का पाउडर) वापरतें हैं वो अभक्ष्य है। खींचिया, पापड़ सूर्योदय से पहले बनाने में अजयणा का दोष लगता है। • 'हिलींग बाई सनलाईट' नामक पुस्तक में लिखा है कि चाहे कितनी भी पॉवर वाली लाईट हो, फिर भी कमल को खिलने के लिए सूर्य का प्रकाश ही काम लगता है । बासी भोजन करना नहीं और करवाना नहीं । गाय एवं कुत्ते को भी बासी रोटी नहीं खिलानी चाहिए। गुड नाईट- 63 or Personal & Prive se Onlyww.jainelibrary.org Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * कच्छी डिश* कच्छियों को भोजन में छाछ बिना नहीं चलता। खिचड़ी और छाछ साथ में खाते हैं यह द्विदल कहलाता है। जिसकी दो फाड़ होती हो और तेल नहीं निकलता हो ऐसा धान कठोल कहलाता हैं। कठोल की भाजी, गुवारफली आदि के साथ कच्चा दही, कच्चा दूध और कच्ची छाछ नहीं चलती, द्विदल होता है। इसमें अनेक बेइन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति तुरंत होती है। • छाछ पूर्ण रूप से गर्म की हुई हो तो कठोल के साथ खा सकते हैं। छाछ पीनी हो तो थाली, कटोरी, गिलास सब एक दम सूखे करने चाहिए, बाद में छाछ पी सकते हैं। प्रश्न-भक्ष्य वस्तु भी किस तरह अभक्ष्य बन जाती हैं? उत्तर-भोजन में कढ़ी भक्ष्य है लेकिन बनाने की विधि में गड़बड़ होने से अभक्ष्य हो जाती है। छाछ को बराबर उबाले बिना बेसन (चने का आटा) डालने से - गुड नाईट - 64 - सह Jain Education nationaalisona arvate Use Onlwww.janbrary. Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभक्ष्य होती है। * द्विदल • फट जाये तो? जानकारों से पता चलता है कि यदि छाछ में नमक या चावल का आटा डालकर हिलाते रहें तो उबालते वक्त छाछ फटती नहीं, ठीक इसी तरह रायता आदि में भी पकौड़ी डालने के पहिले छाछ को उबालनी चाहिये वरना अभक्ष्य होती है और अनगिनत जीव पैदा होते हैं। सामूहिक भोजन (स्वामीवात्सल्य) में दहीं बड़ा नहीं बनाना चाहिए कारण कि दही बराबर गर्म नहीं होता है। द्विदल खाना विरूद्धाहार है इससे कोढ़ रोग होता है। ऐसा आयुर्वेद में कहा हैं । मैथी के थेपले, खमण, पनोली वगैरह में दहीं छाछ का उपयोग गर्म करके ही करना चाहिए वर्ना द्विदल का भयंकर पाप लगता है। • मूंग एवं सेव के ऊपर कच्चा दहीं डालने से द्विदल होता है इसलिए अभक्ष्य हैं । गुड नाईट - 65 sonal & Private Use Onl Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जीमण के अंदर श्रीखण्ड बनाया, खमण चावल के, कढ़ी भी चावल की, सब्जी शाक दूधी (आल) की परंतु कढ़ी में छमका दिया उसमें मैथी थी सब द्विदल हो गया। अब द्विदल को सूक्ष्मता से समझकर इसकी उत्पत्ति और निकास की ओर ध्यान दें। निकास का अर्थ कठोल के बर्तन और दही-छाछ के बर्तन सांथ में धोने से भी अपार त्रस जीवों की हिंसा होती हैं। इसलिए दहीं के बर्तन अलग धोकर पानी मिट्टी में परठने से इन पापों से बचा जा सकता हैं। • कच्चे दही छाछ के साथ कठोल का कण मिक्स होते ही द्विदल होता है। भोजन करते द्विदल होता है और बनाते वक्त भी द्विदल होता है। मशीन में पहले चने की दाल पीसी गई, फिर गेहूं पीसने से गेहं के आटे से चने का अंश आ जाता है, जिसमें रोटी, खाखरा भी दहीं के साथ नहीं खा सकते हैं। दहीं किसी के साथ नहीं खाया जाय - गुड नाईट -66 Jen t ation Internation se Onlwww nelib Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तो अच्छा हैं। • चने के आटे का डब्बा, गेहूँ का आटे का डब्बा अलग ही रखना चाहिये, वर्ना उसमें भी द्विदल की संभावना हैं। * प्रासंगिक* भोजन जिसका नीरस, भजन उसका सरस... । संज्ञा प्रधान एवं प्रज्ञा प्रधान जीवन बहुत बार मिला, अब आज्ञा प्रधान जीवन जीने का शुभ संकल्प करें। आहार, निद्रा, भय और मैथन ये चार काम तो पशुओं में भी होते हैं लेकिन मनुष्य में विवेक ज्यादा हैं। इंसान खाने पीने एवं संसार के हरेक कार्य में इतना मग्न हो जाता है कि अपने विवेक को खो बैठता है जिससे पशु समान कहलाता है। हर चीज खानी नहीं, हर जगह