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उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर पूजा के वस्त्र पहिनने चाहिये। गरम और ठंडा पाणी मिक्स नहीं करना। गीझर में अनछणा हुआ पानी उबलता है अत: वापरना उचित नहीं है।
* वस्त्र शुद्धि* सुखी और सम्पन्न मनुष्य को कुमारपाल राजा की तरह हमेंशा नये वस्त्रों से पूजा करनी चाहिये अथवा पूजा के बाद हमेंशा पानी में भिगो देना चाहिये जिससे पसीना निकल जाय। पुरूषों को दो वस्त्र धोती और खेस और बहिनों को तीन वस्त्र रखने चाहिये। वस्त्र फटे हुए, जले हुए
और सिलाई किये हुए अथवा किनार ओटे हुए नहीं होने चाहिये। पूजा के लिये शुद्ध रेशमी वस्त्रों का विधान है। रेशमी वस्त्र अशुद्ध परमाणुओं को पकड़ता नहीं है। धोती पहिनते ध्यान रखना कि नाभि न ढंके
और खेस इस तरह पहिनना की पेट ढंक जाये। रूमाल रखना अविधि है। खेस से आठ पड़का
- गुड नाईट -4] -
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