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मुखकोष बाँधना। हो सके तो घर के तमाम सभ्यों को एक ही टाइम पूजा करने जाना चाहिये। सामूहिक पुण्य बँधता है और देखने वाले अनुमोदना करके धर्म पा जाते हैं। बगीचे में कपड़ा धीरे से डाल कर बाँधना। अपने आप ही फूल गिरते हैं वो लेने चाहिये। और कीड़ी कीडे वाले फूलों को छोड़ देना। पूरे खिले
हुए सुगंधित फूल ही लेने चाहिये। • यदि चूंटना पड़ता है तो बहुत सावधानी पूर्वक
कोमलता से चूंटना। फूलों को धोना नहीं धूपाने से चलता है। फूलों को लाकर माला गुंथनी। फूलों को सूई से पीरोना नहीं। डोरी से हलकी गांठ देकर माला | तैयार करनी। यदि शक्य हो तो मंदिर के पानी की बूंद भी उपयोग में नहीं लेनी चाहिये। इसी तरह घर में शुद्ध कुएं के पानी से ओरसिये पर. केसर घिसकर तैयार कर सकते हैं।
- गुड नाईट -42 -
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