खाना नहीं, बार-बार खाना नहीं। सौराष्ट्र में एक पटेल भाई ने उपरोक्त तीन नियमों का पालन कर एक सच्चे जैन श्रावक बनने का सौभाग्य प्राप्त गुड नाईट -67. Jain Education Privateuserviwwrainelloraryora Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किया और समाधि मरण को प्राप्त हुआ। स्नान से तन की, दान से धन की, ध्यान से मन की और भक्ति से जीवन की शुद्धि होती है। हरी वस्तु (लीलोत्तरी) आठम, चौदस को नहीं खाई जाती लेकिन ब्रेड-बटर तो सदैव वर्जित है। ब्रेड वासी होने से उसमें असंख्यात बेइन्द्रिय जीव पैदा होते हैं। बटर (मक्खन) यह ४ महाविगई में आता है। यह तो साफ वर्जित है। छाछ से बाहर निकलते ही मक्खन में अनगिनत त्रस जीव उत्पन्न हो जाते हैं। छाछ के साथ रहा मक्खन जुदा नहीं किया गया हो तो उपयोग में ले सकते हैं। घी बनाने के लिए मक्खन में थोड़ी छाछ रखी हो तो चल सकता है। सेंडवीच दाबेली भी अभक्ष्य पनीर (चीज) ताजे जनमे हुए गाय के बछड़े के आंतो से बने रेनेट नामक पदार्थ डालकर बनाया जाता है। ब्रेड़ पर इसे लगाकर देते हैं। -गुड नाईट -68 - Mameration-internationarika Dasarmananewive-in-mwise Maiywwwmainray Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इसलिए यह अभक्ष्य एवं मांसाहार है। चायनीज फुड में डाला जाता “आजीनोमोटो'' अभक्ष्य है। अभक्ष्य पदार्थों से बिगड़ा हुआ आज का टाईम टेबल • 'ब्यूटी विदाउट क्रुएलीटी'' डायना भटनागर ने टुथ पेस्टों का सर्वे करके यह बात सिद्ध की है कि टुथपेस्टों में हड्डी का चूरा मिलाया जाता है। नूडल्स (सेव) बाजार में तैयार सेव के पेकेट्स मिलते हैं। (मैगी) उनमें मुर्गी का रस, अण्डे, लहसुन आदि प्राय: डालते हैं। होटल का खान-पान स्वास्थ्य को तो हानिकारक है ही लेकिन आत्मा को भी बहुत हानि पहुँचाता है। गुड नाईट -69 - Jain Education Internationālor Personal Private Onlyww.janelibrary.org Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ होम टु होटल और होटल टु हॉस्पीटल भावनगर के कोल्डस्टोरेज में सरकार ने तलाशी ली, उसमें एक वर्ष का श्रीखण्ड मिला जिसमें लंबी लटें बिल बिला रही थीं। उसी श्रीखंण्ड को फेंट कर केसर आदि सुगंध डालकर शादी में सप्लाई किया जाता है। बाहर का खान-पान बढ़ जाने से डॉक्टरों को तगड़ी कमाई होती है। शाम को नास्ते में कचौरी के साथ दहीं डालकर खाते हैं, मैदा कितने दिनों का वापरते हैं, इसका कोई पता न होने से बाजार की तमाम वस्तु वापरने से परहेज रखना चाहिए। ऐसी जानकारी मिली है कि बाजार में बने खमण, इडली में तुरंत उफान आए इसलिए गटर की हवा लगाने में आती है जो स्वास्थ्य के लिए - गुड नाईट -70 licatiotilaternationior Personal & Rivate org Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हानिकारक है। (गुजरात सामाचार) इन सभी बातों का सारांश यही है कि बाहर की चीजों का उपयोग बंद करना चाहिए। अभक्ष्य का त्याग करें। अंकुरित मूंग (रात को भीगो कर रखने से मूंग में अंकुरे फूटते हैं) को उपयोग में लेने से अनंतकाय-जमीनकंद भक्षण का दोष लगता हैं। अंदर रहे हुए त्रस जीवों की जयणा नहीं होती है, इसलिए फूलगोभी तो वर्जित है ही, पत्ता गोभी भी वर्जित रखनी चाहिये क्योंकि अंदर की लटें दिखती नहीं। - गुड नाईट-71 or Personal Privat Onl, Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24 आगम वाणी इन्द्रियों में रसनेन्द्रिय, कर्मों में मोहनीय कर्म, व्रतों में ब्रह्मचर्य और गुप्ति में मन गुप्ति (मन का कंट्रोल) इन पर काबू पाना जीवन में दुर्लभ है। वैदिक वाणी : जितं केन? रसो हि येन। जिसने जीभ पर विजय पा ली वो ही सच्चा विजेता है। मानव में जब विवेक आता है तब लालीबाई (जीभ) के तूफान बंद होते हैं। मनुष्य जब भोजन की थाली पर बैठता है तब उसकी असलियत बाहर आती है। “व्यापार मे नरम, हुकुमत में गरम, धर्म में शर्म।” शर्म के द्वारा धर्म में आगे बढ़ सकते हैं। मैं ऐसे उत्तम कलवाला, मेरे से अभक्ष्य का भक्षण कैसे हो?जो बेशर्म होता है वह धर्म के लिए लायक नहीं है। जिसकी आँखों में शर्म का जल सूख गया हो, उसका साथ शीघ्र छोड़ दीजिए, बहुत सारे पापों से बच जाओगे। - गुड नाईट-72 Ibrary.org ducation internationalor Personal & Private Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जानकारी हासिल होने के बाद आचार में लाने की तैयारी रखेंगे, तो ही तिर सकते हैं। वैज्ञानिक जगदीशचन्द्र बोस ने वनस्पति छोडी क्या? डेविड अॅटनबरों ने फिल्म “दी लीविंग प्लानेट' में मछली आदि अनेक जीव जंतुओं की बातें इकट्ठी की फिर भी पाप से विराम नहीं प्राप्त किया। चोरी चोरी करके चला जाता है और गोपीचन्द कहता है मैं जग रहा हूँ ऐसे जगने से क्या फायदा? भक्ष्याभक्ष्य को समझने के बाद अभक्ष्य भोजन बंद करो, फिर देखो आराधना में कैसा उत्साह और आनन्द आता है। बाजार की वस्तु हजार हैं लेकिन जयणा बिना पाप बेशुमार हैं। मल्टीनेशनल की हजारों कंपनियाँ देश में आ रही हैं। टी.वी. उपर रूपसी ललनाएँ आपको अभक्ष्य खान-पान के लिए ललचायेंगी। मन को वश में रखना, नहीं तो डूबना पड़ेगा। सब्जी और चटनी के मसालों में प्राय: लहसुन और अदरक आती है। अनंत जीवों की हिंसा - गुड नाईट-73 rese Onl inelibrary.org Jär Education International Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इनमें होती है। चाय के विरूद्ध छाछ - हजारों वर्षों से छाछ का उपयोग होता था लेकिन अब अंग्रेजी चाय ने इसका स्थान ले लिया है। चाय से पाचन क्रिया खत्म होती है, भूख भी मर जाती है। आयुर्वेद में कहा है कि छाछ तो देवताओं को भी दुर्लभ है। नास्ते में गुड़ की राब, गेहूँ के दलिए की थूली जैसी वस्तुओं का उपयोग होता था, उसकी जगह ब्रेड, बटर, पॉव जैसे अभक्ष्य और विरूद्धाहार आ गये। बाजार के फुट स्लाड में कस्टर्ड पाउडर मिला होने से अभक्ष्य हैं। जंक फूड हानिकारक है, अभक्ष्य है। ग्रीन सलाड से कैंसर होता है। ऐसा सुनने में आया है, कच्ची चीज खाना जैन शासन में मान्य नहीं है। स्टेण्डींग किचन के कारण महिलाओं में पैर की बीमारियाँ बढ़ी हैं। जितना मानव मोर्डन बनता जा रहा है उतना ही परेशान होता जा रहा है। मोर्डन बनने की इच्छा छोड़ो। -गुड नाईट-74 - Jain Education internationator Personal & P s e Or www.arnerbrary.org Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभक्ष्य भोजन से अगले भव में क्या होता है ? अभक्ष्य खाने से पाप बंध होता है. और पाप से दुर्गति में भयंकर दुःख झेलने पड़ते हैं। , 25 चलो अब नरक का इण्टरव्यू लेते हैं। अभक्ष्य भोजन करने वाले, हजारों, लाखों और असंख्य वर्षों तक नरक की पीडा पाते हैं। परमाधामी देव इनको याद दिला दिला कर भयंकर कष्ट देते हैं । “बासी भोजन किया था? द्विदल खाया ? आचार में बेइन्द्रिय जीव थे फिर भी स्वाद वश होकर मजे से खाया तो लो अब तुम्हारे मुंह में गरमागरम शीशा उडेलता हूँ। तेरे ही शरीर के टुकड़े तुझको खिलाता हूँ । भट्टी और ओवन पर तुमको सेक देता हूँ। “मैदा, सूजी और फाईन बेसन की अनेक चीजें शौक से खाता था तो अब तुझे अग्नि में सेकता हूँ। सभी पापों की तरह अभक्ष्य खान-पान का परिणाम नरक में बहुत भयंकर आता है। e गुड नाईट - 75 Use Onl Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . क्षणिक स्वाद के लिए अभक्ष्य पदार्थों को डायनिंग टेबल पर नहीं लाएं। जांच कीजिए....। आधे से ज्यादा पाप जीभ के आभारी हैं। इसके दो काम है, "चखना और चखाना” दोनों खतरनाक है। * मैदा, सोजी और फाईनबेसन * आजकल मैदे का उपयोग बहुत ही बढ़ गया है। स्वास्थ्य के लिए मैदा हानिकारक है। मैदे में चिकनाई होने से आंतों में चिपक जाता है। फिर पेट सब रोगों का म्यूजियम बन जाता है, “पेट सब रोगों की जड़ है।" बाजार का मैदा कितने दिनों तक का होता है, कुछ मालूम नहीं होता, ताजा हो तो भी गेहूं बगैर साफ किये डालते हैं। मैदे में लट, फुद्दी जल्दी पड़ती है। इसी प्रकार सूजी, रवा, फाईन बेसन को भी समझना। केप्टनकूक का तैयार आटा अभक्ष्य है। जहर अभक्ष्य है फिर भी आज मूर्ख बनकर लोग खाते हैं। तम्बाकू से मुंह का कैंसर होता है। - गुड नाईट -76 - er Personal Priva e Onl Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "धुम्रपान खतरे में जान'' सिगरेट, बीड़ी से फेफड़ों का कैंसर होता है। २४.९.१३ घूमते आईना, जी.टी.वी. में बताया गया था कि गुटखों में छिपकली तल करके उसका पाउडर मीक्स करते हैं। अत: व्यसनों का भी त्याग कीजिये। इस काल के अजोड़ त्यागी स्वर्गस्थ मेरे विद्या गुरूदेव मुनि श्री मोक्षरत्न विजयी म.सा. ने छोटी उम्र में सभी मेवा मिठाई, फूट-नमकीन का त्याग किया था। आप को तो सिर्फ अभक्ष्य छोड़ने की बात है। उत्तराध्ययन में भगवान महावीर ने चार वस्तु दुलर्भ बताई हैं। (१) मानव जन्म (२) धर्म का श्रवण (३) श्रद्धा और (४) आचरण। सुनना, समझना, स्वीकार करना और जीवन में उतारना दुर्लभ है। -गुड नाईट -77 - or Personal & Private Use www lainelibrary.org Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26 गुजराती डिश • मुरब्बा पक्की चासनी का हो तो अभक्ष्य नहीं । • आंवला का मुरब्बा अभक्ष्य नहीं है। आम, गंदा, केर, मिर्च, नींबू आदि सभी अचार अभक्ष्य हैं चूंकि इनमें नमक डाला जाता है। जिससे पानी छूटता है, इनमें बेइन्द्रिय जीव उत्पन्न होते हैं इसलिए नहीं खाने चाहिए । • बाजार में रेडीमेड आचारों में तो एसिड डालते हैं जो पेट को भयंकर नुकसान करता है। • मैथी का मसाला: मैथी धान्य में गिनी जाती है। सिके हुए धान का काल होता है । मैथी अगर सिकी हुई है तो मिठाई के काल जैसे ही जानना । बिना सिकी मैथी का कोई काल नहीं । • सिके हुए चने का काल है, इसलिए उसकी चटनी चौमासे में १५ दिन, सर्दी में एक महिना, गर्मी में २० दिन से ज्यादा नहीं चलती है • मूंगफली की चटनी का कोई काल नहीं । 1 गुड नाईट - 78 Personal & Private Use Onlywww.jaineliberg Jain Education Internatio Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ • २२ अभक्ष्य में नमक भी आता है इसलिए श्रावक को भोजन में ऊपर से नमक नहीं लेना चाहिए। नीतिशास्त्र में लिखा हैं कि भोजन करते समय बोलना नहीं। शांत मन से किया हुआ भोजन पचता है, नहीं तो गैस बनता है। पैर के ऊपर पैर रखकर नहीं बैठना, पलाठी लगाकर जमीन पर ही बैठना चाहिए यह हमारी संस्कृति है। नीति वाक्य - ५ बजे उठना, १० बजे भोजन करना, शाम को भी ५ बजे भोजन करना और १० बजे सोना चाहिए। साबूदाना, कंदमूल से बनते हैं, इसलिए अभक्ष्य है। पनीर जिस दिन बनाते हैं उसी दिन चलता है। आईसक्रीम में कस्टर्ड पाउडर और जिलेटिन आता है, बर्फ में अपार जीवोत्पत्ति होती है पेप्सी वगैरह ठंडे पीने में कैंसर जनक पदार्थ होते हैं, बिसलेरी आदि बिना छना हुआ पानी है। इसकी जगह उबाला हुआ गर्म पानी पीने से द्रव्य भाव दोनों आरोग्य रहता है। - गुड नाईट - 79 250000000000003 Jain Education lorpersonal &Privateuseonlwww.jainelibrary.ora Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाजार के नमकीन कुत्तों की चरबी से तले जाते हैं, ऐसा मुंबई में जाहिर हुआ है। सावधान रहें! बाहर का खान-पान वर्जित करने में फायदे हैं। ...स्टोप....लुक.....एण्ड.....गो.. रात्रि भोजन महापाप नरक का पहला द्वार ध्यान से पढ़िये रत्न संचय नामक ग्रन्थ में कहा है कि रात्रि भोजन के दोषों को सर्वज्ञ के सिवाय कोई नहीं कह सकता। • ९ भवों तक कोई मच्छीमार सतत मछली मारता रहे उतना पाप केवल १ सरोवर के सूखाने से होता है। १०८ भव तक सरोवर के सूखाने के पाप से ज्यादा पाप १ बार जंगल में आग लगाने से होता है। १०१ भव जंगल में आग लगने के पाप से ज्यादा पाप १ बार अनीति का धंधा करने से होता है। १४४ भव कुवाणिज्य से ज्यादा पाप १ बार कलंक लगाने से होता है। - गुड नाईट - 80 Jain Education Internation: аrsona Private Use Onlywww.atelibrary. Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४१ भव तक सतत कलंक लगाने से ज्यादा पाप १ बार में परस्त्रीगमन से लगता है । • १६६ भव तक सतत परस्त्रीगमन के पाप से ज्यादा पाप १ बार के रात्रि भोजन करने से लगता है । ओह! रात्रि भोजन का कितना पाप ? यह क्रम रात्रिभोजन की भयंकरता बताने के लिये हैं । • गुरू के चरणों में जाकर रात्रि भोजन का नियम जल्दी से जल्दी स्वीकार लीजिए। रात्रि भोजन त्याग से महिने में १५ उपवास का लाभ मिलता है । • खस-खस अभक्ष्य है। अंजीर बहुबीज है । • दाडम, जामफल के बीज कड़क होने से अचित नहीं होते हैं । सचित्त श्रावक को नहीं खाना चाहिए। नींबू, टमाटर, कच्चा पक्का केला, आम लीलोत्तरी ही होती है। इसलिए आठम, चौदस, पांचम एवं पर्युषण और ओली में नहीं खानी चाहिए। गुड नाईट - 81 Jain Education Internet for ersonal rivate Use Oxywww.fainelibrary.org Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ टमाटर का सोस अभक्ष्य है, जैन सोस में लहसुन नहीं होता, लेकिन वासी होने से अभक्ष्य है । 27 पूज्य गुरूभगवंतों को आहार वहोराने की विधि भावपूर्वक गोचरी वहोराने से उनकी आराधना के छुट्टे भाग का लाभ मिलता है। • जीरण सेठ की तरह उपाश्रय में जाकर वंदनादि करके गोचरी की विनती करनी चाहिए। • नयसार-धन्ना सार्थवाह सुपात्र दान से ही सम्यक्त्व पाए एवं तीर्थंकर बने हैं। ● सुपात्र दान विधि - दान श्रद्धापूर्वक एवं शक्ति अनुसार देना । भक्तिपूर्वक दान की महत्ता समझकर दान देना । स्वार्थ की लालसा नहीं होनी चाहिए। तो प्रकृष्ट पुण्य बँधता है, एवं उत्कृष्ट कर्म निर्जरा होती है। • गोचरी के समय श्रावकों के घर द्वार खुले हों, श्रावक इंतजार करे, कारण कि साधु दरवाजे की गुड नाईट - 82 Jain Education Internation alor Personal & Pr Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बेल नहीं बजा सकते । गोचरी के घर बताने के लिए नौकर या पुजारी को न भेज कर स्वयं श्रावक को जाना चाहिए । • धर्मलाभ! के शब्द सुनते ही खड़े होकर विनयपूर्वक “पधारो-पधारो' कहना । • पाटे पर थाली रखकर उसमें म.सा. के पात्र रखकर वहोराना। घर के सभी जनों को वहोराने का लाभ लेना चाहिये, बालक को भी वहोराने का लाभ दिलाना चाहिये ताकि उसमें भी संस्कार पड़े । • म.सा. घर में प्रवेश करते समय लाईट, पंखा चालू-बंद नहीं करें। चप्पल पहिनकर वहोराना अविधि है । • कच्चे पानी आदि सचित्त वस्तु का संघट्टा न हो, वहोराते समय चीज नीचे गिरे नहीं, इसका ध्यान रखें । • एक-एक वस्तु को, पूछकर म.सा. कहे वही वस्तु वहोरावे। एक साथ सभी वस्तु का नाम बोलने से गुड नाईट- 83 rson: Private Use Ontway tapelibrary.org Jain Education Internationa Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माँग कर वहोराना पड़ता है और वह दोष लगता है। भगवान महावीर, महाभारत और नोस्ट्रेडेमसकी भविष्यवाणियाँ । भय बिना भगवान याद नहीं आते, भय के बिना भगवान को हम भूल जाते हैं। 28 भगवान महावीर की सत्य वाणी पाँचवे आरे में ३४ बोल प्रगट होंगे, उनमें से ५ बोल! १. शहर गाँव जैसे होंगे। (४४४ मंदिरों वाली चंद्रावती नगरी आज कहाँ हैं?) २. गांव श्मसान जैसे लगेंगे (गाँवों में जैनों की बस्ती | नहींवत् हो गई है।) ३. सुर्खा जन लज्जा रहित होंगे। डायना की बातें पूरे संसार को पता है। सुखी व्यक्ति को क्लब, ड्रग्स, ड्रिंक्स और डर्टीसिन्स (अभद्र चित्र) में फंसकर बरबाद होने के ज्यादा चांसेज हैं। - गुड नाईट - 84 - Jain Egitation P onal Prat se www.jane bra Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४. कुलवान औरतें मर्यादा रहित होकर अंगोपांग प्रदर्शन करेंगी । औरत के पैर की एड़ी नहीं दिखे वैसी वस्त्रों की मर्यादा भारतीय नारी की थी । वह आज के उद्भट वेशभूषा एवं ब्यूटी पार्लरों के आधार से पतित होती जा रही है। विश्व सुन्दरी बनने की प्रतिस्पर्धा स्वीमसूटों से सज्ज होकर परेड करने वाली लड़कियाँ लज्जागुण का उपहास करती हैं । कैसा अध: पतन ! ५. साधुओं में कषाय के भाव होंगे। सभी एकजुट, मिलकर रहने की बजाय छोटी-छोटी बातों में "मैं सच्चा तुम झूठे" कह कर शासन व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने वाले धर्म गुरू जिनशासन की रक्षा कैसे करेंगे? यह लाख रूपये का सवाल है । गुड नाईट- 85 or Personal & Privat Onl Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चन्द्रगुप्त मौर्य के १६ स्वप्नों का फल आ. श्री भद्रबाहु स्वामी ने बताया है- (कुछ अंश) १. बंदर हाथी का महावत बनेगा-हाथी जैसे भारत के ऊपर बंदर जैसे चंचल नेतागण राज्य करेंगे । २. सोने की थाली में कुत्ता खाता है : लक्ष्मी नीच घरों में वास करेगी। ३. तीन दिशा में समुद्र सूख गया है: धर्म तीन दिशा में खास नहीं होगा। दक्षिण में धर्म रहेगा। ४. समुद्र अपनी मर्यादा को लांघेगा : (कंडला ओरिस्सा में समुद्र ने मर्यादा छोड़कर हाहाकार मचा दिया) घरों में बेटे-बेटी मर्यादा नहीं रखेंगे बहू-सासु को हैरान करेगी। औरतें उत्तम मर्यादा को बंधन मानेगी। सब तरफ मर्यादा रहित जीवन देखने को मिलेगा । ५. विशाल रथ को छोटे-छोटे बछड़े खींच रहे हैं : जैन शासन की धूरा छोटे-छोटे साधु वहन करेंगे। शादी सुदा व्यक्ति दीक्षा कम लेंगे । महाभारत (व्यासजी कृत) में पांडवों के पांच स्वप्नों गुड नाईट - 86 Jain Education Intern Valor Personal P Jainelibrary.org Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के फल श्री कृष्ण जी ने इस प्रकार बताए हैं - युधिष्ठिर - सफेद हाथी दो मुँह से खाता है यानि कि आज के कलयुगी नेता सरकार और प्रजा, इस प्रकार दोनों के खजाने खाली करेंगे। भीम - गाय बछड़ों का दुग्धपान करती हैं। माता-पिता को पुत्रों की गरज करनी पड़ेगी, पानी भी पूछ कर पीना पड़ेगा। एक पैसा भी पूछे बिना खर्च नहीं सकेंगे। अर्जुन - कौओ कृष्ण-कृष्ण करते हैं = इस कलियुग में धर्म के नाम पर ठगी होगी, धर्म के नाम पर धूर्तता बढ़ेगी। जन्माष्टमी के नाम पर नवरात्री आदि में देर रात तक नाचना,बीभत्स संगीत वगैरह कितनी अनापशनाप विकृतियाँ बढ़ गई हैं। नकुल - तीन पानी के कण्ड हैं। बीच का कुण्ड खाली है। पहले वाले कुण्ड में से पानी उछलकर तीसरे कुण्ड में गिरता है। माता-पिता के बदले सास-ससुर ज्यादा प्यारे लगेंगे, भाई भूखे मरेंगे लेकिन भाईबंध मौज करेंगे। बहिन को न चाहेंगे - गुड नाईट-87 - or Persona Privat Onlywatelibrary.org Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साला-साली का सत्कार करेंगे। पहले कहते थे__माता तीरथ, पिता तीरथ, तीरथ है गुरू बांधवा बीच-बीच में साधु तीरथ, सब तीरथ अभ्यागता। अब कहते है - सासु तीरथ, ससरा तीरथ, तीरथ साला-साली। बीच-बीच में साडू तीरथ, सब तीरथ घरवाली। सहदेव - प्रलय पवन से पहाड़ के शिखर टूटकर नीचे गिरते हैं। एक विशाल शिला तिनकें से रूक गई। यानि कि इस कलियुग में बड़े जप-तप का नाश होगा, प्रभु नाम का स्मरण पतन से बचायेगा। * विदेशी भविष्यवाणियाँ *4 1. चर्नी - २००० का वर्ष अति भयंकर बताया था। जिन डिक्सन भी ऐसा ही बताते थे। • नोस्ट्रेडेमस - ४३० वर्ष पूर्व फ्रांस के फोटोग्राफर | ने ३००० भविष्यवाणियाँ "द सेंच्यूरीज' में कही हैं। इंदिरा गांधी की मृत्यु, राजीव गांधी की मानव बम्ब से - गुड नाईट - 88 is education Internau w ersonale elibrary.org Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मृत्यु वगैरह इन्होंने कहा था। विश्व के भविष्य के बारें में इनका कहना है कि आकाश में से पीला दैत्य उतरेगा। दुष्काल हो या बॉम्ब के विस्फोटक से अग्नि के गोले हों। सेटेलाईट के द्वारा जैविक बॉम्ब टी.वी. स्क्रीन द्वारा प्रत्येक घर में प्रवेश करेगा। जिससे प्लेग जैसी बिमारियाँ पनपेगी। इंग्लैण्ड टापू बन जायेगा। | विश्व युद्ध - अणु युद्ध के रूप में चीन एवं अरब मिलकर ईसाईप्रजा के विरूद्ध होंगे। विश्व की ६०-७० प्रतिशत प्रजा समाप्त होने का भय होगा। कौन बचेगा?जो गुरू के वार को मानेंगे। सफेद वस्त्रों में अहिंसा शांति मानने वाले बचेंगे, चेरियन नामक व्यक्ति २००७ के बाद सम्पूर्ण विश्व में अहिंसा का झण्डा फहरायेगा। • मद्रास की देववाणी - समय बहुत ही भयंकर आ रहा है। प्रत्येक घरों में नवकार, उवसग्गहरं, संतिकरं | के जाप करें, सब जगह ये तीनों जाप शुरू करवाईये। शांति के लिए- ॐ ह्रीं अर्ह श्री शांतिनाथाय नमः। समाधि के लिए- ॐ ह्रीं अर्ह श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय | नमः। - गुड नाईट-89 Jain Education Intemanonali. Per Private vee Ont a inelibrary.org Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धैर्य के लिए - ॐ ह्रीं अहँ श्री महावीरस्वामिने नमः । विश्व शांति और मांगलिक के लिए प्रत्येक घर में महीने में एक आयंबिल की तपस्या होनी चाहिए। भविष्यवाणियों का सारांश - हे जीव! तू जग जा, आराधना में लग जा और पाप से भाग जा! कम से कम आने वाले थोड़े वर्षों के लिए सभी पापों पर रोक लगा दें। 29 'टेन्शन टू पीस''ध्यान प्रयोग' चिंता चिता है जिंदे को जला देती है, इससे दूर रहो। आजकल मनुष्य को घर, दुकान, व्यवहार व्यापार प्रत्येक जगह में चिंता है यानि कि टेंशन है। विपश्यना, प्रेक्षा, टी.एम. आदि सभी ध्यान प्रवृत्तियाँ शरीर के रोग दूर करने की बात बताते हैं। जैन दर्शन कहता है कि सिर्फ शरीर का ही विचार करना आर्तध्यान है। जैन ध्यान आत्मा - गुड नाईट - 90 - rsonal Private y our ain Educa Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ के लिये अपूर्व हितकारी है । • नवकार महामंत्र का ध्यान सबसे ज्यादा सुरक्षित है । नवकार योग - पंच परमेष्ठियों को विविध प्रकार की मुद्राओं के साथ नमस्कार करना । • आसन - भगवान की मुद्रा में बैठ सकते हैं तो उत्तम । * ध्यान प्रक्रिया * ● पृथ्वी धारणा पद्मासन में बैठे हों। आप मेरूपर्वत की शिला पर 1 • अग्नि धारणा- हृदय में ध्यान की अग्नि पैदा हुई हो। क्रोध जल रहा है, राग-द्वेष, मोह आदि सम्पूर्ण कर्म जलकर खाक हो रहे हैं । • वायु धारणा - प्रलयकारी हवा चल रही है और सब खाक उड़ रही है। जल धारणा - सिद्धों की कृपादृष्टि से निर्मलता प्रगट हो रही है। • तत्वभू धारणा - शुद्ध आत्मा तत्व स्वरूप का ध्यान । गुड नाईट - 91 Jain Edation Internationaler Fe inar & Private ( ilywajathelibrary.org Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपरोक्त धारणाएँ धारण करने के पश्चात् नवकार मंत्र को हृदय में स्थापित कीजिए। नवकार ध्यान :- नवकार का स्मरण श्वास के साथ इस प्रकार करें कि रोम-रोम में, रक्त के एक-एक कण में, दिमाग के १/१-२ अरब सेल में इसकी गूंज चलती हों हर धड़कन में नवकार वासित हो जाय। अहँ ध्यान - श्वास लेते - निकालते ॐ ह्रीं अर्ह नमः। ओम् :- पंच परमेष्ठी का बीज मंत्र है। अ = अरिहंत + अ = अशरीर सिद्ध = आ+ आ (आचार्य) = आ + उ उपाध्याय = ओ + म् (मुनि) = ओम् • ह्रीं = २४ तीर्थंकर भगवान का बीज मंत्र है। शिवमस्तु की मंगल भावना रोज भाने पर पवित्र वाईब्रेशन्स बनते हैं। मानस मृत्यू प्रयोग - आँखे बंद करके कल्पना कीजिए कि मृत्यु की अन्तिम क्षण आपके नजदीक गुड नाईट - 92 or Personal & rival FAW ainelibrary.org Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ में है। मारू आयखु खूटे जे घड़ीये' गीत के गूंजन सहित, गद्गद्भरी प्रार्थना करते हुए भगवान् को अपने हृदय में स्थान देने की क्रिया का आभास होना चाहिए। मृत्यु के पश्चात् पुण्य एवं पाप के सिवाय अन्य कोई वस्तु साथ नहीं आती ऐसा अनुभव करना । • मानस यात्रा प्रयोग अपने मन के द्वारा सिद्धाचल जाकर भरतचक्रवर्ती ने रत्नों की प्रतिमा भराई, उनके दर्शन करना आदि । 30 ध्यान और ब्रह्मचर्य वासन से वीर्य जलता है ।क्रोध से खून जलता है। सात करोड़ सोने की मोहरों का दान हमेंशा देवें या सात मंजिल का सोने का मंदिर बनावें, उससे भी बढकर ब्रह्मचर्य में लाभ ज्यादा है। ये व्रत जगमां दीवों मेरे प्यारे । ब्रह्मचारी के वचन सिद्ध होते हैं । धारे वह कार्य करने की प्रबल इच्छा शक्ति होती है । गुड नाईट- 93 Personal & Pri Jain Educ Onlywww.jainelibrary Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आज कल दुनिया में जो केस चल रहे है उनका सर्वे करने से पता चला कि तमाम में स्टमक, सेक्स, वासना और इगो (अहंकार)। इसमें भी वासना और विकार के कारण अनेक पाप बढ़े हैं। मरणं बिंदु पातेन । सातसाधु का राजा वीर्य है। वीर्य का नाश यानि मृत्य। इससे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं - जैसे आँखों का निस्तेज होना, गाल बैठना, कमर दर्द, शरीर टूटना, आलस्य ज्यादा आना, नींद नहीं आना, भूख न लगना, कहीं पर भी चित्त नहीं लगना। जीवन जीने की चाह नहीं ऐसे जीना आदि शारीरिक मानसिक अनेक बिमारियाँ होती हैं जिससे व्यक्ति किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं कर सकता। शरीर विज्ञान : मानव के भोजन में से प्रत्येक आठ दिन में क्रमश: रस, खून, माँस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य में रूपान्तरण होता है। पूरे ४१ वें दिन सातवीं धातु वीर्य बनता है। एक मण - गुड नाईट -94 - S a verion.lor Personel & Pivate Use Onlwww.lainelibat mumtinutentiHINHIMANISHMISH MINIMHARAMINORNVIRAL SOLTIMILEVIATUREDITIOUSERIFICIALUANTITAMAINTAINMinimoviouTHINimil Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आहार में से एक तोला वीर्य बनता है । इसका उपयोग परमात्मध्यान, आत्मध्यान और आत्मा को ऊर्ध्वगामी एवं ओजस्वी बनाने में कर सकते हैं। इस अमूल्य जीवन शक्ति का नाश वासनात्मक विचारधाओं से होता है। जिसमें ढाई तोला जीवन शक्ति का नाश होता है । वासना के बूरे विचारों से दूर करने के लिए विजय सेठ और विजया सेठानी के अद्भूत ब्रह्मचर्य को याद करें । भगवान् नेमिनाथ और स्थूलभद्रस्वामी के ब्रह्मचर्य को याद करें। इस प्रकार से वासना और विकारों पर विजयी बनने का मंत्र - "श्री प्रेमसूरि सद्गुरूभ्यो नमः " इच्छा बिना भी चक्रवर्ती का घोड़ा ब्रह्मचर्य का पालना करता है तो देवलोक में जाता है। देवलोक के इन्द्र भी ब्रह्मचारियों को वंदन करके सिंहासन पर बैठते हैं । आज दिन तक वासना एवं विकारों के परवश आँख के, काया के, मन के पाप हो गए हों तो गुरू गुड नाईट - 95 for (sonal & Private Onlwww.jainelibrary.ofs Jain Educa Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चरणों में प्रायश्चित लेकर शुद्ध हो जाओ। प्रभु से आँख एवं काया की पवित्रता बनी रहे, इसकी शुद्ध मन से प्रार्थना करो। शुद्धि आपके हाथ में है, सिद्धि आपके साथ में है। जिनाज्ञा विरूद्ध कुछ लिखा हो तो मिच्छामि दुक्कडम् । पूज्य गुरूदेव प्रेरित श्री नाकोड़ातीर्थ संचालित त्रिवर्षीय निःशुल्क विश्व प्रकाश पत्राचार पाठ्यक्रम में आज ही नाम लिखवाईये। 1 लाख विद्यार्थी लाभ ले चुके है। B.J. की डिग्री व पारितोषिक प्राप्ति होगी। -: सम्पर्क :जैन पेढ़ी, नाकोड़ा तीर्थ मेवा नगर, वाया - बालोतरा जिला - बाड़मेर - गुड नाईट - 96 Jain Education Internation Persone Private Use Onlywww.jainelibrary Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पूज्य गुरूदेव आचार्य भगवंत श्रीमद्विजय रश्मिरत्न सूरीश्वरजी महाराज गुरू सेवा में सदैव जेम्स एण्ड आर्ट प्लाजा सर्किट हाउस रोड़, जोधपुर - 342 006 मोबाईल : 9829020109 फोन: 0291-5104090 er Personal & Private Use Onl Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Gems & Art Plaza (Exclusive Jewellery & Art Work) Circuit House Road, Opp. IOC Petrol Pump, Jodhpur Ph. : 0291-5104090, 2512799, Mobile : +91 98290-20109 Web : www.gemsartplaza.com Email : gemartplaza@indiatimes.com Manish Singhvi + 91 98290 24466 Jain Education Intepraten OP BASCAROS JODHPURSE 262412w.jainelibrary.org